Book Title: Adhyatma Panch Sangrah
Author(s): Dipchand Shah Kasliwal, Devendramuni Shastri
Publisher: Antargat Shree Vitrag Vigyan Swadhyay Mandir Trust
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एक द्रव्य को जानपणा नृत्य में आयो । अनत गुण किसा' है? एक-एक गुण में अनंत प्रकार थट छै सो कहिजे । अन्त प्रकार भेद किसा छै? जीको ब्योरो'-वीर्यगुण में ऐसो थट छै जो द्रव्यवीर्य, गुणवीर्य, पर्यायवीर्य, क्षेत्रवीर्य, भाववीर्य । क्षेत्रवीर्य क्षेत्र ने निहपन्न राखे सो द्रव्यवीर्य द्रव्य ने निहपन्न राखे, पर्यायवीर्य पर्याय ने निहपन्न राखे, भाववीर्य भाव ने निहपन्न राखे । द्रव्य का असंख्य प्रदेश क्षेत्र छ । त्या में- अनंतगुण को प्रकाश उठे छै। दर्शनप्रकाश, ज्ञानप्रकाश, वीर्यप्रकाश, सुखप्रकाश, प्रभुत्वप्रकाश, इत्यादि अनंतगुण को प्रकाश प्रदेशक्षेत्र ते उठे छै। ऐसो क्षेत्र तिहने निहपन्न राखे, याही प्रकार द्रव्य का द्रव्यत्व गुण सों उपज्या भेद त्याहने लिया द्रव्य तिन्हे निहपन्न राखे। द्रव्यवीर्य भवतीति भावपर्याय उपलक्षण भाववस्तु परिणमनरूप भाव अथवा स्वभावभाव तिन्हे निहपन्न राखे । भाववीर्य ऐसो थट वीर्यगुण को छै। वीर्यगुण का थट में वस्तुत्व नाम गुण छ । एक छै वस्तु को भाव । वस्तुत्व सामान्यविशेषात्मक वस्तु तीको भाव वस्तु को निहपन्न राखे । वस्तुत्व वीर्य वा वस्तुत्व वीर्य का थट में अनंत कला छै सो कहिजे छ।
कला वस्तु में जो कहावे जो अनेक स्वांग ल्यावे अथवा अनेक नट की नाई कला करे परि" एकरूप रहे । त्यों वस्तुत्व सामान्यभाव विशेष त्यां रूप सो ज्ञान जानपणारूप परिणयो। सामान्य ज्ञान को भाव ज्ञान द्रव्य ने जाने, गुण ने जाने, पर्याय ने जाने1 सो ज्ञान को विशेष भाव दर्शन देखिवारूप परिणयो, सो दर्शन को सामान्यभाव द्रव्य ने देखे, गुण ने देखे, पर्याय ने देखे सो दर्शन को विशेष भाव। ई प्रकार सकल गुण में
१ कैसा. २ कहते हैं, ३ उसका, ४ विवरण, ५ घाट. ६ नियत्र.७ रखता है. ८ उसमे ६ उसने. १० उसके द्वारा, ११ घाट, १२ उसका, १३ समान, १४ परन्तु
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