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rored bthe provincial Text Book Com. N.-1.-P. & Oudk । किताब को प्रोविन्पाल टेकस बुक कमेटो मुमालिक मगरबी व शुमाली व अवध मुमानिक मुतवस्मित ने पसंद करके दाखिल कोर्स किया Missaicolchelocioleelaalmaidalamlakha
A NEW EDITION OF FULD'S ELEMENTS
OF GEOMETRY
IN HINDI
INTENDED FOR THE STUDENTS OF VERNACULAR & NORMAL SCHOOLS
BY
The late B. Atma Ram B. A. HEAD MASTER HIGH SCHOOL
ALIGARII. BOOKS I--11. रेखागगिाल पहिला और दूसरा अध्याय टिप्पन व३४५ प्रशनों और सवालात
इम्तिहान सहित
जिसको 'द मंशा जनाब फैज़माबएमकेम्सनसारबबहादएम.ए. डारकर साविक दारिश तालीम मुमालिक प्रामाली
गरबी व अवध बाबू आत्माराम बी. ए. हैडमासूर हाई स्कूल अलीगढ़
बगर ज फायदइ तुलबा नौर्मिल र कूल व मदारिस
तहसीली व इलकाबन्दी उम्दा २ अंगरेजी किताबो से तालीप विया
Revised and enlarged Edition. चौथी बार सन १००० ई० कीमत फी जिल्द ००० जिल्द हक़ तालीफ महफूज है । . १० पाने जलजलजलालाबललललल्लन क्यरा प्रेस में सुन्शी राम नारायण भार्गव के प्रवन्ध से छप SH&D & SOLD BY KACKER & RROS Noiwei-lhi..
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PREFACE
In thus presenting to students and teachers a new elementary work in Urdu on the principles of Geometry, it can hardly be necessary to defend ourselves for having made Euclid's Elements the basis ofthework. For while it cannot de nied that many defects and difficulties occurin the Elements, and that these become more obvious the more closely we examine the work, it must, onthe other hand, be acknowledged that notwithstanding the numerous attenpets which have been made by our best modern geometers to find an appropriate substitute, the “ Elements ” of Euclid has ever held the chief place in our Universities and Colleges, and is never likely to be superseded. Nearly every oificial programme of instruction or examination expressly includes some portion of this honoured work
The present edition of Euclid's Elements is prepared especially for those studying for the Normal School Certificate and the Middle Class Vernacular Examination in the North - Western Provinces and Oudh, It differsin several important particulars from other editions of the same work intended to be used as text books in the Vernacular Schools of India. First, the style has been simplified as far as possible by discarding much of the usual technical phraseology and in places where this has been necessarily retained, copious explanations have been added, especially in the Definitions. A list of all the technical terms used in the work, together with their English and Hindi equivalents, is also attache d.
Secondly muy now aaisin olor Demonstrations of the proposition have been given, in addition to those of Euclid, in order to bring the subject within the comprehension of different capacities. In nota few cases where Euclid has given only the indirect method of proof or what is culled Reductio ad absurdum--(themethod generally employed by Euclid for the
ion of converse propositions)--a direct method of p valis more satisfying and more convincing to the student hast, .n appended murdly to almost all the propositions, there have been added new rollaries, Exercises and Annotations of various k. ds, tending to render the additions a species of short running om atary on the immori "rk of Euclid.
Fourthly, in order tor move one of the most prac. 1 objections which have been urged aganist the Elements, namely, its want of methodical arrangement, a classified index: 'n appended by means of which the propositions in the
relat g to any particular subject may be immediate
In conclusion we must not omit to mention the ps .cipal works which have been cosulted, and to which the prest edition is mainly indebted for anyador ta: vb ch it may possess overits rivaIs in the same field. T works i eferred to are the edition of the Elements by Todhunter, Potts, Wallace, Playfair, Smith and Law.
It only remains for us to offer our thanks to the friends who have helpd us with their advice in the preparation of this work, and to assure each student and teacher that any suggestion for its improvement will be thankfully received by us. ALIGARH, October 1894
AR
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Definitions
Dimension
Point
Locus
Line
अंगरेज़ी
Straight line
Parallel straight line Curve
Superficies
Plane superficies
Solid
Verter
Arm
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perpendicular
Boundary
इस्तलाह
परिभाषा
विस्तार
बिन्दु
निधि
हिन्दी
plane angle
कोण
plane rectilincalangle | सरल कोण
Right angle
खम को
Obtuse angle
अधिक कोण
Acute angle Re-entering angle
Adjacent angle
Interior Angle
Exterior angle
Opposite angle
Alternate angla
Supplement
Complement
रेखा
सीधी या सरल रेखा समानान्तर सीधी रेखा वक्र या कुटिल रेखा
धरातल
दर्पणोदर घरातल
पिंड
न्यून कोण
पुनर्युक्त कोण
व्यासन्न कोण
ग्रन्तः कोण
हि कोण
पूरक
कोटि
शीर्ष
भुञ
सम्म ुख कोण एकान्तर कोण
लम्ब
सीमा
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उर्दू
حدود
امتداد
الخطين
نقطة
مقام النقاط
خطا
خط مستقيم خطوط مستقیم متوازيه خط منحني
سطح سطح مستري
جسم
زاریه مسطحه زاریه مسطحه مستقيما زاریه قائمه
زاریه منفرجة
زاریه حادة زاريه مكرره
زاریه متصله
زاویه داخله
زاویه خارجه
زاویه متقابله
زاریه متبادله
سها
تمامي قائمة
ساق
تعدود
जैक
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(
३
)
अंगरेज़ी
हिन्दी
उर्दू
محيط
تر قوس
ضلع
Figure
ग्राकृति या क्षेत्र Circle
वृत्त Circumference परिधि Centre
केन्द्र Diameter
यास Radius
यासई या त्रिज्या Arc
चाप Chord
चाप कर्ण या जीवा Side
मन Rectilincal fiyure
| ऋजु मज क्षेत्र Trianglo
लिमुन Equilateral triangle समत्रि बाहु त्रिभुज Isosceles triangle समबाहु त्रिभुज Scalene triangle विघमबाह त्रिभुज Right-angled triangle | समकोण त्रिभुज Hypotenuse
समकोण त्रिमज का कर्ण Obtuse-angled triangle| अधिक कोण विमुज Acute-angled triangle न्यूनकोण त्रिभुज Qnadrilatera figure चतुर्भज क्षेत्र Square
वर्ग Oblong
यायत या नात्यायत Rhombus
विषमकोण समचतुर्मुन Rhomboid
ग्रजात्यायत Parallelogram समानान्तर चतुर्मुज Trapezium
बिधम चतुभुन Complement Trapezoid
समलम्ब चतुर्मज Polygon
बहुभुज क्षेत्र
شكل مستقيم الاضلاع مثله مثلث متساوي الاضلاع مثلث متساوي الساقين مثلث مختلف اضلاع مثلث قائم الزاويه وتر مثلث قائم الزاوية مثلث منفرج الزاويه مثلث حاده الزاوية شکل نواربعة الاضلاع
مستطیل
معین
شبيه بالمعين متوازي الأضلاع منحرف
पूरक
نوزلفة شکل کثیر الاضلاع
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(५)
ओश्म
भूमिका
AME
TRENCECHASAN
पत्थर का टोल जो किसी चट्टान से काटा गया है एक ठोस चीक है जब संगतराश ने इसको गढ़कर इसका डौल दुरुस्त कर लिया तो यह एक पिंड की शक्ल बनगई अब फ़ज़ करो कि यह शक्ल ऐसी है कि इस टौल में छह तरफ हैं जो आपसमें सब तरह से बराबर हैं अगर कोई शखस खड़ा होकर इस टौल के एक कोने पर नज़र डाले तो उसको तीन तरफे जैसी कि इस तस्वीर में नज़र पड़ती हैं दिखलाई देंगी
इस शक्ल की हरएक तरफ को धरातल कहते हैं और जब यह धरातल ऐसा हमवार और चिकना है कि इसमें कहौं खुरखुरापन नहीं है तो यह दर्पणोदर धरातल है
तेज़ और पैने किनारे जहां कोई दो तरफै मिलती हैं रेखा कहलाती है वह जगह जहां कहौं तीन किनारे मिलते है बिन्दु है।
राशि उसे कहते हैं जिसके कुल और टुकड़ों की एक ही नाम से पुकार सकें मसलन् रेखा एक राशि है क्योंकि हम उसके कुल और उसके हरएक टुकड़े को रेखा कहते हैं
हर चीज़ की लम्बाई, चौड़ाई और मुटाई या गहराई या उंचाई) को बिस्तार कहते हैं
अब हम पिंड, धरातल, रेखा और बिंदु के आपस का फक इस तरह बयान करते हैं पिंड में तीनों विस्तार होते हैं यानी लम्बाई , चौड़ाई और
मुटाई
धरातल में दो विस्तार होते है यानी लम्बाई और चौडाई रेखा में एक विस्तार होता है यानी निरी लम्बाई
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विदु में कोई विस्तार नहीं होता है रेखागणित वह विद्या है जिसमें पिंडों, धरातलो, कोनों और रेखाओं की पैमायश से बहस की जाती है और उनके आपस के सम्बन्ध बयान होते हैं।
उक्त दस एक बड़ा मशहूर गणितज्ञ था जिसने मुलक मिथ में हज़रत ईसा के पेशतर सन् ३२३ और २८३ के दर्मियान शुहरत पाई और स्कन्दरिया की गणित पाठशाला की बुनियाद कायम की इसने रेखागणित की ऐसी तीब दी कि इसका नाम की रेखागणित का दूसरा नाम होगया
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रेखागणित
पहिला अध्याय
परिभाषा यानो किसो चोज़ को खासियतों का ऐसा बयान कि उससे बही चीज़ समझ में भाये
(१) विन्द वह है जिसकी कोई जगह मुकररही लेकिन उसके टुकड़े न होसके
टिप्पन किताबों में बिन्दु का यह निशान (• ) है यह निशान कितना ही छोटा क्यों न हो तो भी इसके टकड़े हो सक्त हैं इससे यह न समझना चाहिये कि बिन्दु के जिसका बयान रेखागणित में हुअा है टुकड़े होसक्त हैं रेखागणित का बिन्टु एक ऐसे छोटे से टेवयं की जगह को खयान को ज़ाहिर करता है जिसका विस्तार हम गुमान में नहीं ले सक्त है।
(२) रेखा वह है जिसकी कोई जगह हो और जिसमें लम्बाई हो लेकिन चौड़ाई या मुटाई न हो
टिप्पन बिन्दु के किसी दशा में हपति करने से रेखा पैदा होती है और रेखा के समझने में ल विधि सूचक लम्बाई और निधेध सूचक चौड़ाई का शामिल है रेखा दो तरह की यानी सौधौ और कुटिल होसक्ती है (३) रेखा के सिरे बिन्दु होते हैं टि. रेखा के सिरों से मुराद इस जगह रेखाके आदि ग्रन्त से है जहां एक रेखा दूसरी रेखा को काटती है वहां भी बिन्दु होता है
(४) सरल या सीधीरेखा वह है जो अपने दोनों सिरों के वीच हमवार (यानी एकाही दिशा में) हो
टि. अगर बिन्दु बगर अपनी रिशा के बदले हुए हरकत करे तो वह सीधी रेखा पैदा करेगा और अगर वह अपनी हरकत लगातार बदलता जाय तो उस हरकत से कुटिल या वक्र रेखा बनेगी इससे यह नतीजा निकलता है कि दो बिन्दुओं के दर्मियाम सिर्फ एक सीधी रेखा खींची जाखतो है
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(८) (५) धरातल वह है जिसकी कोई जगह हो और जिसमें लम्बाई और चौड़ाई हों लेकिन मुटाई न हो
टि. जहाँ एक धरातल दूसरे को काटता है वह रेखा है (६) धरातल के किनारे रेखाई
टि. दो सीधी रेखाओं की एक धरातल में होने को कद इस जगह पर इसलिये नहीं की गई है कि दो सौधौ रेखा जो आपस में मिलती है हमेशा एक ही धरातल में होती हैं
(७) समधरातल वा दर्पणोदर धरातल पर धरातल है कि जिसपर कोई दो बिन्दु लिये जांय और उन बिन्दुओं के बीच सोधीरेखा खींची जाय तोवह सीधी रेखा बिलकुल धरातल में ही
टि. सम धरातल ठहरे हुए पानी या चिकने फर्ण के धरातल के समान विजकल चपटा शौर हमवार होता है
(८) कोन ऐसी दो रेखाओं के एक दूसरी तरफ के मुकाव की कहते हैं जो एक धरातल में आपस में मिलती हैं लेकिन मिलकर एक रेखा नहीं बन जाती हैं
टि. कोन दो वक्र रेखा या एक वक्र रेखा और एक सीधी रेखा या दो सीधी रेखाओं के एक धरातल में मिलने से पैदा होता - है जो मिलकर एक रेखा नहीं बन जाती है
(e) सरलकोन उस कोन को कहते हैं जो ऐसी दो सीधी रेखाओं के एक दुसरी की तरफ झुकाव से पैदा हो जो मिलकर एक सीधी रेखा नहीं बन जाती है
टि. (१) जब किसी बिन्दु पर एक ही कोग हो तो वह एक अक्षर से जो उस पर लिखा हुया हो । बयान हो सकता है जैसा कि कोन अ का है मगर / जब एक बिन्दु पर एक से जियादा कोने हों तो अ ब ज उन में से हर एक कोन तीन अक्षरों से इस तरह बयान किया जाता है कि बीच का अक्षर बिन्दु पर लिखा हुया होता है और एक अक्षर उन दोनों सीधी रेखायों के जिनसे कोन बनता है किसी जगह पर लिखा होता है मसलन् जो कोन रेखा ब अ और सबसे बनता है उसको ब अस कोन और जो कोन स अ और दअ रेखायों से बना है उसको सअद कोन और जो कोन व अ और द अरेखाओं से बना है उसको ब अद कोन कहते है
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(2)
टि० (२) जिस दिन्दु पर कोन कमाने वाली रेखा मिलती है उसको कोन का शौर्ष और उन रेखाओं में से हर एक को कोन की कहते है विद्यार्थियों को बाद रखना चाहिये कि
भुज
जिन रेखायों से कोन बनता है उनके घटने बढ़ने
से कोन घटता बढ़ता नहीं है जैसे ब म स और द अ य एक ही कोन है
टि. (३) इस किताब में मूक्ष्म रूप से सरल कोन की जगह सिर्फ कोन शब्द लिया जायगा
ब
(१०) जब एक सोधी रेखा दूसरी सीधी रेखा पर खड़ी होकर अपने आस पास के कोन जिन्हें आसन्न कोन कहते हैं बराबर बनावे तो उन कोनों में से हर एक कोन समकोन होगा और खड़ी सीधी रेखा को दूसरी सीधी रेखा पर लम्ब कहते हैं
。
टि० ( १ ) समकोन की परिभाषा इस प्रकार भी की गई है कि वह समकोन का व्याधा है जिसके एक रेखा व्यपने किसी सिरे पर अगर बह रेखा उस सिरे की तरफ़ बढ़ाई जावे अपने बड़े हुए हिस्से के साथ पैदा करती है और इस पिछले कोन को सीधा कोन कहते हैं
( ११ ) अधिक कोन वह कोन है जो सम कोन से बड़ा हो
टि० ( २ ) जब एक सीधी रेखा दूसरी सीधी रेखा पर लम्ब हो तो दूसरी सीधी रेखा भी पहली पर लम्ब होगी
टि० अधिक कोन दो सम कोन से छोटा भी होना चाहिये ( १२ ) न्यूनकोन वह कोन है जो समकीन से छोटा हो
<
टि. ० अगर किसी कोन का एक भुज कोन के शीर्ष की तरफ़ बढ़ाया जावे तो एक दूसरा कोन पैदा होगा यह कोन पहले कोन के बराबर या उससे छोटा या बड़ा होगा अगर बराबर है तो पहला कोन ममकोन और अगर छोटा है तो व्यधिक कोन और जो बड़ा है तो न्यून कोन होगा
(१३) सीमा किसी चीज के किनारे को कहते हैं
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(१४) क्षेत्र वह है जो एक या जियादा सीमाओं से घिरा हो (१५) वृत्त वह च ेत्र है जो एक रेखा से जिसका नाम परिधि
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(१०)
है घिरा हो और जिसके अन्दर एक खास बिन्दु ऐसा हो कि उससे जितनी सीधी रेखा परिधि तक खौंची जावें सब आपसमें बराबर हों
(१६) वृत्त का केन्द्र एक ऐसा बिन्दु वृत्त के अन्दर है कि उस बिन्ट् से जितनी सीधी रेखा परिधि तक खौंधी जायें सब आपस में बराबर हों
टि. वृत्तों को उनके केन्द्रों के नाम से जाहिर करना गर मामली बात नहीं है मसलन् वृत्त जिसका म केन्द्र है उसको म इत्त कहते हैं
(१७) वृत्त काव्यास वह सीधी रेखा है जो केन्ट्र पर होकर जाय और जिसके दोनों सिरे परिधि पर हों
टि. जो सीधी रेखा वृत्त के केन्द्र से उसकी परिधि तक खींची जाती है उसको व्यासार्द्ध वा त्रिज्या कहते हैं।
टि० (२) अगर एक सीधी रेखा अपने एक ठहरे हुए सिरे के गिर्द किसी धरातल में घूमकर अपनी ग्रसल जगह पर लौट आवे तो धरातल जिसपर यह रेखा धमी है इत्त कहलाता है और वह रेखा जो सीधी रेखा के दूसरे सिरे के बिन्दु की हरकत से पैदा हुई है वृत्त की परिधि कहलाती है और घूमने वाली सीधी रेखा वृत्त की त्रिज्या और ठहरे हुए सिरे के बिन्दु को त का केन्द्र कहते हैं
(१८) वृत्तार्द्ध वह क्षेत्र है जो व्यास और परिधि के उस भाग से घिरा हो जो व्यास से कटा है . टि. वृत्ताई का केन्द्र वही है जो वृत्त का केन्द्र है
(१९) धनुष क्षेत्र वह क्षेत्र है जिसको किसी सोधी रेखा और परिधि के उस हिस्से ने जो उस सीधी रेखा से कटा है ६ हो
टि० धनुष क्षेत्र का पहिले और दूसरे अध्याय में कहीं काम नहीं पड़ा है वृत्ताई धनुष क्षेत्र है लेकिन हर धनुघ क्षेत्र वृत्ताई नहीं है ___ (२०) ऋज भज क्षेत्र वह क्षेत्र है जो सीधी रेखाओं से घिरा हो
टि. जिन सीधी रेखाओं से ऋजु भुज क्षेत्र घिरा होताहै उनको उख क्षेत्र को भुज कहते हैं और जो जगह उन भजों से घिरी होती है वह क्षेत्र का क्षेत्रफल या रकबा कहलाता है
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(२१) त्रिभुज वह क्षेत्र है जो तीन सीधी रेखाओं से घिरा हो । टि. जिन सीधी रेखायों से त्रिभज घिरा होता है उनमें से एक को आसानी के लिये त्रिभुज का अाधार और बाकी दो को त्रिभज की मुज कहते हैं और उस बिंदु को जहां दोनों भज मिलती है त्रिभुज का शीर्ष कहते है
(२२) चतर्मजवह क्षेत्र है जो चार सोधी रेखाओं से घिरा हो __ (२३) बहमुज वह क्षेत्र है जो चार से ज़ियादा सीधी रेखाओं से घिरा हो
टि. जिस बहुमज क्षेत्र की सब भजा और मब कोन यापसमें बराबर होते हैं उसको समान कोन सम भुज क्षेत्र कहते हैं
(२४) समविबाहु त्रिभुज वह विभुज है जिसकी तीनों भुजा आपसमें बराबर हों
( २५ ) समदिबाहु त्रिमज वह त्रिभुज है जिसकी . दो भुज अापसमें बराबर हों
टि. समविवाहु त्रिभुज समविवाहु भी होता है लेकिन समविवाह विभुज समत्रिवाह नहीं होसक्ता है।
(२६) बिषम बाह त्रिभुज वह विभुज है । जिसकी कोई एक भुजा दूसरी भुजा के बराबर न हो/
(२७) समकोन त्रिभज वह त्रिमज है जिसका एक कोन समकोन हो
टि. समकोन त्रिभुज में समकोन के सामने वालो भुज को कर्ण और बाकी दो भुजाओं में से एक को भाधार या भमि और दूसरी को कोटि या लंब कहते है
(२८) अधिक कोन त्रिभुज वह त्रिभुज है । जिसका एक कोन अधिक कोन हो
(२८) न्यन कोन त्रिभुज वह त्रिभुज है जिसके . सब कोन न्यन कोन हों
टि. (१) न्यून कोन त्रिभुज में तीनों कोन न्यन कोन होने को कद इसलिये रखी गई है कि समकोन त्रिभुज और अधिक कोन त्रिभुजों में
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(जैसा कि पहले अध्याय की सत्रहों साध्य के पपने से मालूम होगा) दी हो कोन न्यूनकोन होते हैं। टि. (२) अगर विभुज की सिर्फ भुजों पर ख़याल किया जाय तो वह सीन किस्म का होता है यानी समविबाहु त्रिभुज, समडिवाहु त्रिभुज, और विषमबाहु त्रिभुज और तीन ही किस्म का उस सूरत में होता है जब उपके सि कोनों पर ख़याल किया जाय यानी समकोन त्रिभुष, अधिक कोन त्रिभुज औ रन्यू नकोन त्रिभुज फिर त्रिभुज की और भी किस्में हो सक्ती हैं जब उसकी भुजाओं और कोनों दोनों पर खयाल किया जाय
(३०) वर्गव वह चतर्भुजक्षेत्र है जिसकी चारों भुजा आपसमें बराबर हों और चारों कोन सम कोन हो
टि. वर्गक्षेत्र की परिभाषा में एक ही कोन का समकोन कहना काफी है क्योंकि जिस चतुभुज क्षेत्र की चारों भुजा यायसमें बराबर हों और एक कोम समकोन हो तो उसके सब कोन जैसा कि पहिले अध्याय की छियालीसौं साध्य में साबित हुआ है समकोन होते हैं
(३१) आयत क्षेत्र वह चतुर्भुज क्षेत्र है जिसके चारों कोन समकोन हों लेकिन उसकी सब भुजा आपसमें बराबर न हों।
टि• जिस चतुर्भुज क्षेत्र की आमने सामने की सजाबरावर हो और एक कोन समकोन हो उसको अायत या समकोन चतुर्भुज कहते है
(३२) विषमकोन सम चतर्भज वह चतुर्भुज । क्षेत्र है जिसकी चारों भुजा आपसमें बराबर हों और // उसके कोन समकोन न हों
(३३) अजात्यायत वा विषमकोन आयत वह चतुर्भुत क्षेत्र है जिसकी आमने सामने की भुजा आपसमें बराबर हों लेकिन सब भुजा आपसमें बराबर न हों और कोने भी समकोन न हों
(३४) इन चार चतुर्भुज क्षेत्रों के सिवाय हर चतुर्भज क्षेत्र को विषम चतभ ज क्षेत्र कहते हैं
टि. (१) कभीर विषम चतुर्मुज जिसकी दो भुजा समानान्तर होती है समलम्ब चतुर्भन कहलाता है
चतुर्भुज /
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(१३) टि. (२) हर चतुर्भुज क्षेत्र को या तो चार प्रक्षरों
से स जो उसके चारों कोनों पर लिखे होते हैं या सिर्फ दो अक्षरों / से जो उसके आमने सामने के कोनों पर लिखे होते हैं बयान में करते हैं जैसा कि इस क्षेत्र को अब स द वा अ स या बद से बयान करते हैं
( ३५ ) समानान्तर सीधी रेखा वह सीधी रेखा हैं जो एक धरातल में हों और दोनों तरफ बढ़ाईजाने से कभी एक दूसरी से न मिलें
टि० (१) इससे यह समझना चाहिये कि उम धरातल की चो समानान्तर रेखायों के बीच में होताहै चौड़ाई हर जगह ममान होतीहै
टि. (२) यह समकिन है कि दो सीधी रेखा जो एक दूमारी से कभी नहीं मिलें गो वह कितनी ही बनाई जार ममानान्तर नहों इमो समय रखात्रों को एक धरातल में होने को क द रक्खो गयी है
(अ) समानान्तर चतमज वह क्षेत्र है जिसकी आमने सामने की भुज समानान्तर हों और जो सोधी रेखा किसी समानान्तर चतुर्भज के आमने सामने के कोनों के दर्मियान खौंचो जातो है उसको उस क्षेत्र का कर्ण कहते हैं
टि.(,) समानान्तर क्षेत्र वह है जिसके आमने सामने के सज समानान्तर हों-समानान्तर क्षेत्र में ४, ६,८ या युगम संख्या के सुज हो सक है जिसमें ग्रामने सामने के हर दो भुज समानान्तर होते हैं .
टि. (२) अगर समानान्तर चतुर्भुज अब स द का कर्ण अस हो और य क फ़ और ज क ल रेखा समानान्तर चतुर्भुज की अब और ाद भुजों की समानान्तर हों तो उस समानान्तर चतुर्भज में चार समानान्तर चतुर्भज बनेंगे जिनमें से दो यानी अ ज क य यौर क फ़स ल . में कण गुज़रता है और दो बानौ य क ल द और जब फ क में कर्ण नहीं गुज़रता है जिन समानान्तर चतुर्भुजों में कर्ण नहीं गुज़रता है उनको अ ज क य और क फ़ स ल समानान्तर चतुर्भुजों का पूरक कहते हैं
व स अबायोपक्रम टि-अवाध्यापक्रम बह वस्तुपपादय माध्य है जिसका सुबूत ऐसा माफ और जाहिर है कि सुबूत की हाणत नहीं रखता याद रखना चाहिये कि उको दम ने अवाध्योपक्रम से काम निर्फ प्रमेयोपपादय माध्यों के लिये यामल करने या वस्त पपाय साध्यों के हल करने में लिया है लेकिन उनका
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(१४)
काम उन नाध्यों के उस हिस्से में जिसको सबूत कहो हैं हरगिज़ नही लिया है और न उमसे सुबूत में किसी किस्म की मदद ली जा सक्ती है
मानली १-किसी एक बिन्दु से किसी दूसरे बिन्दु तक रेखा खींच सक्ते हैं
टि.. हम खपाल करते हैं कि कोई सीधी रेखा दो नियत बिन्दुयों के दर्मियान जिनको हम उम्के ग्रादिव्यन्त सममें उपस्थित है तो उम सीधी रेखा को हम परिमित खा कहते हैं लेकिन जब हम उसको अादि अन्त को खयाल में नहीं लाते हैं तो वह मीधी रेखा अपरिमित कहलाती है २- परिमित रेखा को उसकी सीध में चाहें जितना बढ़ा सक्त है
टि (१) हर सीधी रेखा दोनों तरफ़ विला किसी इद्द सुकररा के बाद सक्ती है इस प्रवाध्यो पक्रम की मदद से हम परिमित सीधी रेखा को उसके हर सिरे की तरफ गितना चाहें वफ़ा खतो है
टि. ( २ ) व्यवाध्योपक्रम १ , २ से एक सीधे मिस्तर (रूल) का काम में लाया जाना मुकद्दम पाया जाता है यह ज़रूर नहीं है कि वह मिस्तर
मायशी पैमानों या हिरमों में बांटा गया हो कि उससे किसी खास लम्बाई की रेखा नापी जा सके
३- कि जिस केंद्र से और उस केंद्र से जिस दूरी पर चाहें वृत्त खोंच सक्त हैं
टि. इस अवध्योपक्रम कम्यास यानी परकार का एक खास काम में लामा फज़ करना यानी यह कि उस के वसीले से मित्त खींचे जाइज़ मान लिया गया है लकिन यह इजाज़त हगिज़ नहीं दी गयी है कि हम उसके वसीले से किसी दूरी को ना या उस दूरी को एक मुकाम से दूसरे सुकाम पर ले जावें ।
स्वयंसिद्धि टि. स्वयंसिद्धि वह प्रमेयोपपाद साध्य है जिनमें सुबूत को गंजाया नहीं है लेकिन जिनकी सचाई मोसी जाहिर है कि फौरने मान लैनी प. खती है किसी प्रमेयोपपाय साध्य को सिर्फ इस वजह से कि वह जाहिर बात है स्वयं सिविन खयाल करना चाहिये उनको स्वयं मिडिखयाल करने के लिये यह भी जरूर है कि उसका मुवत ऐसी दलीलों के वसीले से जिसकी बुनियाद जियादा जाहिर प्रमेयोपपाद साध्य पर है नहोस के क्योंकि यह सनामिद है कि खयंसिद्धि की तादाद जहां तक समकिम है कम हो और इसी वजह से बीसवीं साध्य और बाजर और साध्य गो वह साध्य दसरी स्वयंसिडियों की तरह जाहिर बातें हैं स्वयं सिद्धि में दाखिल नहीं को गयो है सफसिल तौर पर दोनों में से साबित की गया हैं
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(1) जो चीज़ एक हो चीज के (या बराबर चीज़ों के बराबर हों वह आपसमें भी बराबर होती हैं टि. वह स्वयं मिद्धि सब किस्म की राशियों से सम्बन्ध रखती है और यही यात स्वयं सिडि २,३,४,५,६,७ और पर सच्ची आती है लेकिन स्वयंसिद्धि ८,१०,११ और १२ सिर्फ रेखागणित की राशियों से सम्बन्ध रखती है
( २ ) अगर बराबर चीज़ों में ( या एक ही चीज़ में) बराबर२ जोड़ा जाय तो बाद जोड़ने के जो चीजें हासिल होगी वह मी मापसमें बराबर होंगी
(३) अगर बराबर चीज़ों में से (या एक चीज़ में से ) बराबर २ निकाल लिया जाय तो बाद निकालने के जो चीजें हासिल होंगी बह भो आपस में बराबर होंगी
(8) अगर नाबराबर चीज़ों में बराबर२ ज़ियादा किया जाय ती बाद ज़ियादा करने के जो चीजें हासिल होंगी वह भी ना बराबर होंगी
(५) अगर नाबराबरचीज़ों में से बराबर २ निकाल लिया जाय तो बाद निकालने के जो चीजें हासिल होंगो वह भी नाबराबर होंगी
(६) जो चीजें एक ही चीज़ की (या बराबर चौलों की ) द्वनी हों वह आपस में बराबर होती हैं
(७) जो चीजें एक ही चीज़ की (या बराबर चीज़ों की) आधी हों वह आपसमें बराबर होती हैं
(८) जो राशें एक दूसरी को ढक लेती हैं यानी एकही जगह घेरती हैं वह आपसमें बराबर होती हैं टि० ( १ ) इस के विलोम का इस्तेमाल भी यानी बराबर राशि जब एक दूसरी पर एक ही तौर पर रक्खी जायं तो एक दूसरी को एक लेती हैं उकलदस ने किया है
टि. (२) एक राशि पर दूसरी राशि को रखने को मरु लन् र क रेखा को ट्रमरी रेखा पर या एक कोन को दूसरे कोन पर या एक विभुज को दूसरे विभुज पर या एक वृत्त को दूसरे वृत्त घर बगर हर रखने को काकादग कहते हैं याच्छादन जो रेखागणित में इस्तेमाल हुल्या सिर्फ खथाली है यानी यह कि हम दिल में खयाल करते हैं कि एक राशि दूसरी राशि पर रक्खी गयी है और तब अगर हम साबित कर सकें कि वह राशि र क टूसरी को पूरा २ ८क लेती हैं यह नतीजा निकालते हैं कि वह राशि ग्रापस में बराबर हैं मसलन अगर दो सीधी रेखा एक दूसरी पर इस तरह रक्खी जाना खयाल करें कि एक के दोनों सिरे दूसरी के दोनों सिरों
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पर पड़े तो बह सौधौ रेखा व्यापम में बराबर होती हैं और अगर दो कोनों को हम एक दूसरे पर इस तरह अपने दिल में रख सकें कि एक का शीर्ष दसरे के शीर्ष पर हो और एक को भुनों की दिशाएं भी दसरे को भुजों की दिशानों पर पड़े तो वह कोन व्यापसमें बराबर होते हैं क्योंकि भुजों की लम्बाई के घटने वालने से जैसा कि हम नवीं परिभाषा में बयान कर चुके है कोन घटता बढ़ता नहीं है अगर दो धरातलों का एक दूसरे पर इस तरह रखे जाना खयाल करें कि एक की मुजों की दिशाएं और लम्बाई दूसरे की भुजों की दिशाओं और लम्बाइयों को पूरा ८क लेवे तो वह धरातल अापसमें वरावर होते हैं
टि०३ यह स्वयंमिद्धि रेखागणित सम्बन्धी बराबरी दर्यात करने की कसौटी है और इसमें और अङ्कगणित सम्बन्धी बराबरी के कांटे में बहुत बड़ा फा है रेखागणित सम्बन्धी दोराशि उस सरत में बराबर होती है जब वह एक दूसरी को एक लेवें या एक सकें और दो संख्या उस सरत में बराबर होती है जब उन दोनों में इकाइयों के योग एकसे हों और चंकि उकले दस ने रेखायों, कोनों या धरातलों वगैरह की रापियों की कोई इकाई सकरर नहीं की है इसलिये रेखागणित सम्बन्धी राशि की बराबरी के सबूत में संख्या से काम लेना जायज़ नहीं है (c) कुल अपने टकडे से बड़ा होता है। टि.१- डाकर टामसन ने अपनी उकलेट्स में इस खयं सिद्धि के साथ यह स्वयं सिवि ज़ियादा की है कि कुल अपने सव हिमों के योग के बराबर होता है हम यह स्वयंसिद्धि भी ज़ियादा कर सक्त हैं कि हिस्से का हिस्सा कुल का भी हिस्सा होता है
टि०२- नवीं स्वयंसिद्धि माहिरा पाठवों की उलटी है यानी यह कि दो राशि जिन में से एक दूसरी से बड़ी हो एक दूसरी को एक नहीं सक्ती है (१०) दो सोधी रेखा धरातल को नहीं घेर सक्तों टि०१ - इसके यह मानी हैं कि दो सौंधी रेखा जिनमें से एक के कोई दो बिन्दु दसरी के दो बिन्द प्रों पर पड़ें वे एक दूसरी को सरासर कलंगा यहां तक कि बढ़ाई जाने पर भी एके रहेंगी
टि० २. सीधी रेखा की खासियत जो हमने स्वसिद्धि १० में बयान को है सौधो रेखा की परिभाषा ही से ज़ाहिरा ट पकती है क्योंकि छगर दो मोधी रेखायों का जगह को घेरना मुमकिन होता तो वे अपने सिरे के बिन्दुओं के दर्मियान एक दूसरी को पूरा नहीं एक सक्ती
टि. ३. धरातल के घेरने के लिये कम से कम तीन सीधी रेखात्रों का होना ज़रूर है (१२) सब समकोन आपस में बराबर होते हैं
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टि. १- क्योंकि कोन एक किस्म की राशि है इसलिये यह खयंमिद्धि धाठी वयंसिद्धि को एक खास सूरत हे
टि. २- कहा जाता है कि यह स्वयंसिद्धि एक प्रमेयोपपाद्य साध्य है और मुबूत इसका इस तरह हो सकता है कि कुल सीधे कोन क्योंकि वे प्रा. च्छादन से एक दूसरे पर रक्त जामती है और एक दूमरे को एक सा हैं चापममें बराबर होते हैं (स्वयंसिद्धि ८) ले किन समकोन सीधे कोन का अाधा होता है (परिभाषा १०) और बराबर चीज़ों के आधे आपस में बराबर होते है (खयंसिद्धि ७) इसलिये कुल समकोन अापसमें बराबर होते हैं
(१२) अगर एक सीधी रेखा दो सीधीरेखाओं से मिलकर अपनो एक तरफा दो अन्तः कोन ऐसे ऐसे पैदा करे कि वह दोनों कोन मिल कर दो समकोन से छोटे हों तो वह दो सीधी रेखा लगातार बढ़ाई जाने से कहीं न कहीं उस तरफ़ में मिल जायगी जिस तरफ़ के कोन दो समकोन से छोटे हैं टि० - यह स्वयंसिद्धि पहले अध्याय की सत्रहवौं साध्य का विलोम है और ऐसी जाहिर बात नहीं है जिसके साबित करने के लिये दलील की हाजत न हो जो शत कुल स्वयं मिड्डियों के लिये ज़रूर है इस स्वयं सिद्धि के बदने प्ले फ़ेयर साहब ने अपनी किताब में यह स्वयं सिद्धि लिखी है “अगर हो मीधी रेखा रा क बिन्दु पर एक दूसरी को काटती हों तो वह दोनों रेखा किमी एकही रेखा की समामान्तर नहीं हो सकी है। लेकिन यह खयंसिद्धि भी एतराज से खाली नहीं है क्योंकि यह पहले अध्याय को तीसवीं साध्य का एक जाहिर नतीजा है।
रेखागणित कौ साध्यों का वर्णन साध्य यह है जिसमें किसी चीज़ के बनाने वा किसी सिद्धान्त के सावित करने की गरज़ बयान को जाय और जब साध्य के यह भानी हैं तो उसकी दो किस्में हैं वस्त पपाद्य (सोपपाद्य ) और प्रमेयोपपाद्य (उपपाद) इर साध्य में कुछ चीज या मिटान्त दिये हुए होते हैं और उनसे कक. दर्यात करने का बयान होता है अगर दाल करने से किसी चीज़ के बनाने का मतलब है तो उसको वस्तूपपाद्य साध्य कहते हैं और अगर हाल करने से किसी सिद्धान्त के सिद्ध करने का मतलब है तो उसको प्रमयोपपाद्य साध्य कहते हैं वस्तूपपाद साध्य में दी हुई चीज़ों को निर्दिष्ट योर जिन चीज़ों को बनाना चाहते हैं उनको करणीय और प्रमेयोपया माध्य में दिये हुए मितान्त को कल्पितअर्थ और जो सिद्धान्त उनसे साबित करना चाहते हैं उसको फल कहते हैं रेखागणित की साध्य में ज़ियादा से ज़ियादा छः हिस्से हुआ करते है
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(१८)
१ साधारण सूत्र (दावा याम) जिसमें साध्य की शर्ते याम खौर पर बयान की जाती है
२ विवरण सूत्र (दावा ख़ास) जिस में एक खास शक्क खोंच कर उस पर मत्र की शतें बयान करके जाहिर करते हैं
३ इच्छाप्रकाश (इज़हार मुद्दा) अपने अमली मतलवको बयान करना कि हम यह बनाना या साबित करना चाहते हैं और उस पर मारा ध्यान देना
8 अंकन या कृत अमल) साध्य के हल करने या मावित करने के लिये अवाध्योपक्रम के अनुसार जरूरी रेखायों या वृत्तों को खींचना
५ उपपत्ति (सुवूत) दलीलों के सिल्मिले से दावे को हल करना या साबित करना यानी यह दर्यात करना कि दावा हमारा सही था या गलत या नो मतलब हमारा था उसका हासिल होना मुमकिन है या नहीं
फल (नतीजा) जिसमें दाव को फिर बयान करके जाहिर करना कि वो चीज़ हमको वनानी थी या जो बात हमकोसाबित करनी थी वह बन गई या साबित होगई दूस किताब में संक्षेप के लिये नीचे लिखे संकेत काम में लाये जायंगे.
परिभाषा के लिये अवाध्योपक्रम के लिये
वा. स्वयंसिद्धि के लिये
ख. दुसरे अध्याय की तीसरी साध्य के लिये
अ०२ सा०३
प०
सवालात इतिहान (१) रेखागणित की परिभाषा लिखो (२) रेखागणित में किन किन चीजों से बहस की जाती है
(जवाब) बिन्दु, रेखा, धरातल, पिंड से (३) विदु में क्या चीज़ आवश्य को है (जवाब) जगह (४) रेखा की तारीफ करो चौर बतायो कि रेखा के प्रकार की होती है
(५) रेखा के से बनता है और साबित करो कि दो रेखायों के कटने से बिन्दु पैदा होता है
(६) धरातल के विस्तार वतायो और. बतायो धरातल के तरह का होता है
(७) जब एक धरातल दूसरे धरातल को काटता है तो कौनसी राशि रेखागणितीय पैदा होती है
(८) सम धरातल किस तरह से बनता है (जवाब ) जब एक सीधी रेखा दूसरी सीधी रेखा को काटे और उस पर गुज़रती हुई अपनी सीध को बिना बदले हरकत करे तो उससे सम धरातल बनता है
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(१८)
- (६) मम धरातल में बिन्टुं की जगह नियत करने के वास्ते कितनी प की जरूरत है ( जवाब )दो की क्योंकि मिन्टु सिदो वक्त या सीधी रेखाओं के एक दूसरे के कटने से पैदा होता है।
(१०) रेखा का स्थान मुकर्रर करने के लिये कितनी पातों की ज़रूरत है (जवाब) दो की यानी दो बिन्दु जिम में होकर वह गुजरता है या एक बिन्द जिनमें होकर वह गुज़रता है और एक रेखा जिसकी वह समानान्तर या लम्ब यादि हो
(११) सरल कोन की तारीफ़ करो और यह भी बतायो कि उसकी तारीफ में लफज़ “ एक ही धरातल में हो" जो रेखागणित के दर्पणोदर कान की तारीफ में क्यों उड़ा दिये गये
(१२) दो या तीन कोनों को जो एक ही बिन्दु ब पर हैं किस तरह जाहिर कर सक्त हैं और एक कोन को जो एक विन्द पर है किस तरह पर बयान करते हैं
(१३) वृत्त और केन्द्र की तारीफ करो (१४) वृत्त के बयान में किन किन प्रतों का होना जरूरी है (जवाब) तीन यानी केन्द्र को जगह कि जिसके लिये दो शतों का होना जरूरी है सोसरे त्रिज्या की लम्बाई
(१५) वृत्ताई और धनुघ क्षेत्र में क्या फर्क है
(१६) त्रिभुज की तारीफ़ करो और बतायो कि अगर त्रिभुज की भुज - और कोनों पर ख़याल किया जावे तो उसकी कितनी किस्में हो सक्ती हैं
(१७) चतुर्मज क्षेत्र की किस्म बयान करो (१८) वर्ग, वियम कोन, सम चतुर्भज, और वर्ग, बायत और प्रायत अजात्यायत और विघम कोन समचतुर्भज, अजात्यायत में किन किन बातों में एकताहै और कौन कौनसी बातों में विरोधताहै
(१८) दो सीधी रेखा जो दोनों तरफ़ बनाई जाने से कभी एक दूसरी से नहीं मिलती हैं हर सूरत में समानान्तर नहीं होती हैं इसकी कोई श्राम मिसाल दो
(२०) इन चतुर्भुज क्षेत्रों को जिनका बयान रेखागणित की ३०, ३१, ३२, ३३ परिभाषा मे हुया है किस एक ख़ास नाम से पुकार सकते है
(जवाब) समामान्तर चतुर्भज (२२) यवाध्योपक्रम और स्वयं सिद्धि में क्या फर्क है।
(२२) रेखागणित की तीसरी अवाध्योपक्रम मे कौनसी बात मान ली गई है और रेखागणित की तीन स्वयं सिड्डियों को जो राशों की बराबरी से सम्बन्ध रखती है बयान करो
(२३) रेखागणित में राशों की बराबरी की क्या जांच है-रेखागणित की उन स्वयंसिद्धियों को जा सीधी रेखा और समकोन से सम्बन्ध रखती हैं बयान करो
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(२०)
((२४) रेखागणित की वह स्वयंसिद्धि बयान करो कि जो ऐसी रेखाओं से सम्बन्ध रखती हो जो बाहाने से मिल जाती हैं
(२५) क्या रेखागणित में कुछ स्वयंसिद्धि ऐसी हैं जिनका नाम स्वयं सिद्धि रखना मनासिब नहीं है
(२६) याच्छादन क्रिया किसे कहते हैं क्या अाच्छादन क्रिया की रेखागणित में कोई खास ज़रूरत है
(२७) माध्य की तारीफ़ करो, माथ्य वस्त पाय और प्रोयो पपाद्य का पाक बतायो
(२८) माध्य सूत्र किसे कहते है और वस्तुपपाय और प्रमेयोपपाद्य में कौन से दो हिस्म होते हैं मिसाल देकर बयान करो
साध्य १ वस्तपपाद्य साधारण सत्र दी हुई परिमिति सीधी रेखाओं पर समत्रिबाहु विभुज बनाओ
विवरणसत्र फज़ करी कि अब दो हुई सीधीरेखा है अब पर समविवाह विभज बनाना है अंकल अं केंद्र से अबदरी घर बसद
द ब छत्त खाँचो
ग्रवा०३ ब केंद्र से अब की दूरी अस य वृत्त खाँचो
व्यवा०३ स बिन्दु से जिसपर एक वृत्त दूसरे को काटता है अऔर बबिन्दु. ओं तक स अ और सब सीधी रेखा खौंचो
वा ०१ तो अबस समविबाहु त्रिभुज होगा
उपपत्ति चूंकि अ केंद्र बसद हत्त का है इसलिये अस बराबर है अब के
प. १५ और चूकि बकेंद्र असय वृत्त का है इसलिये बस बराबर है ब अके
प. १५ लेकिन साबित होचका है कि अस बराबर है अब के इसलिये अस और बस में से हर एक अब के बराबर है लेकिन जो चीज़ एक ही चीज के बराबर हो वह सब आपसमें बराबर होती हैं इसलिये अस बराबर है बस के । इसलिये अब और बस और स अापस में बराबर छह
वा
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(२१)
इसलिये अबस समाविबाह विभुज हुषा
और वह दो हुई अब सीधी रेखा पर बनगया और इसी के बनाने की जरूरत थी
टि. इस साध्य में उक्त दस ने इस स्वयं सिवि को मान लिया है कि जब एक वृत्त का केंद्र दूसरे वृत्त की परिधि में हो तो उस वृत्त का कुछ हिस्सा दूसरे वृत्त के अन्दर होगा और कुछ हिस्सा बाहर इसलिये उन वृत्तों की परिधि एक दूसरी को दो बिन्दुओं पर काटेंगी चंकि उन बिंदुओं में से एक बिन्दु दो हुई रेखा के एक तरफ और दूसरा दूसरी तरफ़ होगा इसलिये दो समत्रिबाहु त्रिभुज उस रेखा पर बनेंगे और दोनों विभुज मिलकर एक विषमकोन समचतुर्भुज बनजायगा जिसका कर्ण दी हुई रेखाहोगी
अभ्यास (१) पहिली साध्य में अगर अब दोनों तरफ इतना बढ़ाया जाय कि यह वृत्तों से बिन्दु द और य पर मिले और स द और सय मिलाए जाय तो साबित करो कि विभुन स अद औरस बय समद्विबाहु त्रिभुज है
(२) दी हुई परिमित सीधी रेखा पर एक ऐसा समद्विबाहु त्रिभुन बनायो जिसकी हर एक भुजा दी हुई रेखा से दूनी हो
साध्य २ वस्तूपपाद्य सा० सत्र-दिये हुए बिन्दु से एक ऐसी सीधी रेखा खींचो जो दो हुई सोधी रेखा के बराबर हो
वि०मत्र-फर्ज करो कि अदिया हुआ बिंदु और ब स दी हुई रेखा है
असे बस की बराबर एक सीधी रेखा । खौंचनी है अं०-अ से ब तक सोधो रेखा सौंची
और उस पर समविबाह विभुज अदब बनाओ ब केन्द्र से बस दूरी पर स य फ़ वृत्त खाँचो
सवा०३ दब को य तक बढ़ाओ द केन्द्र से दय दूरी पर यजह वृत्त खौं ची अवा.३ दअ को ह तक बढ़ाओ
प्रधा. तो अह बराबर होगी बस के
सा.१
धवा.२
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(२२)
परि० १५
उप०-- चंकि सय फ़ वृत्त का व केन्द्र है इसलिये बस बराबर है ब य के
और चूंकि यजह वृत्त का दोन्द्र है इसलिये दह बराबर है द य के
परि० १५ और इनके हिस्से द अ और द ब बराबर हैं परि० २४ इसलिये बाकी हिस्सा अह बराबर है बाको हिस्से ब य के
स्व०३ लेकिन साबित हो चुका है कि बस बराबर है ब य के इसलिये अह और बस में से हर एक बराबर है ब य के
लेकिन जो चीजें एक ही चीज़ के बराबर हों वह सब आपसमें बराबर होती हैं
स्व०१ इसलिये अह बराबर है बस के
इसलिये अह सीधी रेखा दिये हुए बिंदु असे दी हुई बस सीधी रेखा के बराबर खिंचायी और इसी रेखा के खींचने की ज़रूरत थी टि. (१) इस साल में जब दिया हुआ बिन्दु नतो दी हुई रेखा में हो और न उस रेखा की सीध में हो तो इस साल की ग्राठ मरतें पैदा होगी यानी एक ही बिन्द से व्याउरेखा पाठ तरफ खिंच-सतो हैं
१- दी हुई रेखा के दो सिरे हैं और दिवे हुए विंदु को हर सिरे से मिलाने के लिये एक रेखा खींची जा सकती है
२- हर मिलाने वाली रेखा की हर तरफ़ समत्रिबाहु त्रिभुज बन सकता है ३- समत्रिबाहु त्रिभुज की वह भुजा जो शक में पहले बढ़ायी जाती है अपने हर सिरे की तरफ़ बार सती है
लेकिन जब दिया हुआ बिटु दी हुई रेखा में या उसकी मीध में हो तो दो सूरतें जो बिन्दु को रेखा के हर सिरे के मिलाने से पैदा होती हैं एक हो जायगौ और इसलिये शाल को सिर्फ चार सूरते रह जायगी
जब दिया हुअा विंदु दी हुई रेखा के सिर पर होतो पल बहुत आसान है बिंदु के केन्द्र मानकर उस रखा की दूरी पर वृत्त खींचो योर रेखा को वृत्त की परिधि तक बहानो बफा हुआ हिस्सा दी हुई रेखा के बराबर होगा
मुदरिस को चाहिये कि अपने लड़कों से इस पाक की सब सूरत खिचवावे
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(२३)
टि. (२) अमली तौर से हम इस शक्ल को इस तरह हल कर सक्त हैं कि परकार से व समोधी रेखा की लम्बाई नापें और फिर अगर परकार की एक शाख की नोक बिंदु अ पर रक्खें तो दूसरी शाख की नोक ऐसे बिंदु पर पड़ेगी तो सीधी रेखा जो विदु अ से उस बिदु तक खींची जाती है बस सीधी रेखा के बराबर होगी मगर रेखागणित में इस तौर पर परकार के इस्तेमाल की इजाजत नहीं दी गयी है परकार का सिर्फ वही इस्तेमाल जायज़ समझा गया है जो अवाध्योपक्रम ३ में बयान हुआ है यानी हम उसके कमी ले से एक वृत्त खींचें जिसकी परिधि एक दिये हुए बिंदु में होकर किसी दूसरे दिये हर विंदु के गिर्द जिसको हम केन्द्र कहते हैं गुज़रे यह ख़याल करना चाहिये कि परकार के पर यानी पााख कागज़ के धरातल पर से हटते ही फौरन अपने ग्राप बन्द होजाते हैं कि किसी दूरी को हम उम के वमीले से एक जगह से दूसरी जगह पर नहीं ले जासक्त परकार के इस खास और महदूद इस्तेमाल पर गौर करने से ताल बइल्म को इस अध्याय की पहली तीन साध्यों की जरूरत मालम होजायगी
अभ्यास (३) अगर दूसरी साध्य में छोटे वृत्त का याम बड़े वृत्त की त्रिज्या हो तो बताओ कि दिया हुआ विंटु गौरवगाये हुए त्रिभुज का शीर्घ कहां होगा
(४) दी हुई परिमित मीधी रेखा पर ऐमा समदिबाहु त्रिभुज बनायो जिसकी प्रत्येक मुज किमी दी हुई दूसरी रेखा के बराबर हो
साध्य ३ वस्तू पपाद्य ला. सत्र दी हुई दो सीधी रेखाओं में से जो बड़ी हो उसमें से छोटो को बराबर हिस्सा काटी वि० सूत्र फ़र्ज़ करो कि अब और स द दो (फ दी हुई सीधी रेखा हैं जिनमें अब बड़ी है
अब में से स द की बराबर एक हिस्सा काटना है अं० अ बिन्दु से स द के बाराबर अय सीधीरखा खोंची सा० २
अ केंद्र से अय दूरी पर य फज वृत्त अब सीधी रेखा की ज बिंदु पर काटता हुआ खौंचो
अबा०३. तो अज बराबर सद के होगी
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(२४)
उप. चूंकि य फज इत्त का अकेंद्र है इसलिये अज बराबर है अय के
प० १५ लेकिन अ य बराबर स द के बनायी गई है इसलिये अज और स द में से हर एक अय के बराबर है इसलिये अज बराबर है स द के
इसलिये अब दी हुई बड़ी रेखा में से एक हिस्सा अजबरा. बर सद छोटी रेखा के कट गया और इसी हिस्से के काटने की जनरत थी
टि इसी प्रकार से हम दो छोटी बड़ी रेखाओं में से छोटो को इस कदर बाटासक्त है कि बहकर बड़ी के बराबर होजाय और एक ऐसौसीधी रेखा भी खींच सक्त है जो दो सीधी रेखाओं के योग या घन्तर के बराबर हो
साध्य ४ प्रमयोपपाद्य सा० सत्र- अगर दो विभुजों में एक त्रिभुज को दो भुज दूसरे विभुज की दो भुजों के अलग २ बराबर हो और उन भुजों से बने हुए कोन भी आपस में बराबर हों तो उन विभुजों के आधार यानी तोसरी भुज भी आपस में बराबर होंगी और दोनों निरज भी आपस में बराबर होंगे और एक विभुज के बाकी कोन अल्ग अलग दसरे त्रिभुज के बाको कोनों के बराबर होंगे यानी वह कोन आपस में बराबर होंगे जिनके सामने को भज बराबर है वि० सत्र- फर्ज करो कि अबस और दयफ त्रिभुज हैं
अवस विभुज की दो भुज अब और अस अलगद यफ विभुज की दय और दफभुजों के बराबर हैं । यानी अब बराबर है दय के और अस बरा ।। बर है दफके और ब अस कोन बराबर है। इयफ कोन के
बस यक तो बस आधार बराबर होगा य फ़ आधार के और अबस त्रिभुजदयफ त्रिभुज के बराबर होगा और बाकी कोन जिनके सामने की भुज बराबर हैं अलग२ बराबर होंगे यानी अब स कोन बर;
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(२५)
वर होगा दयफ कोन के और असब कोन बराबर होगा दफय कोन के __ उप. क्योंकि अगर अब स त्रिभुज दयफ विभुज के ऊपर इस तरह से रक्खा जाय कि ब बिंद य बिंद पर हो और अब सीधी रेखादय सीधी रेखा पर
तो चंकिअब बराबर है दय के (वभूजिब फ़ज़ ) प्रबिंटु द बिंद पर पड़ेगा । __ और जब अब सीधी रेखा ने कुल दय सोधी रेखा को ढक लिया तो चूंकि ब अस कोन बराबर है य द फ़ कोन के इस लिये अस सीधी रेखा द फ़ सीधी रेखा पर पड़ेगी
और चूंकि अस बराबर है दफ के ( बमुजिब फज ) स बिंद फ बिंद पर पड़ेगा
लेकिन यह बयान हो चुका है कि ब बिंदु य बिंदु के ऊपर है इसलिये कुल बस आधार कुल य फ आधार को ढक लेगा
क्योंकि जब ब बिन्दु य पर हुआ और स बिन्दु फ बिन्दु पर अगर कुल बस आधार कुल य फ आधार पर नहौं पड़ता है तो दो सीधी रेखा ब स और य फ एक धरातल को घेरेंगी और यह बात नामुमकिन है
स्व१. इस लिये कु ल ब स आधार कुल य फ आधार पर पड़ता है और उसके बराबर है
ओर कुल अब स त्रिभुज कुल द य फ विभज पर पड़ता है और उसके बराबर है
और एक विभुज के बाकी कीन दूसरे त्रिभुज के बाकी कोनों को यूरा पूरा ढक लेते हैं और उनके बराबर हैं यानी अब स कोन बराबर है द य फ़ कोन के और अ स ब कोन बराबर है दफय कोन के
फल इसलिये अगर दो त्रिभुजों में एक त्रिभुज की दो भुज टूसरे त्रिभुज की दो भुजों के पाद्योपान्त-यही साबित करनाथा
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(२३)
टि. (१) यह शक्ता उस सूरत में भी सच्ची मालूम देती है नवक कोन जो एक त्रिभुज की दो भुजों से बना है वही हो जो दुसरे त्रिभुज की दो भुज से बना है जैखाकि त्रिभुज फ अ स और ज अ ब में है (५ वीं माध्य देखो) या जबकि त्रिभुजों में व्याधार उभयनिष्ट हो जैसा कि त्रिभुज फ ब स और जसब में है ( ५वीं माध्य देखो ) या जबकि त्रिभुजों में एक भुज उभयनिष्ट हो
टि० (२) इस साध्य के सुबूत में ग्राच्छादन की क्रिया को काम में लाये हैं और पाठवीं स्वयं सिद्धि के बिलोम को मान लिया है -ग्राच्छादन क्रिया से बराबरी दर्याफ़ करने के लिये इस स्वयं सिद्धि के मान लेने की ज़रूरत है कि हर शक्ल को धरातल पर बगैर उसकी सूरत और बोल तब्दील किये हुए एक जगह से हटाकर दूसरी जगह पर रख सक्ते हैं और धरातल में उसको लौट सक्त हैं इस बात का मान लेना भी ज़रूर है कि अगर एक सीधी रेखा के दो बिन्दुयों के दर्मियान का हिस्सा दूसरी सीधी रेखा के दर्मियान के हिस्से पर पड़ता है तो उस सीधी रेखा के बाकी हिस्मों की दिशाऐं भी एक दूसरी पर पड़ती हैं
टि० (३) हर त्रिभुन में छह राशि होती हैं यानी तीन भुज और तीनकोन और (सिवाय दो ख़ास सूरतों के) जब इन छह राशों में से कोई तीनदी हों तो बाकी तीन दर्यात होसक्ती हैं और त्रिभुज मालूम हो सक्ता है इसलिये अगर दो त्रिभुजों में एक त्रिभुज की तीन राशि जिनसे त्रिभुज मालूम हो सक्ता है दूसरे त्रिभुज की उन्हीं तीन राशों के अलग बरावर हों तो यह साबित होता है कि त्रिभुज भी ग्रापस में बराबर होंगे इ तीन राशों को छह सूरतें हो सक्ती हैं और वह यह हैं.
१ तीन कोने
२ तौन भुज
३ दो भुज और उनसे बना हुआ कोन
8 दो भुज और उनमें से एक भुज के सामने का कोन५ दो कोन और उनके बीच की भुज
६ दो कोन और उनमें से एक कोन के सामने की भुज
पहिली सूरत उन दो सूरतों में से है जिनमें त्रिभुज नहीं दर्याफ़ होक्ताहै क्योंकि त्रिभुज की भुज बर्गर कोने के घटने बढ़ने के घट बढ़ सक्ती है दूसरी मूरत इस अध्याय की आठवों साध्य में साबित हुई है तीसरी सूरत इस साध्य में साबित हुई है।
चौथी सूरत में भी त्रिभुज ठीक २ नहीं मालूम हो सक्ता है क्योंकि यह मुमकिन है कि एक त्रिभुज की दो भुज दूसरे त्रिभुज की दो भुजों के व्यलग२ बराबर हों और एक भज के सामने का कोन भी बराबर हो दूसरे त्रिभुज के एक कोन के जो पहली भुज के बराबर भुज के सामने है लेकिन त्रिभुज व्यापस में बराबर न हों
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(२७)
मसलन् फर्ज करो कि अदस एक समदिवाहु त्रिमुज है जिसकी अद और अस मज आपस में बराबर हैं सद को किमी ब बिन्दु तक बहायो और अब मिलायो अब यह ज़ाहिर है कि अब स ग्रौर अब द त्रिभुजों में 1 अब और अस भज तो बराबर हैं अब और अदभजों के और ब कोन जो बराबर भुजो अस और अद के सामने है दोनों त्रिभुजों में उभयनिष्ट है लेकिन विभज यापस में बराबर नहीं हैं ___पांचवीं और छटी सरतें इस अध्याय की छब्बीसवौं साध्य में सावित
अभ्यास (५) अगर दो वर्ग क्षेत्र की एक भुज दूसरे वर्ग क्षेत्र की एक भुज के भरावर हो तो वह दोनों बर्ग क्षेत्र सब तरह से व्यापस में बराबर होगे
(६) सम त्रिबाहु त्रिभुज के किसी कोन को दो बराबर हिस्सों में बांटती हुई रेखा उस कोन के सामने की भुज को भी दो बराबर हिस्सों में बांटे. गी और उनके साथ समकोन बनावेगी (७) अगर दो सीधौ रेखा एक दूसरी को बराबर हिस्सों में काटती हों और एक टूमरी के साथ समकोन बनाती हों तो उनमें से हर एक रेखा का हर विन्द टूसरी रेखा के सिरों से बराबर दूरी पर होगा
(८) अब स द चतुर्मज की अब और अद भुज बराबर हैं और अस कर्ण ब अ द कोन को दो बराबर हिस्सों में बांटता है साबित करो कि बस और द स भन बराबर हैं और अ स कर्ण बस द कोन को दो बराबर हिस्सों में बांटता है
साध्य ५ प्रमेयोपपाद्य सा. सत्र समद्विबाहु त्रिभुज के आधार के ऊपर के कोन आपस में बराबर होते हैं और अगर बराबर भुजा बढायी जाये तो आधार के नीचे के कोन भी आपस में बराबर होंगे
वि० सत्र फज़ करो कि अबस समहिबाहु त्रिभुज है जिसकी अब भुज अस भुज के बराबर है
और यह भो फ़र्ज करो कि अब और अस बराबर ब भुज द और य बिन्दुओं तक बढ़ायी गयी हैं
तो अब स कोन बराबर होगा असब कोन के और द ब स कोन बराबर होगा य स ब कोन के
गरिजाद
अ
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(२८)
चं०- ब द में कोई फ बिन्दु मानली
और बड़ी रेखा अय में से अज बराबर अफ के काटो सा..
और फस और जब को मिला दो उप०-चूंकि अज बराबर अफ के बनायी गयी है
और अब बराबर है अस के इसलिये फअस त्रिभुज की दो भुज फअ और अस अलगर जअब तिभुज की दो भुजों ज अ ओर अब के बराबर हैं
और इन भुजों के दर्मियान का फअज कान दोनों त्रिभुजों में उभयनिष्ट है
इसलिये फस आधार बराबर है जब आधार के औरफअस त्रिभुज बराबर है जब त्रिभुज के ओर बाकी कोन इन त्रिभुजों के जिनके सामने के भुज बराबर हैं अलग२ बराबर हैं यानी
असक कोन बराबर है अबज कोन के और अफस कोन बराबर है अजब कोन के
सा. चूंकि कुल अफ बराबर है कुल अज के और उनके हिस्से अओर अप्त आपस में बराबर हैं __इसलिये बाकी हिम्सा बफ बराबर है बाकी हिस्से स ज
सा०३ और फ स बराबर ज ब के साबित हो चुका है
अब चूकि दो भुजबफ और फ स अलगर बराबर हैं सज और जब भुजों के औरबकसकोनस जब कोन के बराबर साबित हो चुका है
इसलिये बफ स ओर स ज ब विभुज आपस में बराबर हैं और उनके बाकी कोन जिनके सामने की भुज बराबर हैं अलगर बराबर हैं यानी फ ब स कोन बराबर है ज स बकोन के और बस फ कोन बराबर है स ब ज कोन के
और चूकि यह साबित हो चुका है कि कुल अ ब ज कोन बराबर है कुल अस फ कान के और उनके हिस्से स ब ज और बस फ़ आपस में बराबर हैं
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(२८)
इसलिये बाक़ी कोन अ ब स बराबर हे बाक़ी कोन अ सब के ख० ३ और यह कोन अ ब स समहिबाहु त्रिभुज ब स आधार के ऊपर के हैं
और यह भी साबित हो चुका है कि फ ब स और ज सब कोन आपस में बराबर है
और यह कोन आधार के नीचे के हैं
फल - इसलिये समहिबाहु त्रिभुज के आद्योपान्त - यही साबित
करमा था
अनुमान -समचिवाहु त्रिभुज के सत्र कोन आपल में बराबर होते हैं
टि० ( १ ) इस साध्य को हम इस तरह भी साबित करसक्ते हैं अगर हम अब स त्रिभुज को लौट कर घरातल में इस प्रकार रक्व कि अबिंदु की जगह न बदलो जाय और अब भुष अस भुन पर हो-चंकि अ कोन दोनों त्रिभुजों में शामिल है अ स भुज अ ब भुज पर पड़ेगी और चूंकि अ ब और अ स व्यापस में बराबर हैं स बिन्दु ब बिन्दु पर पड़ेगा और ब बिन्दु स बिन्दु पर पड़ेगा और अ स ब कोन अ ब स कोन को पूरा पूरा एक लेगा और ब स ज कोन सब फ कोन को और इसलिये अ स ब कोन बराबर होगा अ ब स कोम के औौर बसज कोन बराबर होगा सब फ कोन के
अभ्यास
(१) विघमकोन समचतुर्भुज के ग्रामने सामने के कोन आपस में बराबर होते हैं
(१०) अगर एक ही आधार पर दो बम दिवाह विभुज हों और व्या धार के सामने के कोनों के दर्मियान एक रेखा खींची जाय तो वह रेखा योंही या बढ़ कर व्याधार को दो बराबर हिस्सों में बांटेगी और व्याघार के साथ समकोन वनावेगी
(११) पांचवीं साध्य को वर्ग र हरूफ रक्खे साबित करो
साध्य ६ प्रमेयोपपाद्य
अगर किसी त्रिभुज के दी कोन आपस में बराबर
सा० सूत्र हों तो उन कोनों के सामने की भुज भी आपस में बराबर होंगी ० सूत्र फ़र्ज़ करो कि अ व स एक त्रिभुज है और उसके
वि०
अ ब स और अ स ब कोन आपस में बराबर हैं
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(३०)
तो अस और अब भुज भो आपस में बराबर होंगी उप० अगर अ स और अ व आपस में बरावर
नहीं तो उनमें से एक दूसरी से बडी होगी फ़र्ज़ करो कि अब बड़ी है अ स से
अब में से ब द बराबर अ स के काटली चौर स द मिलाओ
द
सा० ३
अ० १
अब चूकि द ब ब और अ स ब त्रिभुजों में द ब बराबर है अ स के और ब स दोनों में उभयनिष्ट है यानी एक विभुज की दब और ब स भज अलगर दूसरे विभुज की अ स और स ब दो भुजों के बराबर हैं
और द ब स कोन बराबर है अ स ब कोन के
फ़ज़
इसलिये दस आधार बराबर है अ ब आधार के और द ब स विभुज बराबर है अ स बभुज के
सा० ४
यानी कोटा त्रिभुज बराबर है बड़े विभुज के ओर यह वात साफ़ झूठ है
स्व० 2
इसलिये अ ब और अ स नाबराबर नहीं हैं यानी अ सबराबर है अब के
फल इसलिये अगर किसी त्रिभुज के दो कोन आद्योपान्त - यही साबित करना था
अनुमान - समानकोन त्रिभुज की सब भुंजा व्यापस में बराबर होती है
टि० (१) याद रखना चाहिये कि अब में से छोटी रेखा के बराबर हिस्सा ब कोन की तरफ़ से काटना चाहिये वरन: चौथी साध्य से इस साध्य का साबित करना और मुमकिन होगा
(ट० (२) एक साध्य दूसरो साध्य को विलोम उस मूरत में होती है जब कि इस माध्य में जो बात कल्पित व्यर्थ की जगह पर हो वह पहिली साध्य में फल की जगह पर हो और जो बात दूसरी साध्य में फल की जगह पर हो वह पहिली साध्य में कल्पित अर्थ की जगह पर हो
यह साधा पांचवीं माध्य के पहिले हिस्से का विलोम है यानी इस बाध्य में जो बात कल्पित ग्रर्थ की जगह पर है उस हिस्से में फल की जगह पर है और जो बात इसमें फल की जगह पर है उसमें कल्पित अर्थ की जगह पर है जैसा कि इन दोनों साध्यों को इस तरह पर बयान करने से साफ़ ज़ाहिर होनायगा
साध्य ५ नगर दो भुजा बराबर हैं तो उनके सामने के कोन बराबर है। साच्च ६ अगर दो कोन बराबर हैं तो उनके सामने के भुज बराबर
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(३१)
इस बात का जानना भी जरूर है कि किसी माध्य की सचाई उसके विलोम की सचाई को कायम नहीं करती है मुमकिन है कि असली साध्य सही हो लेकिन उनका विलोम गलत हो
टि० (३) यह माध्य यतिरेक युक्त से साबित की गयी है जब हम किसी साध्य के फल यानी नतीजे को सहौ न मान कर उसके विपरीत को सही मानते हैं यार उमसे ग्राखिर को एक ऐसा नतीजा निकलता है जो साफ भूठ है या साध्य में जो बात माज़ की गयी है उसके विरुद्ध है तो हम क. हते हैं कि साध्य के फल का विपरीत जिसको हमने सही माना था गलत है और इमलिये साध्य का फल सही है ऐसे सुबूत को व्यतिरेक युक्त कह ते हैं यतिरेक युक्त की बनिखत अन्वय युक्ति की लोग अकसर कम कदर करते हैं क्योंकि यतिरक युक्त में यह बात तो अलबत्ता जाहिर होजातीहै कि साध्य इमारी मही है लेकिन उससे यह बात कि साध्य क्यों और किस बजह से सही है नहीं मालम होसक्ती । व्यतिरेक यक्ति को उकूलेदस ने माध्यों के बिलोम के साबित करने में अक्सर काम में लाया है और अन्वय यक्ति से उसने बिलोमों के सावित करने में बहुत कम काम लिया है
टि. (8) इस माध्यकी ज़रूरत दूसरे अध्याय की चौथी साध्य तक नहीं पड़ती है अगर इसको हम कहीं दूमरी जगह पर उठा कर रखदें तो कुछ खराबी नहीं पैदा होगी मसलन अगर हम इसको छठारवीं साधा के वाद रकखें तो वह इस तरह साबित हो सकती है
फ़ज़ करो कि अब स कोन अस ब कोन के बराबर है तो अस भुज भी अब भुज के बराबर होगा और यह भुन अापस में बराबर न होतो एक उनमें से बड़ी होगी फज़ करोकि अब बडी अस से तो असब कोन वड़ा होगा अब स कोन से मा० १८) लेकिन यह ना मुमकिन है क्योंकि अ स ब और अब स कोन बमुजिब फज़ के ग्रापस में बराबर हैं इसलिये अव और अस नाबराबर नहीं हैं यानी अब बराबर है अस के __अगर इम साध्य को छब्बीसवौं साध्य के बाद लिखें तो इस तरह नाबित करेंगे
ब अस कोन को अद रेखा से जो बस आधारसे द बिन्दु पर मिलती है दो बराबर हिस्सों में बांटो इस सूरत में दो त्रिसुन अ ब द व्यऔर असद पैदा होंगे और छब्बीमवौं साधा के हुकम से अापस में सव तरह बराबर होंगे और अब भुन अस सुज के बराबर होगी
टि. (५) कठी साधा ग्राच्छादन क्रिया से भी जैसे कि पांचौं साधा (टि० सा० ५ देखो ) साबित की गयी है साबित होसक्ती है
अभ्यास (१२) अगर एक लमद्विबाहु त्रिभुज के अाधार के ऊपर के कोन अब
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(३२)
और असब रेखा ब द और स द से दो बराबर हिस्सों में बांटे जायं वो साबित करो कि बस द समदिबाहु त्रिभुज है
(१३) ब अ स त्रिभुज का ब कोन अ कोन से दूना है अगर बद रेखा ब कोन को दो बराबर हिस्सों में बांट कर असमज से द विन्द पर मिले वो साबित करो कि ब द बराबर है अद के
(१४) पहले अग्राय को पांचवों साधा में अगर फस और ब ज मिन्दु इपर मिलें तो फह बराबर जह के होगी
(१५. पहले यध्याय की पांचवीं साधा में ग्रगर फस ग्रौर ब ज बिन्द ह पर मिलें तो अह रखा बअस को न कोदो बराबर हिस्सों में बांटेगी
सवालात इतिहान साध्य १ से ६ तक (१) पहली साधा में निर्दिष्ट ग्रार कर्णोय बतायो। (२) परिमित सीधी रेखा से क्या मतलब है और उसका बिलोम क्या है
(३) अगर पहलौ साधा में अब के दूसरी ओर एक और मम त्रिवा. हु त्रिभुज बनाया जावे तो दोनों त्रिनों से मिल कर कोनसी शकल पैदा होवेगी (४) दूसरी साधा की कितनी मूरतें हो सकती हैं (१) जब दिया
हुया बिन्द न दी हुई रेखा में हो और न उसके बढ़े हुए हिसे में हो (२) जब वह रेखा के भीतर हो या उसके बने हुए
हिस्से में हो (३) जब वह रेखा के सिरे पर हो (५) एक रेखा में से जो दोनों ओर अपरिमित है एक रेखा की ल. म्बाई के बराबर कैसे काट सकते हैं ।
(६) क्यान करो कि ३ अवायोपक्रम में जो परकार का ख़ास और परिमित काम रक्खा गया है इसकी वजह से दूसरी और तीसरी साधा को क्यों ज़रूरत हई क्या यह जरूर है कि दूसरी साधा में सिर्फ समत्रि. बाहु त्रिभुज बनाया जावे क्या हम इस जगह समदिवाह त्रिभुज बना सकते हैं
(७) चौथी पाकल के कल्पित अर्थ और फल में कितने कितने हिस्से है उनको वयान करो
(८) चौथौ साधा को किस सीति से सिद्धि किया है और उमरीति में कोनसा स्वयंसिद्ध काम में लाया गया है
(E) हर त्रिभुज में कितने हिस्से होते है (जबाव ) तीन सजा पौर तीन कोने
(१०) एक त्रिभुज को दूसरे त्रिभुज के बराबर साबित करने में कम से कम कितने हिम एक विभुज के दूसरे त्रिभुज के बराबर होने चाहिये ( जवाब ) साधारण रीति से कोई तीन सिवाय तीन कोनों के, इसका मुख़्त पाठ, छब्बीस, चार साध्य में हुया है
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(३३)
(११) इन दो सीधी रेखायों के जिनके दोनों बिन्दु शामिल है कौम की खासियत चौथी माध्य में बयान हुई है (भवाव ) वे एक दूसरे को एक लेती है
(१२) ५, ६ माध्यों में क्या सम्बन्ध (१३) एक माध्य दूसरी साध्य को प्रतिलोम कब होती है (१४) उक्त दस ने विलोम साथ्यों को किम रीति से मिहि किया है (१५) क्या किसी साध्य की सचाई उसके बिलोम को भी स्थापन करती है और यदि नहीं करती है तो उदाहरमा दो । (१६) यतिरेक युक्ति से क्या मतलब है और व्यतिरेक युक्ति पर अन्वय युक्ति में अन्तर बतायो
(१७) छटो माध्य को कौनमी झंठ बात मान कार साबित किया है (१८) छटो साध्य को अन्वय युक्ति सिद्धि करो
साध्य ७प्रमेयोपपाद्य.. सा० सत्र अगर एक ही आधार पर और उसके एक ही तरफ़ दी विभुज हो तो मुमकिन नहीं है कि उनके वह भुज जिनके - सिरै आधार के एक सिरे पर हों आपस में बराबर हों और वह भुज भी जिनके सिरे आधार के दूसरे मिरे पर हो आपस में बराबर हों
बि. सत्र अगर यह मुमकिन हो तो फ़र्ज़ करो कि एक ही आधार अब पर और उसके एक ही तरफ़ ऐसे दो त्रिभुज अस व और अदब हैं कि उनकी स अ और द अभुज जिनके सिरे आधार के असिरे पर हैं आपस में बराबर हैं और स ब और दब भज भी जिनके सिरे आधार के ब सिरे पर हैं आपस में बराबर है
अं०-सद मिलाओ--इस शक्ल की तीन सूरतें हैं पहली सूरत यह है कि हर विभुज का शीर्ष दूसरे म, त्रिभुज के बाहर हो
उप०- चूंकि अदबराबर अस के फ़ज़ की गई हैइसलिये अ स द कोन बराबर है अदस कोन के मा०५ लेकिन असद कोन बस द कोन से बड़ा है ख..
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(३४)
इसलिये अदस कोन भी बस द कोन से बड़ा है इसवास्ते बदस कोन ब स द कोन से औरभो ज़ियादा बड़ा है फिर चूंकि ब स बराबर ब द के फ़ज़ की गई है इसलिये बदस कोन बराबर है ब स द कोन के मा०५
लेकिन यह साबित हो चुका है कि ब द स कोन ब स द कोन से बड़ा है
इसलिये बदस कोन ब स द कोन से बड़ा और उसके बराबर भी है
और यह बात नामुमकिन है दूसरी सरत यह है कि अदब विभुज का शोष द विभुज अस ब त्रिभुज के अन्दर है अं०- अस और अद को य और फ बिन्दुओं तक बढ़ादी उप०- चूंकि अस द त्रिभुज में असभुज बराबर है अदभुज के
इसलिये स द आधार के नीचे के य स द और फ द स कोन आपस में बराबर हैं सा० ५ लेकिन यस द कोन बसद कोन से बड़ा है ख. इसलिये फदस कोन भी बसद कोन से बड़ा है इसवास्त ब द स कोन बस दकोनसे और भी ज़ियादा बड़ा है फिर चूंकि ब स बराबर ब द के फर्ज की गई है इसलिये ब दस कोन ब स द कोन के बराबर है लेकिन यह बात साबित होचको है कि ब दस कोन ब स द कोन से बड़ा है
इसलिये ब द स कोन ब स द कोन से बड़ा और उसके बराबर भी है और यह बात नाममकिन है
तीसरी सुरत जिसमें अदबविभुज कादशोप स अस ब विभज्ञ की भुजा पर है इस सूरत में साफ़ जाहिर है कि ब द और बस आपस में बराबर नहीं हो सकी है.
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Achar
(३५)
फल इसलिये अगर एक ही आधार पर और उसकी एक हो तरफ़ दो विभन आद्योपान्त यही साबित करना था
टि. (१) इस माध्य का काम सिफ पहिले नध्याय की अावी साध्य के माबित करने में पड़ता है सो ग्राठवीं साध्य का संबत दूसरे तौर पर भी हो सकता है और उस सबूत में इस साध्य की कुछ जरूरत नहीं पड़ती है
टि. (२) उक्त दस ने इस माध्य के साबित करने में साध्य के नतीजे के खिलाफ को सही मान कर उससे अाखिर को ऐसौ दो बातें निकाली है जो एक दूसरी के विरुद्ध हैं यानी एक कोन दूमरे कोन से बड़ा और उसके बराबर भी है इस किस्म के सुबूत का इस्तेमाल उक्त दम ने सिर्फ इसी साध्य में किया है और किमी दूसरी जगह पर नहीं किया है
टि० (३. याद रखना चाहिये कि एक ही आधार पर उसके एक हीतरफ ऐसे दो त्रिभुन होमती है कि उनकी वह सुज जिनके सिर ग्राधार के एक सिरे पर हों आपस में बराबर हों मगर वह सुज जिनके घिरे आधार के दूसरे सिरे पर हों नावराबर हों
अभ्यास (१६) साबित करो कि दो वृत्त अपने केन्द्रों को मिलाते हुए रेखा एक योर सिर्फ एक विन्दु पर और दो से ज़ियादा विन्दु यो पर एक दूसरे को नहीं काट सक्त है
साध्य ८ प्रमेयोपपाद्य सा० सत्र अगर एक त्रिभुज की दो भुज दूसरे विभुज की दो भ ज के अलग अलग बराबरहों और उनके आधार भी आपस में बराबर हों तो कोन जो एक विभुज की दो भुजों से बनता है बराबर होगा दूसरे विभुज के उस कोन के जो उन भुजों की बराबर वाली भुजों से बनता है
वि० सूत्र फ़र्ज़ करो कि अब स विभुज की दो भुज अब और अस विभुज द य फ की दय और दफ भुजों के अलग अलग बराबर है यानी अब बराबर द य के और अस बराबर दफ के है और बस आधार भी । य फ़ आधार के बराबर है तो ब अस कीन बराबर होगा यदफ कोन के
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(३६)
उप० क्योंकि अगर अब स विभुज दय फ़ त्रिभुज पर इस तरह रक्खा जाय कि ब बिन्दु य बिन्द पर और बस रेखा यफ़ रेखा पर हो तो चूंकि बस बराबर है य फ़ के ( फज़ ) स बिंदु फ बिंदु पर पड़ेगा
और जब बस आधार य फ अधार पर पूरा २ पड़ता है तो बअ और स अ भुज य द और फद भजों पर पड़ेगा क्योंकि अगर बस आधार य फ आधार पर पड़े लेकिन ब अ और मुन य द और फ द भुजों पर न पड़ें बलकि मुखलिफ जगहों पर य ज और फज की तरह पड़ें तो एक ही आधार पर और उसके एक ही तरफ ऐसे दो विभुन होंगे कि जिनकी वह भुज जिनके सिरे आधार के एक सिरे पर हैं आपस में बराबर हैं और उनकी वह भुज भी जिनके सिरे आधार के दूसरे सिरे पर हैं आपस में बराबर है। लेकिन यह बात नामुमकिन है
सा. ७ इसलिये अगर बस आधार य फ आधार पर पड़ता है तो वअ और स ज भुज भी यद और फ द भजों पर पड़ेगी ... और इसलिये ब अ स कोन और य द फ कोन एक दूसरे को पूरा२ हक लेंगे और इसलिये वह आपस में बराबर है
स्व. ८ फल इसलिये अगर एक विभुज कीदो भुज दूसरे त्रिभुज की दो अजों के अद्योपान्त यही साबित करना था
अनमान इससे यह साबित हो मक्ता है कि बराबर भुजों के सामने के कोन भी नापस में बराबर हैं यानो ब कोग बराबर य कोन के और म कोन बराबर है फ कोन के और दोनों त्रिभुज भी ग्रापस में बराबर है
टि. (१) इस साध्य को बगर मदद मातवौं साध्य के इस तरह माबित कर सक्त है
फ़र्ज करो कि अब स निमुन और द य फ त्रिभुन इस तौर से रहावे गये हैं कि बस अाधार यफ बाधार पर है और लिभजों के पी अ और द एक दूसरे के सामने है
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(३७)
द अमिलायो इसकी तीन मरते हैं
पहली मूरत यह है कि द अग्राधार य फ को द और फ के भूमि यान काटता है
चूंकि अ य द त्रिभुज में अ य भुज द य भुज के बराबर है , इसलिये य द अ कोन य अद कोन के बराबर है सा०५ ॥ और चंकि अफ द त्रिभुज में अफ भुज द फ मुज
के क बराबर है इसलिये फ अकोन फ अदकोन के बराबरहै ना.५ /
लेकिन साबित हो चुका है कि य द अ.कोन य अद कोन अं. के बराबर है इमलिये कुल य द फकोन कुजय अफ कोन के बराबर है स्व० २
लेकिन यसफ कोन ब अस कोन है इसलिये बस कोन बद फ कान के बराबर है दसरो सरत यह है कि द अग्राधार य फको न काटे
चंकि अयद त्रिभुज में अय भुज द य मज के बराबर है इसलिये यद अ कोन यअद कान के बराबर है सा.५ __ और कि अफ द त्रिभज में अफसन द फ भज के बराबर है इसलिये फ द अकोन फअद कोन के बरा
सा०५ लेकिन साबित होचुका है कि कुल य द अकोन कुल य अद कोन के बराबर है और इसके हिस्से फ द न योर फ अद यापस में बराबर हैं इललिये बाकी हिस्सा य द फ बराबर है बाकी हिस्सा य अफ के स्व०३
लेकिन य अफ कोन ब अस कोन है इसलिये ब अस कोन य द फकोन के बराबर है
तीसरी मरत यह है कि द अ अाधार यफ के किसी एक मिरे पर होकर जाता है
चंकि अ य द त्रिभुज में द य बराबर है अ य के इसलिये य अफे कोन बराबर है य द फ कोन के
मा०५ य -क लेकिन य अफ कोन ब अस कोन है इसलिये ब अस कोन बराबर है य द फ कोन के ।
टि. (२) यह माध्य पहले अध्याय की चौथी साध्य का विलोम है जब किमी प्रमेयोपपाय साध्य में कई बातें फर्ज की हुई हों और उनका एक नतीजा हो अगर कोई दूसरी साध्य ऐसी बनाई जावे कि पहली माय की फर्ज़ को हुई बातों में से एक बात हम साध्य का नतीजा हो और पहलौ साध्य का नतीजा मय बाकी फ़ज़ की हुई बातों के इम माध्य में फन की हुई बातें हों तो ऐसी दो साध्यों को भी एक दूसरी का बिलोम कहते हैं और इसी सूरत में अाठवौं और चौथी साध्य एक दूसरी का बिलोम हैं जैसा कि इन माध्यों को इस तरह पर क्यान करने से साफ मालूम होता है
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(३८)
अगर दो भुज बराबर हैं साध्य 85
तो आधार बराबर है और अाधारों के सामने के कोन वरावर हैं अगर दो सुज बराबर है.
तो अाधार के सामने के कोन वराबर है
साध्य
योर आधार बराबर है
पाटवौं साध्य का दूसरी किस्म का विलोम यानी अगर एक त्रिभुज के तीन कोन दूसरे त्रिभुज के तीन कोनों के अलग अलग बराबर हो तो बराबर कोनों के सामने के सुज भी ग्रायल में बरावर होंगे सही नहीं है
अभ्यास (१७) अगर समद्विबाहु त्रिभुज के शीर्य से एक रेखा ग्राधार के दो बरावर हिस्से करती हुई खींचौ नाय तो वह शीर्घ के भी दो बराबर हिस्से करेगी
(१८) विषमकोन समचतुर्भुज के कर्ण जिन कोनों से होकर गुजरते हैं उनके दोर बराबर हिस्से करते हैं ___(१) अ ब स और अद व दो त्रिभुज अब रेखा के एक ही तरफ़ है
और उनकी अस और ब द भुज बराबर है और अद और बस भुज भी बरावर हैं और अद और ब स एक दूसरी को य बिन्दु पर काटती हैं तो साबित करो कि अ य व समदिबाहु त्रिभुज है
साध्य ६ वस्तूपपाद्य सा.सत्र- दिये हुए सरलकोन के दो बराबर हिस्से करो वि० सत्र- फज करो कि ब अ स दिया हुआ अ सरल कोन है
उसके दो बराबर हिस्से करने हैं अंकन-- अब में कोई द बिन्दु लो
और बडी रेखा अस में से अय बराबर अद के काटली सा०३ और द य मिलादी
अवा०१ दय पर असे दूर द फ स समत्रिबाहु विभज बनाओ सा. १ और अफ मिलाओ
अवा० १ तो अफ रेखा ब अस कोन के दो बराबर हिस्से करेगी उप०-चूंकि अय बराबर अद के बनाई गई है
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(३८)
और मक दो विभज द अफ और य अफ में उभयनिष्ट है यानी दो सुज द अऔर अफ अलगर बराबर हैं य अ और अफ दो भुजों के
भीर दफ आधार य फ आधार के बराबर है इसलिये द अफ कोन बराबर है य अफ कोन के इसलिये दिये हुए वरस सरल कोन के अफ रेखा से दो बरा. वर हिस्से होगये और इसी कोन के दो बराबर हिस्से करने की जनवरत थी
टि. (१) अ से दूर ममविवाहु त्रिभुज बनाने की कैद इसलिये की गई है कि व्यगर ऐसा न हो और समत्रिबाह त्रिभुज द य के उस तरफ बनाया जावे जिस तरफ़ द अ य त्रिभुज है तो एक सरत में मुमकिन होगा कि फ बिन्दु अबिन्दु पर पड़े और उस मरत में अफरेखा न खिच सकेगी
यह भी याद रखना चाहिये कि फ विन्टु ब अस कोन के अन्दर होगा क्योंकि फ बिन्दु के ब अ स कोन के बाहर होने या अ ब या अस रेखाओं पर होने से यह फल निकलेगा कि समाविबाह त्रिसुजफ द य के आधार द य पर का कोन एक ही हालत में व द य कोन या स य द कोन मे छोटा होगा और उससे बड़ा या उसके बराबर होगा और यह बात नासमकिन है
टि. (२) इस साध्य के लगातार इस्तेमाल करने से एक कोन के ४, ८, १६ वगरेरः बराबर हिस्से हो सकते हैं लेकिन हर कोन के तीन वराबर हिस्से करने में बड़े २ लायक रेखागणित जानने वालों का परिश्रम निघफल रहा
अभ्यास (२०) नवौं साध्य को बगैर मदद आठवौं साध्य के सावित करो
साध्य १० वस्तुपपाद्य सा०सत्र- दी हुई परमित सीधी रेखा के दो बराबर हिस्से करो
वि० सत्र- फ़ज़ करो कि अब दोहुई परमित सीधी रेखा है उसके दो बराबर हिस्से करने हैं । अं०- अब पर अस वसमविबाहु त्रिभुज बनाओ सा० १
और असब कोन के स द रेखा से जो अब को द बिंदु पर काटती है दो बराबर हिस्से करो
मा०८
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तो अब के द बिंदु पर दो बराबर हिस्से हो जायंग उप०-- चूंकि अस बराबर है बस के और स द दो विभुज असद और ब स द में उभयनिष्ट है
यानी दो भुज अस और स द अलग २ बराबर हैं बस और सद दो भुजों के और असद कोन ब स द कोन के बराबर है इस लिये अद अधार बराबर है ब द आधार के सा० ४ इसलिये अब रेखा के द बिन्दु पर दी बराबर हिस्से होगये और इसी रेखा के दो बराबर हिस्से करने की ज़रूरत थी टि. इस माध्य के लगातार काम में लाने से एक परमित सीधी रेखा के चार ग्राट सोलह इत्यादि बराबर हिस्से हो सक्त हैं
अभ्यास (२१) साबित करो कि दसवों साध्य में स द रेखा अ व रेखा के साथ समकोन बनाती है
(२२) दी हई परमित सीधी रेखा को इतना बढ़ायो कि बड़ा हव्या हिस्सा उस रेखा का जो दी हुई रेखा और बढ़े हुए हिस्से से बने तिहाई हो
साध्य ११ वस्तूपपाय सा० सत्र-दिये हुए बिन्दु से जो एक दो हुई सोधो रेखा में है एक ऐसी सीधी रेखा खींचो जो दी हुई रेखा के साथ समकोन बनावे
वि० सत्र-- फज़ करो कि बस दी हुई सीधी रेखा और उसमें अ दिया हुआ जिन्दु है
अबिन्दु से एक ऐसी सोची रेखा खींचनी है - जो बस के साथ सम कोन बनावे अं०- बस में कोई द बिन्दु लेलो
और अय बराबर अद के बनाओ यद पफ य सम त्रिबाहु त्रिभुज बनाओ
सा. १ और फ अमिलाओ
सा.
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(४१)
तो अफ सीधी रेखा जो अबिन्दु से खोंची गयी है बस रेखा के साथ अबिन्दु पर समकोन बनावेगो
उप०-चूंकि अब बराबर अद के बनाई गई है और अफ दो विभुज द अफ और य अफ में उभयनिष्ट है यानी दअऔर अफ दो भुज अलग२ बराबर है य अ और अफ दो भुजों के
और द फ आधार बराबर है य फ आधार के प० २४ इसलिये द अफ कोन बराबर है य अफ कोन के सा०८
और यह आसन्न कोन हैं लेकिन जब एक सीधी रेखा दूसरी सोधी रेखा पर खड़ी होकर ऐसे आसन्न कोन बनाव जो एक दूसरे के बराबर हों तो उन कोनों में से हरएक कोन को समकोन कहते हैं प० १० इसलिये द अफ और य अफ कोनों में से हरएक समकोन है इसलिये दिये हुए अ बिन्दु से जो दी हुई बस सीधी रेखा मैं है अफ सीधी रेखा जो बस के साथ समकोन बनाती है खिंचगयो- और इसी रेखा के खींचने की ज़रूरत थी
अनमान-- इस साध्य की मदद से साबित होसक्ता है कि दो सोधी रेखा उभयनिष्ट हिस्सा नहीं रख सक्तों
अगर मुमकिन हो तो फ़ज़ करो कि अबस ओर अब द दो सीधी रेखाओं में अब हिस्सा उभयनिष्ट है
व बिन्द से बय ऐसी सीधी रेखा खींचो जो अब रेखा के साथ समकोन बनाती हो
सा० ११ चूकि अब स सोधी रेखा फ़ज़ को गयो है इसलिये स ब य कोन बराबर है य ब अ कोन के चूंकि अबद भी सीधी रेखा फज़ को गयी है इसलिये दबय कोन बराबर है य ब अ कोन के
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इसलिये दब य कोन स व य कोन के बराबर है स्व. १ यानी छोटा कोन बराबर बड़े कोन के है और यह नामुमकिन है
स्व. इसलिये दो सीधो रेखा उभयमिष्ट हिस्सा नहीं रखतौं यही साबित करना था।
टि० (१) यह अनुमान उकले दस में जो यूनानी जवाब में लिखी है नहीं है इसको सिमसन साहब ने ग्यारहवौं साध्य के साथ लगाया है मगर इस पर बड़ा भारी ऐतराज हो सका है क्योंकि हम नहीं जानते कि बय लंब किस. तरह खींचा जायगा अगर हम उसके खींचने के लिये ग्यारहवीं साध्य की मदद लेवे तो ज़रूर है कि हम ब अ को बढ़ावें और जब हम ब अ को बढ़ाएंगे तो यह बात मान लेना फर्ज होगा कि यह सिर्फ एक तरह व सक्ती है क्योंकि बगर इस बात के मानलेने के हम नहीं जान सक्ने कि सिर्फ एकही लंब ब यखिंचेगा और जब हमने अब का सिर्फ एकही तरह बाहना मानलिया तो हमने उन्म दावे को जिसको हम साबित करना चाहिये मानलिया
अगर मिमसन साहब का अनुमान तेरहवीं साध्य के बाद आवे तो वह इम तरह साबित हो सक्ता है अगर समकिन हो तो फ़ज़ कहो कि अबस च्योर अबद दो सीधी रेखायों में अब हिस्सा उभयनिर है ब बिंदु से कोई ब य रेखा खींचो तो अब य और बयस कोन मिल कर बरावर दी समकोन के होंगे (सा. १३) और अब य और य ब द कोन भी मिलकर बराबर दो समकोन के होंगे (सा. १३) इसलिये अबय और यबस कोन बराबर होंगे अब य औरय ब द कोनों के ( स०१) इसलिये यबस कोन य ब द कोन के बराबर होगा (स्व.३) यानी कुल अपने एक टुकड़े के बराबर होगा और यह नामुमकिन है (ख ) इसलिये दो सीधी रेखा उभयनिए हिस्सा नहीं रखती
अगर सिमलन साहब को इसका ख़याल करना ही था कि दो सीधी रेखा उभय निर हिस्सा रखती है या नहीं तो उनको चाहिये था कि इसे पहले ही ख़याल करते क्यों कि पांचवीं साध्य में अगर दो सीधी रेखा अव तक एक ही हों और ब बिन्दु से जुदो हों तो ब स आधार के नीचे ब बिन्दु पर दो छोटे बड़े कोग पैदा होंगे और उनमें से हर एक बस ज कोन के बराबर होगा लोगों को यह भी राय है कि पहली साध्य ही में चुप चाप मान लिया गया है कि अस और बस रेखा स बिन्दु पर जहां वह मिलती हैं उभयनिर हिस्सा नहीं रखती
सिमसन साहब ने इस नतीजे का बयान ग्यारहवौं साध्य से पहले कहीं नहीं किया है अगर हम इस अनुमान को निकाल कर दसवो स्वयं सिद्धि
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(४३)
मैं यह बात जियादा करदें कि अगर एक सीधी रेखा के कोई दो बिंदु दूस
रौ सीधी रेखा के दो बिंदुयों पर पड़े तो पर उन हो बिन्दुओं के अन्दर और बाहर हो जायगे
दोनों सीधी रेखा एक दूसरी पड़ेगी तो सब झगड़े तमाम
टि० (२) ग्यारहवीं साध्य नवीं साध्य की एक खास सूरत है दोनों वाध्यों में अफ़ ऐसी रेखा खींची गयी है ओ व और सत्र के साथ अ बिंदु पर बराबर कोन बनाती है नवीं साध्य में बअ रेखा और म अ रेखा के लिये कोई क़द नहीं है ग्यारहवीं माध्य में यह कद है कि बत्र और सअ रेखा एकही सीध में हों नवीं और ग्यारहवीं साध्यों के दावे एकही दावे में इव तरह बयान होते हैं कि उस बिन्दु से जहां दो दी हुई खीधी रेखा मिलती हैं एक ऐसी सीधी रेखा खींचो जो दी हुई रेखायों के साथ बराबर कोन बनावे
टि० (३) दो बिन्दुयों के दर्मियान की दूरी वह मीधी रेखा है जो उन बिन्दु यों को मिलाती है और एक बिन्दु को एक सीधी रेखा से दूरी ह छोटी से छोटी सीधी रेखा है जो उस बिन्दु से उस रेखा तक खींची जाघ
अभ्यास
(२३) एक ऐसा बिन्दु दर्याकृत करो जो दिये हुए तीन बिन्दुओंों से जो एक ही सीधी रेखा में नहीं हैं बराबर दूरी पर ही
(२४) दी हुई सीधी रेखा में एक ऐसा बिन्दु दर्याफ़ करो कि जिसकी दूरी दो दिये हुए बिन्दु यों से बराबर हो और यह भी बताओ कि किस हालत में ऐसा बिन्दु दर्याफ़ न हो सकेगा
साध्य १२ वस्तूपपाद्य
सा० सत्र दी हुई अपरमित सीधी रेखा पर दिये हुये बिन्दु से जो उस रेखा के बाहर है एक लम्ब डालो
वि० सूत्रफ़र्ज़ करो कि अब दी हुई अपरमित सीधी रेखा है जिसको दोनों तरफ़ चाहें जितना बढ़ा सक्ते हैं और स दिया हुआ बिन्दु उसके बाहर है
सबिन्दु से सीधी रेखा अब पर एक लंब डालना है
अं०- अब की दूसरी तरफ कोई द बिन्दु
ले लो
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(४४)
और स केन्द्र से स द दूरी पर य फज वृत्त खोंची जो अब से फ़ और ज पर मिले
अवा० ३ फज के ह बिंदु पर दो बराबर हिस्से करो सा. १० और स ह मिलाी
अवा. १ तो सह जो स बिन्दु से खींची गई है दो हुई अब रेखा पर लम्ब होगी स फ और स ज मिलाओ
अवा. १ उप०-चूकि फह बराबर ह ज के बनाई गई है और ह स दो विभुज फह स और ज ह स में उभयनिष्ट हैं
यानी दो भुज फह और ह स दो भुजों जह और ह स के अलग २ बराबर हैं
और स फ आधार बराबर है स ज आधार के प० १५, इसलिये फह स कोन बराबर है जहस कोन के सा०८
और यह आसन्न कोन हैं लेकिन जब एक सीधी रेखा दूसरी सीधी रेखा पर खड़ी होकर आसन्न कोन बराबर बना तो उन कोनों में से हरएक कोन समकोन होता है और खड़ी सीधी रेखा को दूसरी सीधी रेखा पर लम्ब कहते हैं इसलिये स ह रेखा अब पर लम्ब है
प. १० इसलिये स बिंदु से जो दी हुई अब रेखा के बाहर है सह रेखा लम्ब अब रेखा पर खिंचगई - और इसी लम्ब के खोंचने की ज़रूरत थी
टि० (१) इस साध्य में इस बात को मान लिया है कि वृत्त अब रेख को दो बिन्दयों पर काटेगा क्योंकि जब हम खयाल करते हैं कि हत्त की परिधि का एक एक हिस्सा अब रेखा के दोनों तरफ़ है और परिधि एक तरह की लगातार रेखा है तो यह जाहिर बात मालम देती है कि परिधि दो बार अब सीधी रेखा को काटती हुई गुज़रगी दी हुई रेखा में अप. रिमित होने की कैद रक्खी गई है क्योंकि अगर यह कैद न होती तो यह समकिन था कि खाम हालतों में परिधि अब रेखा को किसी जगद्ध पर न काटती या सिर्फ एक ही जगह पर काटती
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(झ)
e
टि० (२) उक्त दस ने समकोन बनाती हुई रेखा और लम्ब रूप रेखायों में यह फर्क रक्खा है कि जब रेखा किसी दूसरी रेखा के एक बिन्दु से ग्यारहवीं माध्य के अनुसार खींची गई है उसको उक्त दल ने समकोन बनाती हुई रेखा कहा है और जब रेखा किनी बिन्दु से जो दूसरी रेखा के बाहर है बारहवीं माध्य के अनुसार उस रेखा पर डाली गई है उनको उक्त दस ने लम्ब कहा है लेकिन इस समय के लिखने वाले इस फ़क़ का कुछ भी ख़याल नहीं करते और हर एक को दूसरी की जगह इस्तेमाल करते हैं
अभ्यास
(२५) गर किसी त्रिभुज के शीर्ष से व्याधार पर लख डाला जावे और वह लम्ब आधार को दो बराबर हिस्सों में बांटे तो वह त्रिभुज समद्दिवाहु होगा
(२६) दो दिये हुए बिन्दुयों से जो दी हुई रेखा के आमने सामने की तर्फी' में है ऐसी दो रेखा खींचो कि वह दी हुई रेखा से ऐसे बिन्दु घर मिलें कि उनसे बने हुए कोने के दी हुई रेखा से दो बराबर हिस्से हों पौर यह भी बयान करो कि किस हालत में इन रेखाओंों का खींचना नामुमकिन होगा
साध्य १३ प्रमेयोपपाद्य
सा० सूत्र - जो कोन एक सीधी रेखा दूसरी सीधी रेखा के साथ
उसकी एक तरफ़ बनाती है वह या तो दो समकोन होते हैं या दोनों मिलकर दो समकोन के बराबर होते हैं वि० सूत्र फ़र्ज़ करो कि अब सीधी
实
रेखा सदसोधी रेखा के साथ उसके एक रफ़ सब अ और अब दकोन बनाती है तो यह कोन या तो दो समकोन होंगे मिलकर दो समकोन के बराबर होंगे
क्योंकि अगर स ब अ कोन अ ब द कोन के बराबर है तो उनमें से हरएक समकोन है
"
व द
रेखा खींचो
उप० तो स ब य और य ब द कोन दो समकोन हैं
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य श्र
द
अगर स ब अ कोन अब द कोन के बराबर नहीं है
अं० ब बिन्दु से स द के साथ समकोन बनाती हुई बय
स
सा० ११
प० १०
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(४६)
चूंकि सवय कोन बराबर है स ब अ और अब य दो कोनों वे इन दो घरों में से हर एक में य ब द कोन मिलाश्री
इसलिये सबष और य ब द कोन बराबर है स ब अ और यव और यवदतोनों कोनों के
फिर चंकि द ब अ कोन दवय और य ब अकोनों के बराबर और दून दोनों बराबरों में से हर एक में अवस कोन मिलाओ इसलिये द ब अ और अब स कोन मिलकर बराबर हैं द बय और चाय और अब यतीनों कोनों के
स्व०२ लेकिन साबित हो चुका है कि स ब य और य ब द कोन भी इन्हीं तीन कोनों के बराबर हैं __ और जो चीज़ एक ही चीज़ के बराबर होती हैं वह आपस में बराबर होती हैं
इसलिये सब य औरय बद कोन मिलकर दब अऔर अबस कोन के बराबर हैं
ख०१ लेकिन स ब य और यबद दी समकोन हैं इसलिये दब और अब स कोन मिलकर दो समकोन के बराबर हैं
फल इसलिये जो कोन एक सीधी रेखा दूसरी सीधी रेखा के साथ आद्योपान्त- यहो साबित करना था
अनुमान १ सब कोन जो कई सीधी रेखा एक सीधी रेखा के एक विन्ट पर उसके एक ही तरफ बनाती है मिल कर दो समकोन के बराबर होते हैं अनुमान २ अगर दो मोबी रेखा एक दूसरी को किसी बिन्दु पर काटें तो उस बिन्द के चारों कोन मिनकर बराबर होगे चार समकोन के
अनुमान ३ सब कान जो कई सीधी रेखायों के एक बिन्दु पर मिलने से बनेंगे मिल कर चार समकोन के बरर होगे
टि. (१) तेरहवीं साध्य के दाव में इस इबारत का कि एमके साथ कोन वनाती होना जरूर है क्योंकि अगर यह इबारत न हो तो साध्य की एक यह भी मरत होगी कि एक रेखा दसरी रेखा के सिरे पर खडी हो र उस मरत में सिर्फ एक कोन बनेगा
टि. (२) अगर दो कोन मिलकर बराबर दो समकोन के हों तो उनमें से हरएक को दूसरे का पूरक कहते है और अगर दो कोन मिल कर बरा. वर एक समकोन के हों तो उनमें से हरएक दूसरे का कोटि होगा
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(80)
अभ्यास
(२७) अगर बस कोन की एक भुज ब अ शीर्ष की तरफ़ द तक बढ़ायी जाय और अय और अफ रेखा व अस और सअद कोनों के दोर बराबर हिस्से करें तो साबित करो कि यत्र फ ममकोन है
(२८) किसी कोन के पूरक और उसी कोन के कोटि के दर्मियान का फ़र्क समकोन होता है
साध्य १४ प्रमेयोपपाद्य
सा० सूत्र अगर किसी सीधी रेखा के एक बिन्दु पर दो सीधी रेखा उसकी आमने सामने की तरफ़ों से आकर आसन्न कोन बराबर दो समकोन के बनायें तो यह दोनों सीधी रेखा एक ही सीधी रेखा में होंगी
वि० सूत्र फ़ज़ करो कि
व सीधी रेखा के व विन्दु पर सब और दब दो सीधी रेखा अ ब रेखा की आमने सामने की तरफों से आकर सब ओर अ ब द आसन्नकोन बराबर दो समकोन के बनतो हैं
तो सब ओर द ब एक ही सीधी रेखा में होंग उप०- अगर द ब और बस एक ही बीधी रेखा में नहीं तो फ़र्ज़ करो कि यब और बस एकही सोधी रेखा में हैं
चूंकि अब रेखा सबय रेखा से ब बिंदु पर मिलती है इसलिये सब और अब य श्रासन्न कोन मिलकर दो समकोन के बराबर हैं सा० १३
६
लेकिन सब अ और अब द कोन भी मिलकर दो समोना के बराबर हैं (बमूजिन फ़ज़ )
C
इसलिये सब अ और अबद कोन सबअ और अक्षय कोनों के बराबर हैं
स्व० १, १९
इन दोनों बराबरों में से सब अ कोन निकाल डालो. इसलिये बाकी अ ब द कोन बराबर है बाकी अ ब य कोम
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व. २०
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स व
य
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(४८)
यानी कुल अपने एक टुकड़े के बराबर है और यह बात नामुमकिन है इसलिये यव और स ब एक ही सीधी रेखा में नहीं हैं
और इसी तरह साबित हो सक्ता है कि सिवाय बद के कोई और सोधी रेखा भी बस के साथ मिलकर एक सीधी रेखा नहीं होसक्ती इसलिये बद ही बस के सा मिलकर एक सीधी रेखा हुई
फल-इसलिये किसी सोधी रेखा के एक बिंदु पर आद्योपान्त यही साबित करना था
टि. (१) यह साध्य तेरहवौं साध्य का विलोम है इसको यतिरेकयक्ति से साबित किया है इस साध्य में सब और दब रेखाओं के अब रेखा की ग्रामने सामने की तरफ़ों से आकर मिलने की कैद नहो तो समकिन है कि जो कोन दो सीधी रेखा किसी तीसरी सीधी रेखा के साथ बनावें वह दो समकोन के बराबर होवें लेकिन दोनों रेखा एक ही सीधी रेखा में नहीं जैसाकि इस तस्वीर में स ब और ब द सीधी रेखा अब श्र सीधी रेखा के साथ ऐसे दो को अब और अब द बनावें कि वह मिल कर दो समकोन की बराबर हों लेकिन । स ब और ब द सीधी रेखा एकहो सोधा रेखा में नहों बर- टि. (२) विद्यार्थी को गौर करने से मालूम होगा कि स ब अ और अब य कोनों को स ब अ और अब द कोनों के बराबर माबित करने में पहिली और ग्यारहवीं स्वयंसिद्धि दोनों का हुकम लगाना ज़रूर है
टि. (३)टौडहन्टर साहब ने ग्यारहवीं स्वयं सिद्धि को इसतरह साबित किया है और इस सुबूत पर उल दम के उसल की रू से कोई ऐतराज नहीं हो सका है फज़ करो कि अब रेखा स अ द रेखा के साथ अ बिन्दु पर समकोन बनाती है और य फ रेखा ज य ह रेखा के साथ य बिन्दु पर समकोन बनाती है तो ब अ स और फ य ज कोन अापसमें बराबर होंगे __ कोई अ स लखाई ले लो और अद और य ह और य ज इन सबको अस के बराबर बनाओ ह य ज रेखा को द अ स रेखा य सदस पर इस तरह रक्खो कि ह विन्टु द बिन्दु पर हो और ह ज रेखा की दिशा दस रेखा की दिशा पर हो और व और फ बिंदु द स रेखा की एक
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हो तरफ़ में हों तो ज बिंदु स पर पड़ेगा और य बिंदु अबिंदु पर और य फ भी अफ पर पड़ेगी अगर य फ रेखा अब रेखा पर न पड़े मगर किसी और जगह पर अक की तरह हो तो ह य फ कोन दशक कोन के बराबर होगा और फ य ज कोन क अ स कोन के बराबर होगा लेकिन हय फ कोन और फ य ज कोन बभूजिब फज़ के ग्रापस में बराबर है इसलिये द अक और क अस कोन आपसमें बराबर है लेकिन द अब और ब अस कोन भौ बमूजिद फज़ के ग्रापसमें बराबर हैं और स अब कोन स अ क कोन से बड़ा है इसलिये द अब कोन स अ क कोन से बड़ा है और इसलिये द अक कोन स अ क कोन से और भी ज़ियादा बड़ा है लेकिन यह साबित हो चुका है कि द अक कोन स अक कोन के बराबर है इसलिये द अक कोन स अ क कोन के बराबर और उससे बड़ा भी है और यह माफ़ झूट बात है इमलिये य फ रेखा अब रेखा पर पड़ती है और इसलिये फ य ज और ब अ स कोन यापसमें एक दूसरे को पूरा ८क लेते हैं और इसलिये आपस में बरावर हैं
साध्य १५ प्रमेयोपपाद्य सा० सत्र- अगर दो सीधी रेखा आपस में एक दूसरी को काटें तो सन्मख कोन आपसमें बराबर होंगे
वि० सत्र- फ़ज़ करो कि अब और स द दो सीधी रेखा य बिंदु पर एक दूसरी को काटती हैं
तो अयस कोन बराबर होगा दयब कोन श्रा के और अयद कोन बराबर होगा सयब कोन के
उप० चूंकि अय रेखा सद रेखा के साथ य बिंदु पर सयअ पौर अ य द आसन्न कोन बनाती है
यह दोनों कोन मिलके दो समकीन के बराबर हैं सा० १३ फिर चूंकि द य रेखा अब रेखा के साथ य बिंदु पर ब यद पौर दय अ आसन्न कोन बनाती है यह दोनों कोन मिलकर दो समकोन के बराबर हैं सा० १३ लेकिन यह साबित हो चुका है कि सयअ और अयद कोन मलकर दो समकान के बराबर हैं
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(५०)
इसलिये सयअ और अयद कोन बयद और अयद कोनों के बराबर हैं इन बराबरों में से अयद कोन निकाल डाला इसलिये बाको सयअ कोन बराबर है बाकी बयद कोनके स्व०३
और इसी तरह साबित होसक्ता है कि स य ब कोन अयद कीन के बराबर है
फल इसलिये अगर दो सीधी रेखा एक दूसरी को किसी बिन्दु पर का आद्योपान्त यही साबित करना था
टि. (१) ऊपर का सुबूत इस तरह लिखने से संक्षेप होसक्ता है कि सन्मुख के कोन आपस में बराबर हैं क्योंकि दोनों कोनों में से हर एक का पूरक एक ही कोन है ।
टि. (२) अनुमान जो उक्त दम ने इस माध्य के नीचे लिखे है हमने उनको इस किताब में माकूल वजहों के सबब तेरहवीं साध्य के नीचे रक्खा है
टि. (३) उक्जी दस ने इस साध्य के विलोम को कि “ अगर चार सीधी रेखा किसी बिन्दु पर मिल कर चार कोन ऐसे बनावे कि उनमें से ग्रामने सामने के दो दो कोन अापम में बराबर हों तो उनमें से दो दो रेखा एक एक सौधौ रेखा में होंगी" नहीं साबित किया है वह इस तरह साबित होसक्ता है
फर्ज करो कि अय, स य, ब य और द य चार सीधी रेखा (पन्द्रहवीं साध्य की तस्वीर देखो)य बिंदु पर मिलकर ऐसे चार कोन बनाती है कि उनमें से आमने सामने के दो दो कोन बराबर हैं यानी अ य स और बय द कोन आपस में बराबर हैं और स य ब और अ य द कोन ग्रापस में बरावर है तो अय और ब य रेखा एक सीधी रेखा में होंगी और स य और द य रेखा एक सीधी रेखा में होंगी
चंकि अ य स कोन बराबर है ब य द कोन के और स य ब कोन बराबर है अ य द कोन के इमलिये अय स और स य ब कोन मिल कर ब यद और द य अ कोनों के बराबर हैं (व.) लेकिन यह चारों कोने मिलाकर चार समकोन के बराबर है ( अनु० ३ सा० १३ ) इसलिये अ य स और स य ब कोन मिल कर दो समकोन के बराबर हैं और इसलिये अ य और ब य एकही सीधी रेखा में हैं ( मा० १४) और इसी तरह यह भी सा. बित हो सक्ता है कि स य और य द एकही सीधी रेखा में है।
सवालात इतिहान शकल ७ से १५ तक (१) सातवौं शकल की तीसरी सरत खींचो और बयान करो कि सुचूत को क्यों ज़रूरत नहीं है
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(५१)
(२) पाठवौं शकल को अन्वी साधन से सिद्धि करो ताकि सातवीं साध्य की ज़रूरत न रहे
(३) क्या नौवों साध्य में यह ज़रूर नहीं है कि समत्रिबाहु त्रिभुज अ से दूर बनाया जावे
(४) बताओ कि पहिली साध्य में किस तरह रेखा के दो बराबर हिस कर सकते है
(५) साबित करो कि ग्यारहवीं शकल नवौं शकल की एक ख़ास सूरत है
(६) दो ख़त मुस्तकीम (सीधी रेखा) हिस्सा शामिल नहीं रखते क्या यह अनुमान पहिले भौ किसी साध्य में मान लिया गया है
(७) किन मरतों में वे सीधी रेखा जो त्रिभज के छन्त: कोनों के दो बराबर हिस्से करते हैं त्रिभुज के कीनों के सामने के भुजों या भुज को भी दो बराबर भागों में बांटते हैं (जवाव) सिर्फ एक सुजा यामी ग्राधार को जब समदिबाहु त्रिभुज होता है और कुल भुजों को जब समित्रबाहु त्रिभुज होता है
(८) क्या १२ वी साध्य में अपरिमित रेखादी हुई होने की प्रतज़रूर है
() १३ वीं शकल में कौनसी वस्तपपाय साध्या की जरूरत पड़ी है क्या किसी प्रमेयो पपादा साध्य की भी जरूरत पड़ी है (जवाब) नहीं खि स्वयं मिड्डियों को
(१०) अगर दो रेखा एक दूसरे को काटें तो वे कितने कोने बनावेंगी (११) १४ वौं श क ल में कौन से तीन खत एक बिन्टु में होकर गुज़रते है (१२) १४ वौं साध्य के दावे में कौनसी शर्त की ज़रूरत है। (१३) १५ वी साध्य का बिलोम बयान करो और साबित करो (१४) १३, १४, १५, साध्यों का क्या मजमून है (जवाब ) कोन जो एक बिन्दु पर बनते हैं
. साध्य १६ प्रमेयोपपाय सा० सत्व-- अगर किसी त्रिभुज की एक भुज बढ़ाई जाय तो वहिः कोन अपने सामने के हरएक अन्तः कोन से बड़ा होगा
वि० सत्र- फज़ करो कि अब स त्रिभुज की ब स भुज किसी द बिन्दु तक बढ़ाई गयी है
तो अस द बहिः कोन अपने सामने के हर /\M एक स अब और अब स अन्तः कोनसे बड़ा होगा ।
अं. अस के य बिन्दु पर दो बराबर हि. व स मसे करो
सा. १०
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और बय मिलाश्री
अवा. १ ब य को किसी फ बिन्द तक बढ़ाओ
श्रवा० २ और य फ बराबर बय के काटलो
सा०३ और स फ मिलाओ
अवा० १ उप०-- चूंकि य स बराबर अ य के और य फ बराबर ब य के बनायी गयी है
यानी अबय और सफय दो विभुजों में अय और बय दो भुज स य और य फ दो भुजों के अलगर बराबर हैं।
और अ य ब कोन स य फ कोन के बराबर है सा. १५ इसलिये अब आधार सफआधार के बराबर है और अबय विभुज स फ य विभज के बराबर है और एक त्रिभुज के बाकी कोन अलग २ टूसरे विभुज के बाकी कोनों के बराबर हैं यानी वह कोन आपस में बराबर हैं जिनके सामने की भुज बराबर हैं सा०४
इसलिये बअय कोन बराबर है फसय कोन के लेकिन असद कोन फसय कोन से बड़ा है स्व. ८ इसलिये असद कोन बअस कोन से बड़ा है
इसी तरह अगर अस भुज ज बिन्दु तक बढायी जाय और बस के दो बराबर हिस्से किये जाय तो यह साबित हो सकता है कि बसज कोन अबस कोन से बड़ा है
लेकिन बसज कोन असद कोन के बराबर है
इसलिये असद कोन अस ब कोन से बड़ा है फल- इसलिये अगर किसी त्रिभुज की एक भुज बढ़ायी जाय तो वहिः कोन आद्योपान्त यही साबित करना था टि. (१) तालिबइम को चाहिये कि अभ्याम के लिये दूसरे हिस्से के सुबूत को जिसकी तरफ़ इशारा किया है लिख डाले जिससे इस साध्य की सचाई अच्छी तरह उनके जी में ममागावे
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(ट० (२) इस साध्य और आगे की बाजी२ साध्यों के सावित करने में इस स्वयंसिद्धि को मान लिया है कि अगर दो बराबर चीज़ों में से एक किसी तीसरी चीन से बड़ी हो तो दूसरी भी उससे बड़ी होगी
अभ्यास (२८) ब सफ त्रिभुज के तीनों अन्त: कोनों का योग (१६ वौं साध्य देखो) त्रिभुज अ ब स के तीनों अन्तः कोनों के योग के बराबर है
(३०) किसी सीधी रेखा पर एक बिंदु से एक से ज़ियादा लम्ब नहीं गिर सक्त है
(३१) अगर किसी बिंदु से एक सीधी रेखा जो एक दी हुई मीधी रेखा के साथ एक अधिक कोन और एक न्यन कोन बनावे खींची जाय
और उसी बिंदु से उसी रेखा पर एक लम्ब गिराया जाय तो साबित करो कि लख न्यून कोन की तरफ़ गिरेगा
(३२) एक बिंदु से किसी मौधी रेखा तक दो से ज़ियादा बराबर रेखा नहीं खिच सक्ती हैं
साध्य १७ प्रमेयोपपाद्य मा० सत्व विभुज के हर दो कोन मिलकर दो समकोन से छोटे होते हैं वि० सत्र फ़र्ज़ करो कि अबस एक त्रिभुज है
तो उसके हर दो कोन मिलकर दो समकोन से कम होंगे अं० किसी बस भुज को द तक बढ़ाओ उप० चूंकि असद कोन अब स त्रिभुज का बहिः कोन है इसलिये असद कोन अपने सामने के अ ब स अन्तः कोन से बड़ा है
सा० १६ इन दोनों बराबरों में से हर एक में अस ब कोन मिलाश्री इसलिये असद और अ स ब कोन मिलकर अबस और अस ब कोनों से बड़े हैं
बस
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(५४,
लेकिन असद और अ स ब कोन मिलकर दो समकोन के बराबर हैं
सा० १३ इसलिये अब स कोन और असब कोन मिलकर दो समकोन से कम है
इसी तरह यह भी साबित होसता है कि बस और अस ब कोन भी मिलकर दो समकोन से कम है __ और वस और असब कोन भी मिलकर दो समकोन से कम हैं
फल इसलिये त्रिभज के हर दो कोन आद्योपान्त यहो साबित करना था
टि. (१) यह साध्य पिछली साध्य का सिर्फ एक अनुमान मालूम देती है ज़ाहिरा स्वघंसिडि १२ की जिसका यह विलोम है टीका के लिये रक्खी गई है यह और सोलहवीं दोनों साध्य इस अध्याय की बत्तीसवों साध्य में शामिल है
टि० (२) सत्तरहवीं साध्य त्रिभुज की बगैर किसी भुजा अ के बहाने के इस तरह साबित हो सकती है ब स में कोई / विंदु द लो और अद मिलायो
ब ट स चंकि अ द स कोन अ ब स कोन से और अ द ब कोन अ स ब कोन बड़ा है (सा. १६) इसलिये अदब और अ द स कोन मिल कर अब स और अ स ब कोनों से बचे है लेकिन अ द ब और अ द स कोन मिल कर दो समको न के बराबर हैं (सा० १३) इमलिये अ स ब और अ ब स कोन मिलकर दो समकोन से कम है इसी तरह यह भी माबित होमक्ता है कि ब अस और अ स ब कोन मिल कर दो ममकोन से कम है और व अस और अ ब स कोन मी मिलकर दो समकोन से कम है
अभ्यास (३३) त्रिभुज के तीनों उपन्तः कोन मिल कर तीन समकोन से छोटे होते हैं
(३४) त्रिभुज के हर दी बहिःकोन मिलकर दो समकोन से द्यौर तीनों बहिः कोन मिलकर तीन समकोन से ज़ियादा होते हैं
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(५५)
साध्य १८ प्रमेयोपपाद्य सा० सत्र-- हर विभुज में बड़ी भुज के सामने का कोन बड़ा होता है वि० सूत्र- फर्ज करो कि अ व स एक त्रिभुज है और उस को अस भुज अब भुज से बड़ी है तो अब स कोन अ स ब कोन से बड़ा होगा
अं०- चूंकि अस भुज अब भुज से बड़ी है उसमें से अद बराबर अब के काटलो (सा० ३) । और ब द मिलाओ अवा० १
बस उप०- चूंकि अदब कोन द ब स विभुज का बहिः कोन है इसलिये अदब कोन अपने सामने के ब स द अन्तः कोन से बड़ा है
सा० १६ लेकिन अदब कोन बराबर है अब द कोन के
सा० ५ इसलिये अबद कोन बड़ा है बस अ कोन से इसलिये अबस कोन और भी ज़ियादा बड़ा है बस अ कोन से
फल-इसलिये विभुज की बड़ी भुज के सामने का कोन आद्योपान्त यही साबित करना था अनुमान- विघमबाहु त्रिभुज के कोन नाबराबर होते हैं
अभ्यास (३२) अवसद चतुर्भुज की अद भुन सब भुजों से बड़ी है और बस भुज सबसे छोटी है तो साबित करो कि अब स कोन अद स कोन से और बस द कोन बअद कोन से बड़ा है
(३६) त्रिभुज के उस भुज पर जो बाकी दो भुजों में से किसी से छोटी नहीं है जो लम्ब सामने के कोन से डाला जाता है वह त्रिभुज के भीतर पड़ता है
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फ़र्ज
साध्य १८ प्रमेयोपपाद्य सा० सत्र हर त्रिभुज में बड़े कोन के सामने की भुज बडी होती है वि० सूत्र-- फ़र्ज़ करो कि अबस एक त्रिभुज अ है जिसका अबस कोन असब कोन से बड़ा है |
तो अस भुज अब भुज से बड़ी होगी
उप- अगर अस भुज अब भुज से बड़ी नहीं है तो वह उसके बराबर या उससे छोटी है
अगर अस बराबर है अब के तो अबस कोन भी बराबर है असब कोन के
सा. ५ लेकिन यह कोन आपस में बराबर नहीं है इसलिये अस भी अब के बराबर नहीं है
अगर अस छोटी है अब से तो अवस कोन भी छोटा है असब कोन से
सा० १८ लेकिन अबस कोन असब कोन से छोटा नहीं है फ़ज़ इसलिये अस भी अब से छोटी नहीं है।
और यह साबित होचुका है कि अस बराबर नहीं है अब के इसलिये अस बड़ी है अब से फल-इसलिये हर त्रिभुज में बड़े कोन के सामने की भज आद्योपान्त यही साबित करना था
टि. (१) यह साध्य अठारहवीं साध्य का विलोम है शोर छटी साध्य के माथ वही सम्बन्ध रखती है जो अठारहवीं साध्य पांचवीं साध्य के साथ रखती है यह सम्बन्ध इन सायों में से दो दो को मिलाकर इस तरह बयान करने से मालूम होगा " त्रिभुज का एक कोन दूमरे कोन के बराबर
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(सा. ५) या उससे बड़ा या छोटा (सा. १८) होगा जैसा कि पहिले कोन के सामने की भुज दूसरे कोन के सामने की भुज के बराबर या उससे बड़ी या छोटी हो” और “ त्रिभुज की एक भुज दूसरी सुज के बराबर (साई) या उससे बड़ी या छोटी (सा.१६) होगी जैसा कि पहिली भुज के सामने का कोन दूसरी भुज के सामने के कोन के बराबर या उससे बड़ा या छोटा हो
इन चारों साध्यों के ग्राएस के सम्बन्ध को हम इस तरह पर भी बयान करके जाहिर करते हैं
साध्य ५ अगर अब सुज=अस त्रिभुज तो स कोन =ब कोन | साध्य ६ अगर स कोन = ब कोन तो अब भुज- असभुज
साध्य १८ अगर अब भुज , अस भुज तो स कोन , ब कोन (साध्य १६ अगर स कोन > ब कोन तो अब भुज , अस सुन दो दो साध्य जो कोष, रेखायों के अन्दर है एक दुसरी का बिलोम हैं क्योंकि जो बात एक में कल्पित अर्थ की जगह पर है वह दसरी में फल की की जगह पर है टि० (२) साध्य १६ यतिरेक युक्ति से साबित की गई है
अभ्यास (३७) अद् रेखा अब स त्रिभुज के अ कोन के दो बराबर हिस्से करती है और उसकी ब स भुज से द बिंद पर मिलती है साबित करो कि ब अ बड़ी है ब द से और स अ बड़ी है स द से __ (३८) अगर बर्गक्षेत्र के किसी अ कोन से एक रेखा उसके सामने की भुजों में से एक को काटती हुई और दूसरी के बने हुए हिस्से से फ बिंदु पर मिलती हुई खींची जाय तो अफ उस वर्ग क्षेत्र के कर्ण से बड़ी होगी
(३८) जितनी सीधी रेखा किसी बिन्दु से एक दी हुई रेखा तक खींची जाय उनमें से लम्ब सब से छोटी होगी और जो रेखा लम्ब के नजदीक होगी वह दूर की रेखा से छोटी होगी
साध्य२० प्रमेयोपपाद्य सा० सत्र- त्रिभुज की हर दो भुज मिलकर तीसरी से बड़ी होती हैं
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(५८)
वि० सूत्र फ़र्ज़ करो कि अबस एक विभुज है
तो उसकी हर दो भुज मिलकर तीसरी से बड़ी
होंगी
यानी अब और अस मिलकर बस से
और अब और व स मिलकर अस से और स अ मिलकर अब से बड़ी होंगी
अं० व अ को किसी द बिंन्दु तक बढ़ाओ अ द बराबर अ स के बनाओ और दस मिलाओ
बस
और
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द
स
उप० चूंकि अद बराबर अ स के बनाई गयी है इसलिये अ स द कोन बराबर है अट् स कोन के सा०५ लेकिन सद् कोन अ स द कोन से बड़ा है.
ख० ट
4
अवा० २
सा० ३
अवा० १
इस लिले व स द कोन अ ट् स कोन से भी बड़ा है चूंकि द ब स विभुज में बस द कोन बड़ा है ब द स कोन से और बड़े कोन के सामने की भुज बड़ी होती है सा० १८ इसलिये ब द बड़ी व स से
लेकिन व द बराबर है व और अ स के क्योंकि अद
अ
बराबर है अस
के इसलिये व अ और अस मिलकर बड़ी हैं बस इसी तरह यह भी साबित होता है कि अब और बस मिलकर च स से और व स और स अ मिलकर अब बड़ी है
से
फल इसलिये त्रिभुज की हर दो भुज मिलकर आद्योपान्त यही साबित करना या
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(५८) टि. (१) याद रक्खो कि जिन दो भुजों को तीसरीसे बड़ी अ सावित करना चाहते हो उन दो भुजों में से किसी एक भुज को उस तरफ बहाने से जिधर वह दोनों भुज मिलती / हैं और बड़े हुए हिस्से को दूसरी के बराबर बनाने से यह साध्य साबित होगी टि. (२) यह साध्य इस तरह भी साबित हो सकती है
व अस कोन के अय रेखा से दो बराबर हिस्से करो (सा. ६) अव ब य अकोन य अ स कोन से बड़ा है (सा. १६) ले किन य अ स कोव य अब कोन के बराबर बनाया गया है इसलिये ब य अकोन य अब कोन से बड़ा है और इसलिये अब बड़ी है बय से (मा०१६) इसी तरह साबित होसक्ता है कि अस बड़ी है य स से इसलिये ब अ और अस मिल कर बस से बड़ी है
टि० (३) इस साध्य का यह अनुमान हो सका है कि दो बिन्दुओं के मियान सीधी रेखा सबसे छोटी दूरी है क्योंकि अबिन्दु बस रेखा से कैसा ही नज़दीक क्यों न हो ब स हमेपाह ब अ और स अ से छोटी है
टि. (४) इस माध्य की मदद से यह आसानी से साबित होसक्ता है कि त्रिभुज की किसी दो सुनों के दर्मियान का फर्क तीसरी भुज से छोटा होता है क्योंकि जिस सूरत में ब अ और अस मिल कर ब स से बड़ी हैं अगर इन दोनों बा बराबर में से अस निकाल ली जावे तो ब अ बड़ी होगी उस फ़क से जो ब स और अ स के दर्मियान है
अभ्यास (४०) त्रिभुज की तीनों भुन मिल कर हरभुज के दूने से बड़ी होती हैं
(४१) अगर किसी बिन्दु से त्रिभुज के तीनों कोनों तक रेखा खींची मांय तो यह तीनों रेखा मिल कर त्रिभुज की तीनों भुजों के योग के आधे से बड़ी होंगी (४२) चतुर्भज को चारों भुज मिलकर दोनों कणों के योग से बड़ी होती है
(४३) त्रिभुज की दो सुन मिलकर उस सीधी रेखा के जो तीसरी भुज के बीचों बीच के बिन्दु से उस भुज के सामने के कोन तक खींची जाय दूने से बड़ी होंगी
(४४) अगर किसी बिन्दु से चतुर्भुज के चारों कोनों तक चार सीधी रेखा खोंची जायं तो वह चारों मिल कर चतुर्भुज की चारों भुजों के प्राधे से बड़ी होंगी
(४५) हर चतुर्भुज के कणों का योग उन चार रेखाओं के योग से छोटा होता है जो किमी बिंदु से चतुर्भुज के चारों कोनों तक खींची जाय परन्त उस बिंदु पर कर्ण एक दूसरे को न काटें
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(६०)
(४६) दी हुई सीधी रेखा में एक ऐसा बिंदु दर्याफ़ करो कि जिसकी दूरियां दो बिंदुओं से जो दी हुई रेखा के एक ही तरफ़ में है मिलकर उस रेखा के और बिंदुखों में से हर एक की दूरियों से कम हों
साध्य २१ प्रमेयोपपाद्य
सा० सूत्र अगर किसी विभुज की एक भुज के सिरों से दो सीधी रेखा एक बिंदु तक जो उस त्रिभुज के अन्दर है खौंची जांय तो यह दोनों सीधी रेखा मिलकर त्रिभुज की बाक़ी भुजों से छोटी होंगी लेकिन उन रेखाओं के दर्मियान का कोन उन भुजों के दमियान के कोन से बड़ा होगा
वि०
सूत्र फ़र्ज़ करो कि अबस एक त्रिभुज
है और उसकी बस भुज के ब और स सिरों से द बिंदु तक जो उस त्रिभुज के अन्दर है बद और iral रेखा खींची गई हैं सद
व
曜
स
तो बद और स द मिलकर विभुज की अब और अस भुजों से छोटी होंगी लेकिन उनके दर्मियान का ब द स कोन त्रिभुज के बअस कोन से बड़ा होगा
श्रं ० ब द को बढ़ाओ कि वह अ स से य बिंदु पर मिले उप० चूंकि त्रिभुज की दो भुज मिलकर तीसरी से बड़ी होती
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सा० २०
इसलिये अब य त्रिभुज की दो भुज व अ और अ य मिलकर ब य भुज से बड़ी हैं
इन नाबराबरों में से हर एक में य स ज़ियादा करो
तो ब अ और अस मिलकर बड़ी हुई ब य और य स से और चूंकि स य द त्रिभुज की सय और यद दो भुज
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( ६१ )
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मिलकर बड़ी हैं स द भुज
से
सा० २०
और इन नाबरावरों में से हरएक में द व जियादा करदी तो स य और य व मिलकर बड़ी हुईं स द और दब से लेकिन यह साबित होचुका है कि स प्र और प्र व मिलकर बड़ी हैं स य और य व से
इसलिये व प्र और प्र स मिलकर और भी जियादा बड़ी हैं व द और दस से
फिर चूंकि त्रिभुज का बहि: कोन अपने सामने के अन्तः कोन से बड़ा होता है
सा० २६
इसलिये स द य त्रिभुज का ब द स बहि: कोन बड़ा है स य द अन्तः कोन से
इसी दलील से प्र व य त्रिभुज का सयद बहि: कोन बड़ा है व प्र स अन्तः कोन से
इसलिये व दस कोन और भी ज़ियादा बड़ा है व प्रस कोन से
इस वास्ते अगर किसी त्रिभुज की एक भुज के सिरों से आयोपान्त यही साबित करना था
टि० इस साध्य में अगर त्रिभुज की भुज के सिरों से सीधी रेखा खींची जाने की कैद हो तो मुमकिन होसक्ता है कि दो सीधी रेखा जो उम्र भुज के किसी और दो बिन्दुयों से खींची जायं त्रिभुज की बाकी दो मुख से बड़ी या उनकी बराबर हों लेकिन दोनों रेखा मिलकर उन भुजों के टूने से हमेशा कम रहेंगी अगर भज जिसके सिरों से रेखा खींची जायं समत्रिबाहु त्रिभुज की भुज हो या ऐसे समद्विबाहु त्रिभुज का बाधार हो कि जिसकी हर भुजा व्याधार से बड़ी हो तो भुज के सिरों से रेखा खीं जाने की क़ैद की कुछ ज़रूरत नहीं है दोनों सीधी रेखा मिलकर खात वह भुज के सिरों से या उस भुज के किसी और दो बिंदुयों से खींची गयी हैं हमेशा समत्रिबाहु त्रिभुज की बाकी भुजों या समद्विबाहु त्रिभुज कौ सुन से छोटी होगी
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Fw
२
साध्य २२ वस्तूपपाद्य सा. मात्र एक त्रिभुज बनाओ जिसकी भुज अलग अलग बराबर हों दी हुई ऐसी तीन सीधी रेखाओं के कि उनमें से हर एक दो मिलकर तीसरी से बड़ी हैं वि० सूत्र फर्ज करो कि प्राव और स ऐसी तीन दी हुई सीधी रेखा हैं कि उनमें से हरएक दो मिलकर तीसरी से बड़ी है यानी नअर व मिलकर बड़ी है स से और अ और स मिलकर बड़ी हैं व से और व और स मिलकर बड़ी है असे
ऐसा त्रिभुज बनाना है कि उसकी तीनों भुज अलग अलग बराबर हों न, ब ओर स के
अंक-दय ऐसी सीधी रेखा खींचो कि । वह इ पर परिमिति हो लेकिन य की तरफ़ चाहें जितनी बढ़ सके
दफ बराबर भ के और फज बराबर व के और जह बराबर स के बनानी
सा०३ फ केंद्र से फद दूरी पर द कल वृत्त खौंची अवा० ३ और ज केंद्र से जह दूरी पर ह कल वृत्त खोंचो अवा०३
क बिन्दु से जहां दोनों हत्त आपस में एक दूसरे को काटते हैं कफ और क ज रेखा फ और ज बिन्दुओं तक खोंचो तो क फज त्रिभुज की भुज अ, ब और स सीधी रेखाओं के अलग २ बराबर होंगी उप. चंकि द क ल वृत्त का फ केंद्र है
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( ६३ )
इसलिये फ क बराबर है फ द के परि० १५ लेकिन फ द बराबर अ के बनायी गयी है इसलिले फ क बराबर अ के है स्व० १ फिर चूकि ह क ल वृत्त का ज केंद्र है। इसलिये ज क बराबर है जह के परि० १५ लेकिन ज ह बराबर स के बनायी गयी है इसलिये ज क बराबर स के है
और फज बराबर व के बनायी गयी है इसलिये कफ, फज और जक तीन सीधी रेखा अलग २ बराबर हैं अ, ब और स के
और इसलिये क फज त्रिभज की कफ, फज और जक तीनों भुज अलग अलग बराबर हैं दी हुई तीन अव और स सीधी रेखाओं के और ऐसे ही त्रिभुज के बनाने की ज़रूरत थी टि. १ दी हुई तीन सीधी रेखात्रों में से हरएक दो का मिलकर तीमरी से बड़ी होना इसलिये ज़रूर है क्योंकि बगैर इस शर्त के साध्य का हल होना नामुमकिन है ।
टि. २ बाज़ लोग उली दस पर यह ऐतराज़ करते हैं कि हत्तों का जो इस साध्य के हल करने के लिये खींचे गये हैं आपस में कटना साबित नहों किया है लेकिन इस पते पर कि द फ, फज और ज ह सीधी रेखायों में से हरएक दो मिलकर तीसरी से बड़ी हैं खयाल करने से साफ जाहिर है कि उत्त ग्रापस में एक दूसरे को काटेंगे क्योंकि इस किताब का म. हुने वाला जो जरा भी अली रखता होगा फौरन समक जावेगा कि वृत्त जो फ केंद्र से फ द दूरी पर खींचा है फ ह सीधी रेखा को फ और ह विंदुओं के दर्मियान काटेगा क्योंकि फ ह बड़ी है फ द से और वृक्त जो ज केंद्र से ज ह दूरी पर खींचा है द ज सीधी रेखा को द और ज विंदुओं के दर्मियान काटेगा क्योंकि द ज बड़ी है ज ह से और यह वृत्त ज़कर आपस में कटेंगे क्योंकि याद और ज ह मिलकर फज से बड़ी हैं
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टि. ३ इस अध्याय की पहली साध्य इस साध्य की एक खास सूरत है क्योंकि इस साध्य में अगर अ, ब और स आपस में बराबर हों तो यह साध्य और पहली साध्य एकही हो जायंगी यह भी जाहिर है कि फज अाधार को दूसरी तरफ एक और ऐसा त्रिभुज बन सकता है कि जिसकी भुज दी हुई तीन सीधी रेखायों के बराबर हों
अभ्यास (४७) दिये हुए त्रिभुज के बराबर त्रिभुज बनायो (य) दिये हुए ऋजभुज क्षेत्र के बराबर ऋजभुज क्षेत्र बनायो
साध्य २३ बस्तूपपाद्य सा. सूत्र दी हुई सीधी रेखा के दिये हुए बिन्दु पर दिये हुए सरल कोन के बराबर कोन बनाओ
वि० सूत्र फ़र्ज़ करो कि अव दी हुई सीधी रेखा है और उसमें अदिया हुआ बिन्दु है ओर द स य दिया हुआ सरलकोन है
अब सीधी रेखा के प्रबिन्दु पर कोन बनाना है जो द स य कोन के बराबर हो द--- य फ __ अं सद और स य में द और य बिन्दु लो द य मिलाओ
अवा० १ अव पर अफज एक ऐसा त्रिभुज बनाओ कि उसकी भज तीन सीधी रेखाओं सद, द य और स य के बराबर इसतरह से हों कि प्रफ बराबर हो स द और फ ज बराबर दय के और जअ बराबर य स के
सा. २२ तो फज कोन बराबर दस य कोन के होगा उप. चूंकि फम और अज अलग २ बराबर हैं दस और स य के
और फज आधार बराबर है दय आधार के
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इसलिये फच्प्रज कोन बराबर है द स य कोन के सा०८ इसलिये दी हुई अब सीधी रेखा के प्र बिन्दु पर फ ा ज कोन दिये हुए दस य सरलकोन के बराबर बन गया -- और इसी कोन के बनाने की ज़रूरत थी
अभ्यास
(८) अगर किसी त्रिभुज के दो कोन मिलकर तीसरे कोन के बराबर हों तो उस त्रिभुज के दो समदिवाहु त्रिभुज वन सक्ते हैं
(१६) अगर बस त्रिभुज के अ और ब कोन मिलकर स कोम के बराबर हों तो अब उस सीधी रेखा से जो स कोन से अब के बीचों बीच के बिन्दु तक खींची जाय दूनी होगी.
(५०) एक त्रिभुज का ग्राधार और आधार पर का एक कोन और उसकी भुजों का योग मालूम है तो उस त्रिभुज को बनाय (५१) एक त्रिभुज के भुज और उन भुजों के बीच का कोन मालूम उस त्रिभुज को बनायो
(५२) एक त्रिभुज के भुज और उन भुजों में से एक के सामने का कोन मालूम है उम्र त्रिभुज को बनाय
(५३) एक त्रिभुज का व्याधार और आधार पर का एक कोन व्यर उसकी भुजों का योग या फर्क मालूम है तो उस त्रिभुज को बनाओ
(५४) दो बिन्दु दिये हुए हैं जिनमें से एक बिन्दु एक दी हुई रेखा में है उस दी हुई रेखा में एक और ऐसा बिन्दु दर्याकृत करो कि दिये हुए बिन्दुयों से उनकी दूरियों का जोड़ या फर्क एक दी हुई लम्बाई के बरावर हो और यह भी साबित करो कि हर हालत में ऐसे दो दो बिन्दु दर्याकृत हो सक्ते हैं
साध्य २४ प्रमेयोपपाद्य
सा० सूत्र अगर एक त्रिभुज की दो भुज दूसरे त्रिभुज की दो भुजों के अलग २ बराबर हों लेकिन कोन जो एक त्रिभुज की इन दो भुजों से बना है बड़ा हो दूसरे त्रिभुज के उस कोन से जो दून भुजों की बराबर भुजों से बना है तो उस त्रिभुज का जिसका कोन बड़ा है आधार बड़ा होगा दूसरे त्रिभुज के आधार से वि०
सूत्र फर्ज़ करो कि प्र व स और द य फ ऐसे दो त्रिभज हैं कि उनकी अ व और प्र स भुज अलग २ बराबर
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हैं द य और द फ भुजों के यानी अब बराबर है दव के और अस बराबर है द फ के लेकिन बस कोन बड़ा है य द फ कोन से ___ तो बस आधार बड़ा होगा य फ आधार से अं० फर्ज करो कि द य और दफ में द य बड़ा नहीं है दफ से
दय के ६ बिंदु पर और उसके उस तरफ जिधर दफ है य द ज कोन बराबर व अस कोन के बनाओ सा० २३ दज बराबर द फ या अस के बनाओ सा. ३
और य ज और ज फ मिलाश्री अवाः । उप. चूंकि दय बराबर है अब के और जबराबर
अस के यानी त्रिभुज द य ज की दो मजदय और दज विभज अवस की अब और अस दो भुजों के अलग २ बराबर हैं
और यदज कोन अस कोन के बराबर बनाया गया है इसलिये य ज आधार बराबर है बस आधार के सा०५ और चूंकि द फज त्रिभुज में दज बराबर है द फ के इसलिये द फज कोन बराबर है दज फ कोन के सा०५ लेकिन दजफ कोन बड़ा है यजफ कोन से ख. इसलिये दफज कोन भी बड़ा है यजफ कोन से और इसलिये य फज कोन और भी ज़ियादा बड़ा है
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य ज क कोन से
और चूंकि यफज त्रिभुज में य फ ज
कोन दड़ा है
य जफ कोन से और बड़े कौन से सामने की भुज बड़ी होती
है
सा० १८
इसलिये य ज भुज बड़ी है य फ भुज से
लेकिन य ज बराबर व स के साबित हो चुकी है
इसलिये बस बड़ी है य फ से
फल इसलिये अगर एक त्रिभुज की दो भुज दूसरे त्रिभुज की दो अजों के आद्योपान्त यही साबित करना या
टि. १ इस माध्य में उक्त दम ने इस बात को वगैरे साबित किये मान लिया है कि द ह छोटी है द फ से यानी फ बिंदु य ज रेखा के नीचे है इसको हम इस तरह साबित कर सक्ते हैं चूं कि द ह ज कोन त्रिभुज द वह का वहि:कोन है इसलिये द ह ज कोन बड़ा दय ज ग्रन्तःकोन से ( मा० १६ ) और चूंकि द य ज त्रिभुज में द ज बड़ी है द य से बाउस के बराबर है इसलिये द य ज कोन बड़ा है द ज य कोन से या उसके बराबर है (सा० १८, ५) लेकिन यह साबित होचुका है कि द ह ज कोन द य ज कोन से बड़ा है इसलिये द ह ज कोन द ज ह कोन से बड़ा है इस वास्ते द ज बड़ी है द ह से ( मा० १६ ) लेकिन द ज बराबर है द फ के इसलिये दफ बड़ी है द ह से यानी फ बिंदु य ज रेखा के नीचे है
टि. ० २ इस माध्य में यह शर्त कि द य भुज द फ भुल से बड़ी नहीं है सिमसन साहब ने ज़ियादा की है अगर यह पूर्व नहो तो साध्य की तीन मूरतें होती हैं यानी फ बिंदु थ ज रेखा में हो या उससे ऊपर या नीचे हो अगर फ बिंदु य ज रेखा में हो तो उस सूरत में साफ जाहिर है कि यफ छोटी होगी य ज से और अगर फ बिंदु य ज रेखा के ऊपर है तो द फ और य फ मिलकर द ज और य ज से छोटी होंगी (सा० २१ ) और चूंकि द फ और द ज व्यापस में बराबर हैं इसलिये य फछोटी होगी य ज से
टि० ३ यह साध्य इस तरह भी सावित होसक्ती है
दय फ त्रिभुज को अ ब स त्रिभुज पर इस तरह रक्खा कि द य
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( ६८ )
कोन
नुज अ ब भुज को पूरा ५ ढक लेवे तो चूंकि य द फ कोन बस से छोटा है द फ भुज ब अ और स अ भुजों के दर्मियान पड़ेगी और फ बिंदु या तो वस पर या उस से ऊपर या नीचे
न
पड़ेगा
पहली सूरत अगर फ बिंदु ब स व्याधार पर पड़ता
है तो बस बड़ी है ब फ से इसलिये ब स बड़ी है यफ से व
दूसरी सुरत यगर फ बिंदु ब स व्याधार के ऊपर पड़ता है तो अस aौरव मिलकर बड़ी हैं अ फ बौर व फ से (सा०२१) और अ फ और अ स व्यापस में बराबर हैं इसलिये व स बड़ी है बफ से इसलिये ब स बड़ी है यफ से
फ
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我
明
फ
तीसरी सूरत व्यगर फ बिंदु ब स व्याधार से नीचे पड़ता है फुर्ज़ करो कि अफ और व स एक दूसरी को ज बिंदु पर काटती हैं तो चूंकि अ ज गौर ज स मिलकर बड़ी हैं अस से (सा० २० ) और फज और ज व मिलकर बड़ी हैं बफ से इसलिये अ फ और व स मिलकर बड़ी हैं अ स और ब फ से लेकिन अफ बराबर है अ स के इसलिये व स बड़ी है ब फ से इसलिये बस बड़ी है यफ से
स
फ
स
साध्य २५ प्रमेयोपपाद्य
सा० सूत्र अगर एक त्रिभुज की दो भुज दूसरे त्रिभुज की दो भुजों के अलग २ बराबर हों लेकिन एक त्रिभुज का आधार दूसरे त्रिभुज के आधार से बड़ा हो तो जिस त्रिभुज का आधार बड़ा
है उसकी भुजों से बना हुआ कोन दूसरे त्रिभुज के उस कोन से जो उन भुजों की बराबर भुजों से बना है बड़ा होगा
वि० मूत्र फर्ज़ करो कि व स और
दय फ ऐसे दो त्रिभुज हैं कि उनकी प्रव
फ
और प्र स दो भुज अलग बराबर हैं द य व और द फ दो भजों के यानी प्र व बराबर है द य के और
स य
ज
ट
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(६८ )
अस बराबर है द फ के लेकिन बस आधार बड़ाहै य फ आधार से
तो व अस कोन बड़ा होगा य द फ कोन से उप. क्योंकि अगर वास कोन य द फ कोन से बड़ा नहीं है तो ब स कोन या तो उसके बराबर है या उससे छोटा है
अगर व अस कोन य द फ कोन के बराबर है
तो बस आधार भी यफ आधार के बराबर होना चाहिये
सा०४ लेकिन ब स आधार य फ आधार के बराबर नहीं है (फर्ज) इसलिये व अस कोन य द फ कोन के बराबर नहीं है अगर व अस कोन यद फ कोन से छोटा है।
तो वस आधार को भी यफ आधार से छोटा होना चाहिये
सा० २४. लेकिन वस आधार य फ आधार से छोटा नहीं है फर्ज इसलिये ब अस कोन य द फकोन से छोटा नहीं है
और यह साबित होचुका है कि ब अस कोन य द फ कोन्न के बराबर नहीं है __ इसलिये ब अ स कोन य द फ कोन से बड़ाहै फल इसलिये अगर एक त्रिभुज की दो भुज दूसरे त्रिभुज क दो भ जों के आद्योपांत-यही साबित करना था
टि. १ यह साध्य इस तरह भी साबित अ होसती है
अस पर अ स ज ऐसा त्रिभुज ब. । नायो कि उसकी ज अ, अस और स ज ह स य भुज अलग २ द य फ त्रिभुज की य द,
द
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( ७० ) ट् फ और फ य भुजों के बराबर हों ( सा० २२ ) और ज ब मिलायो ___ चंकि ब स बड़ी है य फ से ( फ़र्ज ) वानी ज स से इसलिये बज स कोन बड़ा है ज ब स कोन से (साः १८) ज बिंदु पर ब ज ह कोन जब ह कोन के बराबर बनायो (सा० २३) और अह मिलाओ अब चकि अ ब ह और अजह त्रिभुजों में अब बराबर है अ ज के और अह दोनों में उभयनिष्ठ है और ब ह अाधार बराबर है ज हयाधार को ( सा० ६ ) इसलिये ब अ ह कोन बराबर है ज अह कोन के (सा०८) लेकिन ज अह कोन बड़ा है ज अस कोन से बानी बड़ा है य द फ कोन से इसलिये ब अ ह कोन बड़ा है य द फ कोन से इसलिये व अस जोन और भी ज़ियादा बड़ा है य द फ कोन से
टि. २ इस साध्य के साबित करने का तीसरा तरीका यह है । द य फ त्रिभुज को अ ब स त्रिभुज पर इस तरह रकखा कि व विदुब बिंदु पर और य फ की दिशा ब स की दिशा पर हो और य द फ
और ब अस कोन ग्रामने सामने हों तो चंकि य फ छोटी है ब स से तोफ विंद बस पर ब और स बिंदुओं के दर्मियान पड़ेगा- द अमिलाओ इसको चार सूरतें हैं
पहली सरत यह है कि द अग्राधार ब स को फ घर काटे
चंकि ब अ द कोन और ब द अ कोन बराबर ह 1/फ क्योंकि अ ब और ब द बराबर हैं और ब अ स कोन ।
अट कोन से बड़ा है इसलिये व अस कोन ब द फ यानी य द फ कोन से बड़ा है दसरी सरत यह है कि द अरेखा ब स अाधार को / फ और स के दर्मियान काटे चूंकि ब द अकोग ब द फ कोन से बड़ा है (व.)
और ब द अ और ब अ द कोन बराबर हैं क्योंकि ब अ और ब द अरावर हैं इसलिये ब अ द कोन ब द फ कोन से बड़ा है इसलिये व अस कोन ब द फ यानी य द फ कोन से और भी ज़ियादा बड़ा है तीसरी सूरत यह कि द अाधार ब स को फ और ब क दर्मियान काटे द फ को ज तक बहाया
/फ
।
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( ७१ ) कि द ज बड़ी है द फ से और द फ वरावर अस इमलिये द ज बड़ी है अ स से यानी अज से और भी व ज़ियादा बड़ी है इसलिये द अ ज कोन अ द ज कोन से बड़ा है (मा १८) ।
और ब अ द और ब द अकोन बराबर हैं क्योंकि व द और अब बराबर हैं
लिये ब अ स कोन ब द फ बानी य द फ कोन से बड़ा है ( स्व०४) चौथी सूरत यह विद अ अाधार बस को न काटे अस को ज तका पायो ___ कि द ज छोटी है द फ से और द फ बराबर है
सा०२८
___ इमलिये द ज छोटी है अ स से यानी अ ज से और वम् भी जियादा छोटी है इनलिये ज अद कोन ज द अकोन से छोटा है
और ब अद और ब द अ कोन वरावर हैं क्योंकि ब द और ब अ वरावर हैं इनलिये व अस कोन बद फ कोन से यानी य द फकोन से बड़ा है (स्व०५) टि०३ यह साध्य चौबीसौं साध्य का बिलोम है और ग्राठवीं साध्य के नाथ वही इलाका रखती है जो चौबीसवीं साध्य चौधी साध्य के साथ राबती है इन चार लाध्यों के आपस का इलाका तुमको इस तरह बयान करने से मालम होगा
अगर अब-दय
साय
तो बस-यफ
और अस-दफ और अ कोनद कोन
अगर अब-दय
और अस-दफ
तो अ कोन - दोन
साध्य ८
और बस-यफ
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( ७२ )
अगर अब-दय
तो व स (यफ
साध्य २४
और अस= दफ लेकिन अ कोन रद कोन
-
नयर अब-दय
-
-
साध्य २५
और अस= दफ
तो अ कोन (द कोन
--
लेकिन बस यफ
इन चार माध्यों में से दो दो को मिलाकर इस तरह बयान करते हैं " अगर एक त्रिभुज की दो भुज दूसरे त्रिभुज की दो भुगों के अलग अलग बराबर हों तो एक त्रिभुज का अाधार दूसरे त्रिभुज के प्राधार से बड़ा या छोटा होगा ( सा० २४) या उसके बराबर होगा ( सा० ४ ) जैसाकि पहले निभुज के आधार के सामने का कोन बड़ा या छोटा है दूसरे त्रिज के आधार के सामने के कोन से या उसके बराबर है" " और ग्रगर त्रिभुज की दो मज दूसरे त्रिभुज की दो भुजों के अलग अलग बराबर हों तो एक त्रिभुज की दो भुजों से बना हुआ कोन दूसरे त्रिभुज की सुजों से बने हुए कोन से बड़ा या छोटा होगा ( सा० २५ ) या उनके बराबर होगा (सा०८) जैसा कि पहले त्रिभुज का ग्राधार बड़ा या छोटा है दृमरे त्रिभुज के ग्राधार से या उसके बरावर है"
साध्य २६ प्रमेयोपपाद्य सा० सूत्र अगर एक त्रिभुज के दो कोन दूसरे त्रिभुज के दो कोनों के अलग अलग बराबर हों और एक त्रिभुज की एक भुज दूसरे त्रिभुज की एक भुज के बराबर हो और यह बराबर भुज चाहे बराबर कोनों के दर्मियान की हों या उनके सामने की हों तो एक त्रिभुज की बाकी भुज अलग अलग दूसरे त्रिभुज की बाकी भुजोंके बराबर होंगी और एक त्रिभुज का तीसरा कोन दूसरे त्रिभुज के तीसरे कोन के बराबर होगा
वि० सूत्र फ़र्ज़ करो कि अबस और दयफ ऐसे दो त्रिभुज हैं कि उनके कोन प्रवस और असव अलग अलग
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बराबर हैं दयफ और दफय कोनों के यानी अबस कोन बराबर है दय फ कोन के और असब कोन बराबर है द फय कोन के और एक एक भुज भी इन कोनों की आपस में बराबर है
पहले फ़ज़ करो कि बस और यफ भुज जो इन त्रिभुजों के बराबर कोनों के दर्मियान में हैं आपस में बराबर हैं । ___ तो एक त्रिभुज की बाकी भुज अलग अगल बराबर होंगी दूसरे त्रिभुज की बाकी भुजों के यानी अब बरणयर होगी दय के और
अस बरावर होगी दफ के और बस तीसरा कोन भी बदक सोसरे कोन के बरावर होगा उप० क्योंकि अगर अब भुज द य भुज के बराबर नहीं है तो एक इन दोनों में ज़रूर दूसरी से बड़ी है अगर मुमकिन हो तो फ़र्ज़ करो कि अब बड़ी है दय से बज बराबर यद के बनाओ
सा०३ और सज मिलाओ
अवा० १ चंकि जबस और दयफ दो त्रिभुजों में जब बराबर है दय के और बस बराबर है यफ के यानी जब और वस दो भुज अलग अलग बराबर हैं दय और यफ दो भुजों के
और जबस कोन बराबर है दयफ कोन के इसलिये जस आधार बराबर है दफ आधार के और जबस त्रिभुज बरा है दयफ त्रिभुज के और एक त्रिभुज के बाकी कोन अलग अ, बराबर हैं दूसरे त्रिभुज के बाकी कोनों के यानी वह कोन आपस में बराबर है जिनके सामने की भुज बरावर हैं
सा०४
4u
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( ७४ )
इसलिये जसब कोन बराबर है दफय कोन के लेकिन असब कोन बराबर है दफय कोन के फर्ज इसलिये जसब कोन बराबर है प्रसव कोन के स्व० १
यानी छोटा कोन बड़े कोन के बराबर है और यह बात नामुमकिन है
स्व. इसलिये अब नाबराबर नहीं है दय के यानी अब बराबर है दया के
अब अवस और दयफ त्रिभुजों में चूंकि अब बराबर है दय के और वस बराबर है यफ के और अवस कोन बराबर है दयफ कोन के
फ़र्ज़ इसलिये अस आधार बराबर है दफ आधार के और तीसरा कोन बस बराबर है तीसरे कोन यद फ के
दूसरी सूरत यह फ़र्ज़ करो कि भुज जो बराबर कोनो के सामने हैं आपस में बराबर हैं यानी अब बराबर है द य के ___ तो इस सूरत में भी एक त्रिभुज की बाकी भ ज अलग अलग दूसरे त्रिभुज की बाकी भुजों के बराबर होंगी यानी वस बराबर यफ के ीर अस बराबर दफ के होगी और तीसरा कोन वअस तीसरे कोन यदफ के बराबर होगा
उप. क्योंकि अगर बस बराबर यफ के नहीं है तो इन दोनों में से एक ज़रूर दूसरी से बड़ी है
फ़र्ज़ करो कि वस बड़ी है यफ से अ.. बह बराबर यफ के बनाओ और अह मिलाओ
अवा०३ -
/
अवा०३ /
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( ७५ )
वह और दयफ त्रिभुजों में अब बराबर है
वह कोन
चूंकि दय के और बह बराबर है यफ के और
बराबर है दयफ कोन के
इसलिये =प्रह आधार बराबर है दफ आधार के और प्रवह विभ ुज बराबर है द य फ विभुज के और एक विभज के बाक़ी कोन अलग अलग बराबर हैं दूसरे त्रिभुज के बाकी कोनों के यानी वह कोन आपस में बराबर हैं जिनके सामने के भुज बराबर हैं
सा० ४
फ़र्ज़
इसलिये = हब कोन बराबर है दफय कोन के लेकिन दफय कोन बराबर है प्र स ब कोन के इसलिये अह ब कोन बराबर है अस ब कोन के यानी अहस विभ ुज का अहब बहि: कोन अपने सामने के असब अन्तः कोन के बराबर है और यह नामुमकिन है सा० १३
ख० १
इसलिये बस नाबराबर नहीं है य फ के
यानी
बस बराबर है यफ के
अब अबस और दयफ बिभुजों में चूं कि अब बराबर है दय के और बस बराबर है य फ और अबस कोन बराबर
है
कोन के
दय फ
इसलिये अस आधार बराबर है दफ आधार के और तीसरा बस कोन बराबर है तीसरे यद फ कोन के सा० ४
फल इसवास्ते अगर एक विभुज के दो कोन दूसरे विभुज के दो कोनों के आयोन्त - यही साबित करना था
टि० १ इस साधा को व्याचकादन क्रिया से इस तरह साबित कर सक्ते हैं ( पहली सूरत) अगर द य फ त्रिभुज अ ब स विभुज पर इस तरह रक्खा जाय कि य बिंदु ब बिंदु पर हो और य फ भुज बस भुज पर
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तो चंकि य फ बराबर बस के है फ बिंदु स बिंदु पर पड़ेगा और चंकि फ यद कोन स ब अं कोन के बराबर है इसलिये य द भुन ब अ पर पड़ेगी और इसलिये द बिंदु या तो बप पर पड़ेगा या उसकी सीध में पड़ेगा फिर चूंकि य फ द कोन बराबर है बस अ कोन के इस लिये फ द भुज स अपर पड़ गीग्रौर इसलिये द बिंदु या तो स अ पर पड़ेगा या उसकी सीध में पड़ेगा लेकिन साबित होचुका है कि द विंदु या तोब अ पर पड़ेगा या उसकी सीध में पड़ेगा इसलिये दविंदुअ बिंदु पर जो ब अ और स अ दोनों में उभयनिय है पड़ेगा इसलिये य द और ब अापस में एक दूसरी को पूरा २ कलेंगी और इसलिये ग्रापस में बराबर होंगी और फ द और स अ एक दूसरी को पूरा २ छकलेंगी और इसलिये आपस में बराबर होंगी और य द फ और ब अ स कोन एक दूसरे को पूरा २ ८कलेंगे और इसलिये अापस में बराबर होगे (दसरी सूरत) अगर द य फ त्रिभुज अब स त्रिभज पर इस तरह रक्खा जाय कि द बिंदु अ बिंदु पर और द य भुज अब भुज पर हो तो चंकि द य बराबर अ ब के है इसलिये य बिंदु ब बिदु पर पड़ेगा और चूंकि कोन द य फ बराबर है कोन अब स के इसलिये भुज य फ भुज बस पर पड़ेगी और विंदु फ भी बिंदु स पर पड़ेगा क्योंकि अगर भुज य फ भुज ब स पर हो लेकिन फ विंदु स बिंदु पर न पड़े तो फर्ज करोकि कि फ विंदु ह बिंदु की जगह पर ब और स के दर्मियान पड़ता है अ ह मिलायो (अवा० १) चूंकि अ हब कोन बराबर है द फ य कोन के और द फ य कोन बराबर है अ स ब कोन के इसलिये अह ब कोन बरावर है अ स ब कोन के यानी बहिःकोन अपने सासने के अन्तःकोन के बराबर है और यह नामुमकिन है (सा० १६ ) इसलिथे फ बिंदु ह बिंदु पर यानी ब और स के दर्मियान नहीं पड़ता है इसी तरह यह भी साबित होसक्ता है कि फ बिंदु ब स भज के बाद हुए हिस्से पर भी नहीं पड़ सकता है इसलिये फ ठीक स पर पड़ेगा और इमलिये बस बराबर है य फ के इसलिये अस आधार वराबर है द फ आधार के और ब अस कोन य द फ कोन के बराबर है . टि. २ चौघी साध्य के तीसरे ठिप्पन में बयान हुआहै कि हर त्रिभुज में छः राशि होती हैं और अगर इन छः राशियों में से कोई तीन दी हुई हों तो सिवाय पहली और चौथी सूरत के और सूरतों में बाकी तीन रा
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ज
शें दर्याफत होमती है और त्रिभुज मालूम होसक्ता है चौथी सूरत में अगर एक खास शर्त लगादी जावे तो दो त्रिभुज जिनमें से एक त्रिभुज की दो भुज बराबरवर हों दूसरे त्रिभुज की दो भुजों के और उन भुजों में से दो बराबर भुजों के सामने के कोन बराबर हों आपस में बराबर होंगे इस कद के माथ उस सूरत को इस तरह बयान करते हैं "अगर एक त्रिभुज की दो भुज दूसरे त्रिभुज की दो सुनों के व्यलग २ बराबर हों और उन भुजों में से दो बरावर सुजों के सामने के कोन आपस में बराबर हों और यह शर्त भी हो कि दूमरी दो बराबर भुजों के सामने के कोन दोनों अधिक कोन हों या न्य नकोन हों या उनमें से एक समकोन हो तो एक त्रिभुज की तोमरी भुज दुसरे त्रिभुज की तीसरी भुज के बराबर होगी और रक विभुज के बाकी कोन अलग ट्रसरे विसुज के बाकी कोनों के बराबर होंगे" उ दम ने इस सूरत को छोड़ दिया है वह इस तरह साबित होखती है ___ फर्ज करो क अ ब स और द य फ त्रिभुजों में अब बरावर है द य के और ब स भरार है यफ के और ब अ स और य द फ कोनजो दो बस और य फ बराबर भुजों के सामने हैं या- अ द पस में बराबर हैं और अ स ब और द फय / कोग जो दूसरी दो अब और द य बराबर भुजों /के सामने है या तो दोनों अधिक कौन हैं या न्यनकोन हैं या उनमें से एक ससकोन है
तो अस बरावर द फ के होगी और अ ब स कोन द य फ कोन के और अ स ब कोन द फ य कोन के बराबर होगा
अगर अस बरावर द फ के न हो तो अज बराबर द फ के बगायो और ब ज मिलायो
चूंकि अ ब ज और द य फ त्रिभुजों में ब अ बरबर है य द के और अ ज बराबर द फ के है और ब अ ज कोन य द फ कोन के बराबर है इसलिये ब ज बराबर है य फ के और अ ज ब कोन बराबर है दफय कोन के ( सा० ४) लेकिन ब स वरावर है यफ के (फज ) इसलिये बज बराबर है ब स के (स्व० १) इमलिये ब स ज कोन बराबर है ब जस कोन के (सा. ५) पहले फर्ज करो कि अस ब और द फ य दोनों न्यू न कोन हैं तो अ ज ब कोन भी न्यू नकोन है और इसलिये ब ज स अधिककोन है ( सा० १३) इसलिये ब स ज कोन भी अधिक कोन है और यह हमारे फ़ज़ के खिलाफ है (दूसरी सरत) फर्ज करो कि अ स ब और द फ य दोनों अधिककोग
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( ७८ ) हैं तो अजब कोनजोदफय कोन के बराबर सापित होचुका है अधिक कोन है और इसलिये ब ज स न्यू नकोन है (सा. १३) और इसलिये बस ज कोन भी न्यू नकोन है और यह हमारे फूल के खिलाफ है (तीसरी सूरत) फ़र्ज़ करो कि अ स ब और द फ य कोनों में से कोई
एक समकोन है ___ अगर अ स ब समकोन है तो ब ज स भी समकोन है इसलिये बस ज
और ब ज स कोन मिलकर दो समकोन के बराबर हैं और यह नामुमकिन है ( सा० १७)
अगर द फ य समकोन है तो अजब भी समकोन है और इसलिये ब ज सभीसमकोन है और इसलिये बसज भी समकोन है इसलिये ब स ज और ब ज स कोन मिलकर दो समकोन के बराबर हैं और यह नामुमकिन
सा०१७ ___ इसलिले अस नाबराबर द फ के नहीं है यानी अस बराबर द फ के है इसलिये अब स त्रिभुज बराबर है द य फ त्रिभुन के और एक 'त्रिभुज के बाकी कोन अलम २ दूसरे त्रिभुज के बाकी कोनों के बराबर है यानी अ ब स कोन द य फ कोन के और असब कोन द फ य कोंन के बराबर है
अभ्यास (५५) त्रिभुज की किसी दो भुज से बने हुए कोन के एक रेखादो बराबर हिस्से करती है अगर उस रेखा के किसी बिन्दु से उन भुजों पर लम्ब गिरावें तो वह आपस में बराबर होंगे (५६) तीन सीधी रेखा दी हुई हैं उनमें से किसी एक में ऐसा बिन्दु दाफत करो कि उससे जो बाकी रेखायों पर लम्ब गिराये जायं ग्राफ्स में बराबर हों और यह भी बतायो कि किस हालत में यह साध्य नामुमकिन है (५७) तीन दिये हुए बिन्दु हैं एक ऐसी सीधी रेखा खाँचो कि वह उन बिन्दुओं में से किसी एक में होकर गुजरे और उस पर बाकी दो बिन्दुओं से नो लम्ब गिराये जायं ग्रापस में बराबर हों और यह भी बतायो कि किस हालत में यह साध्य नामुमकिन है। (५८) अब स त्रिभुज के अ कोन के एक रेखा दो बराबर हिस्से करती है ब से बद लम्ब उस रेखा पर गिराया गया है और ब द बएकर अस से या अ स के बहे हुए हिस्से से य बिन्दु पर मिलती है तो साबित करो कि ब द बराबर है द य के
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(५) अ ब और अस कोई दो सीधी रेखा अबिन्दु पर मिलती हैं किसी द बिन्दु से एक ऐसी सीधी रेखा उन दोनों रेखाओं से य और फ बिन्दुव्यों पर मिलती हुई खींचो कि 'अ य बराबर हो अफ के (६०) दो समकोन त्रिभुज ऐसे हैं कि जिनके कर्ण ग्रापस में बराबर हैं और एक त्रिभुज की एक भज दसरे विराज की एक भज के बराबर है तो साबित करो कि दोनों त्रिभुज सब तरह वापस में बराबर है
सवालात इतिहान सा६ से २६ तक (१) सोलहवौं साध्य के साबित करने का रहा दस ने कोनसी स्वयंमिति को मान लिया है (२) ऋजुभुज क्षेत्र के वहि: कोन और सन्त: कोन की तारीफ़ करो (३) रेखागणित की सत्रहवीं साध्य का विलोम बयान करो (४) १८ वीं और १६ वीं साध्य का कल्पितार्थ और फल बतायो (५) कौनसी शकल से यह नतीजा निकाल सक्त हैं कि दो बिन्दुओं के बीच की सीधी रेखा सब से छोटी दूरी है (जवाब ) साध्य २० से क्योंकि अबिन्दु ब स रेखा से कैसा ही नजदीक क्यों नहो बस हमेशा ब अ और म स से छोटा ही होता है (६) क्या २१ वौं साध्य में यह शर्त ज़रूर है कि त्रिभुज के अाधार क सिरों से सीधी रेखा खींची जाय
(७) २२ वौं साध्य के दावे में तीन सीसी रेखाओं में से हरएक दो का मिलकर तीसरी से बड़ा होना क्यों जरूती है साबित करो कि इस शर्त के पूरा होने से दोनों वृत्त जरूर एक दूसरे को काटते हैं (८) किन किन हालतों में २२ वी साध्य के बनाने में वृत्त एक दूसरे को न काटेंगे (१) २२ वौं साध्य के दावे में अगर दो का जोड़ तीसरी रेखा के बराबर होता तो क्या वृत्त मिल जाते तो सारो कि वे एक दूसरे को न काटते (१०) “ऐसी तीन सीधी रेखाओं से एक त्रिभुज बनाओ कि जिनमेंसे हरएक दो मिलकर तीसरे से बड़े हैं" क्या कोनों के लिये भी ऐसी प्रत ज़रूरी है (११) क्या ऐसा त्रिभुज बना सक्त हैं जिसके भुजों की लम्बाई का मख्खन्छ १, २, ३ है या जिसके भुजों की लम्बाई का सम्बन्ध १, २, ३ है (१२) क्या ऐसा त्रिभुज बना सक्त हैं जिसके कोनों का सम्बन्ध १,२,३ है अपने जवाब के सही या गलत होने का सबूत दो (१३) चौबीसवी साध्य के अमल में इस शर्त की कि द य भुज द फ
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(८०)
भुज से बड़ी नहीं है क्यों ज़रूरत है (१४) “अगर दो त्रिभुजों में से एक निमुन की कोई तीन मिकदारें दूसरे त्रिभुज की उन्ही तीन मिकदारों के अलग अलग बराबर हों तो लि. भुज हर सूरत में यापस में बराबर होंगे” क्या यह प्रकल हर सूरत में सही है इन सब सूरतों का बयान करो कि जिनमें त्रिभुजों की बराबरी की उक्त दस ने पहले अध्याय में जिक्र किया है कौनसी मरत उक्त दम ने नहीं बयान की है (जवाब ) टिप्पणी नम्बर २ माधा २६ देखो (१५) २६ वी माधा की दूसरी सूरत का विलोम बयान करो कौनमौ हालतों में वह सही है इसको साबित करो
परिभाषा एकान्तर कोन उन कोनों को कहते हैं जो दो सीधी रेखा किसी तीसरी सीधी रेखा से उस अव/ के दो बिन्दुओं पर मिलकर उस पर दो कोन यामने सामने की तरफों में बनाती है जैसे इस तस्वीर में कोन अब स और ब स द एकान्तर कोन हैं
साध्य २७ प्रमेयोपपाद्य सा० मत अगर एक सीधी रेखा किसी और दो सीधी रेखाओं पर गिर कर एकान्तर कोन एक दूसरे के बराबर बनावें तो वह दोनों सीधी रेखा समानान्तर होंगी
वि० मत्र फ़र्ज़ करो कि यफ सीधी रेखा अब और स द दो सीधी रेखाओं पर गिर कर अयफ और यफद एकान्तर कोन एक दूसरे के बराबर बनाती है
तो अब समानान्तर होगी सदके व य/ अ
उप. अगर अव समानान्तर स द के द म नहो तो अब और सद बढ़कर किसी तरफ चाहे ब और द की तरफ़ या अऔर स की तरफ़ कहौं मिल जायंगी
अगर मुमकिन हो तो फ़ज़ करो कि अब और सद् बढ़ कर व और द की तरफ ज बिन्दु पर मिल जायंगी
नाता ह
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( ८१ )
तो जय फ एक त्रिभुज है
चूंकि ज य फ त्रिभुज की जय एक भुज अ बिन्दु तक बढ़ी है
इसलिये बहिः कोन अय फ अपने सामने के अन्तःकोन य फज से बड़ा है
सा० १६ लेकिन अ य फ कोन य फज कोन के बगबर है(फ़ज़)
इसलिये अय फ कोन बड़ा है य फज कोन से और उसके बराबर भी है और यह नामुमकिन है।
इसलिये अब और स द बढ़कर ब और द की तरफ नहीं मिल सक्तों __ और इसी तरह यह भी साबित होसक्ता है कि अब और सद बढ़कर अ और स की तरफ़ नहीं मिल सक्ती हैं __ लेकिन वह सीधी रेखा जो एक धरातल में हों और दोनों तरफ़ कितनी ही दूर तक बढ़ने से कहीं न मिले एक दूसरी की समानान्तर होती हैं।
इसलिये अब समानान्तर है स द की। फल- इसलिये अगर एक सीधी रेखा किसी और दो सीधी रेखाओं पर आद्योपान्त-यही साबित करना था
टि. इस साध्य की तस्वीर में बहस करने की गरज से य बज और फ द ज देही रेखाओं को सीधी रेखा और य फ द ज ब को विभुज खयाल करना चाहिये
अभ्यास (६१) अगर य ज ह फ सीधी रेखा अ ब और स द दो सीधी रेखाओं को जो एकही धरानल में है ज और ह बिन्दुओं पर काटे और अजय और फ ह द कोन बराबर नावे तो अब और स द समानान्तर होंगी (६२) अगर य ज ह फ सीधी रेखा अब और स द दो सीधी रेखाओं को जोरकहीधरातल में हैं ज और ह बिन्दुओं पर काटे और य ज ब और द ह फ कोन मिलकर दो समकोन के बराबर हों तो अब और सद समानान्तर होंगी
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( ८२ ) (६३) जो रेखा किसी और रेखाओं के साथ समकोन बनाती है तो वह रेखा पापस में समानान्तर होंगी (६४) हर समदिवाहु त्रिभुज के शीर्ष बहिःकोन के दो बराबर हिस्से करने वाली रेखा आधार के समानान्तर होती है
___ साध्य २८ प्रमेयोपपाद्य सा० सूत्र अगर एक सीधीरेखा किसी और दो सीधी रेखाओं पर गिरकर अपनी एक तरफ़ में बहिःकोन और उसके सामने का अन्तःकोन बराबर बनावे या अपनी एक तरफ़ दो अन्तःकदोन समकोन के बराबर बनावे तो वह दोनों सीधी रेखा समानान्तर
होंगी
सह
वि० सूत्र फर्ज करो कि य फ सीधी रेखा अब और स द दो सीधी रेखाओं पर गिरकर य ज व बहिःकोन उसके सामने के जहद अन्तःकोन के बराबर अपनी एक तरफ़ में बनाती है या अपनी एक तरफ के ब ज ह और जहद अन्तःकोन दो समकोन के बरावर बनाती है
तो अब समानान्तर होगी स द की ब य अ उप. चूंकि य ज ब कोन जहद कोन के । बराबर है
और य ज व कोन आज ह कोन के बराबर है सा०१५ इसलिये अजह कोन जहद कोन बराबर है स्व. १
और यह एकान्तर कोन हैं इसलिये अब समानान्तर है स द की सा० २७ फिर चूंकि ब ज ह और जहद कोन मिलकर दो समकोन के बराबर हैं
फ़र्ज़ और अजह और वजह कोन भी मिलकर दो समकोन के बराबर है
सा० १३
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( ८३ )
इसलिये अजह और वजह कोन मिलकर जहद और वजह कोनों के बराबर हैं
ख० १ इन बराबरों में से वजह कोन जो दोनों में उभयनिष्ट है निकाल डाला
इसलिये बाकी अजह कोन बराबर है बाकी ज हद कोन के
स्व. ३ और यह एकान्तर कोन हैं इसलिये अब सहानान्तर है सद की फल इसलिये अगर कधी रेखा किसी दो सीधी रेखाओं पर गिरकर आद्योपान्त--यही साबित करना था टि. इस साध्य में दो साध्य शामिल हैं
साध्य २६ प्रमेयोषपाद्य सा० सूत्र अगर एक सीधी रेखा दी सीधी समानान्तर रेखाओं पर गिरे तो एकान्तर कोन आपस में बराबर और उस की एक तरफ़ में बहि: कोन और उसके सामने का अन्तः कोन आपस में बराबर और उसकी एक तरफ़ में दो अन्तः कोन मिलकर दो समकोन के बराबर पैदा होंगे
वि० सूत्र फ़र्ज़ करो कि यफ सीधी रेखा अब और सद दो समानान्तर सीधी रेखाओं पर गिरती है
तो अज ह और ज ह द एकान्तर कोन . आपस में बराबर होंगे और य फ के एक तरफ़ द
में बज व बहिःकोन और उसके सामने का जहद अन्तः कोन मापस में बराबर होंगे और ब ज ह और ज हद दो अन्तःकोन मिलकर दो समकोन के बराबर होंगे उप. क्योंकि अगर अजह कोन जहद कोन के बराबर
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( ८४ )
नहो तो उनमें से एक ज़ुरूर दूसरे से बड़ा होगा
अगर मुमकिन हो तो फ़र्ज़ करो कि म ज ६ कोन बड़ा है चूंकि प्र ज ह कोन बड़ा है ज ह द कोन से और इन दोनों नाबराबरों में से हरएक में ब ज ह कोन मिलाया इसलिये प्र ज ६ और ब ज ह कोन मिलकर बड़े हैं व ज ह और ज ह द कोनों से
लेकिन प्र ज ह और व ज ह कोन मिलकर दो समको न के बराबर हैं
सा० २३
इसलिये वजह और ज ह द कोन मिलकर दो सम कोन से कम हैं
लेकिन अगर दो सीधी रेखाओं पर एक सीधी रेखा के गिरने से उसकी एक तरफ में दो अन्तःकोन ऐसे बनें कि वह दोनों मिल कर दो समकोन से कम हों तो वह दोनों सीधी रेखा लगातार बढ़ायी जाने से कहीं न कहीं उस तरफ में जिधर वह कोन हैं जो मिलकर दो समकोन से कम हैं मिल जायगी
स्व० २२
इसलिये प्र व और स द लगातार बढ़ायी जाने से मिल
जायगी
लेकिन यह कभी नहीं मिलसक्ती हैं क्योंकि यह समानान्तर
हैं
C.
इसलिये प्र ज ह कोन ज ह द कोन के नाबराबर नहीं है यानी उसके बराबर है
चूंकि अ ज ह कोन य ज य कोन के बराबर
सा १५ इसलिये य ज ब कोन ज ह द कोन के बराबर है ० १ इन दोनों बराबरों में व ज ह कोन मिलाया
इसलिये य ज व और ब ज ह कोन मिलकर बराबर
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बराबर है वजह और जहद कोनों के स्व. २ __ लेकिन य ज ब और वजह कोन मिलकर दो समकोन के बराबर हैं
इसलिये वजह और ज ह द कोन मिलकर दो समकोन के बराबर हैं फल इसलिये अगर एक सीधी रेखा दो समानान्तर सीधी रेखाओं पर गिरे तो कोने आद्योपान्त-यही साबित करना था टि. १ बारहवीं स्वयंनिध पहली ही बार इस माध्य में इस्तेमाल की गयी है
टि. २ इस साध्य को पिले फार साहव ने वर्ग र बारहवीं स्वसिद्धि की मदद के इस तरह साबित किया है
अगर अज ह कोन ज ह द कोन के बराबर नहोतो इनमें से एक बड़ा होगा दूसरे से अगर मुमकिन अहो तो फर्ज करो कि च ज ह कोन ज ह द कोन से की बड़ा है ह ज के ज विंदु पर और उसके उस तरफ में जिधर अज ह कोन है ह ज क कोज ज ह द कोन स । के बराबर बनायो और क ज को ल तक बगायो
कि क ज ह और ज ह द एकान्तर कोन आपस में बराबर हैं इसलिये क ल समानान्तर है स द को ( सा० २७) लेकिन अब भी स द की समानान्तर है ( फर्ज) इसलिये अब और क ल जो एकही ज बिंदु में होकर गुजरती हैं दोनों समानान्तर हैं स द की और यह नामुमकिन है (बारहवीं स्वयंसिद्ध का टिप पन देखो) इसलिये अजह और ज हद एकान्तर कोन यापम में नाबराबर नहीं हैं यानी आपस में बराबर हैं। __ कि य ज ब कोन अज ह कोन के बराबर है ( सा० १५) और अजह कोन ज ह द कोन के बराबर माबित होचुका है इसलिये ए जब बहिःकोन बराबर है ज ह द अन्त:कोन के (ख० १) ___ चंकि य ज ब कोन ज ह द कोन के बराबर है और इन दोनों बराबरों में से हरएक में ब ज ह कोन मिलायो इसलिये य ज ब और ब ज ह कोन मिलकर ब ज ह और ज ह द कोन के बराबर हैं (स्व०२) लेकिन य ज ब और ब ज ह कोन मिलकर दो समकोन के बराबर हैं (सा० १३) इसलिये ब ज ह और ज ह द अन्त:कोन भी मिलकर दो समकोन के बरावर हैं ( स्व० १)
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टि. ३ इम माथ्य में तीन मुखतलिफ माथे पामिल हैं उनमें से पहली साध्य सत्ताईसवीं माथ का विलोस है और दूसरी और तीमारी साध्यप्रवाई नवौं साध्य के पहले और दूसरे हिरहों का विलोम है
अभ्यास (६५ ) जो रेखा समद्विबाहु त्रिभुज के ग्राबार की समानान्तर होगी वह भुजों के साथ बराबर कोन वनावेगी (६६ ) अ और ब दो रेखा अलग २ स और द दो रेखायों को समाना न्तर हैं यानी असमानान्तर स की गौर व समानान्तर द की हो तो सावित करो कि जो भकाव का द के साथ है बराबर होगा उग्र भयान के जो ब को स के साथ है (0) अगर एक त्रिभज के भज दूसरे चिमाज के अजी के अलग २ गान नान्तर हैं तो एक त्रिभुज के कोने दूसरे विभाग के कोहों के उजागर कराकर होंगे (८) अगर दो कोन आपस में बराबर हों और उनकी एकज आपस में समानान्तर हों तो एक कोन की गरी भज गरे कोन की टूनरी मज को समानान्तर होगी (६८ ) अगर असद और ब स द लासन कोनों के समय और काफ देखा दो दो बराबर हिसे करें और य फरेखा जो अब रेखा की समानान्तर खींची जाब और स द को जसिंदु पर काटे तो साबित करो कि यज बरावर हेज फ ो ( ७० ) एक सीधी रेखा के सिरे दो समानान्तर सीधी रेखायों पर हैं उत्त रेखा के बीचों बीच के बिंदु से एक ऐसी सीधी रेखा खींची. गधी कि उसके सिरे उन दो समानान्तर रेखागों पर पड़ते हैं तो साबित करो कि उस सीधी रेखा के भी उस सिंदु पर दो बराबर हिस्से होते हैं (७१) अधर विसी निंद से जो दो समानान्तर रेखाओं से वायर दूरी गरहे दो रेखा उन ससानान्तर नलाओं को काटती हई खीची जावं लो समानान्तर रेखायों को हिरम जो उन रजा को दर्मियान होंगे व्यापल में बराबर होंगे ( २ ) अगर योधी रेखा जो एक त्रिभुज के शीर्ष बहिःकोन के दो बरा. वर हिरहे करती है उस चिमाज के आधार के समानान्तर भी है तोसाभित कारो शिवह त्रिभुज समविवाहु है ( ७३ ) अ बस त्रिभुज को ब अ स कोव के अ द रेखा दो बराबर हिस करती जौर बस से द बिंदु पर मिलती है दय और दफ समानान्तर हैं असमोरचना की रान और बस से य और फ मिंद परखिमाती है लाबित करीदय और दफ वापस में बराबर
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( ८७ )
( ७४ ) अ व स त्रिभुज की ब स भुज द विंदु तक बढ़ायी गयी है और स य रेखा अ स ब कोन के और सज रेखा असद कोन के दो२ वरावर हिसे करती हैं य स रेखा अब भुज से य बिंदु पर मिलती है और य ज समानांतर है ब स की व्यौर अस को फ बिंदु पर काटती है साबित करो कि य फ और फ ज अापस में बराबर हैं ( ७५ ) उस समानांतर चतुभुज के भुजों का जोड़ जो किसी समविवाह त्रिभुज के एक भुज के किसी विंदु से बाकी दो भुजों के समानान्तर रेखा खींचने से बनता है उस त्रिभुज के भुज से दूना होता है
साध्य ३० प्रमेयोपपाद्य सा. सूत्र जो सीधी रेखा किसी एकही सीधी रेखा की समानांतर होती है वह आपस में भी समानांतर होती हैं वि० सत्र फ़र्ज़ करो कि अब और स द में से हरएक यफ की समानांतर है तो अब समानांतर होगीसद की
०. जहक ऐसी सीधी रेखा फ़र्ज़ करो कि वह अब, यफ और सद को काटे
उप चुकि जह क दो समानांतर सीधी रेखाओं प्रव और यफ को ज और ह बिन्दुओं पर काटती है इसलिये अजह और जहफ एकांतर कोन बराबर हैं (सा०२८)
और चूंकि जहक रेखा यफ और स द दो सीधी समानांतर रेखाओं को ह और क बिन्दुओं पर काटती है इसलिये ज हफबहिःकोनह क द अन्तःकोन के बराबर है(सा०२८
ओर यह साबित होचुका है कि प्राजक कोन जहफ कोन के बरावर है इसलिये अजक कोन जक द कोन के बराबर है ख० १ और यह एकांतर कोन है
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द
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( ८८ )
इसलिये अब समानांतर है स द की
फल इसलिये जो सीधी रेखा किसी एकही सीधी रेखा की आद्योपांत-यही साबित करना था टि. इस साध्य में अगर अब और यफ में से हरएक सद की समानान्तर हो तो इसी तरह साबित हो सक्ता है कि अब और य फ आपस में समानान्तर होंगी- उक्त दस ने जो सूरत सावित की है वह ऐसी साफ़ जाहिर है कि सुबूत की सुहताज नहीं है क्योंकि जब अब और स दरेखा यफ रेखा से जो उनके दर्मियान में है नहीं मिलती तो अापस में भी कहीं न मिलेंगी और इसलिये समानान्तर होंगी
अभ्यास (७६) तीसौं साध्य के विलोम को बयान करो और माबित करो
साव्य ३१ बस्तूपपाद्य सा. सूत्र दिये हुए बिन्दु से एक ऐसी सीधी रेखा खौंचो कि वह दो हुई सीधी रेखा के समानांतर ही
वि० सूत्र फ़र्ज़ करो कि अदिया हुआ बिन्दु और वस दी हुई सोधी रेखा है
असे एक ऐसी सीधी रेखा खींचनी है कि वह वस की समा नांतर हो
०-वस में कोई द बिन्दु लो और अद मिलाओ अद सीधी रेखा के अ बिन्दु पर दअ य य अ फ कोन अदस कोन को बराबर और अद की ब स सामने की तरफ़ में बनाओ
सा० २३ और अय को फ तक बढ़ाओ तो यफ समानांतर होगी बस की । उप. चूंकि अद सीधी रेखा यफ और बस दो सीघो रेखाओं से मिलती और उनके साथ यप्रद और अदस
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एकांतर कोन एक दूसरे के बराबर बनाती है ।
इसलिये यफ समानांतर होगी बस की . सा. २६ फल इसलिये दिये हुए प्रबिन्दु से अफ सीधी रेखा दी हुई बस सीधी रेखा की समानांतर खिंच गयी ___ और इसी रेखा के खौंचने की ज़रूरत थी।
टि. १ इस साध्य के ग्रंकन में यह इबारत "अद के नामने की तरफ में होनी जरूर है क्योंकि अगर य अद कोन अद रेखा की उसी तरफ में बनाया जाय जिधर अदस कोन है तो साध्य का हल होना नामुमकिन होगा टि. २ इस साध्य के बनाने में तेईसवीं साध्य की कुछ ज़रूरत न पड़ेगी अगर ग्यारहवीं और बारहवीं माथ्यों की मदद ली जाय
अभ्यास (७७) किसी त्रिभुज के अाधार पर के कोने और उस लम्ब की लम्बाई जो अाधार पर उसके सामने के कोने से डाला जाता है मालम है उस कि भुज को बनायो (७८) दी हुई स द रेखा में एक ऐसा बिन्दु ब र्याफत करो कि अगर उस बिन्दु से एक दिये हुए बिन्दु अतक सीधी रेखा खींची जाय तो कोन अब स एक दिये हुए कोन के बराबर हो (GE) अ बस समकोन त्रिभुज के अब कर्ण में द बिन्टु ऐसा दर्या फ़त करो कि ब द बराबर हो उस लम्ब के जो द से अस पर गिराया जावे (८०) अब स एक ममदिवाहु त्रिभुज है उसकी अब और अस वरा वर भजों में द और य ऐसे विंदु दाफत करो कि ब द, द य और यस यापम में बराबर हों (८१) ममदिबाहु त्रिभुज के बस अाधार के साथ समकोन बनाने वाली रेखा अब भुज को द विंदु पर और स अ के बाद हुए हिस्से को य बिंदु पर काटतो है तो सावित करो कि अ य द ममदिवाहु त्रिभुज है (८२) उन त्रिभुजों में जिनका एकही शीर्घ कोन है और जिनके ग्राधार एकही विंदु में होकर गुजरते हैं वह त्रिभुज मबसे छोटा होगा जिसके आधार के उस बिंदु पर दो बरावर हिस्से होते हैं (८३) अबस एक त्रिभुज है उसके ब स अाधार के समानान्तर एक दय रेखा ऐसी खींचो कि इसके द और य सिरे त्रिभुज के अब और अस भुजों पर हों और वह बराबर हो (१) ब द या स य के (२) वह और स य के योग के (३) व द और स य के अन्तर के
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(८३) दो दिये हुए विंदुओं से जो दो दी हुई समानान्तर रेखायों में है ऐसी दो रेखा सोचो जो दी हुई समानान्तर रेखायों के साथ एक विघमनोन समचतुर्भुव बनाने (८५) अब और स द दो दी हुई रेखा है उनके दर्मियान एक ऐसी रेखा दी हुई लम्बाई की खींचो जो किसी तीसरी दी हुई यफ रेखा की खजानान्तर हो
साध्य ३२ प्रमेयोपपाय सा० सूत्र अगर किसी त्रिभुजकी एक सुज बढ़ाई जाय तो बहि कोन अपने सामने के दो अन्तः कोनों को बराबर होगा और तीनों अन्तः कोन मिलकर दो समकोन के बराबर होंगे श्र य वि० सून फ़र्ज़ करो कि अब स एका त्रिभुज / है उसकी बस भज द बिन्दु तक बढ़ाई गयी है तो असद बहिःकोन अपने सामने के अनस और व प्रस दो अंतःकोनों के बराबर होगा और त्रिभुज के अवस, वास और असब तीनों अंतःकोनमिलकर दो समकोन के बराबर होंगे अंस बिन्दु से सय रेखा व अकी समानांतर खोंचो (सा०३१)
उप. चूंकि अब समानांतर सय की है और अस उन पर गिरती है
इसलिये अस य और वनस एकान्तर कोन आपस में बराबर हैं
__सा. २८ फिर चूंकि अब समानान्तर सय की है और ब द उन पर गिरती है
इसलिये सयद बहिःकोन अपने सामने के अवस अन्तः कोन के बराबर है
सा. २८ लेकिन असय कोन व नस झोन के बराबर साबित होचुका है
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(
१ )
इसलिये कुल असद बहिःकोन अपने सामने के वास और अबस दो अन्तःकोनों के बराबर है स्व. २ इन बराबरों में से हरएक में प्रसव कोन मिलाओ
इसलिये असद और असब कोन मिलकर सबन्न, वअस और सब तीनों कोनों के बराबर हैं ख. २
लेकिन प्रसाद और असब कोन मिलकर दो समकोन के बराबर हैं
सा. १३ __इसलिये सबस, वनस और अब तीनों कोन मिलकर दो समकोन के बराबर है
स्व० १ फल इसलिये अगर किसी विभुज की एक भुज-आद्योपान्त यही साबित करना या
टि. इस साध्य में दो माध्य शामिल है इस साध्य का दूसरा हिस्सा यानी त्रिभुज के तीनों कोन मिलकर दो समकोण के बराबर होते हैं वगैर वाये त्रिभुज की किसी भुज के इस तरह साबित होसतो हैं __ अविंदु से द अ य समानान्तर ब स की खींचो सा०३१) ठ श्र य
चंकि द अ और ब स अापस में समानान्तर हैं और अब / उन पर गिरती है इसलिये अब स कोन बराबर है ब अद एकान्तर कोन के ( मा० २६ ) और नंकि य अ और स ब व स व्यापल में समानान्तर हैं और अ स उन पर गिरती है तोब स अ कोन बराबर है स अ व एकान्तर कोच के (सा० २६) लेकिन अब स कोन द अब कोन के बराबर लावित हो चुका है इसलिये अब स और बस अ कोन मिलकार बराबर हैं द अब और स अ य कोनों को (स्व०२) इन वरावरों में से हरएक में ब अ स कोन मिलाया इसलिये अब स, ब स अ
और स अ व कोन मिलकर वरावर हैं द अव, ब अस और स अय कोनों के ( स्व० २) लेकिन द अ ब और ब अ स और स अ य कोग मिलकर दो ससकोन के बराबर हैं (सा० १३ ) इसलिये अबस, बस अ और स अ ब कोग मिलकर दो समकोग के बराबर हैं ( स्व०२) अनु० हर ऋजुभुज क्षेत्र के सब अंतःकोन और चार रूमकोन
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(
२
)
मिलकर बराबर हैं उतने समकोनों के जो गिनती में क्षेत्र की भुजों की तादाद से दूने हों उप० अगर किसी प्रव सदय ऋजुभुज क्षेत्र या के अन्दर कोई फ बिंद लिया जाय और उस बिंदु से अब सब कोनों तक सीधी रेखा खौंची जायं तो जाहिर है कि वह क्षेत्र उतने त्रिभुजों में बट जायगा जितनी उसमें भुज हैं __ चूंकि हर त्रिभुज के तीनों कोन मिलकर दो समकोन के ब. राबर हैं और यहां इतने त्रिभुज हैं जितनी ऋजुभुज क्षेत्र की भुज हैं ___ इसलिये इन त्रिभुजों के सब कोन बराबर हैं उतने समकोनों के जो गिनती में क्षेत्र की भुजों की तादाद से दूने है
लेकिन इन त्रिभुजों के सब कोन ऋजुभुज क्षेत्र के सब अंत: कोनों के और उन कोनों के जो फ बिंदु पर है बराबर है ___ और जो कोन फ बिंदु पर जो इन त्रिभुजों का उभयनिष्ट शीर्ष है बने है वह चार समकोन के बराबर हैं (अनु० ३ सा० १३)
इसलिये इन त्रिभुजों के सब कोन बराबर हैं ऋजुभुज क्षेत्र के सब अंतःकोनों और चार समकोन के
लेकिन सावित होचुका है कि इन त्रिभुजों के सब कोन उतने समकोनों के भी बराबर हैं जो गिनती में ऋजुभुज क्षेत्र की भजों की तादाद से दूने हैं
इसलिये ऋजुभज क्षेत्र के सब अंतःकोन और चार समकोन मिलकर बराबर हैं उतने समकोन के जो गिनती में ऋजुभुज क्षेत्र की भुजों की तादाद से दुने हैं टि. १ यह अनुमान इस तरह भी सावित होसक्ता है अगर किमी अब स द य ऋजुभुज क्षेत्र के किसी द कोन से सामने के कीनों तक सीधी रेखा खींची जाय तो जाहिर है कि वह क्षेत्र उतने त्रि. भुजों में बट जायगा जो गिनती में उस क्षेत्र की भुजों की तादाद से दो
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( ८३ )
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चंकि त्रिभुज के तीनों कोन मिलकर दोसमकोन के बराबर हैं और द यहां इतने त्रिभज हैं कि उनकी तादाद उम क्षेत्र कीभजों की तादाद
य स से दो कम है इसलिये त्रिभुजों के सव कोन मिलकर वरावर हैं उतने । समकोन के जो गिनती में क्षेत्र की भुजों की तादाद के दूने से अ ब चार कम हैं लेकिन इन त्रिभुजों के सब कोन मिलकर बराबर है ऋजुभुज क्षेत्र के मब अन्त:कोनों के इसलिये ऋजमज क्षेत्र के सब ग्रन्त:कोन मिल कर बराबर हैं उतने समकोन के जो गिनती में उस क्षेत्र को भजों को तादाद के दूने से चार कम हैं इसलिये ऋजुभुज क्षेत्र के सब छान्त:कोन
और चार ममकोन मिलकर बराबर हैं उतने समकोनों के जो गिनती में उस क्षेत्र की भुजों की तादाद से दूने हैं
टि २ इस अनुमान की मदद से हर सम बहुभुज समान कोन क्षेत्र ( जिसकी सब भुज और सब कोन आपस में समान हों ) के कोन की कीमत दाफत होसक्ती है अगर उसकी भुजों की तादाद मालूम हो । अनु० २ हर ऋजुभज क्षेत्र के सब बहिःकोन जो उसकी भुजों को एक दूसरो के बाद एकहो तरफ में बढ़ाने से पैदा होते हैं मिलकर चार समकोन के बराबर होते हैं
चूंकि हर अन्तःकोन मसलन् अव स मय अ- / पने पास के प्रबद बहिःकोन के दो समकोन के बराबर है
इसलिये सब अंतःकोन मय अपने पास के बहिःकोनों के बराबर हैं उतने समकोनों के जो गिनती में ऋजुभुज क्षेत्र की भुजों की तादाद से दूने है लेकिन यह ऊपर के अनुमान से साबित है कि ऋजुभज क्षेत्र के सब अंतःकोन और चार समकोन मिलकर बराबर हैं उतने समकोन के जो गिनती में उस क्षेत्र की भजों की तादाद से दूने हैं
इसलिये सब अंत:कोन और सब बहिःकोन मिलकर बराबर हैं सब अंतःकोनों और चार समकोन के
ख. १ दून बराबरों में से अंतःकोनों को निकाल डाला इसलिये सब बहिःकोन चार समकोन के बराबर हैं स्व. ३ टि. १ इम अनुमान की मदद से हर समबहुभुज समानकोन क्षेत्र की भुजों की तादाद मालूम होसक्ती है अगर उसके एक कोन की कीमत मालम हो
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टेि० २ यह दोनों अनुमान लिमसन साहब ने ज़ियादा किये हैं दूसरे व्य. नुमान में बयान करना चाहिये था कि ऋजुभुज के बहिःकोन से क्या मुराद है अगर उस बिंटु से जहां ऋजुभुज क्षेत्र की दो भुज मिलती हैं उन भुजों में से कोई भज बढ़ायी जाय तो कोन जो उस भज के वद हुए हिस्स और ट्रसरी भज से बनेगा ऋजुभज क्षेत्र का बहिःकोन होगा दो मजों में से कोई सी अज बतायी जाय एकही बात है क्योकि कोन जो इस तरह बनेंगे दोनों व्यापम में पंद्रहवी साध्य से बराबर होंगे उसी दस ने उन्ही ऋजुभज क्षेत्र का बयान किया है जिनके सब कोनों का रुख ग्रन्दर की तरफ है एक और तरह का ऋजुभुज क्षेत्र भी ऐसा बन सक्ता है कि उसमें कोन अफस का रुख बाहर की तरफ है लेकिन यह कोन क्षेत्र अफ स द य द य का अन्त:कोन नहीं है इस कोन के बदले इस क्षेत्र में अन्तः कोन वह कोन है जो चार समकोन से वक़दर कोन अफ स कम /फ है ऐसे अन्तःकोन को जो दोसमकोन से बड़ा है पुनयुक्त कोन स अ कहते है बत्तीसवी' साध्य का पहला अनुमान तो उन क्षेत्रों में भी जिनमें एक या कई अन्त:कोन पुनयुक्त हैं साबित होसक्ता है जेकिन दूसरा अनुमान ऐसे क्षेत्रों में साबित नहीं होता य द अगर किसी ऋजुभुज क्षेत्र अफ स द य का अन्त:कोन ल ज विंटु फ पर पुनर्युक्त हो तो अस मिलाने और उसको फ। स की तरफ बहाने से साबित होजायगा कि कोन । म अफ और हसद और क द य और ल य अ मिलकर चार समकोन के बकदर कोन ज फ स ज़ियादा है टि० ३ वत्तीमवी साध्य से व्यौर भी कई अनुमान निकलते हैं और वह अनुमान यह हैं ३-अगर त्रिभुज के दो कोनों की मिकदार मालूम है तो तीसरे कोनको भी मिकदार मालम है क्योंकि त्रिभज के तीनों कोन मिलकर वरावर दो समकोन के होते हैं ४-ग्रगर त्रिभुज का एक कोन समकोन है तो बाकी दो कोन मिलकर एक समकोन के बराबर हैं और अगर त्रिभुज के दो कोन मिलकर तीसरे कोन के बराबर हैं तो तीसरा कोन समकोन है ५----अगर एक त्रिभुज के दो कोन मिल कर तीसरे कोन से छोटे हैं तो तीसरा कोन व्यधिक कोन है और अगर बड़े हैं तो तीसरा कोन न्यूनकोष है
---समत्रिबाहु त्रिभुज का हरएक कोन दो समकोन की एक तिहाई यानी एक समकोन की दो तिहाई है इस अनुमान की मदद से समकोन के तीन वराबर हिने होसती हैं ७-उग्रगर समविवाहु त्रिभुज का शीर्घकोन समकोन है तो वाकी दो कोनों में से हरएक ग्राधा समकोन है
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( ल्यू )
-अगर किन त्रिभुज के दो कोन दूसरे त्रिभुज के दो कोनों के बराबर ह तो उस त्रिभुज का तीसरा कोन भी दूसरे त्रिभुज के तीसरे कोन के बराबर है
&- - चतुर्भुज क्षेत्र के सत्र कोन मिलकर चार समकोन के बराबर हैं (यह अनुमान भिमसन माहब के पहले अनुमान की एक खास सूरत है लेकिन चकि इसका काम अक्सर जगह पर व्याया है इसलिये याद रखने के लाब)
अभ्यास
(८) अगर मगवाड त्रिभुज के आधार के सिरों से उसकी भुजों पर गिराये जायें तो उन कोनों में से जो यह लंब याधार के साथ पैदा करेगा हरएक शीर्घकोन से व्याधा होगा
(८०) किनी त्रिभुज य ब स की भुजों पर बाहर की तरफ बसद, सवय और व समतिबाहु त्रिभुज बनाये गये हैं साबित करो कि द, बब और सफ रेखा व्यापस में बाबर हैं
(य) समानको समग्रष्ठभुज के एक कोन की मिकदार बतायो ८) एक समभुज समानकोन क्षेत्र का एक ग्रन्तः कोन बराबर १ खसकीन को तो बताओ कि उस क्षेत्र में कितनी
भुज
(६०) दो दिये हुए बिंदुव्यों से ऐसी सीधी रेखा खींचो कि वह एक सीधी रेखा के साथ बिका मुकाम दिया हुआ है एक समविबाहु त्रिभुज बनावे यह भी बतायी कि किस हालत में समद्विबाहु त्रिभुज न बन सकेगा (११) यगर दो सीधी रेखा किसी समद्विबाहु त्रिभुज के व्याधार के ऊपर के कोनों के दोर बराबर हिस्से करें और वह रेखा बढ़कर किसी बिंदु पर एक दूसरी से मिलें तो साबित करो कि कोन जो उन रेखाओं के मि लने से पैदा होगा समद्विबाहु त्रिभुज के बहि: कोन के बराबर होगा (१२) समदिवाहु त्रिभुज का शीर्षक है और ब अ भुज बिंदु द तक इतनी बढ़ायी गई है कि द बरावर ब अ के है और स द खींची गयी है
किरो कि बस द समकोन है
(६३) दो सीधी रेखा बद और सद किसी त्रिभुज अबस के यहि: कोन ब गौर स के दो बराबर हिस्से करती है और बिंदु द पर मिलती are करो कि कोन व टस और कोन व अस का ग्रधा मिलकर एक समकोण है (६४) बनायो कि उसका शीर्घकोन उसके बा धार पर के कौन से को (६५) लिए बस की सुण व बिंदु य पर और भुग अब बिंदु ज पर दो बराबर हिल्सों में बनती है यय बिंदु फ तक इतनी बढ़ायी ग की है कि यफ बराबर है यय के और सज हि तक इतनी बढ़ा
पायमाहुति
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( ८६ )
यी गयीहै कि ज ह बराबर है स ज के तोसाबित करो कि फ ब और हब एकही सीधी रेखा में हैं (६) एक ऐसा समदिबाहु त्रिभुज बनायो कि उसक आधार पर के हरएक कोन की तिहाई उसके शीघकोन के प्राधे के बराबर हो (७) अब और अस ऐसी दो मीधी रेखा हैं जिनका मुकाम दिया हुआ है इन दोनों रेखाओं में ऐसे दो बिंदु म और क र्याफत करो कि अगर म और क मिलाये जावे तो अम और म क मिलकर एक दी हई सीधी रेखा के बराबर हों और उनके बीच का कोन एक दिये हए कोन के बराबर हो (८) समविवाहु त्रिभुज के अाधार के सिरों से प्रदीर्घ से दूर मिस्त में ऐसी दो रेखा खींची गयी हैं कि उनमें से हरएक ग्राधार के साथ रोमा कोन बनाती है कि वह त्रिभुज के बराबर कोनों में से हरएक का तिहाई है और यह रेखा और त्रिभुज के भुज बहकर ग्रायस में मिलते हैं तो ना. वित करो कि तीन त्रिभुज जो आधार के नीचे पैदा होंगे वह सम विवाद
(E) दो सीधी रेखा अ य ज और स य द विंदु य पर एक दूसरी को काटती हैं और सीधी रेखा अस और दब दो त्रिभुज अ स य और ब य द बनाती हुई खींची गयी है और कोन अस य और दव व रेखा सफ और बफ से जो बिंदु फ पर मिलती है दो दो वराबर हिस्सों से बटते हैं माबित करो कि कोन य अ स और य द ब मिलकर कोन स क ब से दूने हैं (१००) अगर त्रिभुज के किसी कोन से उस कोन के सामने की भुज के वीचों बीच के बिंदु तक रेखा खींची जाय तो वह रेखा उस भुज को आधे के बराबर या उसके व्याधि से बड़ी या छोटी होगी सुताविक इनके कि कोन जिसे रेखा खींची गयी है समकोन या अधिक कोन या न्यूनकोन है (१०१) त्रिभुज का कोई कोन समकोन या अधिक कोन या न्यनकोन होगा मुताबिक इसके कि धोरेखा जो उस कोन से उसके मामने के भुज के बीचों बीच के बिंदु तक खींची जाय उस भुज के प्राधे के बराबर या उसके आधे से उड़ी या छोटी होगी ( १०२) त्रिभुज अब स के कोन असे उसके सामने के भुज पर एक
व गिराया गया है और यह लब उस मज या उसके बहर हिस्से से विंदद पर मिलता है और कोन ब से उसके सामने के भुज पर एक लंब गिराया गया है और यह लंब उस भज या उसके बाद हुए हिस्से से बिंदु य पर मिलता है तोदो सीधी रेखा जो द और य बिंदुओं से प्राधार अ ब के बीचों बीच के बिंदु तक खींची जायंगी आपस में बराबर होंगी
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( 20 )
(१०३) किसी त्रिभुज के आधार के कोनों से उनकी सामने की भुजों पर लंब गिराये गये हैं और यह लंब उन भुजों या उनके बढ़े हुए हिस्सों से मिलते हैं तो वह मीधी रेखा जो उन बिंदुयों के दर्मियान जहां लंब भुजों या उनके बढ़े हुए हिस्सों से मिलते हैं उस लंब से जो ग्राधार के बीचोंबीच के बिन्दु से उस रेखा पर गिराया जाय दो बराबर हिस्सों में वांगी
* (१०४) अगर अब स और अ ब द दो समकोन त्रिभुज अ ब क पर और उनके स और द शीर्ष मिलाये जांय तो चतुर्भुज के हर भुज के नामने के दो दो कोन जो इस तरह पैदा होंगे व्यापल में बराबर होंगे (१०५) पहले ग्रध्याय की पहली साध्य में वृत्त एक दूसरे को स और ह बिन्दुओं पर काटते हैं और अब बढ़कर एक वृत्त से बिन्दु क पर मिलती है साबित करो कि स ह क नमत्रिबाहु त्रिभुज है
(१०६) नमदिवाहु त्रिभुज के आधार पर के कोनों को दो बराबर हिस्मों में बांटनेवाली सीधी रेखा त्रिभुज के भुजों से द धौर य बिन्दुओं पर मि लती हैं साबित करो कि द य त्रिभुज के व्याधार के समानान्तर है
(१०७) अब और अ स दो दी हुई सीधी रेखा हैं अ ब में एक बिन्दु सदिया हुआ है म से ऐसी सीधी रेखा खोंचो कि वह अ स से क बिन्दु पर मिलकर अमक कोन अ क म कोन से तिगुना बनावे (१०८) समकोन त्रिभुज बनायो जिसकी दो भुओं का योग और कर्ण
मालम है
(२०६ ) समकोन त्रिभुज बनाओ जिसकी दो भुजों का व्यन्तर और कर्ण मालूम है
(११० ) समकोन त्रिभुज बनाओ जिसका कर्म और लंब जो समकोन से कर्ण पर गिरा है मालूम है
(१११ ) समकोण त्रिभुज बनायो जिसकी तीनों भुजों का योग और जिसका एक कोन मालूम है
(११२) समकोन के तीन बराबर हिस्स े करो
( ११३) दी हुई परमिति सीधी रेखा के तीन बराबर हिस्से करो
( १२४ ) दिये हुए बिंदु से दो समानान्तर रेखाओं तक ऐसी दो बरावर रेखा खींचो कि वह एक दूसरी के साथ समकोन बनाती हों ( ११५ ) त्रिभुज जिसकी तीनों भुजों का योग मालूम है ऐसा बनाग्री कि उसके कोन दिये हुए त्रिभुज के कोनों के बराबर हों ( ११६ ) त्रिभुज अ ब स के बहि: कोन ब स द को रेखा स य और कोन व अस की रेखा अथ दो २ बराबर हिस्सों में बांटती हैं और
ला
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(८८ )
यह दोनों रेखा य बिंदु पर मिलती हैं सावित करो कि कोन अ य स कोन अब स का आधा है (११७) अगर किसी ऋजुभुज क्षेत्र के जिसमें भुजों का शुमार (न) है भुज दोनों तरफ बढ़ाये हैं तो सब कोन जो पहले और तीसरे भुज और दूसरे और चौथे भुज और तीसरे और पांचवे भुज इत्यादि और अखीर और पहले भुज से बनेंगे मिल कर २ ( न-४ ) समकोन के वराबर होंगे
साध्य ३३ प्रमेयोपपाय सा० सूत्र सीधी रेखा जो दो बराबर समानान्तर सीधी रेखाओं के एक एक तरफ के सिरों को मिलातो हैं आपस में बराबर और समानान्तर होती हैं
वि० सूत्र फ़र्ज़ करो कि अब और सद दो बराबर और समानान्तर सीधी रेखा है और उनके एक एक तरफ़ अ के सिरों को अस और वद सीधी रेखा मिलाती हैं
तो अस और वद आपस में बराबर और समानान्तर होंगी अं. वस मिलाओ
अ. १ उप. चूंकि अव समानान्तर सद की है और वस उन पर गिरती है __इसलिये कोन अबस बराबर है एकान्तर कोन व सद
सा० २८ और चूंकि अब बराबर है स द के और वस दो त्रिभुज अबस और दसव में उभयनिष्ट है यानी दो भुज प्रव और उस अलग अलग बराबर हैं दो भुजों दस और सब के और कोन अवस बराबर कोन दसब के साबित होचुका है
इसलिये आधार अस बराबर है आधार बद के और विभज अवस बराबर है त्रिभुज द स ब के ओर बाकी कोन एक
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( ce )
त्रिभुज के अलग अलग बराबर हैं दूसरे विभज के बाकी कोनों के यानी वह कोन आपस में बराबर हैं जिनके सामने के भुज बराबर हैं
सा. ४ इसलिये कोन असब बराबर है कोन स व द के
और चूंकि सीधी रेखा व स दो सीधी रेखा प्रस और वद पर गिर कर उनके साथ बराबर एकान्तर कोन प्रसव और सवद बनाती है इसलिये अस समानांतर है बद की सा० २७
और अस बराबर वद के साबित होचुकी है फल इसलिये सीधी रेखा जो दो बराबर और समानांतर सीधी रेखाओं अद्योपांत-यही साबित करना था अनुमान चतुर्भूज क्षेत्र जिसकी ग्रामने सामने की भुज वरावर और मानांतर हो समानांतर चतुर्भुज है । टि. इस साध्य में यह प्रत कि सीधी रेखा एक एक तरफ के सिरों को मलाती हैं जरूरी है क्योंकि अगर यह पात नहो तो शबह पड़ेगा कि पाया सीधी रेखा अस और ब द बिन्दुओं अौर स को और ब और द से मिलाती हैं या मीधी रेखा अद और बस बिन्दुओं अ और द को पौर ब और स को मिलाती हैं
अभ्यास ( ११८) अगर कोई सीधी रेखा जो दो असमानांतर बराबर रेखाओं 'एकही तरफ के सिरों को मिलाती है उन रेखाओं के साथ अपनी एक
तरफ में बराबर कोन बनावें तो साबित करो कि उन रेखायों के दूसरी रफ के सिरों को मिलाने वाली रेखा पहली रेखा के समानान्तर होगी ११६) त्रिभुज के ग्राधार के सिरों से जो रेखा मामने की भजों तक
ची जायं तो वह किसी सूरत में एक दूसरी को दो बराबर हिस्सों में काटेंगी
साध्य ३४ प्रमेयोपपाद्य सा. सूत्र समानान्तर चतुर्भुज की आमने सामने की भज
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( १०० )
और कोन आपस में बराबर होते हैं और कर्ण उसको दो बराबर हिस्सों में बांटता है
न
वि० सूत्र फ़र्ज़ करो कि प्र व दस समानान्तर चतुर्भुज है और बस उसका कर्ण है तो प्रव बराबर होगी सद के और प्र स बराबर होगी व द के और कोन च्म बद बराबर होगा कोन उप्र स द के और कोन व प्रस बराबर होगा कोन वदस के और कर्ण व स समानान्तर चतुर्भुज अब दस के दो बराबर हिस्से करेगा
ग्र
व
उप० चूंकि प्र व समानान्तर स द की है और बस उन पर गिरती है
इसलिये कोन न्म व स बराबर है एकान्तर कोन बस द
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के
सा० २८
और चूंकि उप्र स समानान्तर व द की है और सब उन पर गिरती है
इसलिये कोन प्रसव बराबर है एकान्तर कोन सब द
के
सा० २८
अब चूंकि दो त्रिभुज प्रवस और दसव में एक त्रिभुज के दो कोन प्र व स ओर व सप्र अलग अलग वरावर हैं दूसरे त्रिभुज के दो कोनों बसद और सवद के और भुज वस दोनों त्रिभुजों में उभयनिष्ट है
इसलिये बाकी भुज इन त्रिभुजों की अलग अलग बराबर हैं और एक त्रिभुज का तीसरा कोन बराबर दूसरे त्रिभुज के तीसरे कोन के यानी भुज प्र व बराबर है भुज स द के और भुज प्रस वरावर है भुजबद के और कोन व उप्र स बराबर है कोन सदब
सा० २६
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फिर चंकि कोन अब स बराबर कोन बसद के है और . कोन स ब द बरावर कोन असत्र के है __इसलिवे कल कोन अवद बराबर है कुल कोन भासद
___ और कोन व अस बराबर कोन बदसले साबित होवका
इसलिये समानान्तर चतुर्भज की आमने सामने की मुज और कोन आपस में बराबर होते हैं और कर्ण उसके दो बराबर हिहं करता है
चकि सब बराबर है स द के और वस उभयनिष्ट है यानी दो भुज अब और बस अलग अलग बराबर हैं दो भुजों दस और सव के
और कोन अबस बराबर कोन व सद के साबित होतुका है
इसलिये त्रिभुज अवस बराबर है त्रिभुज दसव के (सा० ४)
इसलिये बस कर्ण अवदस समानान्तर चतुर्भुज के दो बराबर हिस्से करता है।
फल इसलिये समानान्तर चतुर्भुज की आमने सामने की भज और कोन आद्योपान्त--यही साबित करना था टि.१ अगर इस साध्य में दूसरा कर्ण भी खींचा जाय तो माबित होसक्ता है कि वह भी समानान्तर चतुभ ज के दो बराबर हिस्से करेगा और दोनों कर्ण एक दूसरे के दो दो बराबर हिस्से करेंगे अगर ममानान्तर चतुर्भज का एक कोन समकोन हो तो उसके सब कोन समकोन होंगे और दोनों कर्ण यापम में बराबर होंगे और अगर समानान्तर चतुभुज बर्गक्षेत्र या विषमकोण समचतुभुज है तो उसके कर्ण एक दूसरे के दो बराबर हिस्से करेंगे और एक दूसरे के साथ समकोन बनायेंगे तालिवइलम को चाहिये कि इन बातों को साबित करके याद रखे क्योंकि यह बड़े काम की बातें हैं टि. २ इस साव्य में तीन साध्य पामिल हैं पहली यह कि “लमानान्तर
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Achar
( १०२ )
चतुभ ज की ग्रामने सामने की भुज बराबर होती हैं" दूमी यह कि " समानान्तर त्ततुर्भज के ग्रामने सामने के कोन वराबर होते हैं " तीसरे यह कि “ समानान्तर चतुभुज का हर कर्ण उसके दो बराबर हिम्मे करता है" इन तीनी साथ्यों के विलोम यानी “ अगर किसी चतुभुज क्षेत्रको ग्रामने सामने की भुज या कोन यायस में बराबर हों या चतुर्भज का हर कर्ण उसके दो बराबर हिस्से करता हो तो वह चतुर्भुज क्षेत्र समानान्तर चतुर्भुज होगा उल्ली दस ने नहीं साबित किये हैं यह बिलोम हर हालत में सही हैं तालिबइलम को चाहिये कि इनको साबित कर याद रखे टि० ३ अगर किमी चतुर्भुज अब द स में जिसके कर्ण अद और बस हैं मीचे लिखी हुई दम खासियतों में से कोई दो खासियतें पायी जावें तो माबित होसक्ता है कि वह क्षेत्र समानान्तर चतुर्भुज होगा १ अब और स द का आपस में समानांतर होना २ अस और ब द का आपस में समानांतर होना ३ अब और स द का आपस में बराबर होना ४ अस और ब द का आपस में बराबर होना ५ ब अस ओर स द व कोनों का आपस में बराबर होना ६ अब द और द स अ कोनों का आपस में बराबर होना ७ बस का अद को दो बराबर हिस्सों में बांटना ८ अद का बस को दो बराबर हिस्सों में बांटना र अद से चतुभुज क्षेत्र अब दस के धरातल का दो बराबर
हिस्सों में बांटना २० बस से चतुमुज क्षेत्र अब दस के धरातल का दो बरा
बर हिस्सों में बांटना ।
जब इन दस ख़ासियतों में से तुम दो दो की तीब लोग तो यह पैंतालीस तीवें पैदा होंगी
अब और स द का आपस में समानान्तर होना अस और ब द का आपस में समानान्तर होना (अब और स द का आपस में समानान्तर होना
ब और स द का आपस में बराबर होना
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( १०३ )
(अब और स द का आपस में समानान्तर होना
अस और ब द का आपस में बराबर होना (अव और स द का आपस में समानान्तर होना
ब अस और स द व कोनों का आपस में बराबर होना (अब और स द का आपस में समानान्तर होना
अब द और द स अ कोनों का आपस में बराबर होना (अब और स द का आपस में समानान्तर होना ६) बस का अद को दो बराबर हिस्सों में बांटना (अव और स द का आपस में समानान्तर होना
अद का व स को दो बराबर हिस्सों में बांटना (अव और स द का आपस में समानान्तर होना । अद से चतुर्भुज क्षेत्र अब स द के धरातल का दो बरा
बर हिस्सों में बांटना अव और स द का आपस में समानान्तर होना व स से चतुर्मुज क्षेत्र अव स द के धरातल का दी बराबर हिस्सों में बांटना अस और व द का आपस में समानान्तर होना अव और स द का आपस में बराबर होना (अस और वद का आपस में समानान्तर होना
अस और व द का आपस में बराबर होना (अस और व द का आपस में समानान्तर होना
व अस और स द व कोनों का आपस में बराबर होना (अस और व द का आपस में समानान्तर होना अवद और द स अ कोनों का आपस में बराबर होना
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(अस ओर ब द का आपस में समानान्तर होना ") व स का अद को दो बराबर हिस्सों में बांटना (अस और ब द का आपस में समानान्तर होना अद का बस को दो बरावर हिस्सों में बांटना
निस और बद का आपस में समानांतर होना (अद से चतुर्भुज क्षेत्र अवसद के धरातल का दो ब
राबर हिस्सों में बांटना अल और बद का आपस में समानांतर होना अस से चतुज क्षेत्र अवसद के धरातल का दो ब. रावर हिस्सों में बांटना अब और स द का आपस में बराबर होना अस और ब द का आपस में बराबर होना अव और स द का आपस में बराबर होना व अस और सदव कोनों का आपस में बराबर होना अव और सद का आपस में बराबर होना अषद और दस अ कोनों का आपस में बराबर होना
अब और सद का आपस में बराबर होना (बस का अद को दो बराबर हिस्सों में बांटना (भव और स द का आपस में बराबर होना
प्रद का वस को दो बराबर हिस्सों में बांटना प्रव और स द का आपस में बराबर होना अद से चतुज क्षेत्र अवसाद के धरातल का दो ब
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( १०५ )
राबर हिस्सों में बांटना (अव और स द का आपस में बराबर होना । वस से चतुर्भुज क्षेत्र अवसद के धरातल का दो व
राबर हिस्सों में बांटना (अस और वद का आपस में बराबर होना
अस और द स अ कोनों का आपस में बराबर होना (अस और वद का आपस में बराबर होना "अबद और दस कोनों का आपस में बराबर होना (अस और बद का आपस में बराबर होना
वस का अद को दो बराबर हिस्सों में बांटना अिस और वद का आपस में बराबर होना
प्रद का वस को दो बराबर हिस्सों में बांटना (अस और वद का आपस में बराबर होना (अद से चतुर्भुज क्षेत्र अबसद के धरातल का दो बरा
वर हिस्सों में वांटना (अस और बद का आपस में बराबर होना वस से चतुर्भुज अवसद के धरातल का दो बराबर
हिस्सों में बांटना विप्रस और सदव कोनों का आपस में बराबर होना
अवद और दस कोनों का आपस में बराबर होना व अस और सदव कोनों का आपस में बराबर होना (वस का अद को दो बराबर हिस्सों में बांटना विस और सदव कोनों का आपस में बराबर होनव (अद का वस को दो बरावर हिस्सों में बांटना
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41
विअस और सदब कोनों का आपस में बराबर होना
अद से चतुर्भज अवसद के धरातल का दो बराबर हिस्सों में बांटना (वस और सदव कोनों का आपस में बराबर होना बस से चतुर्भुज अबस द के धरातल का दो बराबर
हिस्सों में बांटना (प्रबद और दस अ कोनों का आपस में बराबर होना बस का अद को दो बराबर हिस्सों में बांटना प्रबद और दस कोनों का बराबर होना अद का बस को दी बराबर हिस्सों में बांटना (अबद और दसन्न कोनों का बराबर होना
प्रद से चतुर्भुज अवसद के धरातल का दो बराबर हिस्सों में बांटना अबद और दस अ कोनों का बराबर होना वस से चतुर्भुज अबसद के धरातल का दो बराबर हिस्सों में बांटना बस का अद को दो बराबर हिस्सों में बांटना । अद का बस को दो बराबर हिस्सों में बांटना
(बस का अद को दो बराबर हिस्सों में बांटना ४१
अद से चतुर्भुज अवसद के धरातल का दो बराबर हिस्सों में बांटना वस का अद को दो बराबर हिस्सों में बांटना विस से चतुर्भुज अवसद के धरातल का दो बराबर
हिस्सों में बांटना
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४४.
४५
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( १०७ )
अद का बस को दो बराबर हिस्सों में बांटना
अद से चतुर्भुज अवसद का दो बराबर हिस्सों में
बांटना
अद का बस को दो बराबर हिस्सों में बांटना
बस से चतुर्भुज असद के धरातल का दो बराबर हिस्सों में बांटना
द ह
अद से चतुर्भुज अवसद के धरातल का दो बराबर हिस्सों में बांटना
बस से चतुर्भुज अवसद के धरातल का दो बराबर हिस्सों में बांटना
यगर इन पैंतालीस ततवों में से कोई ततब दो खासियतों की चतुर्भ क्षेत्र में पाई जाय तो साबित होसक्ता है कि बाकी याठ खासियतें भी चतुर्भुज क्षेत्रमें होंगी इसलिये पैंतालीस ततबों से पैंतालीस साध्य वन सक्ती हैं और चूंकि पैंतालीस साध्यों में से हर एक के फल में बाट बातें होंगी इमलिये हरएक साध्य से ग्राट साध्य जिनके फल में एक एक बात हो बनेगी बानी ४५ साध्यों से ३६० साध्य पैदा होंगी यह भी याद रखना चाहिये कि जो साध्य तत ३, १०, १६, २०, २१, २२, २३, २४, २५, २६, २७, २८.२६. ३०, ३५, ३८, ४२ और ४३ से पैदा होंगी हर हालत में वह सही न होंगी तालिवइल्म को चाहिये कि इन सब साध्यों को तयार करके साबित करे
टि० ४ चौंतीसवीं साध्य की मदद से हम हरएक परिमित सीधी रेखा को जितने बराबर हिस्सों में चाहें इस तरह बांट सक्ते हैं
फ़र्ज़ करो कि अब दी हुई परिमित सीधी रेखा है रेखा अस खींचो जो रेखा अव के साथ कोई कोन वनावे
द
अ फ ज
অ
और इस रेखा में से कोई हिस्सा न द लेलो और 'अद के बराबर हिस्से द य और य स लगातार बनाते जाओ यहाँ तक कि यह मव हिस्से उतने होगये हों जितने हिस्तों में हम दी हुई रेखा को वांटना चाहते हैं सब को मिलायो और य ज और द फ समानांतर सब की खींचो (सा० ३१ ) तो सीधी रेखा अब उतने हिस्सों बट जायगी जितने हिस्सों में हम चाहते हैं
और
समानांतर अब की खींचो
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ह
सा० ३१
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( १०८ )
चूँकि दह और यक और अब आपस में समानान्तर हैं ( मा० ३० ) इसलिये कोन सय क और यद ह और दफ यपस में बराबर हैं (सा० २६) गौर चूंकि सक, यह और दफ व्यपस में समानान्तर हैं (सा० ३० ) इसलिये कोन यसक, दय ह और अदफ सब व्यापस में वराबर हैं ( मा० २६ ) योर यस, दय और अ द बराबर बनायी गई हैं इसलिये य क, दह और अफ व्यापम में बराबर हैं (सा० २६) चुकिय क बरावर के र जब के (सा० ३४ ) इसलिये जब. बराबर है फ ज फज और अफ व्यापस में बराबर हैं
द ह
अभ्यास
Q
( १२० ) अगर किमी चतुभुज के दो भुज समानांतर हों और बाकी दो भुज बरावर हों लेकिन समानांतर नहीं तो उनके ग्रामने सामने के हर दो कोन मिलकर बराबर दो समकोन के होंगे
( १२१ ) ग्रगर समानांतर चतुर्भुज के ग्रामने सामने के कोनों को मिलाने वाली रेखा उन कोनों के दो दो बराबर हिस्से करे तो उस समानांतर चतुर्भुज के चारों भुज व्यापम में बराबर होंगे
(१२२) दिये हुए बिंदु से एक ऐसी रेखा खींचो कि उसका वह हिस्सा जो दी हुई समानान्तर रेखायों के बीच में हो एक दो हुई लंबाई काहो (१३३) सीधी रेखा जो किसी समानान्तर चतुर्भुज के दो ग्रासन्न कोनों के दो दो बराबर हिस्से करती है समकोन बनाती हुई एक दूमेरी को टती है
( १२४ ) समानान्तर चतुर्भुज के आमने सामने के कोनों को दो दो वरावर हिस्सों में बांटने वाली सीधी रेखा या तो समानान्तर होती हैं या एक दूसरी को एक लेती हैं
(१२५) अगर किसी समानान्तर चतुर्भुज के कर्ण व्यापस में बराबर हों तो उसके सब कोन भी आपस में बराबर होंगे
(१२६) रोमा बिंदु दर्याकृत करो कि अगर उससे दो दी हुई रेखाओं पर लंब गिराये जायें तो वह लंत्र दो दी हुई सीधी रेखायों के बराबर और यह भी बतायी कि ऐसे कितने बिंदु दर्याकृत होसके हैं
१२७ ) एक ऐसी सीधी रेखा खींचो जो एक सीधी रेखा के बराबर हो और दूसरी सौधी रेखा की समानान्तर हो और उसके सिरे दो दी हुई मीबी रेखाओं पर हों
वसः
१२८) समानान्तर चतुर्भुज अ प सद क अब, और सद भुजों विभु इस तरह बनाये गये हैं कि बस पर उस तरफ जिचतुर्भुज है और न और स द पर सामने की तरफ में
घर समान
लो साबित करो कि अ ब और स द पर के त्रिभुजोंको शीर्ष कोनों की टूरि बां उस विभुजके शीर्षसे जो वस पर बनाया गया है अलग २ बराबर है
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(202)
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समानांतर चतुर्भुज के कण अस
बद के
(१२६ ) अगर किसी समानान्तर चतुर्भुज का कोन बढ़ता जाय लेकिन उन भुजों की लम्बाई जिनसे वह कोन बना है न बढ़े तो क जोउम कोन के शीर्ष में होकर गुज़रता है कम होता जायगा
( १३० ) अ, ब र स ऐसे तीन बिंदु एक सीधी रेखा में हैं कि अब बराबर बस के है साबित करो कि लम्ब जो अ गौर स से किसी मोधी रेखा पर जो अ गौर स के दर्मियान होकर नहीं गुज़रती है गिराये जायें दोनों मिलकर हूने होंगे उस लम्ब के जो ब से उस रेखा पर गिराया जाय
( १३१ ) अगर समानान्तर चतुर्भुज के कोनों से किसी सीधी रेखा पर जो समानान्तर चतुर्भुन के बाहर हो लम्ब गिराये नावें तो दो लम्ब जो ग्रामने सामने के कोनों से गिरेंगे मिलकर बराबर होंगे उन दो लम्बों के जो दूसरे दो ग्रामने सामने के कोनों से गिरेंगे
(१३३) ग्रेगर घड़भुज क्षेत्र में व्यामने सामने के भुज बराबर और समा नान्तर होवें तो तीनों सीधी रेखा जो ग्रामने मामने के कोनों को मिलावेंगी एकही बिंदु पर कटेंगी
र
(१३३)
अ ब और अस दो दी हुई सीधी रेखा हैं और उनके दर्मियान य दिया हुयाबिन्दु है य से ऐमी सीधी रेखा ज य ह खींचो कि उसका हिस्सा ज ह जो दी हुई रेखाओं के दर्मियान हो बिंदु य पर दो बराबर टुकड़ों में बटे
(१३४) दिये हुए समानान्तर चतुर्भुज के अन्दर एक ऐसा विषमकोण समचतुर्भुज बनायो कि उसके एक कोन का शीर्ष समानान्तर चतुर्भुज की एक भुजा के दिये हुए बिन्दु पर हो
( १३५ ) अ ब स द एक समानान्तर चतुर्भुज है और य गौर फ भुज अद और बस के बीचोंबीच के बिन्दु है साबित करो कि बय और द फ कर्ण अस को तीन बराबर हिस्सों में बांटेंगी
( १३६ ) समानान्तर चतुर्भुज को उसके एक भुज के दिये हुए बिन्दु से एक सीधी रेखा खींचकर दो बराबर हिस्सों में बांटो सवालात इमतिहान साध्य २७ से साध्य ३४ तक
( १ ) रेखागणित की उस परिभाषा और स्वयं मिह्नि को जो मीधी समानातर रेखाओं से सम्बन्ध रखती हैं बयान करो और यह भी बतायी कि उनका काम पहले ग्रध्याय की कौन कौनसी साध्यों में पड़ा है
(२) व्यासनकोन, बहि:कोन, ग्रन्तः कोन व्यौर एकांतर कोन की तारौफ़ करो और उनको कागज पर खींचकर बतायो
(३) सीधी समानांतर रेखाओं और उन रेखाओं की जो उन पर गिरती हैं' खामियतें बयान करो
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( ११० }
(४) साबित करो कि मौधी समानांतर रेखाओं के बीच की दूरी, हमेश: बराबर रहती है
(५) अगर दो सीधी रेखा समानांतर न हों तो साबित करो कि फ उन एकांतर कोनों का जो और सीधी रेखा इन सीधी रेखाओं पर गिर कर पैदा करेंगी हमेशा वही एक कोन होगा
1
(६) ग्रट्ठाईसवीं साध्य का दूसरा हिस्सा बगेर सत्ताईसवीं साध्य की मदद के साबित करो
64
(७) दो सीधी रेखा जो एक दूसरी को काटती हैं एक्झीसीश्री रेखा की समानांतर नहीं होती हैं" को स्वयंसिद्ध मानकर रेखागणित की बारहवीं स्वयंसिद्धि को उन्तीसवीं माध्य का एक नतीजा करार दो
(८) साबित करो कि तीसवीं साध्य की जो सूरत उक्त दन ने साबित की है वह इस कदर खाफ जाहिर है कि मुत्र्त की मुहताज नहीं है (६) इवात्तीसवीं साध्य के अंकन (बनावट) में यह इबारत " अद के दूसरी
?
चोर" होना क्या जरूर है
(१०) त्रिभुज की किसी भुजा के बिना बढ़ाए साबित करो कित्रिशुन के तीनों कोन मिलकर बराबर दो समकोन के होते हैं
(११) किसी त्रिभुजाकार कागज़ के कोनों को इस तरह मोड़ो कि जिससे नजुर को यह मालूम होजावे कि त्रिभुज के तीनों कोन मिलकर बराबर दो लमकोन के होते हैं
( १२ ) अनुमान की तारीफ करो बत्तीमवीं साध्य के दोनों यनुमानों का दावा लिखो और पहले का कोई और सुबूत दो बत्तीसवीं साध्य से और कौन कौनसे अनुमान निकल सक्त हैं
(१३) पुनर्युक्त कोन की तारीफ करो - बत्तीसवीं माध्य का कोनसा अनुमान उन सूरतों में भी जिसमें एक या कई पुनर्युक्त कोन ग्रन्तः कोन हों खाबित होता है
(१४) समभुज ऋजुभुज क्षेत्र से क्या मुराद है जब किसी समभुज ऋजुभुज क्षेत्र के एक कोन की मिकदार मालूम हो तो भुजों की तादाद किस तरह दर्याकृत करते हैं और बगर भुजों की तादाद मालूम हो तो उसके एक कोन की मिकदार किस तरह दर्याफत कर सक्ती हैं
(१५) उल समभुज ऋजुभुज क्षेत्र के भुजों की की तादाद बतायो जिसका बहि:कोण ग्रपने ग्रासन्न ग्रन्तःकोन से टूना है
(१६) ३३ व साध्य में यह शर्त कि सीधी रेखा एक एक तरफ के सिरों को मिलाती हैं क्यों जरूर है
(१७) अगर दो सीधी रेखा किसी दो और सीधी समानांतर रेखाओं के मुख्तलिफ तरफ के सिरों को मिलावे तो बताओ कि मिलाने वाली रेखा कब बराबर होंगी और कब नाबराबर होंगी
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(१८) ३४ वी साध्य के विलोम का दावा लिनों और साबित करो (१६) अगर किसी नसानांतर चतुज का एक कोन समकोन हो तो उसके मव कोने सभकोग होते हैं योर उसके कसे मी च्यापस में बराबर होते हैं और अगर व समानांतर चतुर्भज वर्ग वा बिधमकोन समचतुज हो तो उसके कण एका दूमरे को दो बराबर हिस्सों में बांटते हैं
साध्य ३५ प्रमेयोपपाय सा० सूत्व समानांतर चतुभुज जो एकाही आधार पर और एकही समानांतर रेखाओं के दर्मियान में होते हैं आपस में बराबर होते हैं वि० सूत्र फर्ज करी कि समानांतर चतुर्भुज अवसद और यवशफ एकाही आधार वश पर और ब्रद एकही समानांतर रेखाओं व स ओर अफ के । दर्मियान में
तो समानांतर चत जम बसद और यबसफ ा. पस में बराबर होंगे उप० अगर समानांतर चतुम ज अवसद और दब सफ की मजाद और दफ जो आधार बस के सामने हैं एक ही विंटुंद पर खतम हो तो जाहिर है कि हर समानांतर चतु: गुज त्रिभुज बस का दूना होगा
इसलिये समानांतर चतुर्भुज अवसद बाबर होगा समा नातर चतुभुज दबस फ के
स्व. ६ __ लेकिन अगर समानांतर चतुर्भुज अवसद और सकसक की मज अद और पफ जो साधारवास के सामने एक हो । हातमा की
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( ११२ )
तो चूंकि अत्र सद समानांतर चतुर्भुज है इसलिये =प्रद बराबर है बस के
और इसी वजह से यफ बराबर है बस के
सा० ३४
इसलिये म द बराबर है य फ के
और द य उभयनिष्ट है
इसलिये कुल या बाकी अ य बराबर है कुल या बाकी
द फ के
रु० २ या ३
स्व ० १
और अब बराबर है दस के
अब त्रिभुज य अब और फदस में
चूंकि फद बराबर है य अ के और दस बराबर है अब के
सा० ३४
और बहिःकोन फद से बराबर है अपने सामने के य प्रव अन्तःकोन के
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सा० २८
इसलिये त्रिभुज फदस बराबर है त्रिभुज यव के चतुर्भुज प्रसफ में से त्रिभुज फदस निकाल डाला और उसी चतुर्भुज में से त्रिभुज य प्रव निकाल डाला तो जो क्षेत्र बाकी रहेंगे आपस में बराबर होंगे इसलिये समानांतर चतुर्भुज बसद बराबर है समानां -
ख० ३
तर चतुर्भुज य ब स फ के
फल इसलिये समानांतर चतुर्भुज जो एकही आधार पर श्राबोपांत - यही साबित करना था
टि १ इस माध्य का दावा इस तरह भी बयान होमक्ता है कि समा नांतर चतुर्दन जो एकही व्याधार पर होते हैं, और जिनकी उ चई एक ही है बराबर होते है
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( ११३ )
परिभाषा-किमी लमानांतर चतुभ ज की उचाई उस लंब की लंबाई है जो अाधार पर उसके सामने के भुज के किसी बिन्दु से गिराया जाय टि० २ इसमें और इसके ग्रागे की कई साध्यों में बराबर होने से यह मतलब है कि धरातलों के सिम क्षेत्रफल बराबर होते हैं
टि. ३ धरातल यानी जमीन की पैमायश की बुनियाद इसी साध्य पर है कि रोज़मर्रह की काररवाई में व्यायत का रकबा यानी क्षेत्रफल उसकी लंबाई को चौड़ाई के साथ यानी ग्राधार की उंचाई के साथ गुणा करने से दर्याफ़त किया जाता है और चंकि इस साध्य से माबित है कि जि म समानांतर चतुर्भुज का व्याधार और उसकी उंचाई यानी समानांतर रेखाओं के बीच के धरातल की चौड़ाई किसी यायत का प्राधार और उसकी उंचाई है तो उस समानांतर चतुभुज का रकबा उम यायत के रकबे के बराबर है इसलिये हर ममानांतर चतुर्भुज का रकबा उसके आधार को लंबाई और उसकी उंचाई को ग्रापस मे गुणा देने से दयाफत होसक्ता है टि.8 इस साध्य का विलोम " यानी समानांतर चतुर्भुज जो एकही ग्राधार पर और उसके एकहीतर फ में हैं और जिनके क्षेत्रफल ग्रापस में' बराबर हैं एकही समानांतर रेखायों के दर्मियान होंगे" उक्त दस ने नहीं भाबित किया है तालिबदल म व्याप इसकी साबित करें
साध्य ३६ प्रमेयोपपाद्य सा सूत्र समानान्तर चतुर्भज जो बराबर आधारों पर और एकही समानान्तर रेखाओं के दर्मियान होते हैं बराबर होते हैं वि. सूत्र फ़र्ज़ करो कि समानान्तर चतुर्भुज * अवसद और य फज ह बराबर आधार ।
व सफ न बस और फज पर और एकही समानान्तर रेखाओं अह और वज के दर्मियान हैं
तो समानान्तर चतुर्भुज अव स द बराबर होगा समानांतर चतुर्भुज य फ जह के अं० व य और स ह मिलाओ उप चुकि बस बराबर है फज के
द
य
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( ११४ )
और फ ज बराबर है यह के
सा० ३४
स्व० १
इसलिये व स बराबर है यह के और यह दोनों आपस में समानान्तर भी हैं और इन रेखाओं के एक एक तरफ़ के सिरों को सीधी रेखा व य और सह मिलाती हैं
लेकिन जो सीधी रेखा किसी दो बराबर और समानान्तर सीधी रेखाओं के एक एक तरफ के सिरों को मिलाती हों वह आपस में बराबर और समानान्तर होती हैं
सा० ३३
इसलिये व य और सह आपस में बराबर और समानां -
तर हैं
इसलिये य व सह् समानांतर चतुर्भुज है
चूंकि समानांतर चतुर्भुज प्र ब स द और य ब स ह एक ही आधार ब स पर और एकही समानांतर रेखाओं वस और और प्रह के दर्मियान हैं
इसलिये समानांतर चतुर्भुज प्र व सद और यवसह आपस में बराबर है
सा० ३५
इसी तरह यह साबित हो सक्ता है कि समानांतर चतुर्भुज य फ ज ह बराबर है समानांतर चतुर्भुज य ब स ह के
इसलिये समानांतर चतुर्भुज प्र व स द बराबर है समानांतर चतुर्भुज य फ ज ह क
फल इसलिये समानांतर चतुर्भुज जो बराबर आधारों पर एक ही समानांतर ग्राद्योपांत - यही साबित करना था
तरफ
टि १ इस साध्य का विलोम " बराबर नमानांतर चतुर्भुज को बराबर बाधारों पर जो एकही सीधी रेखा में हैं और उन आधारों की एकही हैं एकही समानांतर रेखाच्यों के दर्मियान होंगे " साबित करो दि० २ इस माध्य और तीन साधा का विलोम भी यानी" बराबर समानांतर चतुर्भुज जो एकही ममानांतर रेखाओंके दर्मियान हैं या तोक
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( ११५ )
हो अाधार पर या बराबर आधारों पर होंगे " सही है इसको साबित करो
अभ्यास (१३७) अगर किसी समलंब चतुर्भुज की दो समानान्तर भुग मिलकर किमी समानान्तर चतुभ ज के अाधार की दूनी हों और वह समलंब चतुमंज और समानांनर चतुभ ज एकही समानान्तर रेखायों के दमियान हों तो यह समलंब चतुर्भुज और समानान्तर चतुभुज अापस में बराबर होंगे ( १३८) अगर किमी त्रिभुज अब स के भुजों अब और अस पर समानान्तर चतुर्भुज फ ब अज और ह अस क बनाये गये हैं और उनके भुज फज और क ह जो त्रिभुज अबस की भुजों के समानान्तर हैं विंदु न पर एक दूभरी को काटती हैं या बहकर न्यायल में मिलती हैं तो यह दोनों समानान्तर चतुर्भज मिलकर बराबर होगे समानान्तर चतुर्भुज ब द यस के जो तिभुज के व्याधार बस पर बनाया गया है और जिसकी अजब द बराबर है और समानान्तर है न अ के
साध्य ३७ प्रमेयोपपाद्य सा० सूत्र जो त्रिभुज एकही आधार पर और एकही समानांतर रेखाओंके दर्मियान हों वह आपस में बराबर होंगे
नि० सूत्र फ़र्ज़ करो कि अबस और $_अ_द_ दबस एकही आधार बस पर और एकही । समानांतर रेखाओं प्रद और वस के दर्मियान हैं
तो त्रिभुज अवस बराबर होगा त्रिभुज दबस के अंअद को दोनों तरफ़ य और फ तक बढ़ाया
स से स य समानांतर अव की और व से व फ समानांतर सद की खोंचो
सा० ३१ उप० तो अब स य और दस बफ समानांतर चतुर्भुजहै
और चूंकि यह समानांतर चतुर्भुज एकही आधार बस पर और एकही समानांतर रेखाओं अद और बस के दर्मियान है इसलिये समानांतर चतुर्भुज अबसय बराबर है समानां
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( ११६ )
तर चतुभुज दसव फ के
सा० ३५ और त्रिभुज अवस समानांतर चतुर्भुज अबसय का आधा है और त्रिभुज दबस समानांतर चतुर्भुज दस बफ का आधा है
सा० ३४ लेकिन बराबर चीज़ों के आधे आपस में बराबर होते हैं सा० ७
इसलिये विभुज अब स बराबर है त्रिभुज दसव के फल इसलिये जो त्रिभुज एकही आधार पर और एकही समानांतर रेखाओं के आद्योपांत-यही साबित करना था
अभ्यास ( १३८ ) अब स दिया हुआ त्रिभुज है एक ऐमा त्रिभुज बनायो कि उमका क्षेत्रफल दिये हुए त्रिभुज के क्षेत्रफल के बराबर हो और उसका ग्रा. धार दी हुई रेखा अद जो अब के मुकाम पर पड़ती है हो (१४०) अबस दिया हुया त्रिभुज है एक ऐसा त्रिभुज बनायो कि उसका शीघ ब स के दिये हुए बिंदु पर हो और उमका अाधार उसी रेखा में हो जिसमें अब है और उसका क्षेत्रफल दिये हुए त्रिभुज के क्षेत्रफल के बराबर हो (१४१) अब स दिया हुआ त्रिभुज है एक ऐसा त्रिभुज बनायो कि उसका क्षेत्रफल दये हुए त्रिभुज के क्षेत्रफल के बराबर हो और उसका व्याधार उसी रेखा में हो जिसमें अब है और उसका शीर्ष एक रेखा में जो अब को समानांतर है हो (१४२) अब स द दिया हुआ चतुर्भुज है उसकेभुज अब पर एक रोमा चतुभुज बनायो कि उसका क्षेत्रफल दिए हुए चतुर्भुज के बराबर हो और उसकी एक भुज सद के एक दिये हुए बिंदु में होकर गुजरे और अब की समानांतर हो (१४३) अब स द दिया हुया चतुर्भुज है एक ऐसा त्रिभुज बनायो कि उसका आधार अब की सीध में हो और उसका शीर्घ भुज सद के दिए हुए बिन्दुग पर हो और उसका क्षेत्रफल दिये हुए चतुर्भुज के क्षेत्रफल के बराबर हो (१४४) किमी दिये हुए ऋजुभुज क्षेत्र के बराबर एक त्रिभुज बनायो
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( ११७ )
साध्य ३८ प्रमेयोपपाय सा. सत्र जो त्रिभुज बराबर आधारों पर एकही समानान्तर रेखाओं के दर्मियान हों वह आपस में बराबर होते हैं वि० सत्र फ़ज़ करो कि अव स और द य फ त्रिभुज बराबर आधारों व स और यफ पर और एकही समानान्तर रेखाओं प्रद और वफ के दर्मियान हैं तो विभज ज अब स बराबर होगा विभज द यफ के अं. अद को दोनों तरफ़ ज और ह बिन्दुओं तक बढ़ाया व से बज समानान्तर अस की ओर फमे फह समानान्तर दय की खोंचो
सा. ३१ उप. तो जवस अ ओर द यह में से हर एक समानां तर चतुभ ज है
प. अ.. ____ और चकि यह समानांतर चतुर्भज बरावर आधारोंबस और फय पर और एक ही समानांतर रेखाओं के दर्मियान में इस लिये यह समानांतर चतुर्भज आपस में बराबर हैं (मा०२६)
चकि का अब समानांतर चतुभुज जब सभ के दो ब. राबर हिस्मे करता है
सा. ३१ इसलिये त्रिभुज अबस समानांतर चतुर्भुज जवस अका आधा है
ओर च कि काद फ समानांतर चतुभ ज द य फह को दी बराबर हिस्से करता है
सा० ३४ इसलिये त्रिभुज दयफ समानांतर चतुर्भुज दयफह का प्राधा है
लेकिन बराबर चोलों के आधे आपस में बराबर होते हैं (स्व०१)
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( ११८ )
इसलिये विभुज अबस बराबर है त्रिभुज दपक के फल इसलिये जो त्रिभुज दरावर आधारों पर ओर एकही समानांतर रेखाओं के आद्योपांत-यही सावित कारमाथा टि०१ इस साध्य की यह भरत कि बराबर खापारों पर जो बिजों के शीर एकही विंदु पर है बड़ी कार च्यामद है
टि. २ इन माध्य में वह बात मानजी गई कि दोनोंत्रिभुजों के आधार एकही सीध में हैं अगर प्रम में हिंदु य बिंदु स पर और मिंटु द विंदु अपर
हो तो एक त्रिभुज का कोन टूमरे सिमाज के कोन का पूरा होगा इसलिये यह नतीजा साबित हुया कि अगर एक लिभककी लीराज लो कि की दो भलों के चलरा बालग कराकर और उनकी से बने हुद कोम एक दूसरे के पूरक है तो दोनों सिमुजों के क्षेपण पापड बराबर है टि. ३ लैंतीसवीं और बड़तीसवीं साध्यों को रज तर मोक्यान करते हैं। “ त्रिभुज जो एकही व्याधार पर या प राम घामा पौ . जिनकी उंचाइयां बराबर होती है वापस में बराबर होते है "
परिभाषा -भिनी निरज को उचाई. वह लंच को व्यापार पर उन्न के सामने के कोन मे शिराया जाता
अनुमान-सीधी रेखा जो किमी लिमन के आधार को दो मीच बिदु से उसके सामने के कोग तक खाचो गई हो बस जिसे दो यरावर हिर करती है।
अभ्यास ( १४५ ) समानांतर चतुर्भुज जिन चार लिभजो में व्यप करा! यो टता है उन विभु जों को क्षेत्रफल मापस में बराबर होते है। (१६) अब स द समानांतर चतुर्भुज के कगोवद के दिमाग सीधी रेखा गब प्योर ग स खींची गई हैं जो नावित दरो कि विम का गअब और ग स ब व्यापल में बराबर होंगे (१४७) अबस एक त्रिभुज है और हर यमुजो अब यौर पर के बीचों बीच वो बिंदु हैं रेखा बय और सद विंदुफ पर रवा दूसरीको काटती है सावित करो कि त्रिभुन व स बरावर है चतुर्भज अ द क य के ( १४८) य और फ त्रिभुज अ ब स की भ ज अब और अस को पाँचों
दु हैं योर श्रद आधार बस पर लंबई माणित करो कि कोम य द फ बामर कोन ब अ स के है और चतुज अ य द फ लिभण अ यस का आधा
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१४) सकछी आधार पर उसको घामने सामने की तरफों में बराबार क्षेत्रफलों के दो त्रिमण हैं मावित करो कि व्याधार योहो या बकरत्रिगजों के शवों के मिलाने वाली रेखा को दो बराबर हिस्सों में बांटती है
१५०) तीन समानांतर चत्मण जो मब तरह आपस में बराबर हैं इस सरह पर पास पान रकले गये है कि उनके आधार एकही सीधीरेखा से पहले समानांतर चतुक व्याधार को और तीसरे समानांतर पत्
ज के व्यापार के मामले के भुगों के एक एक तरफ के मिरे मिलाये गये है तो सादित करो कि यह गया समानांतर चतुर्मन जो मिरों के मिलाने में बनता है उसका वह हिरमा को दूसरे मामानांतर चाप जो दर्मियाज हरयक समानांतर चलमल का व्याधाले १५१ . किमी त्रिगज की राक मुज में कोई विंदु दिया हुवास रमही रखा खोचो कि वह जिम के दो २१ दिम करे ( १५२ . किमी दिवस समान एक ऐसी सीधी रेखा सीची कि वह चतुग के दो बार कर दिया। (१५३) यार मा लिमज बनाया जाप कि उसकी दो भुज किसी चजण तेल के कणों को काला अजग बराबर हों और उन भओं के बीच क! को क के हामियान को किसी योग के बराबर हो तो उस विभा का फल उस 'चान के क्षेत्रमा यो बराबर हो
साध्य ३ प्रमेयोपपाद्य सासन जी बरावर विनज एक ही थाधार पर और उस - की एकही सरफा में हों वह एक ही समानान्तर रेखाओं को दर्मि
ঠি कि सूत्रसज़ करो कि बराबर विभुज भाव स और दबस १ कही याधान वसर और को पीता में प्रद
तो विभुना बस और ट् बस एक ही समानान्तर रखाओं के दर्मियान होंगे
अं०-अद मिलाओ तो अद समानान्तर बस को होगी अगर अद समानांतर बस की गई।
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मुमकिन हो तो
बद को यावद के बढ़े और यस मिलाओ
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( १२० )
बिन्दु से प्रय समानान्तर व स की ओर हुए हिस्से को य पर काटती हुई खींचौ
Q
उप चुंकि त्रिभुज प्र बस और यबस एकही आधार बस पर और एकही समानान्तर रेखाओं व स और अय के दर्मियान है इसलिये त्रिभुज प्रबस बराबर है त्रिभुज य ब स के (सा० ३ ०३७) लेकिन लिया सत्रिगुण द ब स के बराबर है (फ़ज़) इसलिये विजय से बराबर है विभुज य ब स के (ख० १) यानी बड़ा त्रिभुज बराबर है छोटे त्रिभुज के और यह नामु मकिन है
प्रिय समानान्तर स की नहीं है
और इसी तरह साबित होता है कि कोई सीधी रेखा सि वायद के समानांतर व स की नहीं खिंच सक्ती
इसलियेन्म द समानान्तर सकी है
फल इसलिये जो बराबर त्रिभुज एकही आधार पर आयो
पांत - यही साबित करना था
टि० यह साथ तमव माध्य का विलोम है
अभ्यास
१५४) रेखा अब और सद एक दूसरी को बिंदु पर काटती है और त्रिभुज अ य स बराबर है त्रिभुज व य द के मावि करो कि अद समानांतर व स की है
(१५५) रेखा जो किसी त्रिभुज की दो भुजों के बीचों बीच के बिंदुओं को मिलाती है वह व्याधार की व्याधी और समानान्तर होगी
गौर अद और
( १५६) विभुज व स के आधार बस
में एक बिंद
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( १२२ )
दस
और
योर बस को बिंदु य. फ, ज गौर
अब
ह पर व्याधा २ करो
साबित करो कि जोर फ ह व्यापस में बराबर और समानांतर हैं
た
( १५७) सीधी रेखा जो किमी समानान्तर चतुर्भुज के भुजों के बीचों बीच के बिंदुव्यों को मिलावें ऐसा समानान्तर चतुर्भुज बनावेंगी कि वह चतुर्भुज का व्याधा होगा
( १५८) किसी त्रिभुज की भुजों के बीचों बीच के बिंदु दिये हुए हैं उस त्रिभुज को बनाओ
साध्य ४० प्रमेयोपपाद्य
सा० मूत्र जो बरावर त्रिभुज बराबर आधारों पर जो एक हो सोध में है और उन आधारों पर एकही तरफ में हैं वह एक ही समानांतर रेखाओं के दर्मियान होते हैं
वि० सूत्र फर्ज़ करो कि बराबर विभुज प्रबस और द य फ बराबर आधारोंब स ओर यफ पर जो एकही
द
सोध वफ में हैं और उन आधारों के एकही तरफ हैं
तो यह विभुज एकही समानांतर रेखाओं के दर्मियान होंगे ०द मिलाओ तो पद समानांतर व फ की होगी
अ
ज
य स य
अगर द समानांतर फकी नही
मुमकिन हो तोच्प्रज समानांतर व फकी और य दयावद के बढ़े हुए हिस्से को बिंदुज पर काटती हुई खींची औरज फमिलाओ
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उप . चूंकि विभुजच्छा व स और ज य क बराबर आधारों बस
०
और यफ पर और एकही समानांतर रेखाओं ज और फ
के दर्मियान हैं
इसलिये विभुज प्र व सबराबर है त्रिभुज जयफ के सा०३८
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( १२२ ) लेकिन विभुजअवस बराबर है विभुजद यफ के (फज ) इसलिये विभुजदयफ बराबर है त्रिभुज ज य फ के स्व० १
यानी बड़ा विभुज बरावर हे छोटे त्रिभुज के और यह बात नामुमकिन है
इसलिये अज समानांतर बफ की नहीं है इसी तरह साबित होसला है कि कोई सीधी रेखा सिवाय अद के बफ की समानान्तर नहीं है
इसलिये भाव समानान्तर अफको है फल इसलिये जो बराबर लिमज बराबर आधारों पर आद्योगत यही साबित करना था
दि. १ वह माय अडतीस साध्य का विलोम है व्योर व्यतिरेक युक्ति #साबित को गयो है इसको बर्ग र व्यतिरेक युक्ति के इस तरह साबित मारते है
बद और स द मिलायो
कि बिनुज द बस बराबर ले निनुज द यफ के (२११०३८) पौर त्रिभुज द य फ बराबर है त्रिभुज अवस के ( फज ) इमलिये निम्न अबस बराबर है बिभुज द बस के ( स्व० १) और इसलिये अद समानान्तर है बफ की
( मा ६६) टि० २ सैंतीसवीं और अडतीमी साध्यों का दूसरा बिलो " व्यगा बराबर त्रिभुज एकही समानांतर रेखायों के एमियान हो या सादर उ. चाई रखते हों तो वह या तो एकही अाधार पर या बराकर जगाधरों पर होंगे" सही है इमको साबित करो टि० ३ अगर पर्ष उन सब बराबर त्रिभुजों के जो एकही बाधार पर या एकही सीध के बराबर आधारों पर एकही तरफ शे मिलाये जांगतो एक सीधी रेखा पैदा होगी जो उन ग्राधारों की समानांतर होगी इस सीधी रेखा को उन त्रिभुजों के शीर्ष की निधि कहते हैं
रेखागणित में विन्टुयों की निधि वह मीधी या कुटिल रेखा है जिसका 'हरएक भिन्दु एक खास प्रान्त को पूरा करे और कोई औरबिन्दु इम शरीको पूरा करने वाला नहीं मसलन् दपणोदर धरातल में वह निधि विन्दुको की जिसका हर मिन्टु एक दिये हुए बिन्दु से दी हुई दूरी पर हो उस वृत्त
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( १२३ )
की परिध है जिसका केंद्र दिया हुम्रा बिन्दु है और जिसका व्यासार्द्ध दी हुई दूरी है और उन बिन्दुब्यों का जो किसी दो दिये हुए विन्दुव्यों से बराबर दूरी पर है निधि वह सीधी रेखा है जो उन दो मिंटुयों के मिल मे बाली सीधी रेखा के दो बराबर दि करती है और उसके साथ समकोन बनाती है
अभ्यास
(१५) उन बिंदुओं की निधि दयीकृत करो जो दी हुई रेखा से दो हुई दूरी पर हों
(१६०) उन विद्रव्यों की निधि दफन करो की किसी दिये हुए कोन की मुखों से बराबर दूरी पर है
( १६१ ) उन बिंदु की निधि दीप्त करो जो किसी दिये हुए ह की हुई दूरी पर हैं
( १६२) उन सेवाओं के बीचोंबीच के दियों की निधि दफत करो यो एक बिंदु से एक ही हुई रेखा तक खींची गयी है
सबालात इम्तिहान ३५ साध्य से ४० साध्य तक
(१) ३५ वीं माध्यमें लफ्ज "बरावर" किस मामी में इस्तेमाल हुया ( २ ) ३५वीं माध्यमें एक समानान्तर चतुर्भुज को सीधी रेखाओं से किस तरह वादे कि यार हिस्सों को तरतीब दें तो एक और समानान्तर चतुर्भुज वनजावे
(३) समानान्तर चतुर्भुज की उंचाई की तारीफ करो और सावित कशे किवी साध्य में दोनों समानान्तर चतुर्भुजों की उंचाई बराबर है
( 8 ) ३५ वीं साध्य क्यों बहुत जरूरी खयाल की गई है।
५) त्रिभुज की उंचाई से क्या सुराद है साबित करोकि बराबर त्रिभुव की की एक व्याधार पर या बरावर आधारों पर हैं उचाई भी बराबर होती है बारे में त्रिभुण गीधी रेखा के एकही योर या दोनों योर हों
(6) साबित करोकि अगर वो त्रिभुजों में से एकत्रिभुज के दो भुज दूसरे विभु के दो भुषों के व्यापस में बराबर हों और बीच के कोन पूरक हों तो ये व्यापन में बराबर होंगे
·
(७) निधि की तारीफ करो और उसकी मिसालें
पहले अध्याय से दो
साव्य ११ मेवोपपद्य
सा० सूत्र अगर समानांतर चतुर्भुज और आधार पर और एकही समानांतर रेखाओं के समानांतर चतुर्भुज त्रिभुज से दूना होगा
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विभुज एकही दर्मियान हों तो
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( १२४ )
वि. मूत्र फ़र्ज़ करो कि समानान्तर चतुर्भुज का अब स द और त्रिभुज य ब स एकही आधार बस पर और एकही समानान्तर रेखाओं वस और अय के दर्मियान हैं तो समानान्तर चतुभुज अवसद त्रिभुज यवस का टूना होगा अं०-अस मिलाओ उप. चूंकि विभुज अबस और यवस एकही आधार वस पर और एक ही समानांतर रेखाओं व स और भय के दर्मियान है इसलिये त्रिमुज अब स बराबर है लिभुज य ब स के (सा०३७) लेकिन समानांतर चतुर्भुज अवसद त्रिभुज अबस से टूना है क्योंकि कर्ण अस उसके दो बराबर हिस्से करता है (सा०३७) इसलिये समानांतर चतुर्भुज प्रवसद त्रिभुज यस सेदूना हे फल इसलिये अगर समानांतर चतुर्भुज और त्रिभुज आद्योपांत यही साबित करना था अनुमान-अगर समानांतर चतुर्भुज और लिभुज बर बर व्याधारों पर और एकही समानांतर रेखाओं के दर्मियान हों तो साबित होसक्ता है कि समानांतर चतुभुज त्रिभुग से दूना होगा
टि. १ इस साध्य के विलोम “ अगर ममानांतर चतुर्भुज और त्रिभुज एक हो ग्राधार पर या एकही सीध के बराबर व्याधारों पर हों और म. मानांतर चतुभुज त्रिभुज से दूना हो तो ममानांतर चतुर्भुज और त्रिमुज एकही समानांतर रेखायों के दर्मियान होंगे" यौर " अगर समानांतर चतुर्भुज और त्रिभुज एकही समानान्तर रेखायों के दर्मियान हों और समानांतर चतुर्भज त्रिभुज से दूना हो तो समानांतर चतुभुज और त्रिभुज था तो एकही अाधार पर या वराबर ग्राधारों पर होंगे' सही हैं उनको सावित करो टि. २ यह साध्य त्रिभुजों की पैमाइश की और इम लिये सब ऋजुभुज
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( १२५ )
क्षेत्रों की पैमाइश की ( क्योंकि हर ऋजुभुज क्षेत्र के त्रिभुज व्यासानी से जन सक्ते हैं ) बुनियाद है क्योंकि समानाकर चतुर्भुज क्षेत्र का रकबा दर्या - फुल करने के लिये समानान्तर चतुर्भुज के ग्राधार को उसकी चौड़ाई यानी उंचाई के साथ गुणा करते हैं इसलिये त्रिभुज का रवा दर्याफुत करने के लिये त्रिभुज के व्याधार को उसकी उंचाई से गुणा करो और सुनफल का बाधा करतो वहीं त्रिभुष का रकबा होगा
अभ्यास
( १६३) अगर त्रिभुज और समानान्तर चतुर्भुज एक ही समानान्तर रेखाओं के दर्मियान हों और चिभुज का बाधार समानान्तर चतुर्भुज के व्यापार से दूना हो तो चिमुच ससाना सुन के बराबर होगा
C
(१६४) अब सद समावान्तर चतुर्भुज है और किसी बिन्दु ग से को समानान्तर चतुर्भुज के बन्दर से समानान्तर चतुर्भुज के कोनों तक रेखा खींची गयी हैं साबित करो कि विकुन अवत्र और लग दमिलकर सभानान्तर चतुर्भुज के व्याधे हैं
( १६५) समानान्तर चतुर्भुज अबसद के कोन द से एक रेखा बस से बिन्दु फ पर और अव बढ़े हुए से बिन्दु ज पर जिलती हुई खींची गयी है साबित करो कि त्रिभुण अब थोर हौ सफज वापस 'बराबर हैं (१६६) असद चतुर्भु की चब भुज सह राज की समानान्तर है और अद के बीचोंबीच के बिन्दु य से ब और सतक बीधी रेखा खींची गयी हैं नामित रोकि विभुज यब स चतुर्भुज का बाधा है
( १६७ ) दिये हुए समानान्तर चतुर्भुज के बराबर विषमकोन सम चतुर्भुज जनायो
साध्य ४२ बस्तूपमाद्य
सासूव-दिये हुए त्रिभुज के बराबर एक ऐसा समानान्तर चतुभेज बनाची कि उसका एक कोन दिये हुए भरल कोन के बराबर हो विकि
दिवाल
अ फ ज
और दिया हुआ सरलकोन है
N
भुज
च य स
अबस के बराबर एक ऐसा समानान्तर चतुर्भुज बनाना है कि जि.
सका एक कोन कोन के बराबर हो
अॅ बस के बिन्दु पर दो बराबर हिस करो
O
और अयमिताओ
द
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( १२६ ) यस के दिंदु य पर कोन सयफ बराबर द के बनाओ(सा०२३)
स से सज समानान्तर यफ की खौंचो और असे अफज समानान्तर यस की और यफ को बिंदु फ पर और सज को बिदुज पर काटती हुई खौंचो
सा० ३१ ____ तो स य फज समानान्तर चतुर्भुज है
प० अ उप चूंकि त्रिभुज अब य और अयस बराबर आधारों य ब औ' र यस पर और एकही समानान्तर रेखाओं बस और अज के दमियान है
इसलिये त्रिभुज अब य और अ य स बराबर आधारों य ब और य स पर और एकही समानांतर रेखाओं बस और अनके दर्मियान हैं
इस लिये त्रिभुज अब य और अ य स आपस में बराबर हैं
सा०३८ इसलिये त्रिभुज अ बस त्रिभुज अ य स का दूना है
लेकिन समानांतर चतुर्भुज स य फज भी त्रिभुज अ य स का टूना है क्योंकि समानांतर चतुर्भुज और विभुज एकही आधार यस पर और एकही समानांतर रेखाओं य स ओर अज के दमियान है
सा० ४१ इसलिये समानान्तर चतुर्भुज स य क ज त्रिभुज अब स के बराबर हैऔर उस का एक कोन सय फ दिये हर कोन द के बराबर है
इसलिये दिये हुए त्रिभुज अब स के बराबर एक ऐसा समानांतर चतुर्भज सय फज बनगया कि उसका एक कोन सयफ घरावर है दिये हुए कोनद के और ऐसेही समानांतर चतुर्भज के बनाने की जरूरत थी
टि. १ जिस तरह दिये हुए त्रिभुज के बराबर समानांतर चतुभ ज बनाया गया है जिसका एक कोन दिये हुए कोन के बराबर है उसी तरह
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( १२७ )
य
दिये हुए समानांतर चतुर्भुज के बराबर ऐसा त्रिभज बना सक्त हैं कि उसका एक कोन दिये हुए कोन के बराबर हो टि० २ साधा ४२ उस तरीके की पहली मंज़िल है जिसके जरिये से हम इस बात को कायम करते हैं कि हर ऋजुभुज क्षेत्र के रकबे के बराबर एक बर्ग दर्याफत हो सक्ता है बाकी मंज़िलें पहले अधधाय को साधा ४४ और ४५ और दूसरे अधयाय की साधा १४ में दी हुई हैं
साध्य ४३ प्रमेयोपपाद्य सा सूत्रपूरक उन समानांतर चतुर्भुजों के जो किसी समानांतर चतुर्भज के कर्ण के गिर्द वाक हैं आपस में बराबर होते है
वि० सत्र फर्ज करो कि अवसद समानांतर चतुर्भुजहै जि सका कर्णप्रस है और यह औरफ ज वह समानान्तर चतुर्भुज हैं जो उसके गिर्द है यानी जिनमें होकर अस कर्ण गुज़रता है
और ब क और कद और समानांतर चतुर्भ ज है जो अवसदक्षेत्र को पूरा करते हैं और । इसलिये जिनका नाम पूरक है
तो पूरकबक बराबर होगा पूरक कद के उप. चूंकि अबसद समानांतर चतुर्भुज है और अस उसक का है
इसलिये त्रिभुज अब सबराबर त्रिभुज अदस के है (सा०३४)
फिर चूंकि अयकह समानान्तर चतुर्भुज है और प्रक उसका कण है इसलिये विभुज अथक बराबर है त्रिभुज प्रहक के
सा०३४ और इसी तरह साबित हो सक्ता है कि त्रिभुज कजस बरा वर है त्रिभुज काफस के
इसलिये दो त्रिभुजप्रयक औरक जस बराबर हैं दो त्रिभज प्रहक औरकफस के
स्व. २ लेकिन कुल त्रिभुज अब स बराबर है कुल त्रिभुज प्रदस के इसलिये बाकी पूरक वक बराबर है बाकी पूरक कद के (ख०३)
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( १२८ ) फल इसलिये पूरक उन समानांतर चतुर्भुजों के आद्योपांत यही साबित करना था
(१६८) तेतालीसौं साध्य में सामित करो कि नमानांतर चतुर्मन बफ बराबर है लमानांतर चतुभुज हस के (१६) तालीसवीं साध्य में अगर यह, बद और जपा रेखा खींची नांय तो यह तीनों को आपस में समानांतर होगे (१७० ) समानान्तर चतुर्भुज अवसद में बिन्यु दो सीधी रेखा समानांतर चतुर्भल की सुजों की सहरमाची सकी है और समानांतर चल जग ब और गह यापन में बराबर सहित चारी विवियुग कसे अस सें।
सासन दी हुई सीधी रेखा पर एका दिये डर तिल को बराबर ऐसा समानांतर चतुर्भज बनानो कि उसका एक कोन दिये हर सरलकोन के बराबर हो
निसन फर्ज करो कि अबदी दुई सोधी रेशा पोरस दिया था त्रिभुज और दिया हुआ सरल कोन है
सोथी रेखामधपर लिखुजलको हराकर ऐसा समानांतर चतुभुज बनाना है कि उसका एका कोन बराबर हो कोष द को
मं- विभुज स के बराबर ऐसा यक समानांतर चतुर्भुज क्याज बना- परचम म) यो कि उसका कोन दबाज कोन न के बराबर है। (०४२) ___और उस समानांतर चतुम ज इस तरह रहती कि अप और अब एकही सीधी रेखा में ही
असे यह समानांतर व जयापक की खोंचो सा. ३१ फको जह तक बढाओ और मिलायो
चूकि सोची रेखा ह फ दा समानांतर रेखाओं और घक पर गिरती है
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१२८
इसलिय कोन अहफ और हफय मिलकर बराबर दी समकोन के हैं
सा० २० इसलिये कोन वहाफ और हफा मिल कर दो समझोन से मार
लेकिन जो दो सीधी रखा एक और सीधा रेखा के तारतसको एकही तर में ऐसे दो कोन बनाती हैं कि यह मिलाकर दो समकोन से काम न तो वह दोनों सोधी रखा बढाई जाने से मिल जायंगी
स्व० १२ इसलिये हव और फाय बढायी जान से मिल जायगी फ़ज़ करो कि वह बढाई जाने से विन्टक पर मिलती कसे कल समानांतर यमया कहकी खोचो सा. ३१
और हम और जब को इतना बटाओ कि बहकल से ल और मबिन्दुओं पर मिलें __ उपतोहल कफ समानांतर चतुर्भुज है जिसका कर्ण हक है और समानांतर चतुर्भुज अज और मय का हक के गिर्द और लव और वह उनके पूरक हैं इसलिये पूरकलब बराबर है पूरक वफ के सा ४३ लेकिन ब फत्रिभुज स के बराबर बनाया गया है इसलियेल व त्रिभुजस के बराबर है ओर चूंकि कोन जवयकोन अबम के बराबर है सा० १५ और कोन जवय बराबर कोन इ के बनाया गया है इसलिये कान अब म बराबर है कोन द के स्व० १
इसलिये दीहई सीधीरेखा अव पर दिटेहर विज स से बराबर ऐसा समानांतर चतुर्भजल ब बनगया जिसका कोन अवस दिये हुए कोन द के बराबर है इसी समानांतर चतुर्भुज के बनाने की जरूरत थी
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( १३० )
अनुमान इस साध्य से सामा माहिर है कि किस तरह दी हुई मीधी रेखा पर दिये हुए त्रिभुज के बराबर यायत बनाया जाता है
टि. इस साध्य में उलट्स ने यह नदी सापित किया है कि अह और कज मिलेंगो यह वास सामानी साबित होम विलियमसनताह व नेम साय का दम सरह बनाना तजवीज किया है कि ल ट बराबर अब के बसाप्पो और माह मिलाओ लो व साय असमानांतर बन की होगी
(१७१) दी हुई रेखा पर दिये 'हुए समानांतर तप के बराबर से. सा निमुन बनायो जिसका एक कोन दिये हर कोन के बराबर हो
__साध्य १५ वस्त्र पपाध सा.सब-दियेहए ऋजुभुज क्षेत्रके बराबर समानान्तर चतुर्भज बनानी कि उसका एक कोन दियेहए सदलकोन को बराबर हो बि. सू० फ़ज़ कराकि अबसद दिया हुआ ऋभुज क्षेत्र और य दियाहा सरलकोन है असद के बराबर एक ऐसा समानाशार चतुर्भज बनामा है किउसका एक कोन बराबर हो यो
अं०-दमिलायो त्रिभुजअदब के बराबर सामाः
बस हम चतुर्भुज फह बनाओ जिसका कोन फकह बराबर कोन पके हो
और सीधी रेखाजह पर बिन जबदसके बराबर समानांतर चतुभुजज स बनाओ जिसका कोमजहम बराबर कोन य
सा० ३४ तो फकमल क्षेत्र समानांतर पता होगा और वह इ. राबर अबसद के होगा और उसका एक कोन बराबर कीम यके होगा उप. चूंकि कोन फकह और जहम में से हर एक कोन प के बराबर है
মা ৫২
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( १३१ )
इसलिये कोन फकह कोन अहमके बराबर है (स्व०१) दून बराबरों में से हर एक में कोन कहज मिलाश्री
इसलिये कोम फकह और कहज बराबर ३ कोल सहज और जहम के |
लेकिन कोच फकह और कहज मिलकर बराबर दो समकोल के हैं
सा. २८ इसलिये कोन कहज और जहम भी मिलकर बराबर है दो समकीन की ___ चूकि सीधी खाजह के बिन्दु ह पर दो सीधी रेखा कह और माह उसको आमने सामने की तरफो से आकर ऐसे दो आसन्न कोन पैदा करती है कि वह मिलकर बराबर दो सम
कोन के हैं
50
इसलिये कह और हम एकही सीधी रेखा में हैं सा० १४ __और चूकि सोधी रेखाज दो समानांतर रेखाओं कम और क ज पर गिरती है दूसलिये कोलमडज बराबर है एकांतर कोन अफ
सा. २८ इन बराबरों में से हरएक कोनजल मिलाओ। इसलिये कोन महज और हजल बराबर है कोन जल और हजफके लेकिन कोन महज और हज लसिलपार बराबर दो समकी
सा. २८ इसलिये फोन जल और हज कमी मिलकर बराबर दो समकोन के हैं इसलिये फज और जल एकही सीधी रेखा में हैं सा०१४
और चूंकि क फ समानांतर है हज की और हज समानांतर है मल की इसलिये कफ समानांतर है मालकी सा० ३० और फल सामान रुम को साबित होती है ।
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( १३२. ) इसलिये फकलम समानांतर चतुर्भज है
और चूंकि समानांतर चतुर्भुज हाफ बराबर चिभ ज प्रवद के और समानांतर चतर्भ ज जम बराबर त्रिभु ज ब दस केबनाये गये हैं
इसलिये कुल समानांतर चतभुज क फ ल म बराबर हुआ कुल ऋणुभ ज क्षेत्र अवसाद के
इसलिये दिये हुए ऋजुभ ज क्षेत्र अब सद के बराबर समानांतर चतुभ ज कल बनगया जिसका कोनफकम बराबर दिये हुए कोन च के है इसी समानांतर चतुज के बनाने को जरूरत थी
अनुमान इस साधासे माफ़ नाहिर है कि दीहुई सीधी रेखा पर दिये हुए ऋजुभ ज क्षेत्र की बराबर एक समानान्तर चतुर्भज जिसका एक कोन दिये हर कोन की बराबर हो इस तरह बनसक्ताहै कि पहले दीहई रेखा पर चवालीमवी माधवकी मदद से त्रिभुज अब द के बराबर समानान्तर चतुर्भुज बनायो जिसका एक को दिये हुए कोनके बराबर हो टि. यह साधा चार भुजके अट जुभ ज क्षेत्रको मुरतमें हल की गई है जब
भ, ज़ क्षेत्र में चार से अधिक भुज होतीमहे उस ऋजुभ ज तेत्रको उम् के किमी कोनसे सामने के कोज तकमीधी रेखा खींचकर निम जोंमें बांटो और फिर रेखा ल स पर तीसरे त्रिभ ज के बराबर एक गला भमानान्तर चतुज बनायो जिसका नाक कोन विन्टु म पर कोन ब के बराबर हो और इसी तरह सब त्रिभुजों के बराबर जिनमें बाजुभुज क्षेत्र बांटागया है समानान्तर चतुर्भज बनायो
अभ्यास (१२ नो या जियादा स ज क्षेत्रों के योग के बराबर टाकायत बनायो (१७३) दोनभ जात्रों को पाक जमकर का काम समानान्तर चतुर्भज बनायो
साध्य ६ वस्तूपपाद्य सा ही हुई सीधीरेखा पर एक बगले बनाश्री मिज माज़ करो कि अब दो हुई सीधी रखा है इस ५ बगरमाना।
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( . १३३ )
अं० अ से सीधी रेखा अस सीधी रेखा अब के साथ
समकोन बनाती हुई खींचो
सा०११
प्र द बराबर अव के बनाओ
स.
द
बिन्दु से द य समानान्तर अव की और बिंदु व सेव य समानान्तर = द की दय से बिंदु य पर मिलती हुई खींचो
सा० ३९
उप० चूंकि अब यद समानान्तर चतुर्भुज हुआ इसलिये इस की भुज अब बराबर है भुज दय के और भुज
सा० ३४.
प्रद बराबर है सुज य के
लेकिन अद बराबर अब के बनाई गई है
차
इसलिये चारों सुज अब, वय, यद और दम आपस
खा १
3
つ
बराबर हैं
और समानान्तर चतुर्भुज अवयद समबाहु है उस के सब कोन भी समकोन हैं
चूंकि अद दो समानान्तर रेखाओं प्रत्र और गिरती है
इसलिये कोन व अद और अदय मिलकर बराबर दो समकोन के हैं
सा० २८
लेकिन कोन बच्प्रद समकोन बनाया गया है इसलिये कोन प्रदय भी समकोन है
व
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य
दय पर
लेकिन समानान्तर चतुर्भुज के आमने सामने के कोन आपस # बराबर होते हैं
सा० ३४
इसलिये सामने के कोनों अवय और बयद में से हर एक समकोन है
इसलिये समानान्तर चतुभुज अब यद समकीन समानातर चतुर्भुज है
और यह साबित हो चुका है कि वह समबाहु भी है इसलिये अव यद वर्गक्षेत्र है और वह दी हुई सीधी रेखा अव पर बना है और इसी के बनाने की जरूरत थी
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( १३४ )
अनुमान इस साधाके सुबूतसे साफ जाहिर होता है किगिस समागा. स्तर चतुर्भुज का एक कोन समकोन है उसके सब कोमे समकोन हैं
अभ्यास (१७४) अगर किसी त्रिभुज अ ब स को भु जो असऔर बस पर बगलेत्र अनदय और बस फ ह बनाये जावे तो मारित करोकि अफ और बदनापम में बराबर हैं (११५ समानान्तर चतुज जो किसी वर्ग के कर्ण के गिर्द होते हैं वर्ग होते है ( १७६ ) अगर बगक्षेत्रको हरएक भुजा में एक २ बिन्दु कोनसे बराबर दरी पर तरतीबवार लिया जाय और इन बिन्दयों के दमियान तरतीकवार रेखा खींची नावें तो क्षेत्र जो इन रेखायोंसे बनेगा वर्गक्षेत्रहोगा और इस नये बगक्षेत्रका क्षेत्रफल अमल बगक्षेत्र के क्षेत्र फलसे छोटा होता जायगा जिस कदर कि बिन्दुओंकी दूरी कोनों से बहती जायगी यहां तक कि यह दूरी बर्गक्षेत्रको भजकी याधी हो और उस सरतमें नये साक्षत्र का क्षेत्र फल सबसे छोटा होगा। (१७७) एक बर्गक्षत्र को ऐसे पांच बराबर हिस्सों में तकसीम करो कि जिनमें से चार समकोन त्रिभ ज हों और एक बर्ग हो
साध्य १७ प्रमेयोपपाद्य सा. सूत्र हर सम कोन त्रिभुज में समकोन के सामने कीभ जा पर जो वर्ग बनाया जाता है वह बराबर होता है उन बर्गक्षेत्रों के जो समकोन बनाने वाली भ जो पर बनाये जाते हैं
वि० सुन फ़ज़ करो कि अवस समकोन त्रिभ ज है जिसका कोन असमकीन है
तो वर्गक्षेत्र जो वस पर बनाया जायगाal वह बराबर होगा उन वर्गोत्रों के जो भ जों। बा और अस पर बनाये जायगे
द ल य अंक-वस पर बर्ग क्षेत्र पदयस और बअ और अस पर वर्ग क्षेत्र जब और हस बमाओ
सा. ४६ असे अल समानान्तर बदया यस की खोचो सा.३१ और पद और फस मिलानो
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( १३५ )
उपचूंकि कोन बस समकोन है ( फर्जी) और कोन व प्रज तमकोमहे
प०३० दो सीधी रेखा अस और अज सीधी रेखा अव के आमने सामने को तर्फी से पाकर विंदु अ पर मिलती है और उस रेखा के साथ उस बिन्द पर आसन्न कोन बराबरको समकीन के बनाती हैं दूलिये स अ और अज एक ही सीधी रेखा में हैं सा०१४ इसीतरह यह साबित होसता है कि व अऔर एक ही सीधी रेखा में हैं चकि कोन दवस बरावरहै कोन फवअ के पयोकि हर एक समकोन है
ख०११ इन बराबरों में से हर एक में कोम प्रवस मिलाओ इसलिये कुल कोन दवप्र बराबर है कुल कोनफवस के(स्व०२)
चूंकि विभुज अवद और फवस की दो भुज प्रव और वदअलग २ बराबर हैं दो भुजों फाव और बस के
और कोन अब द बराबरहै कोन फवस के इसलिये विभुज प्रवद बराबर है त्रिभुज फवत के सा०४ अबसमानांतर चतुर्भुज व ल विभुज अबद से टूना है क्योंकि समानांतर चतुर्भुज और विभुज एक ही आधार बद पर और एक ही समानांतर रेखाओं वद और जल के दर्मियान
सा०४१ और वर्गो जय त्रिभुज फ ब स से दूना है क्योंकि बगदेव और त्रिभुज एक ही आधार कब पर और एक ही समानांतर रेखाओं कब और जस के दर्भियान हैं।
सा०४९ लेकिन जो चीज़ बराबर चीज़ों की दूनी होती है वह आपस में बराबर होती हैं इसलिये समानांतर चतुर्भुज बल बराबर है बर्ग क्षेत्र जब के इसीतरह अय भीर ब क मिलाने से यह साबित होताहै
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( १३६ )
कि समानांतर चतुर्भज स ल बराबर है वर्गक्षेत्र ह स के इसलिये कुल वर्गक्षेत्र व द य स बराबर है दो वर्गक्षेत्रों जब
और ह स के
स्व० २
और वर्गक्षेत्र व द य स भुज व स पर बनाया गया है और वर्ग क्षेत्र जव और ह स भुजों अ व और अस पर बनाये गये हैं
फल इसलिये हर समकोन त्रिभुज में समकोन के सामने की आद्योपांत यही साबित करना था
टि :- १ यह माध्य उल साध्य की जो छत्तीसवीं माध्य के व्यभ्यास नम्बरी १३७ में दीगई है सिर्फ एक खाम सूरत है
टि० २ इस साध्य की उक्त दस ने सिर्फ एक सूरत बनायी है लेकिन इसकी व्याठ सूरतें बन सक्ती हैं।
१. तीनों वर्गक्षेत्र वय, बज गौर सह त्रिभुज अबसके बाहर की तरफ़ बनाये जायें
२ तीनों बर्गक्षेत्र बय, बज और सह त्रिभुज अवस के भीतर की तरफ बनाये जावें
333
बय
भीतर की तरफ बनाया जाय और वर्गक्षेत्र बज और सह क्षेत्र बाहर की तरफ बनाये जायें
४
भीतर की तरफ बनाये जावे
और
५ बर्गक्षेत्र बज भीतर की तरफ बनाया जाय और वर्गल बय बाहर की तरफ बनाये जायें
गौर
६ बल बज बाहर की तरफ बनाया जाय और वर्ग बय भीतर की तरफ बनाये जायें
७
सह
बर्गक्षेत्र भीतर की तरफ बनाया जाय और वर्ग क्षेत्र बाहर की तरफ
जां ८ बर्गक्षेत्र सह बाहर की तरफ चलाया जाय
भीतर की तरफ बनायें जांय
इन सूरतों में उक्त दस का सुबुत लगता है सिर्फ इतना याद रखमा चाहिये कि उन में से बाज़ मूरतों में त्रिभुजों अबद और बफस या त्रिभुजी असय और कसब की बराबरी बजाय इम साध्य की चौथी साध्य के उस नतीजे की मदद से जो हमने अड़तीसवीं माध्य के टिप्पन दो में लिखा है मावित होती है
ब बाहर की तरफ बनाया जाय और वर्ग क्षेत्र
वज
और वर्ग क्षेत्र
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गोर सह
वय
सह
सह
गौर बय
बज
और बज
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टि ३ इम मापा हर गाय का ईजाद करी याला हकीम फीमामोरम मार रेखागणितज्ञोने इस माथ्य को जरह २ री साबित किया है नीचे लि दे दो लिहावत उमदा सवव हैं
अञ्चल सुत फार्ज करो कि अब सद और अयफज दो बाछोल हैं और वह इस तरह २ बजे गये हैं कि उन के साधार एकही सीधी रेखा में हैं जह और य क में से हरपना को बराबर अब के बनायो हस, स क , कफ
और फह को मिलाकर लो यह जाकिर होता है कि लिमजहबलपवलमा परावर विजययाती और / स त्रिभुज फजन्ह बराबर त्रिभुज का दस के हे
इसलिये बात अबस दगीर अय का ज पा रवाया न माह सिलकर वशवर है क्षेत्र स क फह के यह भी इस अध्याय की बत्तीसवीं माध्य से नावित हो सका है कि क्षेत्र राकफह बोला है और भुज सह उग सककोन विभुज का मार्ग है जिस की लुज बस और बह दिये हुए वनक्षेत्र की सुजों के बराबर हैं इन मुद्रा में बत्तोमवीं साधा के आगे की साधनों में से किसी लाथा का काम नहीं पड़ता है और इस से यह भी जालग होता है कि हम दो कालेवों को किस तरह कतरें कि उनको मन टकडे सिलकर तीसरा वर्गल बन जाय "दसरा सुबत जारी कि अबस एकआपको गतिम जजिम का कोन वासससकोग भाव को द तक इलना बहाया कि बद य क ह . बराबर हो सकी और अद पर बर्गत व गायोचौर । अज और फल में हरएक वरावर अस को बनायो और .. यज और जद और ह स मिल लो और बक नमानान्तर अफ की और सल समानान्तर अद की बोचो मा ३१ द ध न
नाक पार विभुजान सन्द जय, वहज और फसह सब तरह आप में बराबर है ( मा इमलिज सब बज,जह और हस
पन में परा है और इमलिये चल बसहज समबाहु है बार गजकोन चनुजमी। (भा०१३३३२) इसलिये बसहज कल बस पर का है
चावन्तंकि अव करानर चार विमल अबस,हजब, व हज चौर फसह के और करने व सहज योग के और भी बराबर है दो - यतों अम बौरमय और जेनों सपा कम और बदलमके जोभुजों व अ और अस घरी कर ले ला के कवर है और चार विभुज अब स, द जज,
जऔर फइस मिल कार बराबर दो चावतो असा और मय के इसलिये क्षेत्र व सहज जो बस पर का वर्गले नवरा बागौर अस परकेबरा क्षेत्रों में ( ० ३) टि० ४ हम हम लाया की मरदरी और J२ और ३ वरगज़ी वा दयाफत कर मी
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( १३८ )
अब बराबर एक गज के लो और बस रेखा अब के माथ समकोन बनाती हुई और उस के बराबर खींचो जौर अस मिलायो और साद बराबर एक गज के और अस के साथ समकोन बनाती हुई खींचो और अदा मिलायो
और दय बराबर एक गज के और अद के माथ रामकोग बनाती हुई खींचो और अ य मिलायो
तो संतालीसवीं माध्य से साबित होता है कि अब बराबर है, राज के और अस बराबर है २ गज के और अद बराबर है राज के और अय बरावर है ) ४ गज़ के ।
अभ्यास (१०८) ४७ वी साधा में माबित करो कि अद और सफ एक दूसरे पर लब है (१७६) सैंतालीसवीं साधध में अगर जह, फ द और क य मिलाई जायं तो साबित करो कि त्रिभुज ज अह , फासद और क स य में से हर एक वराबर है त्रिभुज ब अस के (१८०) ४७ वो साधा में अगर फ द यौर क य मिलाये जाय तो साबित करो कि फ द पर का वर्ग बरावर है अब पर के वर्ग के चौगने और अस पर के वर्ग के योग के गौर क य पर वा वर्ग बराबर है अ स परके वर्ग के चौगुने और अब पर को वर्ग के योग को और फद और कायपर के वर्ग मिलकर बस भर के बस के पांचमाने के बराबर है (१८१) किनी दो या जियादा प्रिय हुए बम क्षेत्रों की बराबर एक वर्ग क्षेत्र बनायो १२८२) एक ऐसा बार क्षेत्र बनायो जो दिये हुए वर्गोलों के फर्क के चदार हो (१८३) तिज में नकोन बनाने वाली भुजों पर के बर्ग मिलकर उस कोन की मामने वाली अज पर के वर्ग से बड़े होतो (१८४ ) लिभज में अधिक कोन बनाने वाली भभों पर के बर्ग मिलकर छोटे होंगे उम कोन के सामने वाली भ ज पर बो वर्ग से (१८५) अगर त्रिभु न की दो सजों पर के वर्ग सि.लकर तीसरी भ ज पर के वर्ग से बड़े हों तो तीसरी भुज के सारने का कोन न्धन कोन होगा और अगर छोटे हों तो अधिक कोन होगा (१८६) त्रिभुज अब स के कोन स से उस की मामने की भुज अब पर लंभ स द गिराया गया है साबित करो कि उन वर्ग क्षेत्रों का फर्क जो अस और बस पर बनाये गये हैं वरावर होगा उग वर्गक्षेत्रों को फर्क के
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जांय गामित
तो
,
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( २३८ )
जो अद और बद पर बनाये जजये और वे वर्ग जो अस और बद पर बनाये जायेंगे मिलकर बराबर होंगे उन वर्गक्षेत्रों के जो बस और पद पर बनाये जांगे
(१८७) अगर किसी न बिंदु सेनद और नव और न फ लम्ब अबस त्रिभ ुज के अब और बस और सा भुजों पर तब वार खींचे करो कि ( अद - दव) + (वय - य स ) +
२
२
( सफ फ अ )
(१८८) अगर किसी विन्दु से किसी ऋतुसुजक्षेत्र के भुजों पर उनके दो दो हिस्से करते हुए खींचे जांय और हिस्सा भुकों के एकही तरफ से तर्ती बार शुमार किये जांय तो पहले और सरे पर के वर्गों का योग बरा होगा टूसरे और च
·
वर्ग र हिस्सों गौरव रह
हिस्सों परके वर्गीय
क
(१८०) किमी त्रिभुज का चाह और सुजीत की तर मालूम है उम त्रिगुण के शीर्षका निधि (१६०) दस ि
है खादय प
अव और अस को दौर
जव और सद परके वर्ग मिलकर स
(१:१) समविवाह पुत्र के जि होता है उस बल पर वर्ग के चौगुने के उस पर खींचा गया है
( १६२ ) अगर किसी विन्दुग से किसी यया अवसद ? कोटी रक्ष रेखा खींची जयंती और गस पर के वर्ग मिलकर बराबर गव औौर ग द पर के वर्गों के
( १६३ ) अगर समकोन त्रिभुज में समकोन बनाने वाली भुज ऐसी हा कि एक का वर्ग दूसरी पर के वर्ग से तिगुना हो और समकोन से ऐसी दो रेखाखांची जांय कि उनमें से एक समकोन के सामने वाली सुपर लंब घो और दूसरी उख भुज के दो बराबर हिस्से करे तो नाबित करो कि यह दोनों देव सपकोन के तीन बराबर हिस्से करेंगी
( १६३) अ ब स नमकीन त्रिभुज है जिसका कोन अ समकोन है और कोनों ब और स से भुजों अ स और अ व के बीचों बीच के बिंदुओं द और ब तक रेखा सौंचों गयी है तो साबित करो कि ब द और राय परके वर्गों का चौगुना बराबर होगा व स पर के वर्ग के मंचने के (१६५ ) अगर अव स द वर्गक्षेत्र के बस भुज के किसी बय हिस्से पर रोमा वय फज वर्ग बनाया जाय जिसका भुज अब के बढे हुए हिस्से पर हो तो साबित करो कि काय रेखा ह य का लम्ब जो य से अ य पर खींचा जाय दोनों वर्गों को ऐसे हिस्से मे वाटेंगे कि वह हिसे इस तरह रक्खे जा "कते हैं कि सब मिलकर एक वर्ग बनावें
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(१४. )
साध्य ८अभयापपाध RI सू.---अगर त्रिभज की भुजों में से एक भुज परका वर्ग बाकी दो भुजों पर के बों के बराबर हो तो कोन जो उन क्षजों से बनता है समकोन होगा
वि०स० फ़ज़ करो कि बर्ग जो त्रिभुज अबस की भुज बल पर बनाया जाय बराबर है उन वर्गों के जो मजो अब और अस पर बनाये जांय तो कोन व अन्य समकोन होगा
बिंदु असे अदमज अस के साथ समको न्' बनाती हुई खोंचो
सा. ११ अद बराबर अब के बनाओ सा० ३ ओर सद मिलाओं
अवा. २ चूकि अद बराबर है अब के इसलिये अद परका वह बराबर है। अब परके वर्ग के इन बराबरी में से हर एक में असपरका बग मिलाया इस लिये आद और आसपरके वर्ग मिलकर वरावर अब ओर असपरके वर्गो के लेकिन अद और असपरके बर्ग मिलकर बराबर, दस परके वर्ग के क्योंकि कोन द अनसमकोन है सा०६७
और अब और अस परके बर्ग मिलकर बराबर है बस परके वर्गक इस लिये दस परका बर्म बराबर बस परके बर्गके स्व० ? इसलिये दस बराबर है बरा के चूकि भुजद बराबर है अजब वो औरास दोनों विभुजों दन्नस औरब अस में उभयनिष्ट है
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( २४२ )
इसलिये दो भुजद अ और उस अलग २ बराबर हैं दो भुजों
व और सके और आधार दस वराबर आधार व स के साबित हो चुका है
इसलिये कोन दस बराबर है कोन व प्र स के
लेकिन कोन दास समकोन बनाया गया है
इसलिये कोन व प्र स समकोन है
फल-इसलिये अगर त्रिभुज की भुजों मेंसे एक भुज पर जो वर्ग आद्योपांत यही साबित करना या -
-
टि. ० १ यह माध्य सैंतालीसवीं माध्य का विलोम है इन साध्य के साबित करने में उसे हम ने शियालीसवीं साध्य के इस नतीजे को कि बराबर रेखायों पर के वर्ग व्यापम में बराबर होते हैं और उसके बिलोम को मान लिया है
सा०८
टि० २ उनी इस ने पहले व्यध्याय में सिर्फ इसी विलोम को अन्यययुक्ति से साबित किया है इनको व्यतिरेक्युक्ति से इस तरह सा
अ
वित करते हैं
स
कागर कोन ब अ स समकोन नहीं है तो अट् भुज अब व के साथ समकोन बनाती हुई खींची और अद बरावर अस के बनायो और मिलाओ
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द
व द
चौंकि अद बराबर अ स के बनायी गई है इसलिये अद और अब पर
C12
के ब मिलकर बराबर हैं अस और अ ब पर के वर्गों के लेकिन अद और अब पर के वर्ग मिलकर बराबर हैं ब द पर के वर्ग के (सा० 33 ) और अस और अपर के वर्ग मिलकर बराबर हैं ब स पर के वर्ग के (फर्ज) इसलिये बद पर का वर्ग बराबर है ब स पर के वर्ग के इसलिये ब द बरावर है बस वो इसलिये एकही ग्राधार अ ब पर और उसके एकही तरफ ऐसे दो त्रिभुज अदब और असव हैं कि उनकी सुन अद और अस जिन के सिरे व्याधार के एक सिरे अ पर हैं आपस में बराबर हैं और सुन बद और बस जिनके सिरे आधार के सिरे ब पर हैं व्यापस में बराबर हैं लेकिन यह नामुमकिन है ( मा० ७) इसलिये अ द भुज अ ब के साथ स मकोन नहीं बनाती है और इसलिये कोन ब अ स भमकोन है
टि ० ३ बगर किमी त्रिभुज की भुज ऐमी तीन सीधोरेखाओं से जाहिर की जायं जिनकी लम्बाइ बार क. एक, और ५क हों और क कैसी
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( १४२ )
ही छोटो या बड़ी राशि हो तो कोन जो उन सीधी रेखायों से लगा है जिनकी लम्बाइयां इक और ४क हैं ममकोन होगा
क्योंकि (क)+(४क)-क+१६क-२५क--(५क)
ग्राम तौर पर चूकि {(न+१)}:- {३ न२.१)} = {१२+१) + (न' -१)} x ११(न' +१)-१(न...)} --न .. {३(१२+१)}=न + { १९१२-१)}'
इसलिये न और (न२-१) लशकोन त्रिभुज की उन भुजों को जाहिर करेंगे जिनसे नमकोन बनता है और न+१) उन त्रिभुज के कर्ण को जाहिर करेगा-समकोन त्रिभुज की भुजों के दांमत करने का वह का यदा हकीम फ़ीसानोरस ने लिखा है
अगर कोई संख्या ऊनी है तो कुल भुज पूरी संख्याओं से जाहिर होगे फर्ज करो कि न-७ तो (न२-- १) --२४ और (न+१) =-२५ इमलिये भुज ७, २४ और २५ संख्यायों से जाहिर होंगे फिर चूकि {३(१+१)} =नर + {{(न-)}
(न+१)२ (२ न)२+ (न२.१)२ इसलिये २ न गौर (न२-१) वह भुज हैं जिनसे समकोन बनता है और (१२ - १) कार्ण है वह कायदा हकील अफलातून का दिया हुआ है - गर हम जपर के काम में न के बदले च रकखें यौर च योर ग शेगों को पूरी संस्था खयाल करें तो यह हासिल होता है कि (२+१) (२) + (२-२) यानी ( च+ गरे)
=(श्च x ग) + (च२ -- श२ इमलिये २च x ग और (च२ . ग) वह भुज हैं जिनसे समकोन बनता है
और (च' + ग) कर्ण है। टि. ३ पहले अध्याय में उक्त दस ने रेखायों कोनों और धरातलों के बनाने के
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(
१४३ )
तरीके और त्रिभुज की भुजों और कोनों के आपस के सम्बन्ध बयान किये है और त्रिभजों और ससानान्तर चतुर्भजों का मुकाबिला इस तरह किया है कि जिससे उनका बराबर या नाबराबर होना मालस होता है रेखागणितज्ञों ने इस अध्याय के तीन हिस्से किये हैं पहले हिस्से में पहली छब्बीस साधा हैं जिनमें रेखा कोनों और निजों का बनाना दिखलाया है और विमल की खामियतें बयान की दर में सत्ताईसवीं साधा से लेकर चौंहॉस्वी साधा तक है और उनमें समानांतर रेखाओं की खासियतों का ध्यान के तीसरे हिम में जिसमें पैतालवी साधा से लेकर अड़तालीसवीं साधा तक हैं खासकर त्रिभुजों और समानांतर चतुर्भजों के रकबों की परामरी या नावरावरी दिखलाने के लिये एक दूसरे का मुकाबला कियाहै उको दस पर लोग यह ऐतराज़ करते हैं कि उसने माध्योंकी तीब मजभून के मुताबिक नहीं दी है इस ऐतराज़क दूर करने के लिये हमने अपनी किताबके गखीरमें एक फहरिस्त लिखी है जिससे हर मजम्न की कुलसावास्तववार साफ २ नज़र पड़ती है
सवालात इम्तिहान ४१ साध्य से ४८ साधा तक (१) साबित करो कि पहले अधयाय का ४१ वी साधा ऋभुज क्षेत्रों की पैमाइश की जड़ है (२) उन सब साधनों का दावा जिखो कि जिसके जरिये से किसी ऋजुभुज क्षेत्र के बराबर वर्ग क्षेत्र बनाना मुमकिन है (३) सागर ४३ वीं साधामें पूरक वर्ग क्षेत्र होतो उनका कुल समानान्तर चतुर्भुज से क्या सरवंध होगा (४) क्या ४५ वौं माधा का सुबूत हर सूरत में सही है (५) वर्ग क्षेत्र की तारीफ़ जो कुछ उसमें फिज़ल था जियादा हो निकाल कर क्यान करो और उस तारीफ के कम्यूजिब किसी सीधी रेखा पर वर्ष होत्र बनाने का तरीका लिखो () "वर्ग क्षेत्र के सब कोन मिलकर चार समकोन के बराबर होते हैं" क्या इमका विलोम भी सही है और जवार नहीं तो वजह बयान करो (७) ४७ वी माधा में यह क्यों जरूरी है कि एक भुज हर वर्ग क्षेत्र की जो त्रिभुज की समकोन बनाने वाली भुजों पर है त्रिभुज के दूसरे सुज की एकही सीध में हो (८)क्या त्रिभुज जिस के भुज ३, ४, ५ हैं समकोन त्रिभुज है (६) क्या एक व्यायत क्षेत्र में जिसके भुजों की लम्बाई १६० और ४६० गज़ है एक सीधी सड़क ५०० गज लम्बो तय्यार करा सकते हैं -- इस सड़क को कागज़ पर खींचकर बतायो
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( १४४ )
(१०) ४७ वी माधा की मदद से 1 १ . २ ३ गज की लम्बाई किमतरह दाफ़त कर सकते है
विवेचना और पया लोचना किसी दो या जियादा चीजों के मिलाने और उनसे एक नयी चीज़ पैदा करने को पथ्या लोचना कहते हैं मसलन जर्द और नीला रंग मिला कर हम सज्ज रंग पैदा करते हैं अगर सज रंग में से ज़र्द और पीला रंग जुदा २ करदें तो उस अदा करने को विवेचना कहते हैं शाम मानौ विवचना और पया लोचना के वह हैं जो ऊपर क्यान हुए लेकिन खास सानो रेखागणित में यह हैं पया लोचना से बह सुराद है कि हम उन • नियमों और नतीजों से शुरू करें जो अब तक सावित हो चुके हैं यानी जिनका सही और सुमकिन या गलत और नामुमकिन होना मालूम है
और अखीर में उनसे एक नया नतीजा निकालें मसलन् प्रमेयोपपाय या वस्तुपपाय साध्यों की मदद से जिनको हम साबित कर चुके हैं या जिनका बनाना जानते है एक नयी साध्य प्रमेयोपपाद्य सावित करें या साध्य वरुप पाय वनावें और विवेचना से यह सुराद है कि किमी नयी माध्य के साक्षित करने या बनाने के लिये हम इस बातको पहले फज करलें कि वह साध्य साबित हो गयी या वनगयी ठार फिर सिलसिलेवार दलीलों की मदद से इमर्ज की हई साध्य से नये नतीजे निकालें और देखें कि यह नतीजे उन नतीजों में से किसी के मुताभिक हैं या नहीं जो अब तक नावित हो चुके हैं और इस तरह अपनी फज़ की हुई माध्य का नही और सुमकिन या गलत और नामुमकिन होना या पात करें उलम ने कुल माध्य पालोचना के जरिये से साबित की हैं या बनायी है लेकिन विज चना का जिस नहीं किया है जिसकी मदद से पुराने जमाने के रेखागणितज्ञान बहुतमी प्रमेयोमाय गौर वस्तरपाय साध्य हाफत की हैं चंकि विवेचना का तरीका रेखागणित की साध्यों का मुक्त या अमल दाफले करने के लिये पड़ा सुफीद और कारग्रामद है इसलिये हम उसके कायदे और मिनाल नीचे लिखते हैं विवेचना से किसी प्रमेयोपपाढा साध्य का मुबूत दा फ़त करने का कायदा (१) फर्ज करलो कि जो नाधा तुम्ह मावित करनी है उसका दावा मही ह (२) फिर देखो कि उस दावे के सही फज करलेने से क्या २ ननीने निकलते हैं (३) उसके बाद दया फल करो कि यह नतीजे उन नतीजों में से किसी के मुताबिक हैं या नहीं जिनका तुम मही या मलत होना अब तक मावित कर चुके हो (४) अगर उनमें से कोई नती जा उन नतीजे के मुताबिक है जिनको तुम
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( २४५
गुलत मावित कर चुके होतो का दावा भी जिसको तुमने मही
फर्ज़ किया था गलत है
(५) अगर यह नतीजे तुम्हारे नावित किये हुए नतीजों में से किसी के मुताबिक नहीं हैं तो उन नतीजों से और नये २ गतीजे निकालते जाओ जब तक कि वह नये नतीजे उनके मुताबिक ही जिनका कि तुम नहीं या भुलत होना जानते हो
साध्यप्रमेयोपपाद्य - अगर समति किसीबिंदु द से लंब दय और दफ मुज अन कर बराबर
विभुज बस के के और
कस पर
जाय
तो यह नो किसी कोन से उस कोसामने की भुज पर गिराया जायगा विवेचना- फजे करतो कि साध्यका दावा जो तुम्हे सात्रित परा मही है यागी लंब दय और दफ मिलकर बरावर हैं तंब बज केजी कोन
अवस से भुज अस पर गिराया गया है।
न
स
द
व
दावे के सहीफज़ करलेने से यह नतीजा निकला कि जब बज का कोई हिसा जह दफ के बराबर है तो दूसरा शिखा वह दय के बराबर है फिर अगर दह मिलाया गया तो इस नतीजे से एक और नतीजा निकला कि यदब और हवद ऐसे दो विभुज है जिनकी सुन बद और हब बराबर हैं - और भुञ यद दोनों हमें उपविष्ट है और कौन यदब और बद ग्राधार बस पर के बराबर कोनों बस और असद के कोटि होने के नाम से व्यापन में वरावर हैं और इसलिये पहले प्रध्धाय की चौधी साध्य से त्रिभुज बराबर हैं और कोन दब कोन वयद के बराबर है और इसलिये ममकोन है यौ ममकोन संजय के बराबर है इसलिये यह ईसवीं मायासे दह गौर अस आपस में मसानान्तर में ना हम इम व्याखिर नतीजे से साधा को पर्यालोजना के तरीके से इस तरह पर नाहित करते हैं
1
पा
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फ
य
-2
पर्यालोचना बिंदुद से दह समानान्तर अस की खींचो
चकि दहज
मानान्तर चतुभु जड़े इसलिये दफ बराबर है हज के ( लाइ ४) किन बहद उन्तीव साघासे नमकीन सजब के बराबर है इस
लिये समकोन है
इसलिये कोन बहद समकीन दयब ' के बराबर है
और कोन हद और यदव भी व्यापम में बराबर हैं क्योंकि उनमें से हर एक मा विभु के आधार पर के कोनों का कोटि है.
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( १४६ )
अवंकि त्रिभुज हबद और यदन में एक त्रिभुज के क्षे कोज दहा और बददुसरे त्रिभुज के दो कोन बयद और सदव के बाला करार है और भुज बद दोनों में उभयनिट है इनलिये मुगबह वरावर हे भुज दय के
लेकिन यह साबित होता है कि जबाबर है की इसलिये दय और दफ मिलकर बराबर है वज के पहावाशित करना का विवेचना सेजिसी बताएगावा मायका अकल दर्याप्त मारने का का
(१) याद रकखो कि आवागार शेजा होला कि दोहुई जमान्या अपना वाई योर मेयोपपाय वा वर पाना माध्य। य औक का है प्योर वह पमेयोग्याव्यथा वस्तूपपालमा य उ दक्ष की शिनी भी पकाय या रसपमान साध्य पर मौका होती है . (२) जिन जस्तापाटा साध्य को पकाना हो उनको चलोगो करलो कि वह दावको मुहान जिंकावी जीवावी (३) फिर इस खिंची हुई माया लामा और होम करको लापम के मलाको स्याफल कारो और द स्यो कि यह दीफत विधि समापी उमी. दस की किसी बलमपाल या प्रमेयोपमा साधा के सवातिया नहीं
अमर कस ला तुम न दर्ताका कारण मोकामानिकी माया में लाई मनानाना रखा जाना को
विरार मरत पड़ तो कामी यो जोर दस को एकीका को किसान २ओं चोर कोक के लोन पायों से बात में रजत पस इलाके कया है वह गनी का और कोषमा रहनी का और कोगों वगर: क्या इलाकी रखते है और फिर देली दिवारको दम की किसी वसघपाला या अमेयोपमादा माया में पाये जाते है या नहीं या उससे पैदा होते हैं या नहीं (५) जागर इस कोशिशसे मी तुम्हारा मतलय न निकले तो यह न समझो कि हमारी महगत येकायदा हुई याद रखो कि कारणेसा होता है कि इस कोशिशमा औधी मास्तमाल वायोजादा साधा स्याफल होजाती हैं साध्यबस्तुपयादा- चतुर्भुज अवसद के वरान सवा ऐसा त्रिभज बनायो कि जिम की एका भुज शाम हो और दूसरी बस को दिशा पर हो विवेचना-ऐसा त्रिभुज अबस चलो जिनकी एक भुज शाब हो और टूमरी नुज बस को दिशा पर 'होचौर फर्ज करलो कि उस लिभुज का स्कुना सन् मंज के रकबे को बराबर है
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अब इस खिंचोहुई माश्य से यौर त्रिभुज अवश को नतुर्मा को बराका मज करने से यह नतीजा निकला कि त्रिनुज अफ द बराबर है त्रिभुज सफ य के और इन दिनों के बीच का कद और स क य पहले अधयाय को पंद्रही साध्य से बराबर हैं लेकिन यह बतीजा बिंदु व का सुकाम दर्वाफत करने की लिले काकी नहीं है इसलिये अस मिलाया अस के लि.
तेही ना छुम्मा कि अगर लियुज अफस दो बराबर त्रिभु जो अफ द और समय में से कर रवा में मिला दिया जाय तो त्रिभुज अदस बराहोगा निज अय सके और कि यह बराबर लिभुज एकही व्याधार असगर गीर उल की एकही तरकारी बालिये अगर द य मिलाई जा नाममा समीदोगी सामलिंक बिदाउस जगह
बालोचना के तरीक से इस बारह बना। पालोचन--काल मिलायो और द द यजमाना .. कसो का तुरा हिस्से से विन्दु व ५३ ४. या जिला ग्रो-तो लिज अब चनज र सद... बर सक सजाय और भी गुजा बाहर की दिशा: ५.२,
कि जिम जायस और अहसा याहो कर अदर
. भर 4
पनि nिg: अयस बार है कि अदक्ष को इन जों में से हर एक में जिन असा दियो सजिम निज अवच बराबर है चतुर्भुज 'अवसाद के - दुसी ।
" ।
; বুলি
अध्यास (१६६ ) त्रिभुज अवन के अन्दर एका हिंदु गते साबित करो कि म अ. गब और गस लिलकार जिज की पुणों को योगसे कार के (२६.७ ) और व शेवकों के केन्द्र में और अग और ब क उनको मना भार सामाई है और रेखा र उनको परियों से र और ख दुबा घर . शिन्तती माफिन को किसान और बस मालाकार हैं
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( १४८ ) (१४८) समत्रिबाहु त्रिभुज के अन्दर एक विंदु है उम बिंदु से जो लंब त्रिभुज को भुजों पर गिराये जायंगे वह सब मिलकर उस लंज की बराबर होंगे जो त्रिभुज के किसी कीन से उस की सामने की भुज पर गिराया जायगा (१६) अगर जतुर्भज अवसद को धरावल के कण अस से दो बराबर हिस्स होते हैं तो अस से कर्ण बद को भी दो बराबर हिसा होंगे (२००) पहले व्यवसाय की पांचवीं ताधा में व्यारं भज नीचे की तरफ बपायी जाने के बजाय पोषके अपर की तरफा वायी जावं लो पहले अपाय कोपं द्रहवीं साधा का सुबूत पहली ही पांच साधनों से हांसिल हो सक्ता है (२०१)रेखा दय का सिरा द ममदिरा तिमुन की सुज अब पर है और सिरा य भुज अस के बाद हर हिस्से पर है और जिभुज का अाधार उस रेखा के दो बरावर लिसा करता है लाहित करो कि दज योर अ य मिलकर बरा. वर हैं अब और अल के (२०२) जिन समानान्तर चतुर्भुजोक कसे वापर होते हैं उन में नियमकोण समर तुज सब से बड़ा होता है (२०३) दो वरावर रेखा अस और बद समकोन बनाती हुई एक दूसरी को कहाँ काटती हैं साबित करो कि चतुर्भुज अब साद उन रेखायों में से हर एक पर के को से अाधा होगा (२०४) दिये हुए निज में समा मलानाकार चतुज कमायोनि जिस के को एक दूसरे को दिये हम जिंदार जोडिनुज की गन्दर काटे (२०५) त्रिभुज जिस का रकबा और दो भुज सागर में बनायो (२०६) त्रिभुज का अाधार और उम के गुजों का जोड़ और आधार पर के कोनों का अन्तर मालम है तो उस त्रिन को बनायो। (२०७) त्रिभुज का आधार और उर की दो भुजों का फाक और ग्राधार पर के कोनों का फ़क मालूम है उस त्रिभुज को बनायो (५२०८) दी हुई, परमिति रेखा को अधार बनाकर ये का सिलुज कमायोजिम की अजी का फर्क मालम है और जिनकी एक मजलिये नर पिर हो कर गुजरे (२०६) एन त्रिभुज का आधार और लफल और उस रेसा की कमाई जो अाधार के बीचों बीच के दिउसभी मामी के कोन तक खीचा काय सालसहै उन निमजाजनायो। (२.१०) अब और असदी हुई में बया हैं उनमें से एक में रोमा बिन्दु ग दाफत करो कि अगर ब ग क दूसरी का पर गिरावें तो अग और अक मिलकरदोई लंबाई की बराबर हों (११) निमग अब अब अास से गाड़ी है और रेखा अद
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( २४८ )
वो कोन बस के दो बराबर हिस्से करती है बस से बिंदु द पर मिलती है खाबित करो कि बद बड़ी है स द
से
(२१५) अगर त्रिभुज का एक कोन दूसरे से तिगुना है तो वह त्रिभुज दो समादिवाहु त्रिभुजों में बट सक्ता है
(२१३) अगर त्रिभुज का एक कोन दूसरे से टूना है तो उस त्रिभुज पर एक ऐसा समदिवो त्रिभुज ज़ियादा कर सक्त है कि यह दोनों त्रिभुज मिलकर एक समद्विबाहु त्रिभुज बनजाय
(२१४) समदि वाहु त्रिभुज अबस की भुण अब के बीचों बीच का बिंदु द है और सुन अब ग्राधार बस के नीचे की तरफ इतनी बढ़ायी गयी है
कि बय बराबर है अव के साबित करो कि सय दूनी है सद से (२१५) उस बिंदु की निधि यकृत करो जिसकी एक दिये हुए बिन्दु से दूरी उम की टूमरे दिये हुए बिंदु से दूरी की दूनी हो (२१६) रेखा अब के बीचोंबीच का बिंदु स है अस और सव को कर्ण वनाकर समानान्तर चतुर्भुज अ दसय और फ ब ज स बनाये गये हैं और दह समानान्तर सफ की और फह समानान्तर सद की और जक चलानान्तर सय की गौर य क समानान्तर सज की खींची गयी हैं साबित करो कि चोर
हस सक एकही सीध में हैं
(२१७) व्यायता बसद के ग्रामने सामने के कोन अ और स हैं बिंदु यभुज बस में और बिंद फ भुज स द में है साथि बारो कि लिन अ य फसे क्षेत्रफल का दूना और वह बायत जिम की व्यासन्न भुज बप और दफ के बरावर हों मिलकर बरावर होंगे ग्रायत बस द के (२१८) एकही ग्राधारब स पर दो त्रिभुज अबस और दबस है और ति अबस की भुज अव भुज अस के बराबर जोविंद स और पर होकर गुगुरता है उम का केन भुज सब पर या उसे को हुए औरत जो व और द बडों पर गुजरता है का केंद्र फभुज बद्म पर या उस के बढे हुए हिस्से पर है मानित करो कि चतुर्भुज अयदफ के दो भुज मिलकर उस की बाकी दो भुजों के बराबर हैं (२१८) दो रेखा अद्ध और अस के मुकाम दिये हुए हैं अब में ऐसा बिंदु ग दर्याकृत करो कि अगर उन बिन्दु से अ स पर लंब गिराया जाय तो वह लंब रेखा अग से बकदर ही हुई लंबाई के छोटा हो
ह
(२२०) समान को वभुज क्षेत्र के ग्रामने नामने के भुज समानान्तर होते हैं और उस की कोई दो ग्रामन्न भुज मिलकर अपनी समानान्तर भुजों के बराबर होती है
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( १५. )
(१२२१) समको ज अ ब स को कर्ण ब स पर बर्ग ब द व ल बनाया गया है उस वर्गके कोन से लम्ब द म त्रिभुज की भुज अस पर गिराया गया है और कोन य से लंब भ ज अब पर गिराया गया है साबित करी कि अम बराबर अब के और अन बराबर अस को है (२२२) त्रिभुलबस का कोन ससमकोन है ऐसी रेखा खींचो जो एका दी हुई रेखा के समानान्तर हो और जिसके निरे त्रिभुज की भुजों अस और बस हो और जिनके बीचोंबीच का बिन्दु अब में हो १२२३ ) समविवाहु लिनुज अबम का कोन ब अाधार अस पर के हरणका कौनकर चौगुना है अगर अज अब बिन्दु द तक इतनी बतायी जाय कि लहदानी अबकी हो गौर से दवाई जाय तो त्रिभुज असद को कोन जिजात की कोणा की जानकारी
(२२८) सामान र चतुभुजबाव सरहके असर का विक है उस विन्दु से ह काज समान पर चव की खींची गयी है और उसका गिरा यूट २ माद पर और मिरा ज भ म बस पर है और उसी बिन्दु से व काक वसायातमालीची गयी है और उसका मिरा व सुजन पर और लिन पाम जलद पर है मालित काश मिसजानादार चतुन जकाज और यह का पाका लिन ज सका दादूना हे
सोनलिज जिस मका बजा और कसा जोर दूसरी सुट का एसवाल है बलायी। (२२६ मिना को काग की शरवर जर हिलो बाटोमा पी विडु में पहोवार गुजरती है और वह मिंटु लिभुज की भुजा से वशवर दूरी पर है (२५७) शिलो लिभ ज के दो कहिः कोष और नीचरे का बहान को दो शे वरावर हा में बांटती हुई रेखा एक ही बिन्दु में होकर गुजरती (२२८)
जिज अब सवा स जो ज स और असके जीवाद पवित्र ट् और वह चौर बाद और कय एका दूसरी को बिटुफ पर काटती है साबित हो कि अफ दूनोहे पाद को और बफ टूगी पाय को ( २२८) त्रिभ जबस के कोनों अ, ब ओर से अद, व व योर सफ रेखा उन कोनों के सामने की म.जों को बिलु द, यजऔर जघर दोर बराबाहिसे में बांटती हई खोंची गयी साबित करो कि तीना रेखा किसी एक ही बिंदु में होकर गुजरेगी और विभुज अजवाब जल और सज अापसमें बराबर होंगे (२३० ) त्रिभुज के तीनों भुजों के बीचोंबीच की बिन्दुओं से जो मार
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( २५१ )
उन अ जी के नाथ समकोन बनाती हुई खींची जांयशी वह सब एकाही विन्दु पर मिलेगी और वह बिन्दु त्रिभ ज के कोनों से बराबर दूरी पर होगा ( २३१ ) हर विभ ज क कोनों से जो लंग उना सामने को जजों पर शिराये जायगे वह सबकशी विन्दु होकर गुजरेंगे (२३२ ) पहले अध्याय की ४७ व पायाभल और वसा जोर सपा एक हो वि पर होकर गुजरेगी । २३३ ) तिज अब स की भ ज अलर किन द यफ की अजों की हनी है यानी भुज अब,दय की और शुज सय फ की और भुज सभा भज फाद को और विजयावसको अजों को वीचोंबीच की विधु
मा पर उन म जी के साथ समान बनाने वाली रेखा विज पर लि. लिली है जोर लि जान्ह वफ की अजों की बीचोंबीच को विनों पर उन स जी का साथ मनकोन बनाने वाली रेखा बिंदु ह पर मिलती हैं साबित करो कि जमदनी ह द की और जो तंब जसे त्रिभ ज अवस की भ ज अब पर गिराह दूनाहे उस लंब का जो हसे निभुज द य फा की भ जद य परहे (२२४)त्रिभुज अवस के कोनों से जो लंब उन कोनों के सामने की गुजा पर जिराये जायगे वह बिटु ग पर मिलते हैं और जो रेखा भजो चाक बला
और स वी कीचोंबीच के विन्दुको दाय और फसे उन म जों के साथ पराकोन बगालो नई खीची जी का बिट च पर मिलती। साबित
रोशिमा को को बन्द को और यमदूनी काम को और ग दूनी है दन की ( २३५ ) किमी निमज के लोगों से जो लंव उनके सामने से भुजों पर गिराये गये हैं वह बिन्दु ग पर मिलते हैं और जो रेखा उस कोनों की लामने के भजों के बीचोंबीच के विन्दुजों तक खींची गयी है मह बिन्दु ज पर मिलती है और जो रेखा उन भुजों के बीचोंबीच के वियों पर उनके साथ मसकोन बनाती हुई खींची गयी हैं वह बिन्दुक पर मिलती हैं साबित करो कि विटु ग,ज कौर क रकही सीधी रेखा में है (२३६ ) हर लिभ ज में उग रेखाओं का योग जो त्रिभुज की सुजों के वीचोंबीच के बिन्दुओं से उनके मामने के कोगों तक खौच जांयर्ग विभज की भ जों के योग से छोटा होगा और उस योग से बड़ा होगा (२३७) एक त्रिभ ज की दो भ ज और वह रेखा जो तीसरे मज के वीचोंबीच के बिन्दु से उसके सामने के कोन तक खींची गई है मालम हैं उस त्रिभुज को बनायो (२८) त्रिभ ज का गाधार और वह दो रेखा दी हुई हैं जो
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( १५२ )
त्रिभ ज के दो भुजों के बीचोंबीच के बिन्दुओं से उनके मारने के कोनों तक खींची गई हैं उस त्रिभ ज को बनायो । (२३६) वह रेखा जो किमी त्रिभ ज के कोनों से उनके मामने के भ - जों के बीचोंबीच के विंदुओं तक खींची गयी हैं मालमहैं उन त्रभु ज को बनायो (२४० ) अ व स त्रिभुज के अ कोम से अ द लम्ब बस आधार पर डा. ला गया है और अ य रेखा व अस कोन को दो वरावर हिस्सा में बांटती हुई खचीई है सावित करो कि द अ य कोन त्रिभुज के ब और स शोगों को अन्तर का प्राधाहै (२४१ ) का लदानान्तर चतुभ ज की एक भ ज और दोनों कर्ण दिये हुए में उप समानान्तर चतुज को बनायो
(२४२ ) सलकोन त्रिम ज अब स के समकोण अ के एक रेखा दो वरावर हिरले करती है और एक दूसरी रेखा भ ज बस के पिंटु द पर दो व रब हिस्से करती है और उसके माध समकोन वनाती है यह दोनों रेखा विट य पर मिलती हैं साबित करो कि द अ और द य च पममें बराबर हैं
( २४३) अ ब और अ स एक दूनरी के साथ समझोन बनाती है द कोई घिद्ध अब में योर य कोई बिन्दु अस है इसको कर्ण बनाकर ग्राधा की जिसका शीर्घ ज है बनाया गयाहै साबित करो कि ज की निधि वह सौधो रेखा है जो कोन ब अ स के दो बर बर हिस्से करती है। ( २४४ ) वर्ग अ ब स द क कर्ण अस पर वर्ग के वरावर एक ऐमा वि. धभकोन समचतुभुज अ य फ स बनाया गया है जिसका न्यन कोन विन्दु अपरहै अगर अफ मिलायी जाय तो कोन ब अस के तीन वराबर हि हिने होजांयगे ( २४५) समानान्तर चतुर्भजों में जिनकी भ जों का योग एक ही है वर्ग का रकवा सबसे बड़ा होगा। ( २४६) अ ब स त्रिभ ज के अ ब और ब स और स अ म जों के बीचों : वोच के बिटु तोब बार द , य ग्रार फ हैं और ह से द ज जा बफ की समानान्तर खींची गई है यफ के बहुर हिरम से ज बिंदु पर मिलती है नावित करो कि द स ज त्रिभुज की भ ज उन रेखाओं की लीव बार बराबर हैं अब स त्रिभुज के भ जों को बीचोंबीच के हिंदुओं से उन भजों के सामने के कोनों तक खोंची जायगी ( २४७ ) दिये हुए वर्ग में ऐसा बर्ग बनायो जिसका रकबा एक दिये हुए अर्गक रकबे के बराबरहो और बतायो कि दिये हग रकी की क्या कद होनी चाहिये
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स
( १६१ ) एक पैमाना धन है जिसकी हरएक सौंमा सम धरातल पैमाना धरातल है जेसे रेखायों के लिये एक फट लम्बा पैमाना मुकरर किया जाय तो एक वर्ग फुट धरातल के नापने के लिये और एक धन फट पिंड के नापने के लिये सकरर होगा फ़ज़ करो कि अब स द एक आयत क्षेत्र है जिसकी भुज अब पूरे २ चार पैमाने है और अद पूरे २ सात पैमाने है इसलिये अगर अब को चार बराबर हिस्सों में बांटें और अद को सात बराबर हिस्सों में बांटें और अब के भाग बिन्दुओं से अद की समानान्तर
और अद के भाग बिन्दुओं से अ ब की समानाम्तर रेखा खींची जावें तो साफ जाहिर है कि व जितने हिस्से उस ग्रायत क्षेत्र के इन रेखायों के खींचने से होंगे उनमें से हरएक हिम्मा एक बर्ग पैमाना है और चंकि हर ग्रायत क्षेत्र का क्षेत्रफल जितने पैमाने उसमें होते हैं उनकी तादाद से दर्याफ़त होता है इसलिये अब स द ग्रायत क्षेत्रका क्षेत्रफल भी उन्हीं बगों की तादाद से जिनमें वह समानान्तर रेखायों के खींचने से बटगया है करार पावेगा जब हम देखते हैं कि पड़ी हुई रेखा जो अद के समानान्तर हैं बह अायत क्षेत्रको चार बराबर हिस्सों में बांटती हैं और खड़ी रेखा जो अब के समानान्तर हैं उन बराबर हिस्सों में से हरएक के सात बराबर हिस्से करती हैं तो कुल छोटे हिस्सों की तादाद सात का चौगुना लेने से यानी मात को चार गुना करने से मालूम होजायगी इमलिये किसी यायत क्षेत्र के बर्ग पैमानों की तादाद दयोफत करने के लिये हमें उन दो अंकों को यापस मेंगणा करना चाहिये जो उन पैमानों की तादाद जो ग्रायत को दोपास की भुजों में हैं जाहिर करते हैं जब धरातल बर्गक्षेत्र है तो उसकी सब भुजा व्यापस में बराबर हैं यानी हरएक भुजा में पैमाने की तादाद एकही है इसलिये उस बगक्षेत्र में वर्ग पैमानों की तादाद र्याफत करने के लिये उस अंक को जो उसकी एकभुज के पैमाने तम्बाई की तादाद को जाहिर करता है उसी ग्रंक से गुण दो और यही सबब है कि ग्रंकगणित में बर्ग का अर्थ उस गुणनफल का नाम है जो किमी ग्रंक को उसीसे गुणा करने से हासिल होता है लेकिन विद्यार्थी को याद रखना चाहिये कि रेखागणित में वर्ग का शब्द जिस अर्थ में बोला जाता है वह अर्थ अंकगणित या बीजगणित में नहीं लिया जाता वरनहरेखागणित में बर्ग उसे कहते हैं जो एक रेखा पर बनाया जाय और अंकगणित व बीजगणित में वर्ग उस गुणनफल का नाम है जो एक ग्रंक को उसी से गुण देने से हासिल होता है अगर व किसी वर्गक्षेत्र की किसी भन के पैमाने की संख्या को जाहिर करे तो ब का गुणनफल जब कि उसको उसी अंक से गुणा दिया जाता है यानी ब x ब या ब वर्गक्षेत्र के बर्ग पैमानों की तादाद को जाहिर करेगा और
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( १६२ ) इसी तरह पर अगर ब और स किमी अायत की दो पाम की भुजों के पैमानों की तादाद को ज़ाहिर करें तो ब और स का गुणनफल यानी बx स आयत क्षेत्र के बर्ग पैमानों की तादाद को जाहिर करेगा इसलिये मालूम हुध्या कि उन तरीकों के वसौले से जो हमने ऊपर बयान किये हैं हर यायत क्षेत्र के क्षेत्रफल के परिमाणको बयान करसती हैं और उसकी सब ख़ासियतों पर जिन पर रेखागणित की रू से बहस होती है बी. गणित की रू से वहस करमतो हैं लेकिन जब बऔर स की जगह पर कोई खास मोल यानी मान २ या ३ या ४ इत्यादि रखना चाहे तो कामी २ ऐसा मालूम होता है कि दो परिमाण जिनको हम ब और स से ज्यान करते हैं एकानपवर्ता राशि हैं और चंकि गेसी हालत में कोई ममापबर्तक या पैमाना गो वह कैसाही छोटा लिया जाय नहीं दांपत हो. माता जियो वसोले से हरा उस प्रायत की मुजों की लम्बाई का अंदाजा कर सकें इसलिये इस हालत में कोई ठीक मान व और स की जगहों में नहीं काम में लासक्त हैं और इसलिये उस यायत का क्षेत्रफल हिमाव की रू से ठीक नहीं दयाफत हो सकता है ___ अब कि हमने यह बात जाहिर करदी कि रेखा व धरातल वर;
और ग्रंक में क्या सम्बन्ध है और क्या फर्क है इसलिये हम इस किताब में दसरे अध्याय की उन माथ्यों का जिनका सुबूत वीजगणित से हो सका बीजगणितीय साधन उनके आगे लिखेंगे
पहली साध्यका बीजगणितीय साधन फ़ज़ करो कि बस रेखा की लम्बाई अ पैमाने है और अरेखा की लम्बाई ब पैमाने है और बट,दय और यस रेखायों की लम्बाई क्रमसे म.न और कपैमाने हैं चंकि कुल अपने सब हिस्सों के बराबर होता है इसलिये अम+न+क अगर इन बराबरों में से हरएक को ब से गुणदें तो अब== बर(म+न+क) इसलिये अX बबX म+वxन+बxक
इसलिये उन दो अंकों का गुणनफल जिनमें से एक कई हिस्मों में बांटागया है बराबर है उन गुणनफलों के योग के जो बिना टुकड़े किये अंक को टकड़े किये अंक के हर हिस्से से गुण देने से हासिल होते हैं
यानी ( अगर इन गुणनफलों के अर्थ रेखागणित की रू से खयाल किये जावें) वर्ग पैमानों की तादाद जो गुणनफल अx बसे बयान होती है बराबर है उन बर्ग पैमानों की तादाद के जो ब+म,बx न और बxक के गुणनफलों के योग से दर्यात होती है
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अभ्यास (१) अगर दो सीधी रेखाओं में से हरएक कई २ हिस्से में बांटी जाय तो धरातल दो सीधी रेखाओं का बराबर होगा उन सब धरातलों के योग के जो एक रेखा के सब हिसे जुदे २ दूसरी रेखा के सब हिस्सों के साथ बनाते हैं
साध्य २-प्रमेयोपपाद्य सा.स.-अगर कोई सीधी रेखा दो हिस्सों में बांटी जाय तो धरातल जो कुल रेखा और उसके हर हिस्से से बनते हैं मिलकर बराबर होंगे कुल रेखा परके बर्गके
वि.स. करो कि सीधी रेखा अ ब अ स ब किसी दो हिस्सों में स बिन्दुपर बांटी गयी है तो अब और ब स का धरातल और अब और असका फय धरातल मिलकर बराबर होंगे अब परके बर्गके अं.-अव पर अदय व बग क्षेत्र बनाओ (१ सा०४६ ) __ और स बिन्दु से सफ रेखा अद या बय की समानान्तर खौं चो
(१ सा०३१) उप अब अ य क्षेत्र बराबर है अफ और सय क्षेत्रों के योगके
लेकिन अय क्षेत्र अव परका बर्गहै औरअफ धरातल है बअ और अस का क्योंकि वह द अ और अस का धरातलहै जिनमें से दस बराबर है अब के
और स य क्षेत्र अब और बस का धरातल है क्योंकि बय बराबर है अब के
इसलिये अब और अस का धरातल और अव और बस का धरातल मिलकर बराबर हैं अबपरके बर्ग के । फल.इसलिये अगर कोई सीधी रेखा आद्योपान्त- यही साबित
करना था
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( १६४ ) टि. यह साध्य इस अध्याय की पहली साध्य की एक खास सूरत है पहली साधा में अगर दोनों सीधी रेखा अापसमें बरावर हों और उनमें से एक दो हिस्सों में बांटीगयी हो तो पहली साधा और यह साधा एक हो जायगी
बीजगणितीय साधत फर्ज करो कि अब लम्बाई में ग्र पैमाने हैं और अस और बस में क्रमसे म और न पैमाने हैं
तो म+नइन बराबर चीजों में से हरएक को अ से गुण दिया इसलिये य--अम+x न
यानी अगर कोई ग्रंक दो हिस्सों में बांटा जाय तो कुल ग्रंक और उसके हर हिस्से का गुणनफल मिलकर वराबर होते हैं कुल अंक के वर्गके
अभ्यास (२) किसी सीधी रेखा पर का बर्ग उस रेखा के ग्राधे पर के बर्ग का चौगुना होता है (३) अगर अबस समकोन त्रिभुज का अ कोन समकोन है और अद, ब सभुजपर लस्प है सावित करो कि बस और बद का धरातल और बस
और स द का धरातल मिलकर बराबर हैं ब द और द स पर के वर्गों और अद पर के दूने वर्ग के
साध्य३-प्रमेयोपपाद्य सा.सू. अगर कोई सीधी रेखा किसी दो हिस्सों में बांटी जायतो धरातल जो कुल रेखा और उसके एक हिस्से से बनता है करा बर होगा उस हिस्से परके बर्ग और उस धरातल के योग के जी रेखा के दोनों हिस्सों से बनता हैवि.सू. फ़ज़ करी कि अब सीधी रेखा स व किसी दो हिस्सों में स बिन्दुपर बांटी गयी है तो अब और बस का धरातल बराबर होगा -
बस पर के बर्ग और अस और सब के धरातल के योगके प्र०-वस पर सदय व वर्गक्षेत्र वायो ( १ सा-४६)
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( १६५ ) और द य को फतक बढ़ाकर प्रबिन्दु से अफरेखा सदया बय की समानान्तर खोंचो
(१सा०३१) उ१०--अब अप आयत बराबर है अदऔर स य आयतों के योग के
लेकिन अयक्षेत्र अवऔर बस का धरातल है क्योंकि वह अब और बय का धरातल है जिनमें से वय बराबर है वस के ___ और अदक्षेत्र अस और सब का धरातल है क्योंकि सद बराबर है सब के और स य क्षेत्र वस परका बर्गहै
इसलिये अब और वस का धरातल बराबर है बस पर के बर्ग और अस और बस के धरातल के योग के फल-दूसलिये अगर कोई सीधी रेखा आद्योपान्त-यही साबित करना थाटि०१- यह साध्य भी इस अध्याय की पहली साधाकी एक खास सूरत है पहली साधा में अगर एक सीधी रेखा दो हिस्सों में बांटी गयी है और उनमें से एक हिस्सा दूमरौ सीधी रेखा के बराबर होतो पहली साधा और यह साधा एक होजायंगी.
टि. २. अगर दूसरी और तीसरी साधाों में अब और बस जुदी २ रेखा ख़याल की जावें तो अस उन रेखाओं का अंतर होगा और इसलिये दोनों साधा एक ही दावे में इस तरह बयान होंगी कि दोनों रेखायों का धरातल और उनमें से एक रेखा परके बर्ग का फर्क बराबर होगा उस धरातल के जो उस रेखा और दोनों रेखाओं के अन्तर से बनताई
वीजगणितीय साधन फूल करो कि अब लंबाई में अ पैमाने है और बस लंबाई में म और असलंबाई में न पैमाने है
__ तो अम+न इन बराबर जीज़ों को म से गुण दिया इसलिये मxव्यम+मन यानी अगर कोई ग्रंक दो हिस्सों में बांटा जाय तो कुल अंक और उसके एक हिस्से का गुणनफल बराबर होता है उस हिस्से के वर्ग और दोनों हितों के गुणनफल के योग के
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( १६६ )
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अभ्यास
(४) एक रेखा को इतना बढाओ कि बढी हुई समेत कुल रेखा बौर बढे हुए हिस्से की घरातल बराबर हो उस रेखा पर के वर्ग के टूने के साध्य - प्रमेयापपाद्य
अं
सा ० सू० अगर कोई सीधी रेखा किसी दो हिस्सों में बांटी जाय तो कुल रेखा पर का बर्ग बराबर होगा दोनों हिस्सों पर के बर्गों और उस धरातल के दूने के योग के जो उन हिस्सों से बनता है
वि०सू० फर्ज़' करो कि अब सीधी रेखा किसी दो हिस्सों में सबिन्दुपर बांटी गयी है तो अव
ह
स व
ज
परका बर्ग बराबर होगा अस और वस पर केद फ य बर्गों और अ स और व स के दूने धरातल के योग के
० अ ब पर प्र द य व वर्गक्षेत्र बनाओ
( १ सा० ४६ )
-
और वद को मिलाकर स बिन्दु से स ज फ रेखा अदया व य की समानान्तर और व द से ज बिन्दुपर और द य से फ बिन्दुपर मिलती हुई खींचो ( १ सा०३१ ) और ज से ह ज क रेखा अव या द य की समानान्तर और अद से ह बिन्दु पर और व य से क बिन्दु पर मिलती हुई खींचो ( १ सा०३१ ) उप . अब चूंकि सफ समानान्तर है अद की और बद उन पर गिरता है
इसलिये व जस बहि: कोनबराबर है अपने सामने के वद अ अंतः कोन के ( १ सा०२९ ) लेकिन बद अ कोन बराबर है द व अ कोन के ( १ सा०५ ) क्योंकि व अ और अद बर्गक्षेत्र की भुजा होने के सबब आ
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क
पस में बराबर हैं
इसलिये सजव कोन बराबर है स वज कोन के ( १ ख ० २ )
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( १६७ ) इसलिये सव भुज बराबर है स ज भुजके (१ सा. ६) लेकिन वस बराबर है जक के और स ज बराबर हैवक
(१सा० ३४) इसलिये व स स ज ज क और कब सब आपस में बराबर हैं और क्षेत्र सजकव समभुज क्षेत्र है
और ऐसेही सब कोन उस के समकोन हैं
क्योंकि जब सज रेखा बक रेखा की समानान्तर है और बस उन पर गिरती है क बस और बस ज कोन मिलकर दो समकान के बराबर है
( १ सा. २८) लेकिन कवस समकोन है
(१ प. ३०) इसलिये बस ज भी समकोन हुआ
और इसलिये स ज क और ज क व कोन भी जो उन के आमने सामने हैं समकोन हुए
(१ सा० ३४ ) इसलिये स ज बक समकोन चतुर्भज है और वह समभज पहले साबित होचुका है इसलिये वह वस पर का बर्ग है
और ऐसेही दलील से हफ बर्ग हज पर का है और हज बराबर अस के है
(१ सा० ३४) इसलिये ह फ और स क बर्ग अस और सव पर हुए और चूंकि अज पूरक बराबर है ज य पूरक के (१ सा०४३)
और अज पूरक अस और सव का धरातल है क्योंकि जस बराबर है सब के इसलिये ज य बराबर है अस और सब के धरातल के
इसलिये अजऔर ज य मिलकर बराबर हैं अस और सब के धरातल के दूने के और हफ और सक बर्ग हैं प्रस और सब पर के
इसलिये चारों क्षेत्र हफ, सक, अज और ज य बराबर हैं अस और सब परके बगों और अस और सब के हुने धरातल के योग के
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( १६८ )
लेकिन हफ, स क अज और जय मिलकर कुलक्षेत्र प्रद य ब को जो अब पर का बर्ग है बनाते हैं
इसलिये अव परका बर्ग बराबर हुआ अस और सप परके बों ओर अस और सब के हुने धरातल के फल-इसलिये अगर कोई सीधोरेखा आद्योपान्त-यही सावित करना था
अनुमान-इस साध्य के सुबू से साफ जाहिर है कि वर्ग क्षेत्र के कर्ण के गिर्द के समानान्तर चतुर्भुज भी वर्गक्षेत्र होते हैं
टि. १-इस साध्य को इस तरह पर भी साबित करते है
अब पर अद य ब वर्ग बनाओ और अफ,दज और यह बराबर बस के काटो और सफ, फज, - ज ह और इस मिलाओ
चंकि त्रिभुज असफ, द फज, य ज ह और बहस में भुज अफ, जद, हय और स ब यापस में बरावर और सुज सअ, फद, जय और हब यापस में बराबर हैं और कोग अ, द, य और ब पर समकोन हैं इसलिये चारों त्रिभुज सब तरह ग्रापस में बराबर हैं यानी अाधार सफ, फज,जह और इस आपस में बराबर और कोन असफ, द फज, य ज ह और बहस आपस में बराबर और कोन अफ स, दज फ, य ह ज और बसह कापस में बराबर हैं (१-सा०४) इसलिये चारों त्रिभुज मिलकर त्रिभुज अस फ के चौगुने है यानी अस और सबके धरातल के दूने हैं (१-सा-४१) का टिम्पन देखो
अब चंकि कोन असफ बराबर है कोन ब ह स के इसलियेकोनअसफ और वसाह मिलकर बराबर है कोन बहस और बस ह के लेकिन कोन बहस और बस ह मिलकर एक समकोन हैं (१-सा-३२) इसलिये कोन असफ और बस ह मिलकर एक समकोन हैं और कोन फ स ह एक स मकोन है (१-सा-१३) इसी तरह साबित होसक्ता है कि कोन सफज, फजह और ज ह स में से हरएक समकोन है इसलिये फ सजह क्षेत्र समकोन चतुभुज है और उसकी सुन स फ़, फज, म ह और हस आपप्स में बराबर हैं इसलिये स फ जहवर्ग है और बरावर है अ स और अफ परके वर्गों के यानी अस और सब परके वर्गों के ( १-सा-४७ ) इसलिये
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( १६० ) चारों त्रिभुज अस फ, द फज,यज ह और बहस और बगै सफ जह जो मिलकर अब परका वर्ग अदय ब बनाते हैं बराबर हैं अस और स ब परके बर्गो और अस और स ब के दूने धरातल के इसलिये अब परका वर्ग बराबर है अस और स ब परके बों और अस और सब के दूने धरातल के
टि०२ - इस माध्य के माबित करने की तीसरी रीति यह है चंकि अब परका गं बराबर है अब और बस
अ स म के धरातल और अब और अस के धरातलों के योग के (३०मा०२) लेकिन अब यौर बस का धरातल बराबर है बस परके वर्ग और अस और सब के धरातल के योग के और अब और अस का धरातल परावर है अस परके वर्ग और अ स और स ब के धरातल के योग के अमा०३) इमलिये अब परका वर्ग बराबर है अस और स ब परके वर्गों और अस और स ब के दूने धरातल के योग के
टि०३ - अगर हम अस और स ब को जुदी २ रेखा खयाल करें तो यह साध्य इस तरह बयान होगी कि दो रेखायों के योग पर का बरा वरावर होगा उन रेखाओं पर के गां के योग और उन रेखा के घगतल के दूने के याद रखना चाहिये कि रखागणित में दो रेखाओं के योग से वह एक रेखा मुराद है जो उन दो रेखाओं को इस तरह मिलाने से बने कि वह मिलकर एक मीध में हों
बीजगणितीयसाधन फर्ज करो कि अब लम्बाई में अपैमाने है और अस और सब लम्बाई में क्रम से म और न पैमाने हैं
तो ग्र=म+न इन वराबर चीजों का बर्ग किया इमलिये अ=(म+न)"
असार २३
इसलिये अ--म+२म x न+न
यानी अगर कोई ग्रंक दो हिस्सों में कांटा जाय तो कुल अंक का बर्ग बराबर होगा दोनों हिम्मों के बगों और उनके दूने गुणनफल के
अभ्यास (५) अगर एक सीधी रेखा कई हिमलों में बांटी जाय तो कुल रेखा पर का बर्ग बराबर होगा सब हिममों पर के बांय उन घरातलों के दूने के जो हर दो हिममों के जोडों से बनती है
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}
(६) अ ब स विभुषण का अ कोन समकोन है और अदरेखा नस भुज पर है साबित करो कि बद पर दसका धरातल बराबर होगा द पर वर्ग के
(७) व्यगर किसी अब ससमकोन त्रिभुज के बस कण में से बदबर - बर अब के और सय बराबर असके काटी जाय तो दयापर का बर्ग बराबर होगा बय और सदके धरातल के टूने के
(८) अगर किसी अ ब स सरकोन त्रिभुज के असमकोन से अदम्य बस पर गिराया जाय तो बस और अद के योग पर का वर्ग बड़ा होगा बौर सके योग पर के ब से बसुदर अ द पर के वर्ग के
(६) बसलकोन त्रिभुज के जिसका अ कोन समकोन है भुजों के योग भरका व दूना है उन धरातल का जो ब सचर असके योग ब्यौर
सौर अब के योग से बनती है
साधा ५ प्रमेयमवाद्य
शा० सू० .. अगर कोई सोधी रेखा दो बराबर और दो नाबरा
बर हिस्सों में बांटी जाय तो नाबराबर हिस्सों का धरातल और उस रेखा परका वर्ग जा भाग बिन्दुओं के बीच में है मिलकर बराबर होंगे आधी रेखा पर के वर्ग के
• सब पर सय फब वर्ग नेत्र बनाओ
०
प्र
वि०सू० - फ़र्ज़ करो कि अब सीधी रेखा
स बिंदु पर दो बराबर हिस्सों में और
द बिंदु पर दो नाबराबर हिस्सों में वांटी गयी है तो अद और द ब का धरातल और स द पर का वर्ग मिलकर बराबर होंगे सब पर के वर्ग के
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स उ घ
ह
17
क
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म
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१- सा०४६
और बय मिलाओ
और द से ह ह ज समानान्तर सयया बसकी ओर बय से
ह बिंदु पर और यफ से ज बिंदु पर मिलती हुई खींचो १-सा०३१ ह से कल म समानान्तर सब या यफ को और
और
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सय से न बिंदु घर और बफ से म बिंदु पर मिलती हुई खौंचो
१-सा०३१ ___और असे अक समानान्तर स लया बम को और मलका वे क बिंदु पर मिलती हुई खौंचो
१-सा०३१ उप-अब चूंकि सह पूरक बरावर है ह फ पूरक के १-सा.४३
इन दोनों बराबरों में से हरएक में दम मिलायो इसलिये कुल सम बराबर है कुल दफ के ९ख०२ लेकिन चूंकि अस बराबर है सब के
फज इसलिये अल बराबर है स म के
सा०३६ लेकिन सम बराबर द फ के साबित होचुका है इसलिये अल बराबर है टफ के इन दोनों बराबरों में से हरएक में सह मिलाओ इसलिये कुल अह बराबर है दफ और स ह के १-२०२
लेकिन अहक्षेत्र अद और दव का धरातल है क्योंकि वह बराबर है दब
और द फ और सह मिजाने से समजमापक बना है इसलिये स म ज मापक बराबर है अद ओर दब के धरातल के
इन दोनों बराबरों में से हरएक में बज जो सद परका वर्ग है (२ अध्या०४ सा० अनुमान ) मिलामो ___ इसलिये समजमापक और लअमिलदार वराबर हैं अद और दब के धरातल और सद पर को बर्ग के
१ख०२ लेकिन समजमापक और लज मिलकर सब फब क्षेत्र को जोस व परका बर्ग है बनाते हैं
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( १०२ ) इसलिये अद और दब का धरातल और सद परका बर्ग मि. लकर बराबर हैं सब परके बर्ग के फल-इसलिये अगर कोई सीधी रेखा आद्योपान्त-यही साबित करना था इस साध्य को इस तरह भी साबित करते हैं अ...... _स. द_ब
चंकि स द और द ब का धरातल और द ब पर का वर्ग मिलकर बराबर हैं स ब और ब द के धरातल के (२-मा ३) और अस बराबर है स ब के इसलिये स द और द ब का धरातल और द ब पर का वर्ग मिलकर बराबर हैं अस और ब द के धरातल के इन दोनों बराबरों में से हर राक में स द और द ब का धरातल मिलाया इसलिये स द और द ब के धरातल का दूना और द ब पर का बर्गमिलकर बराबर हैं अस और द ब के धरातल और स द और द ब के धरातल के योग के लेकिन अ स और द ब का धरातल और स द और द ब का धरातल मिलकर बराबर हैं अद और द ब के धरातल के (२-सा० १) इसलिये स द और द ब के धरातल का दूना और द ब पर का वर्ग मिलकर बराबर हैं अद और द ब के धरातल के इन दोनों बराबरों में से हरएक में स द पर का बर्ग मिलाया इसलिये स द और द ब के धरातल का दूना और स द और द ब पर के बग मिलकर बराबर हैं स द पर के बर्ग और अ द और द ब के धरातल के योग के लेकिन स द और द ब के धरातल का दूना और स द और द ब पर के बर्ग मिलकर बराबर हैं स ब पर के बर्ग के (२-मा० ४ ) इसलिये अद और द ब का धरातल और स द पर का बर्ग मिलकर बराबर हैं स ब पर के वग के टि. २ इस साध्य के पहले सबूत के देखने से मालूम होगा कि अद और दब का धरातल बराबर है स स ज मापक के लेकिन स म ज मापक स फ और ल ज क्षेत्रों का जो अस और स द पर के वर्ग हैं अंतर है अगर अस और स द जुदो २ रेखा खयाल की जावें तो अद रेखा अस और स द दोनों रेखायों का योग है और द ब उन रेखाओं का अंतर है और इसलिये यह अनुमान इस माध्य से सावित है कि किसी दो रेखाओं के योग और अंतर का धरातल बराबर है उन रेखायों पर के नगा के अंतर के
टि. ३ इस साध्य से सावित हुआ है कि अद और द ब का धरातल सौर स द पर का वर्ग मिन्न कर बराबर है अस या स ब पर के बर्ग के यानी हो नालगनर हिम्मद और हन मा धरानन हर सस्त में छोटा है अस
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( १७३ )
या स ब पर के वर्ग से लेकिन अ स या स ब पर का बर्ग अस और स ब का धरातल है इसलिये इससे यह फल माबित हुया कि किसी सीधी रेखा के दो हिस्सों का धरातल उस सूरत में सबसे बड़ा होगा जब भागान बिन्दु उस रेखा के आधे पर है
टि. ४ पांचवीं साध्य का दावा इस तरह भी क्यान होसक्ता है कि दो रेखाओं के योग के आधे पर का बर्ग उन रेखाओं के धरातल और रेखाओं के अंतर के अाधे पर के वर्ग के बराबर है क्योंकि अगर अद और द ब रेखा जुदी २ खयाल की जावे तो अस उन रेखाओं के योग की ग्राधी है
और स द उनके अंतर की व्याधी है और अ इ उन रेखाओं से वना हुछा धरातल है
बीजगणितीय साधन फज करो कि अब लम्बाई २ अ पैमाने है और उसका हरएक आधा अस या स ब लम्बाई में अ पैमाने है और स द लम्बाई में म पैमाने है ___ तो अब के दो नाबराबर हिस्सों में बड़ा हिस्सा अ द लम्बाई में (अ+म) पैमाने है और छोटा हिस्सा द ब लखाई में (अ-म) पैमाने है और म है(अ+म) और (अ-म) के अंतर का आधा
चंकि (अ+म) (अ-म)= अ-म इन दोनों वराबरों में से हरएक में म मिला दिया इसलिये (अ+म) (अ-म)+म=अ यानी अगर कोई अंक दो वराबर और दो नाबराबर हिस्सों में बांटा जाय तो नाबराबर हिस्सों का गुणनफल और उन हिस्सों के अंतर के ग्राधे का वर्ग मिलकर बराबर है उस ग्रंक के ग्राधे के वर्ग के
अभ्यास (१०) समकोन त्रिभुज की उन दो भुजाओं में से जो उसके समकोन को बनाती है किसी भुजा का बर्ग बराबर होता है उस धरातल के जो त्रिभुज की दूसरी भुज और कर्ण के योग और अंतर से बनता है
(११) ऐसा धरातल बनायो जो दो दिये हुए बगों के अंतर के बराबर हो (१२) किसी सीधी रेखा को ऐसे दो हिस्सों में बांटो कि उन हिस्सों का धरातल नराबर हो दिये हर वर्ग के
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( १७४ )
क ल
साध्य ६ प्रमेयोपपाद्य सासू- अगर कोई सीधी रेखा दो बराबर हिस्सों में बांटी जाय और किसी बिन्दु तक बढ़ायी जाय तो उस कुल सीधी रेखा जो बढाने से बनी है और बढ हुए हिस्से का धरातल और उस सीधी रेखा के आधे पर के बर्ग जो दो बराबर हिस्सों में बटी है मिलकर बराबर होंगे उस सीधी रेखा परके बर्ग के जो आधी रेखा और बढ़ हर हिस्से से बनी है
बि.स. फर्ज करो कि अब सीधी रेखा स बिन्दु पर दी बराबर हिस्सों में बटी है और द बिन्दु तक बढ़ायी गयी हो तो
अद और द ब का धरातल और बस अ स ब द परका बर्ग मिलकर बराबर होंगे स द पर हZ के बर्ग के अं. सद पर स य फ द बर्ग बनानी (१ सा०४६) य ज फ
और य द मिलाओ ब बिन्दु से ब ह ज रेखा स य या द फ की समानान्तर और द य से ह बिन्दु पर और य फ से ज बिंदु पर मिलती हुई खोंचो और ह से क ल म रेखा अद या य फ की समानान्तर और टफ से म बिंदु पर और स य से ल बिंदु पर मिलती हुई खौंचो और अबिंदु से अ क रेखा स ल या द म की समानान्तर और स ल क से क बिंदु पर मिलती हुई खौंची १-सा० ३१ उप. चूंकि अस बराबर है स ब के
इसलिये अल समकोन चतुर्भुज बराबर है स द समकोन चतुर्भुज के
१-सा० ३६ लेकिन स ह बराबर है ह फ के
१-सा० ४३ इसलिये अल बराबर है ह फ के
१-ख. १ इन दोनों बराबरों में से हरएक में स म मिलाया
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( १७५ )
इसलिये कुल अम बराबर है स म ज मापक के १-खा० २
लेकिन अम क्षेत्र अद और द ब का धरातल है क्योंकि दम बराबर है द ब के
इसलिये स म ज मापक बराबर है अद और दब के धरातल के
इन दोनों बराबरों में से हरएक में ल ज जो सब पर का वर्ग है मिलाया ___ इसलिये अद और द ब का धरातल और स ब पर का बर्ग मिलकर बराबर हैं समज मापक औरल ज के योग के १-ख. २
लेकिन स म ज मापक और ल ज क्षेत्र मिलकर स य फ द क्षेत्र जो स द पर का बर्ग है बनाते हैं __ इसलिये अद भौर दव का धरातल और सब पर का वर्ग मिल कर बराबर हैं स द पर के वर्ग के
फल इसलिये अगर कोई सीधी रेखा आद्योपान्त-यही साबित करना था टि. १ छठी साध्य का दूसरा सुबूत यह है न अ स ब द अस को न तक बपायो और स द के बगबर स न बनाओ
चंकि स न बराबर है स द के और स ब बराबर है अस के इसलिये कुल न ब बराबर है कुल अद के अब चूंकि न ब और ब द का धरातल और स ब पर का वलिव र बराबर हैं स द पर के वर्ग के (२- सा०५) और अदबावर न ब के साबित हो चुकी है इसलिये अद और द ब का धरातल और स ब पर का बलिकर बराबर हैं स द पर के वर्ग के टि. २ छठी साध्य के पहले सुबूत के देखने से मालूम होगा कि अह और द ब का धरातल बराबर है स म ज सापक के लेकिन स म ज मायक स फ ौर ल ज क्षेत्रों का जो स द और अ स पर के बर्ग हैं यंतर है अगर अस और स द 'जुदी २ रेखा खयाल की जाय तो अद रेखा अस यौर स द रेखाच्यों का योग है यौर द व उनका अंतर है और इसलिये यह अनुमान जो हम पांचवीं साध्य के टिप्पन में लिख चुके हैं इस छष्टी
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साध्य से भी साबित है कि किमी दो रेखाओं के योग और अन्तर का धरातल बराबर है उन रेखाओं पर के वर्गों के अंतर के टि. ३ अगर अद और द ब जुदी २ रेखा ख़याल की जावें तो स द उन दोनों रेखाओं के योग की ग्राधी है और स ब उनके अंतर की आधी है और अम उनसे वना हुया घरातल है और इमलिये इस साध्य का वही दावा हो सक्ता है जो पांचवीं साध्य का है (सा० ५ के टिप्पन ४ में देखो) यानी दो रेखाओं के योग के ग्राधे पर का बर्ग बराबर है उनके धरातल और उनके अन्तर के ग्राधे पर के वर्ग के
बीजगणितीय साधन फर्ज करो कि अब लम्बाई में २ अ पैमाने है और उसका आधा अस या स ब लवाई में अ पैमाने है और ब द लम्बाई में म पैमाने है
तो अ द लम्बाई में (२ अ+म) पैमामे है चूंकि (२ अ+म) x म=२४ अम+म इन दोनों बराबरों में से हरएक में अभिलाया इसलिये (२ अ+म) ४ म+ अ+२४ अ४ म+म
लेकिन अ+२४ अम+म-(अ+म) इसलिये ( २ अ+म) x म+२ -- ( अ+म )२
यानी अगर कोई अंक दो बरावर हिस्सों में बांटा जाय और कोई दसरा अंक पहले कुल ग्रंक और उसके एक हिस्से में मिलाया जाय तो टोनी अंकों के योग और दूसरे ग्रंक का गुणनफल और पहले ग्रंक के आधे का बर्ग मिलकर बराबर है उस अंक के वर्ग के जो पहले ग्रंक के आधे और दूसरे अंक के योग से बनता है
अभ्यास (१३) किसी सीधी रेखा को इतना बााओ कि कुल वही हुई रेखा और उसके बाद हर हिस्से का धरातल बराबर हो दिये हुए बर्ग के (१४) अबस त्रिभुज के किसौ अकोन से अद लम्ब बस भुज पर डा. ला गया है साबित करो कि अब और अस के योग और ग्रन्तर से जो धरातल बनता है वह बराबर होगा उस धरातल के जो बस और उम अन्तर से जो बदनौर सद के बीच में है बनता है (१५) अब स त्रिभुज के किसी अ कोन से अद लम्ब बस भुज पर डाला गया है सावित करो कि अब और अस का अन्तर छोटा है बद और सद के अन्तर से
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( १99 ) (१६) अब स ममद्विबाहु त्रिभुज है और उनके अब आधार पर यर उसके बाद हुए हिस्से पर द बिंदु है तो साबित करो कि अ द और दब का धरातल बराबर है अस और स द पर के वर्षों के अन्तर को (१७) अब, स द और य फ ऐसी तीन मीधी रेखा है कि अब और स द का यंतर वराबर है सद और यफ के अंतर के साबित करो कि अब और यफ का धरातल और अब और सद के यंतर परका बर्ग मिलकर बराबर हैं स द परके वर्ग के (१८) अबम विघमबाहु त्रिभुज हे स द लम्ब अब पर है और य विन्दु अवभुज के बीचोंबीच का बिंदु है माबित करो कि अस और सवघर के बी का व्यन्तर बराबर है उस धरातल के टूगे के जो जव और दबसे बनता है और इस नतीजे से लिमज का छलफल दीफल करने पर का बना लिखी जब कि उसके दोनों भुजों की लम्बाइयां मालूम है
साध्य-प्रमेयोपपाय सा.स . अगर कोइ सीधी देखा किसी दो हिस्सों में बांटी जाव तो कुल सीधी रेखा और उसके एक हिस्से पर का बर्ग मिलवार बराबर होंगे कुल सीधी रेखा और उस हिस्से के धरातल के दूने और दूसरे हिस्से पर के बर्ग के बिस ज़ज़ करो कि अब सीधी रेखा कि- स ब सी दो हिस्सों में सविंदु पर बांटी गयो है तो अब और वस परके बर्ग मिलकर बराबर होंगे अब और बस के टूने धरातल और अस परके बर्ग के अ..अम पर अदाय बबग बनाओ
और बाद मिलाओ
स बिंदु से सफ रेखाअद या वष की समानान्तर और बद से ज पर और दय से फपर मिलती हुई खौंचो १-सा०३१
और जसे ह ज क रेखा अवया दब की समानान्तर और अद से ह पर मिलती हुई और बय मे का बिंदु पर मिलती हुई खोचो
१-सा ३१
___
६
१-सा.
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( १७८ )
१- सा० ४३
उप. अब चूंकि म ज बराबर है जय के इन दोनों बराबरों में से हर एक में ल क मिलाया इसलिये कुल अके बराबर है कु लघ के इसलिये अक औरस य मिलकर दूने एक के २- ख०२ लेकिन शक और सय मिलकर अ क फ मापक पौरस क
१ - ख०२
वर्ग हैं
इसलिये कफ मापक और स क वर्ग मिलकर टूने अक के
लेकिन न्ध्र व और वस के धरातल का टूना भी अक से टूना है क्योंकि व क बराबर है बस के
इसलिये अ क फ सापक और लक वर्ग मिलकर बराबर है चद और बरा के धरातल के दूने के
इन दोनों बराबरों में से हरएक में हठ जो यल परका वर्ग है मिलाया
इकलिये चषक सापक चोर सवा वर्ग और हफ वर्ग मिलवार परावर व और बस के घरातल के टूमे और अस
परके बर्ग के
ह
लेकिन अकफ़ मापक और स क वर्ग और वर्ग नि लकर चदयव और स क क्षेत्रों को जो अब और बस पर के बर्ग हैं बनाते हैं
इसलिये अव और बस परके वर्ग मिलकर बराबर अब और व स के धरातल के दूने और न् स पर के वर्ग के पाल- इसलिये अगर कोई सीधी रेखा आद्योपान्त यही साबित
करना था
टि०१- सातवीं साध्य का दूसरा मुबूत यह है अस पर अदय स वर्ग बनाओ और दअ, और सयको बढ़ाकर च फ द ज और यह
यद CTET a के बनाओ और वफ, फज, जन्ह और हब को मिलायो
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VII
↑
Ú
स
ख
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है
( १७८ )
अ, द, य
चूंकि त्रिव अ फ फ द ज ज व ह और ह स ब में भुजा फ, द ज, यह और सब आपस में बराबर हैं गौर भुण चव, द फ, यज और सह व्यापम में बराबर है और कोन और स समकोन हैं इसलिये चारों त्रिभुज व तरह व्यापस में बराबर हैं यानी व्याधार वफ, फ ज ज ह हू ब ग्रापस में बराबर हैं और कोन अ अ फा, द फ ज य ज ह और स ह व व्यापस में बराबर हैं और कोन अफ व द जफ, यह ज और स वह व्यापम में बराबर है ( १ - सा० ४ ) इसलिये चारों त्रिभुज मिलकर त्रिभुज व स के चौगुने हैं यानी अ व और बस के बराल के दूने हैं (१- सा० ४१ के टि०२ को देखो )
चौर
में बराबर हैं इस
लाय कि कोन य ब फ बराबर है कोन द फ ज के इसलिये कोन और बफ और फब बराबर हैं कोन द फ अ फ ब के यानी बरावर हैं कुल कोन बज के लेकिन कोच व फ और अ फ ब मिलकर एक ममकोन हैं ( १ - सा० ३२ ) इसलिये कोन ब फ ज समकोन है और और इसी तरह साबित हो सक्ता है कि कोन फ ज ह ज ह ब बफ में से हरएक समकोन हैं इसलिये क्षेत्र ब फ ज ह समकोन चतुर्भुध है और उसकी भुज व फ, फ ज ज ह और ह व व्यापस लिये ब फ ज ह वर्ग बफ परका है और बराबर है वर्गों यानी अब गौर परके वर्गों के (१- सा० वर्ग बराबर चार त्रिभुत्र अ व क फ द ज ज य ह है और के धरातल और दस के योग के जो बहावर के दूने और स पर के वर्ग के इसलिये अ व और बस पर के वर्ग मिल के धरातल के छूने और कर बराबर हैं अ ब और टि. २ सातवीं साध्य का तीसरा सुबूत यह है और बस का धरातल बरावर है अस
व स
श्रव
वल
ब स
यस परके वर्ग के
स
सब के घर
तल
स व
और और परके वर्ग के ( २- सा० ३ ) इसलिये अव बस के और धरातल का टूना बराबर है अ स और स ब के धरातल के टूने और सब पर के वर्ग को दूने के इन दोनों बराबरों में से वरया में अस पर का व मिलाया इसलिये अ ब र ब स के धरातल का दूना और च स पर का वर्ग मिलकर बराबर हैं अस के धरातल के दूने और ल व पर और सब के वर्ग के टूने के और अ स पर के वर्ग के लेकिन च स और और अस पर के वर्ग मिलकर बराबर है यव चोर स व पर के वर्ग के (२०) इसलिये अब और व स पर से
सब के
धरातल का दूंगा
मिलकर
पर
बावर
न्य ज
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और
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व स के मानस के दूने और
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व चौर अ फ पर
०७, लेकिन ब फजह
पौर हस ब
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( १८० टि ३ अगर हम अब और बस को 'जुदी २ रेखा खयाल करें और इसलिये अस को उनका व्यन्तर समझे तो इस साध्य का दावा इस तरह क्यान होगा कि दो रेखाओं पर के वर्मा का योग बराबर है उनके धरातल व टूने और उनके गंतर परक वर्ग से।
सातवा साध्य के इस दावे और चौथी साध्य की उस दावे से जो उसके टिभ पन ४ में लिखा है हम इन दोनों साथ्यों का यह संबंध निकालते है
साध्य 8 से योग का बर्ग -- बों का योग + दूना घरातल साध्य ७ से बान्तर का बग- वगों का योग - दूना घरातल
बीजगणितीय साधन । पण पारो कि अब लम्बाई में अ पैमाने है और उनके हिसा अस और सब लम्बाई ले म और न माने हैं
तो अ=(म-न-न) इन दोनों वरावरों का वर्ग किया इमलिये अम+२ X म x न+ग इन दोनों बराबरों में से हरएक में न मिलाया इसलिये अ+ म+२ x wx न+२ न
रविन २४ मन+२४ न- २(स+न)- न -२xx न
इलिये अजस-२xxज
यानी अगर कोई अंक विसी दो हिस्सों में बांटाजाय तो कुल संक और कहिले के बरा मिलकर बराबर है कुल ग्रंक और उस हिसके गुणनफाला के दूने और दूसरे हिसी के जौ के
मल्यास (२६) अमराव रेखा स बिन्दु पर इस तरह वांटी जाय कि अस पर का बर्ग टूना हो स व पर की वर्ग से तो साबित करो कि अब और बस पर के बमों का बान्तर दूना से अव और बस के घराला का
साध्य ८ प्रमेयोपपाद्य मा० स० - अगर कोई सीधी रेखा दो हिस्सों में बांटीजाय तोल रेखा और उस के किसी हिस्से का चौगुना पातल और दूसरे हिस्से पर का बग मिलकर बराबर होंगे उस सीधी रेखा पर के वर्ग के जो कुल रेखा और पहले हिस्से से बनती है
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( १८२ )
बि० सू० - फर्ज करो कि अब सीधी रेखा किसी दो हिस्सों में स बिन्दु पर बांटोगयी है तो अब और बस के धरातल का चौगुना और अस पर का वर्ग मिलकर बराबर होंगे उस रेखा पर के बर्ग के जो अव और सब से बनती है
सब के
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च्प्रद पर प्र यफ द वर्ग बनाओ दय मिलाओ
इसलिये जक बराबर है कन के
इसीतरह रखर बराबर है रच के
अ
म
21
त
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स व द
बाक
ख
र
न
421
० प्रव को द तक इतना बढ़ाया कि ब द बराबर हो
१
सा० ३
१- सा० ४६
च
य ह ल फ
व ओर सबिन्दुओं से व ल और सह रेखा अय या दफ की समानान्तर और दय से क चोर व पर और यफ से ल औरह पर मिलती हुई खींचो (२ सा० ३९ )
क और ख से मजकन और त खरच रेखा च्प्रद या बफ की समानान्तर खींचो ( १ स० ३१ )
उप० -- अब चूंकि सब बराबर है बद की और सब बराबर है जक की और बद बराबर है कन के
चूंकि सद बराबर है बद के और ज क बराबर है कन के इसलिये सक उसकोन चतुर्भुज बराबर है व न समकोन चतुर्भुज के और जर बराबर है रन के
( १ सा० ३३ )
लेकिन स क बराबर है र न के
( १ सा० ४३ )
इसलिये व न सक. जर ओर रन चारों समकोन चतुर्भुज
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( १८२ ) आपस में बराबर हैं और चारों मिलकर किसी एक सक के चौगुने से ___ चूंकि सब बराबर बद के और बाद बराबर बक के है यानी बराबर सज के है और चूंकि सब बाबर जक यानी जब के है इसलिये सज बराबर जख को है
चूंकि स ज बराबर जख के और स्वर बराबर र च के है इसलिये अज बराबर मश्व के और खल बराबर एक के है
( १सा० ३६) लेकिन मख बराबर खल के है
(१सा० ४३ ) इसलिये अज बराबर रफ के है ( १रू. १) इसलिये अज,मख,खल और रफ चारों समकोन चतुभज आपस में बराबर में और चारों मिलकार किसी एक अज के चौगुने हैं
और यह साबित होचुका है कि समवन,जर और रमचारों समकीन चतुर्भुज मिलकर सक के चौगुने हैं ___ इसलिये आठों समकोन चतुर्भुज जिनसे अवह मापक बनता है अक के चौगुने हैं ____ चूंकि अकक्षेत अव और बस का धरातल है क्योंकि वक बराबर है बस के इसलिये अब और बस के धरातल का चोगुना अक का चौगुना है
लेकिन यह साबित हो चुका है कि अचह मापक अक का चौगुना है
इसलिये अब और नस के धरातल का चौगुना बराबर हे अचह सापक के
( १स्व. १)
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( १८३ )
इन दोनों बराबरों में से हरएक में तह जो अस यर का बर्ग है मिलाया
इसलिये अब और बस के धरातल का चौगुना और अस परका बर्ग मिल कर बराबर हैं अचह मापक और तह वर्गके
लेकिन अचह मापक ओर तह बर्ग मिलकर अयफद क्षेत्र को जो अद पर का बर्ग है बनाते हैं।
इसलिये अब और बस के धरातल का चौगुना और प्रस पर का वर्म लिखवार बराबर हैं अदपर के बर्ग के यानी उस रेखा पर को दा के जो अब और बस से बनती है
फल-इसलिये अगर कोई सीधी रेखा आद्योपन्त-यही साबित करना था टि. १ पाठवौं साय का दूसरा सुबूत यह है
अबको द तक इतना बाहायो कि ब द बरावर हो बस की चौराह पर अ य फ द वर्ग बना-स यो ( १ अ० मा० ४६ ) अ य में से अज और यफ में हो यह और कद में से पाक परावर बदाको समायोन ख जल रेखा अद को समानान्तर और हम रेखा यह फ अय को समानान्तर और कन रेखा यफ की समानान्तर और वख रेखा दशक की समानान्तर खींचो
बंकि अद, अय, यफ और फ द अापस से बराबर हैं और अज, यह, फक, और दब व्यापम में बराबर हैं इसलिये अब, जय, हफ पौर बाद डायल में बराबर है (१ ग०-ख०३) इसलिये अल,जह,ह क और कार समकोन चतुभुज ज्यापस में बराबर हैं (१ असा०३६) और चारों मिलकार किसी एक अल के चौगुने हैं लेकिन अब और बस के धरातल का चौगुना भी अलका चौगुना है क्योंकि बल बराबर है बस के इसलिये भल, जह, हक और कब खदाकोन चतुज मिलकर बराबर हैं डाव और बस के चौगुने धरातल के
फिर कि जल, मह, न क और ख ब व्यापस में बराबर हैं क्योंकि हर एक बराबर है अबके और जम, हन, क ख और बल लापन में
।
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( १८४ ) बरावर हैं क्योंकि हर एक बराबर है बस के इसलिये लम, मन, नख, ख ल और अस यापस में बराबर है इसलिये मख समकोन चतुर्भुज अस परका वर्ग है लेकिन यह सावित होचुका है कि अल, जह, हक
और कब सम्मकोन चतुर्भुज मिलकर वरावर हैं अब और बस के चौगुने धरातल के इसलिये अल, जह हक, कब और मख यांचों ससकोन चतुर्भुज मिलकर बराबर हैं अब और बस के चौगुने धरातल के और अस परके वर्ग के लेकिन यह पांचों समकोन चतुर्भुज मिलकर अयफ द को जो अद परका वर्ग है बनाते हैं इसलिये अब और बस के धरातल का चौगुना चौर अस परका वर्ग मिलकर बराबर है अद परके वर्ग के यानी उस रेखा परके वर्ग के जो अब और बस से बनती है टि. २ आठौं साध्यका तीसरा सुबूत बाट है .........म. व ट
को दलका उत्तम माया कि बद बराबर हो बस के कि अब और ब द के धरातल का दूना और अब और वद परक वर्ग मिलकर बराबर है अह घरको वर्ग के ( २-सा०४ ) लेकिन ब द बराबर है बस से इसलिये सब और बस के धरातल का दूना और अब और बराबर मग मिलकार बराबर में अद परकेबर्ग के लेकिन अब और बस परके वर्ग मिल कर बराबर हैं अब और बस के धरातल के टूने और अस परक वर्ग के (२-०७) इतलिये अब कौर बस के धरातल का चौगुना
और अस परका कई मिलबार बराबर में अद परको वा वानी उस रेखा परके वर्ग के जो अब और ब स से बनी है टि० ३- नगर अब और ब स जुदी २ रेखा खयाल की गलिो इन साध्य का दावा इस तरह बयान होनता है कि दो रेखायों के योग परका वर्ग उनके अंतर परक वा से बकदर उनकी धरातल के चौगुने के जिया. दा होता है
बीजगणितीय साधन फ़ज़ करो कि अब रेखा लम्बाई में अ पैमाने और उस के अस और स बहिर लम्बाई में कम से भ और न पैमाने है
तो अ-स+न इन दोनों बराबरों में से हरएक में से न निकाला इस लिवे स-अ-न इन दोनों बराबरों का वर्ग किया
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( १८५ )
इसलिये मर= अरे-२४ अन+मर इन दोनों बराबरों में से हरएक में ४ x x न मिलाया इसलिये ४xx न+म=अ +२४ अ४ न+न लेकिन अ+२४ अx न+न =(अ+न )२ इसलिये ४४ अx न+म=(अ+न)२
यानी अगर कोई ग्रंक दो हिस्सों में बांटा जाय तो कुल अंक और उसके एक हिस्से का चौगुना गुणनफल और दूसरे हिस्से का वर्ग मिलकर बराबर है उस अंक के वर्ग के जो कुल ग्रंक और उसके पहिले हिस्से के योग से बनता है
अभ्यास (२०) दूमरे अध्याय की ८ वी साध्य को उसी अध्याय की ५ वौं या ६ वों साधा की मदद से साबित करो
साध्य, प्रमेयोपपाद्य सा.सू. -अगर कोई सीधी रेखा दी बराबर और दो नाबराबर हिस्सों में बांटीजाय तो दो ना बराबर हिस्सों पर के बर्ग मिलकर दूने होते हैं आधी रेखा पर के वर्ग और उस रेखा पर के बर्ग के जो भागबिन्दुओं के बीच में है
वि०सू.-फर्ज करोकि अब सीधीरेखा AL स बिंदु पर दो बराबर हिस्सों में और द बिन्दु असले पर दो ना बराबर हिस्सों में बांटी गयी है तो अद और दब पर के बर्ग मिलकर टूने होंगे अस और सद पर के बगों के योग के
अं. स बिंदु से स य रेखा अब के साथ समकोन बनाती हुई खाँचो
१-सा० ११ सय बराबर अस या सब के बनाओ १-सा० ३ और य अ या यब मिलाश्री
दसे दफ रेखा सय की समानान्तर और यब से फ बिंदु पर मिलती हुई खोंची और फ से फज रेखा प्रब की समा
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नान्तर खोंची
१-सा०३१ और प्रफ मिलाओ उप. अब चूकि अस बराबर है सय के इसलिये अयस कोन बराबर है यअस कोन के
१- सा० ५ ___ चूंकि असय कोन समकोन है इसलिये अयस और यअस कोन मिलकर एक समकोन है (१-सा० ३२)
और चूंकि यह दोनों कोन आपस में बराबर हैं इसलिये हर एक दून में से आधा समकोन है
इसी तरह सघव और पवस कोनों में से भी हरएक आधा समकोन है इसलिये कुल अयव कोन समकोम है
चूंकि जयफ कोन आधा समकोन है और यजफ समकोन है क्योंकि वह बराबर है अपने सामने के यसवअन्तः कोनके
(१-सा० २८) इसलिये यफज आधा समकोन है
इसलिये जय फ कोन बराबर है यफज कोन के इसलिये जफ भुज बराबर है जय भुज के (१-सा. ६)
फिर चूंकि फबद आधा ससकोन है और फब समकोन है क्योंकि वह बराबर है अपने सामने के यसब अंत: कोन
(१-सा. २८) इसलिये बफद आधा समकोन है इसलिये फवद कोन बराबर है वफद कोन के इसलिये दफ भुज बराबर हे देव भुज के (१-सा. ६) चूंकि अस बराबर है सस के इसलिये अस पर का बर्ग सय घर के बर्ग के बराबर है
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( १८७ ) इसलिये अस और सय पर के बर्ग मिलकर दूने हैं अस पर के बर्ग के
(२-ख० २) लेकिन अय पर का बर्ग बराबर है अस और सय पर के बर्गों के योग के
(१-सा० ४७) इसलिये अय पर का बर्ग टूना है अस पर के बर्ग का फिर चूकि य ज बराबर है जफ के इसलियेयज पर का बर्ग बराबर है जफ पर के बर्ग के
इसलिये यज और जफ परके बर्ग मिलकर दून हैं जफ पर के बर्ग के
(२-स्व० २) लेकिन यफ पर का बर्ग बराबर है यज और जफपर के बगों के योग के
(१-सा० ४७) इसलिये यफ पर का बर्ग टूना है जफ परके बर्ग का लेकिन ज फ बराबर है सद के
(१-सा० ३४) इसलिये यफ पर का बर्ग दुना है सद पर के बर्ग का लेकिन अय पर का बर्ग दूना है अस पर के बर्गका इसलिये अय और यफ पर के बर्ग मिलकर दूने हैं प्रस और सद पर के बगों के योग के
लेकिन अफ पर का बर्ग बराबर है अय और यफ पर के बगों के योग के
(१-सा० ४७) इसलिये अफ पर का बर्ग दूना है अस और सद पर के बगों के योग का
लेकिन अद और द फ पर को बर्ग मिलकर बराबर हैं अफ घर के बर्ग के
(१-सा० ४७) इसलिये अद और दफ पर क बर्ग मिलकर दूने हैं अस और सद पर के बगों के
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( १८८ ) लैकिन दफ बराबर है दव के इसलिये अद और दव पर के बर्ग मिलकर दूने हैं अस और सद पर के बगों के
फल-इसलिये अगर कोई सीधी रेखा आद्योपान्त-यही साबित करना था टि. १- भवौं साधा का दूसरा सुबूत यह है
श्रास दब चंकि अद परका बगै बराबर है अस और सद के धरातल के दूने और अस और सद पर के बगों के (२-सा ४) और बस और सद के घ. रातल का दूना और द ब पर का बर्ग मिलकर बरावर हैं बस और सद पर के बगों के (२ अ०-सा० ७) इसलिये अद और दब पर के वर्ग और बस और स द के धरातल का दूना मिल कर बरावर हैं अस और सद के धरातल के दूने और सद पर के वर्ग के दूने और अस और बस पर के बगों के (१ अ०-स्व०२) लेकिन बस बराबर है अस के इसलिये अद
और द ब पर के बर्ग और अस और सद के धरातल का दूना मिलकर बराबर हैं अस और सद के धरातल के दून और अस और सद पर के बों के दूने के इन दोनों बराबर में से हर एक में से अस और सद के घरातल का दूना निकाल डाला इसलिये अद और द ब पर के बर्ग मिलकर दूने हैं अस और सद पर के बों के (१ अ० ख० ३) टि. २ नवी साध्य में साबित हुया है कि दो नाबराबर हिस्सों अद और द ब पर के बर्ग मिलकर दूने है अस और स द परके वर्गों के यानी बराबर है अ स और स ब पर के वर्गों के और स द पर के वर्ग के दूमे के इसलिये दो बराबर हिस्सों अस और स ब पर के वर्ग मिलकर दो भाबराबर हिस्सों अद और द ब पर के बगों से हमेशह कम हैं इसलिये इस साध्य से यह अनुमान साबित हुआ कि किसी रेखा के दो हिस्सों पर के बगों का योग उस हालत में सबसे कम होगा जब कि भागबिंदु रेखा के आधे पर है
बीजगणितीय साधन फर्ज करो कि अब रेखा लम्बाई में २ अ पैमाने है और उसका आधा मस या स ब लम्बाई में अपैमाने है और स द रेखा जो भागबिंदुओं के बीच में है म पैमाने हैं
तो अ द लम्बाई में (अ+म) पैमाने है और द ब लम्बाई में (अ-म) पैमाने है
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( १८० )
S
३
अव ( अ + म) = अ + २ x अ× म + म
२ २
और ( अम) = अ - २ × अ × म + म
२
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२
इसलिये (अ + म) + (अ-म) = २अ +२म
यानी अगर कोई व्यंक दो बरावर और दो गावरावर हिस्सों में बांटा जाय तो दो नावरावर हिल्मों के वर्ग मिलकर दूने है आधे अंक के वर्ग और नाबराबर हिस्सों के अन्तर के व्याधे के वर्ग के
२
अभ्यास
(२१) किसी सीधी रेखा को ऐसे दो हिस्सों में गांटो कि दोनों हिस्सी परके वर्ग मिलकर बराबर हों दिये हुए वर्ग के और बताओ कि किम हालत में इस साध्य का मावित होना नामुमकिन है
(२२) अगर कोई अब सीधी रेखा स बिन्दु पर दो बराबर हिस्सों में और द विन्दु पर दो नावरावर हिस्सों में बांटी जावे तो अद और दब परको वर्ग मिलकर बराबर होंगे स द परके वर्ग के चौगुने और अद और दबको धरातल के दूने के
(२३) अगर अब स ममकोन ममदिवाहु त्रिभुज के बस करण में कोई. द विन्दु लिया जाय तो अट् परके वर्ग का टूना बराबर होगा बद और दस पर वर्गों के
साध्य १० प्रमेयोपपाद्ये
सा. सूत्र - अगर कोई सीधी रेखा दो बराबर हिस्सों में बांटी जाय और किसी बिन्दु तक बढ़ायी जाय तो कुल बढ़ी हुई रेखा पर का वर्ग और बढ़ े हुए हिस्से पर का बर्ग मिलकर टूने होंगे या - धी सीधी रेखा पर के बर्ग और उस रेखा पर के वर्ग के जो आधी रेखा और बढ़े हुए हिस्से से बनती है
दूने होंगे अस और सद पर के वर्गों के
० सबिन्दु से सय रेखा अब के साथ समकीन बनाती हुई खींचो? - सा० ११
वि० सूत्र फ़र्ज़ करो कि व सीधी रेखा स बिन्दु पर दो बराबर हिस्सों में बांटी गयी है और द तक बढ़ायी गयी है तो प्रद और दब पर के वर्ग मिलकर
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स
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और सघ बराबर अस या सब के बनाओ और अय और यव मिलायो
य से यफ रेखा अव की समानान्तर और द से दफ रेखा सघ की समानांतर और यफ से फ बिन्दु पर मिलती हुई खौंचो
१-सा० ३१ उप अब चूंकि यफ रेखा सय और पद दो समानान्तर रेखाओं पर गिरती है
इसलिये सयफ और याद कोन दोसमकोन के बराबर
ना
इसलिये बाइक और थकद कोन दो समकक्षोन से कम हैं
इसलिये यब और कद अगर ब और द कीवर बढायो जाय तो मिल जायगी
१-१० १२ मज़ करी वियच शोर कद बढ़बार जबिन्दु पर मिलती हैं अब मिलायो
अय चूंकि अस बराबर है सय के इसलिये सयअ कोन बराबर है बस कोन के सा. ५ और प्रसय समकोन है
इसलिये सघ अ और यप्रस कोनों में से हरएक आधा समकोन है
(१-सा०३२) इसी तरह स यव और बवास में से हरएक बाधा समकोन है इसलिये कुल अयब समकोन है चूंकि पवस कोन आधा समशीन है इसलिये द बज कोन भी आधा सभकोन है १-सा०१५
लेकिन वदज समकीन है क्योंकि वह बराबर है दस एकान्तर कोन के
१-सा०२८ इसलिये दजब आधा समकोन है और इसलिये बराबर है दवज कोन के
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( १८१ )
इसलिये व ह भज बराबर है दज भुजको १-सा०६
फिर चूंकि यजफ आधा सम कोन है और य फज समकोन है क्योकि वह बराबर है घसद कोन के १-सा ३४
इसलिये फयाज आधा समकान है और इसलिये बराबर है ৭ ) ( লণ इसलिये जफ बराबर है फब को
चूंकि यस बराबर है लाभ के इसलिये यस परता व वरावन है सभ परकी बर्ग के इसलिये या मोर लभ पर के मार्ग मिलकर दूने से सअपर को वर्गो लेकिन अपरका बर्ग बराबर है यस और सत्र परके बगों
-सा ४० इसलिये यत्र पर का बर्ग टूना है इस परके बर्गका फिर चूंकि जय बरावर है फव के इसलिये नफा घरका बर्ग बरसर है पाय पर के बर्ग के __ इलिय जफ और फय परके बर्ग मिलकर दूने में कय पर के वर्ग के
लेकिन व जपरका बर्ग बराबर है जक और फय परके बगाके
१-सा०४७ दुरालिये यज परका बर्ग दूना है फय परके वर्गका लकिन कब बराबर है स ह के
१-सा०३४ इसलिये य ज परका वर्ग दूना है सादा परके वर्गका
लेकिन यह साबित होचुका है कि यज पर का बर्ग टूना है इस पर के वर्गका
इसलिय य अ और यज पर के मग मिलाकर दून रे आसार
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( १८२ )
लेकिन अज परका बर्ग बराबर है य अ और यज परके बाँके
१-सा०४७ इसलिये अज परका बर्ग दूना है अस और सद परके बगीका
लेकिन अद और दज पर के बर्ग मिलकर बराबर हैं अज परके बर्ग के
१-सा०४७ इसलिये अद और दज परके बर्ग मिलकर दूने हैं अस और सद परके बगीके लेकिन दज बराबर है दन के
इसलिये अद और दान परके बग मिलकर दूने हैं अस और सद परके बगाके फल-इसलिये अगर कोई सीधी रेखा आद्योपान्त-यही साबित करना थो टि. १ - दसवीं माध्यका दूसरा मुबूत टोक वैमाही है जैसा कि नवीं साध्य का दूसरा सुबूत है ___ कि अदपरका वर्ग बराबर अस और सदन म ब 'ट के दूने धरातल और बस और सद परको बांके (२-सा०४) __योर बस और स द का दूना धरातल और दव परका बर्ग मिलकर बराबर है बस और स द घर के बाँके (२-सा०७ ) इसलिये अद और द ब परके वर्ग और बस और स द का टूना धरातल मिलकर बराबर हैं अस और सद के दूने धरातल और स द परके दूने बर्ग और अस और स ब परके बाँके (१-ख०२) लेकिन बस बराबर है अस के इसलिये अद और द ब पर के वर्श और कास और स द का दूगा धरातल मिलकर बराबर हैं अस और सद के दूने धरातल और अस और स द पर के वर्गाके दने के इन दोनों बराबरों में से अस और स द का ट्रना धरातल निकाल डाला इसलिये अद और द ब परके बर्ग मिलकर दूने हैं अस और स द पर के बर्गों के टि० - २ दसर्वी साध्यका तीसरा सुचूत वह है य.._स_वद
बअ को य तक बाजाओ और अ य बराबर बद के बनायो कि टू अ और अय परके वर्ग मिलकर दूने है दसौर स अपरके बीके
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( १८३
)
(२-मा० ) और अय बराबर है द ब के इसलिये अद और बद परके बर्ग मिलकर दूने हैं अस और स द परके वर्गों के
टि० ३ ४ वीं और १० वौं साध्य का एकही सुबूत जो “मिस हल्डाहडसन ने ईजाद किया है नीचे लिखा जाता है
अब बिंदु स पर दो बरावर हिस्सों में बांटी गई है और बिंदु द पर दो नाबराबर हिस्सों में ( अन्त: खंड साध्य ! अध्याय २) या (बहिः खंड माध्य १० अध्याय २) बांटी गई है
अद और अस और सद पर अब के एकही तर फअदयफ
और अ स ज ह और सद क ल ल । वर्गबन यो
१-सा०
अ स द ब अ स ब द
ल
प +नक
-
-
-क
ह
अ य वर्ग के अन्दर फह पर फहम न वर्ग बनायो १-सा० ४६ यह बराबर है स द पर के वर्ग के
फर्ज करो कि न म और क ल ( बढ़कर अगर जरूरत हो) प बिंदु पर मिलते हैं व्यब प य बराबर है अ स पर के वर्ग के और प ज बरावर है ब द पर के वर्ग के अद और द ब पर के वर्गों का योग बराबर है अ य व्यौर प ज क्षेत्रों के यानी बरावर है अ ज और प य और सक और फ म के यानी दूना है अज और स क के योग का यानी अस और स द पर के बर्गो का दूना है टि. ४ यह जाहिर है कि नवौं साध्य का कल्पित अर्थ वही है जो पांचवौं साध्य का है और दसवीं साध्य का कल्पित अर्ध वही है जो छटी साध्य का है . दसर्वी माध्य नवौं साध्य के साथ वहौ इलाका रखती है जो छठी साध्य पांचवीं के साथ रखती है और इसलिये नीचे लिखे दो दावों में हरएक नवीं और दसवीं दोनों माध्यों का दावा हो सकता है १ दो रेखाओं पर के बर्ग मिलकर उन रेखाओं के योग और ग्रन्तर के आधों परके वर्गों के दूने होते हैं क्योंकि अगर अद और द ब जुदी २ रेखा खयाल की जावें तो स द और अस में से एक उन रेखाओं के योग की भयाधी न्यौर दूसरी उनके व्यन्तर की प्राधी है।
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( १८४ )
(२) दो रेखाओं के योग और अन्तर पर के बर्ग मिलकर दूने होते है उन रेखाओं पर के वर्गों के क्योंकि नगर अ स और स द जुही २ रेखा खयाल की जावें तो अद उनका योग और व द अन्तर
बीजगणितीय साधन फर्ज करो कि अ ब लम्बाई में २ अ पैमाने और उसके आधे अस या स ब लम्बाई में अपैमाने हैं और ब द लम्बाई में समाने है इसलिये अट लम्बाई में (२+म) में माने और स द लम्बाई में (अ+म)
फि (२+ज):-
+8x अम+म
इसलिये (२अ+म)म-४ अ-+3xxम+२ म
लेकिन अ+xx अ
म+२म-२अ-+२+8xxस--- रस
=२ + २(अ+म) इसलिये (२+म)+म=२(अ+म)+२ इसलिये अगर कोई दिया हुआ अंक दो वरावर हिस्सों में बांटाजाय और कुल अंक और उसके एक हिस्से में कोई दूसरा अंक मिलाया आय तो बादाहुआ कुल अंक और दूसरे व्यंक के बर्ग मिलकर दूने हैं दिये हुए बंक के अाधे और उस अंक के वर्ग से जो दिये हुए ग्रंक से गाये और दूसरे जंक से बना है
अभ्यास (२४) अ न स त्रिभुज में अद रेखा अ कोग से ब स को द बिंदु पर दो बराबर हिस्सों में काटतो हुई सींची गई है मावितः शाशे किया था और अश पर के वर्ग मिलकर दूने हैं ब द और द अपर के बगी के ( २५ ) साबित करो कि समानान्तर चतुर्भज के चारों भुजों पर के व मिलकर बराबर हैं उसके दोनों वाणां पर के बों के (२६) अ ब स द चतुर्भुज के अस और ब द कर्ण के बीचों बीच के य और फ बिंदु हैं सावित करो कि चारों भुजों पर के वर्ग मिलकर बराबर है दोनों कर्णां घर के वर्गों के और य फ पर के चौगुने वर्ग के
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( १९५ )
(२७) किनी अ बिंदु से किसी ब स द य समकोन समानान्तर चतुर्भुज के चारों कोनों तक अ ब और अ स यौर अ द और अ य रेखा खींची गई हैं मामिल करो थिा अब और अद पर के वर्ग मिलकर बराबर है अस और अव पर के बों को (२८) चार शक विभुज के अाधार की लम्बाई और जगह मालूम है और उसके गुणों पर को वों का योग एकही हे साबित करो कि इस त्रिसुज के शी का निधि एक वृत्त है (२८) उदार अब स त्रिनुज के बस आधार पर द ऐसा बिंदु है कि
व और ब द घर के वर्ग मिलकर बराबर हैं अस और स द पर के घी की नो अद के बीचों बीच का विदव और स से वरावर दूरी पर होगा (३०) बानीधी रेखा और दो वि दिये हुए है उस रेखा में एक शेशा निंद दांपत बारो कि उन रेखाजों पर के वर्षों का वोग जो दिये हुए बिलों से उन विंदु तक खींचोजाय सव से छोटा हो
साध्य ११ वरलूपपाय सा ही हुई रेखा को ऐ में दो हिस्सों में बांट कि कुल रेखा और उसके एक हिस्से का घरातल बराबर हो दूसरे हिस्से पर के वध के
बि. स. फज़ करो कि अब दी हुई सीधी फज रेखा है उसको ऐसे दो हिस्सों में बांटना है कि कुल .. अब रेखा और उसके एक हिस्से का धरातल अहार को दूसरे हिस्से पर को वर्ग के
सीधी ।
-अब पर असहन बग बनायो १-सा० ४६ अस को बिंदु पर दो बराबर हिस्सों में बांटो १-सा० १० बब मिलाओ और स अ को क तक इतना बड़ाओ कि
बराबर हो ब ब के अमा पर माजह त्र बग बनाओ
१-सा. ४६
ब
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( २८६ ) तो अब रेखा ह बिंदु पर ऐसी बंटी कि अब और बह का धरातल बराबर होगा अह पर के वर्ग के ज ह को बढ़ाओ कि वह स द से क पर मिले
अब चूंकि अस रेखा य बिंदु पर दो बराबर हिस्सों में बंटी है और फ तक बढ़ायी गयो है
इसलिये सफ और फ अ का धरातल और अय पर का वर्ग मिलकर बराबर हैं फय पर के बर्ग के २-सा. ६
लेकिन यफ बराबर है य ब के
इसलिये स फोर फ अ का धरातल और अय पर का अर्ग मिलकर बराबर हैं य ब पर के बर्ग के
लेकिन ब अ और अ य पर के बर्ग मिलकर बराबर य ब पर के बर्ग के
१-सा० ४० इसलिये सफ और फन का धरातल और अय पर का बर्ग मिलकर बरावर हैं व अऔर अय पर के बगों के
इन दोनों बराबरों में से अय पर का वर्ग निकाल डाला
इसलिये सफ और फप्रका धरातल बराबर है अव पर के वर्ग के
१-स्व. ३ लेकिन फक क्षेत्र सफ और फन का धरातल है क्योंकि फअ बराबर है फज के और अद क्षेत्र अब पर का बर्ग है
इसलिये फक बराबर है अद के अक हिससा जो दोनों में शामिल है निकाल डाला इसलिथे बाकी हफ बराबर है बाकी हद के १-स्व० ३
लेकिन हद क्षेत्र अव और वह का धरातल है क्योंकि अब बराबर है वद के
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( १९७ ) और हफ क्षेत्र अह पर का बग है
इसलिये अब और बह का धरातल बराबर है अह पर के बर्ग के
इसलिये अव सीधी रेखा ह बिंदु पर ऐसी बटगयी कि अब और बह का धरातल बराबर है अह पर के बर्ग के । इसी रेखा के इस तरह बांटने की ज़रूरत थी
अनुमान १ इस साधा में सफ रेखा अपर उसी तरह सेबट गयी है जैसे अब रेखा ह विदु पर गंटी गयी है
अनुमान२- अगर कोई सीधी रेखा दो ना बराबर हिस्सों में इस तरह बांटी जाय कि कुल मीधी रेखा और उसके छोटे हिस्से का धरातल बराबर हो बड़े हिस्से परके बर्गके तो बड़ा हिस्सा भी उसी तरह बांटा नासक्ता है अगर उसमें छोटे के बराबर हिस्सा काटा जाय और छोटा हिस्सा भी उसी तरह बट सक्ता है अगर छोटे हिस्से में से दोनों के अंतर के बराबर हिस्सा काटा जाय टि.-ग्यारवौं साध्यमें उक्त दस ने रेखागणित की रूसे बीजगणित के दूसरे दर्जे के समीकरण को हल किया है दूसरे दर्जे के समीकरण और इस साध्य का इलाका हमने इस जगह नहीं साबित किया क्योकि विद्यार्थी जिसने बीजगणित को दूसरे दर्जे के समीकरण तक नहीं सीखा है उसको बखूबी नहीं समझ सक्ता है
अभ्यास (३१) किसी सीधी रेखा को इतना बढ़ायो कि कुल बड़ी हुई सीधी रेखा और उसके बड़े हुए हिस्से का धरातल बराबर हो उस रेखा परके धके (३२) अगर कोई सीधी रेखा दो हिस्सों में इस तरह बांटी जाय जे से कि ग्यारवौं साध्य में बांटी गयी है तो दोनों हिस्सों के वर्गीका अन्तर बराबर होगा दोनों हिस्सों के धरातल के (३३) ११वीं साध्य में जब और फ द और अक रेखा आपस में स्वमानान्तर है
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( १९८ )
(३४) ग्यारहवीं साधामें अगर सह रेखा बहकर बफ से ल विन्दु पर मिले तो सल फ समकोन है (३५) ग्यारहवीं साधा में अगर बय और सहरेखा न विन्दु पर मिलें तो अन रेखा स ह रेखा के साथ समकोन बनावगी (३६) अगर अब रेखा स बिन्दु पर ऐसे दो हिस्सों में अस और सब में बांटी गई हो कि अब और बस का धरातल बराबर हो अस परके वर्ग के तो साबित करो कि अब और बस परके बर्गीका योग तिगुना होगा अस परके बर्गका और अब और बस के योग परका वर्ग पांचगुना होगा अस परके बर्गका (३७) अबस समकोन त्रिभुज है जिसके बस कर्ण पर अ द लम्ब डाला गया है और जिस की अब बड़ी भुजा परका वर्ग बराबर है बस
और अस के धरातल के साबितकरो कि बस करण द बिन्दुपर कटता है जैसा कि दूसरे अध्याय की ११वीं साध्य में होता है। (३८) अबस समत्रिभुज है जिसके अब बड़े हुए भुजपर द एक ऐ. सौ बिंदु है कि सद रेखा परका वर्ग दूना है अब परके बर्ग का सावितकरो कि अद बिंदु ब पर मिस्ल ११वीं साध्य के कटेगी (३६) अब स समकोन त्रिभुज है जिसका अ कोन समकोन है और जिसकी अब भुज अस भुज से दूनी है अगर अब में से अह बराबर बस
और अस के ग्रन्तर के काटी जावे तो अब विंदु ह पर मिस्न ११वीं साधा के कटेगी
साधा १२.प्रमेयोपपाद्य सास -अगर अधिक कोन त्रिभुज के किसी न्य न कोन से उस सामने की बढ़ी हुई भुज पर लंब डाला जाय तो अधिक कोन के सामने के भुज परका बर्ग उन दो भुजों परके बगौ से जिनसे अधिक कोन बनता है बड़ा होगा बकदर उस धरातल के दूने के जो उस भुज जिसके बढ़े हुए हिस्से पर लंब गिरा है और उस रेखा से बनता है जो दर्मियान लंब और अधिक कोन के है
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( १९८ ) बि.स -फर्जकरो कि अबस अधिक कोन त्रिभुज है जिसका अस व अधिक कोन है और अबिंदु से अद लंब बस बढ़ी हुई भुजा पर डाला गया है तो अब परका बर्ग बड़ा होगा अस और स बपरके बगों से बक़दर बस और सद के दूने धरातल के उप चूंकि बद रेखा दो हिस्सों में स बिंदु पर बांटी गयी है
इसलिये बद परका बर्ग बराबर है बस और सट परके बगीके और बस और सद के दूने धरातलके २-सा०४
इन दोनों बराबरों में से हरएक में दअ परका बर्ग मिलाया
इसलिये ब द और दअ परके बर्ग मिलकर बराबर हैं बस, सद और दअ परके बगीं और बस और सद के दूने धरातलके ___ लेकिन न अ परका बर्ग बराबर है वद और द अपरके बगी के और अपरका बर्ग बराबर है सद और द अपरके बी के
१-सा०४७ इसलिये ब अ परका बर्ग बराबर है बस और स अ परके बगी और बस और स अ के दूने धरातल के यानी वअ परका बर्ग बड़ा है बस और संभ परके बगी से बक़दर बस
और सद के दुने धरातल के फल-इसलिये अगर अधिक कोन त्रिभुज आद्योपान्त- यही साबित करना था टि०-यह साधा पहले प्रधााय से इस तरह साबित होती है
त्रिभुज अब स को भुजों पर अज, अ क और बल बर्ग बनायो १-सा०४६)
और स र, बच और अन लंब उन बों की भुजो पर डालो और हब सफ, अम, अल, ब क और सज मिलायो
भ
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( २०० ) अब ठीक उसी तरह जैसा कि पहले अधयाय की सैंतालीसवीं साधा मैं साबित हुआ है साबित होसक्ता है कि त्रिभुज असफ बराबर है त्रिभुज अहब के और त्रिभुज स ब ज बराबर है त्रिभुज सबअ के और त्रिभुम ल स अ बराबर है त्रिभुज बस क के इसलिये अायत अर बराबर है अायत अच के और यायत बर बराबर है यायत बन के और अायत सच बराबर है अायत सन के ( १-सा०४१ वख० ६) इसलिये अज बराबर है अच और बन के योग के लेकिन अज वर्ग अब परका है और अच और ब न मिलकर बराबर हैं अक और बल वर्गों के यौर ग्रायत सन और स च के योग के जो अस और बस परके वर्ग और दूने धरातल बस और सद हैं इसलिये अब परका वर्ग अस और ब स परके बों से बक़दर दूने धरातल बस, स द के जियादा है
अनुमान- अगर लम्ब अ और ब कोनों से सामने के भुजों पर डाले जांय और उन भुजों से द और य विदुयों पर मिले तो धरातल अस. स य बराबर है धरातल ब स,स द के
बीजगणितीय साधन फर्ज करो कि ब स, स अ और अब लम्बाई में क्रम से अ,ब और स पैमाने हैं और स द और द अ लम्बाई में म और न पैमाने हैं
तो ब द लम्बाई में (अ+म) पैमाने है इसलिये स=(अ+म+न क्योंकि अब द समकोन त्रिभुज है
और बम+न
क्योंकि अ स द समकोन त्रिभुन है
इसलिये सव= (अ+म)म
=अ+२xxम+म-म
=अ+२xxम
इसलिये स=अ+ब+२xxम
यानी स बड़ा है अ+ब से बक्रदर २४ म के
अभ्यास (४०) अगर किसी त्रिभुज का अ स ब अधिक कोन समत्रिबाहु त्रिभुज
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के एक कोन से दूना हो तो उमके अ ब भुज घर का बर्ग ब स और सस भुजों के वर्गो से बकदर ब स और स अ के धरातल के अधिक होगा (४१) त्रिभुज अ स ब समविबाहु है अ द रेखा ऐसी खींची गयी है जो ब स बड़ी हुई से द बिंदु पर मिलती है कि ब द और द स का धरा तल बरावर है त्रिभुज अ ब स के किसो सुज पर के वर्ग के माबित करो कि अ द पर का वर्ग दूना है त्रिभुज अब स के किसी भुज परक वर्गका (४२) ऐसा समदिबाहु अधिक कोन त्रिभुज बनायो कि अधिक कोन के सामने की भुज परका जग उसकी हर भुज पर के बर्ग से तिगुना हो
साध्य १३ प्रमयापपाद्य सा० स० किसी त्रिभुज के किसी न्य नकोन के सामने की भज पर का बर्ग उन दो भुजों पर के वर्गों से जिनसे वह न्यू न कोन बनता है बक़दर उस धरातल के टूने के जो उन भजों में से किसी भज और उस रेखा से बनता है जो दर्मियान न्यू नकोन और उस लंब के है जो उस भुज पर उसके सामने के कोन से डाला गया है बि. सत्र फज करो कि अबस त्रिभुज है और उसका व न्यू नकोन है और उसकी भज बस या बल भुज बढ़ी हुई पर उसके सामने के अकोन से प्रद अ लंब डालागया है तो अस भुज । घर का बर्ग जो व कोन के सामने बद स । है सबौरव अपरके बगी से छोटा होगा बकदर -१ सब और बद के दूने धरातल के उप. चूंकि सब रेखा द बिंदु पर और बद रेखा स बिंदु पर बांटी गयी है ___इसलिये सव और वद परके बर्ग सिलकर बराबर है सब ओर बद के दूने धरातल और सद परके बर्ग के सा __ इन दोनों बराबरों में से हर एक गें द पर का गेम
लाया
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१ २०२
इसलिये सब, बद और दअ परके वर्ग मिलकर बराबर
हैं सब और बद के दूने घरातल और प्रद और सद पर के बगों के
१-ख० २
लेकिन बम पर का बर्ग वराबर है व द और दच्छा पर के बर्गों के और अ स पर का वर्ग बराबर है अद और दस पर के ब के
१- सा० ४७
इसलिये सब और बम पर के बर्ग मिलकर बराबर है सब और बढ़ के दूने घरातल और अ स पर के वर्ग के यानी प्रस पर का वर्ग सब और ब अ पर के बर्गों से कोटा है बकदर सब और बद के दूने घरातल के
और जब कि बस पर मल लंब है तो बस वह सीधी रेखा है जो व कोन और लंब के बीच में है
और यह बात ज़ाहिर है कि द्रव्य और वस पर के बर्ग मिलकर बराबर है स पर के वर्ग और बस पर कटूने वर्ग के
---इसलिये अगर किसी त्रिभुज में बायोपांत यही साबित
60911 31
दिन यस काय पहले अध्याय इस तरह साबित होती है त्रिभुज अब सकौ भुजों पर सज, वह और अल वर्ग बनायो (१ - सा० २६) धौर लम्ब अच, सन और वर से बस, बरसलों पर डालो ( १ सा० १२ ) और ह अ, ब फ, बज, सम, सल और कमिलाको
क्रम
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ପ
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ट
घ
ग्र
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欢
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ศ
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( २०३ )
प्रब लोक उसी तरह जैसाकि पहले अध्याय की संतालीसवीं सदी में सापित हुया है साबित हो सक्ता है कि त्रिभुज बफ स, ब अ ज और अ ब क क्रम से बराबर हैं त्रिभुज ह स अ, म अ स और ल ब स के इसलिये आयत सर, र अ और ब च क्रम से बराबर हैं अायत सच, बन
और ब न के (१-मा० ४१ व स्वा०)सलिये सर और न अदिल कर यानी कुल स ज बराबर है स च और अन के योग के और ब च और बन मिलकर टूने हैं बच के इसलिये स ज छोटा है स क और अल के योग से बक़दर यायत ब च क दृने को लेकिन स ज, स क और अल क्रम से डास, स ब और ब अ पर के वर्ग हैं और ब च धरातल बस-बद है क्योंकि वस बराबर है ब क के इसलिये अस पर का वर्ग अ य और बस पर क वगो के योग से बकदा दूने धरातल बस और सदक छोटा है
टि. २ बारहवीं और तरहवीं साध्यों के दावे एकही दावे में इस तरह बयान होते हैं कि त्रिभुज की एक भुज परका वर्ग और दोनों भुजों परके बों के योग का अन्तर बराबर है उस धरातल की दूने के जो इन दो भुगों में से किसी भुज और उस रेखा से बनता है जो बीच उस कोन जिसके गिर्द वह दोनों भुज है और लब के है जो उस भुजा पर उसके सामने के कोन से डाला गया है टि० ३ इस अध्याय की बारहवीं और तेरहवीं साध्य और पहले अध्याय की संतालीसवीं साध्य क्रम से अधिक कोन त्रिभुज न्यू नकोन त्रिभुम गौर समकोन त्रिभुजों की भुजों के ग्रायस के सम्बन्ध बयान और माबित करती हैं पहले व्यध्याय की सैंतालीसवीं साध्य का प्रतिलोम उक्त दस ने उसी अध्याय की अड़तालीसवीं साध्य में साबित किया है लेकिन दूसरे अधयाय की बारहवीं और तेरहवीं साधा के प्रतिलोम उक्त रस ने नहीं मावित किये है वह यह हैं कि “अगर त्रिभुज की किसी भज पर का वर्ग उस्त की बाकी भुजों पर के वर्षों से बड़ा हो तो उस भुज के सामने का कोग अधिक कोन होगा ध्यौर अगर त्रिभुज की किसी भुज पर का वर्ग बाकी मुजों पर के वर्षों से छोटा हो तो उस भुज के सामने का कोन न्यू नकोन होगा" इस प्रतिलोम का वह सुबूत है ___ फर्ज करो कि अब स त्रिभुज में अगर अब पर का वर्ग अस और सब पर के वर्गों से बड़ा है तो अस ब व्यधिक कोन है और व्यगर छोटा है तो अ स ब न्य नकोन है
स से स द रेखा सब के माय समकोन बनाती हुई खाँचो
(१- सा. १२)
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( २०६
ओर स द बराबर स अ क बनायो और ब द मिलायो
चुंकि ब स द समकोन है इसलिये बस और स द पर के वर्ग मिलकर बराबर हैं ब द पर के वर्ग के (१-सा० ४७) लेकिन ब स और स द पर के बर्ग मिलकर बरावर हैं बस और स अ पर के वर्गों के क्योंकि स द बराबर स अ के बनायी गयी है इसलिये ब द पर का बर्ग बरावर है बस और स अ पर के वर्गों के
अगर ब अ पर का वर्ग बड़ा है बस और स अ घर के बर्गों से तो वह ब द पर के वर्ग से भी बड़ा है और वह छोटा है ब स और स अ पर के बर्गो से तो वह ब द पर के वर्ग से भी छोटा है ____फज करो कि अब परका बगै बड़ा है बस और स अ परक बर्गों से इसलिये ब अ परका बसे बड़ा है ब द पर क वर्ग से इमलिथे ब अ बड़ी है ब द से ___ चूंकि अ ब स त्रिभुज की दो भुज अ स और स व अलग २ बराबर हैं द स ब त्रिभुज की दो भुजों द स और स ब क यानी अस बराबर है द स के और स ब दोनों में शामिल है लेकिन अ स ब त्रिभुज का अब
आधार बड़ा है द स ब त्रिमुभ क द ब ग्राधार से इसलिये अ स ब कोन बड़ा है द स ब कोन से (१-सा० २५ ) लेकिन द स ब लमकोन है इसलिये अ स ब अधिककोन है
फिर फर्ज करो कि ब अ परका वर्ग छोटा है बस और स अ परक बर्गों से इसलिये ब अ परका वर्ग छोटा है ब द परके वर्ग से इसलिये ब अ छोटी है ब द से __चंकि अ स ब त्रिभुज की दो भुज अ स और स ब अलग २ बराबर हैं द स ब त्रिभुज की दो भुजों द स और स ब के यानी अस बराबर है दस के और स ब दोनों में शामिल है लेकिन अ स ब त्रिभुज का अब अाधार छोटा है द स ब त्रिभुज के द ब आधार से इसलिये अस ब कोन छोटा है द स ब कोन से (१-सा० २५ ) लेकिन द स ब समकोन है इसलिये अ स ब न्य नकोन है
बीजगणितीय साधन मर्ज करो कि बस, स अ और अब लम्बाई में कम से अ,ब और स पेमाने हैं और न द और अद लम्बाई में स गौर न पैमाने है
पहली मरस देखो अन द स लम्बाई में ( सविमान है
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( २०५ )
चंकि सम+न क्योंकि अ द ब समकोन है
और ब=न+(अ-म) क्योंकि अ द स समकोन है
इमलिये से ब-म (अ-म)
-म-अ+२अम-म
२
=-अ+२अX म
इसलिये अ+स-ब+२x अX म
५
यानी छोटा है ग्र+म से बकदर २४ अर्म के दूसरी सूरत देखो अव द स लम्बाई में (म-अ ) पैमाने है
चंकि म-म+ने क्योंकि अदब समकोन है
और ब-(म-ठा)+न क्योंकि अदस समकोग है
इसलिये स-ब-म-(म-ग्र)
-म-म+२४ य
म
-ग्र
=२४ यम-अ
इमलिये अ+म-ब+२४ ग्रम
यानी व छोटा है ग्र+स से वकदर २४ ग्रxमके तीसरी सूरत देखो इस सूरत में म बराबर है य के
और ब+य-स
इन दोनों बराबरों में से हरएक में अमिलाया
इसलिये ब+२x -अ+म
पानी बमोटा
+समें कटर x चा ४ ला
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( २०६ )
अभ्यास
(४३) अ ब स नमहिबाहु त्रिभुज के अब व्याधार परके किली अ कोन से उसके सामने की भुज बस पर अद लम्ब डाला गया है साबित करो कि अब परका वर्ग दूना है सब गौर बद के
धरातल का
नाभ
(४४) अब सविभुज का स समकोन है और स के किमी द बिंदु से दय लंग अब पर डाला गया है तो साबित करो कि अब और अय का धरातल बरावर है अस और अद के धरातल के
(४५) अब सद समलंब चतुर्भुज की अव और सह भुण समानातर है साबित पाकिस और वद ऋणों पर के मिलकर परावर और यव और सद के दूने घरातल के
श्रद
और बल पर असरास तिलुज काच व कोन नमविवाह विभु के कोन के बराबर हो तो अब परका व अस और बस पर के वर्गों से बदर बस और च स के धरातल के बाम होगा
साध्य १६ - वस्तुपपाच
दिन चैत्र की बराबर वर्ग बनायो
...
करोकि दिवा डबा
क्षेत्र है इसके बराव बर्ग बना
ना है
अं - अ के बराबर बस दय सम कौन
०
समानान्तर चतुर्भुज वनाओ (सा० ४५ )
अब अगर इस समानान्तर चतुर्भुज की बय और यद भुज आपस में बराबर हैं तो यह वर्ग क्षेत्र है और हमारा मतलब पूरा होगया
अ
a
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ह
स
'य फ
द
अगर बय
और यट् बराबर नहीं हैं तो उन में से एक बय को फ तक बढ़ाओ और यफ बराबर यद के बनाओ
ब फ
को ज बिंदु पर दो बराबर हिस्सों में बांटो ((सा० १०) ज केन्द्र में जब या जफ दूरी पर बहफ अष्टत खींचो
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( २०७ ) और दय को इतना बढ़ाओ कि वह ह बिंदुपर परिधि से मिले तो यह पर जो वर्ग बनाया जायगा बराबर होगा दियेहुए अ ऋजुभुज क्षेत्र के
जह मिलाओ उप.....चूंकि अफ रेखा ज बिंदु पर दो बराबर हिस्सों में और य पर दो नायराबर हिस्सों में बांटीगयी है
इयिवे वय और यफ का धरातल और यज पर का बर्ग मिलकर बराबर हैं जफ पर के बर्ग के (२-सा. ५)
लेकिन जफ बराबर हे जह के (१-५० १५ )
इसलिये बय और यफ का धरातल और यज पर का बर्ग मिलकर वरावर हैं जह पर को बर्ग के
लेकिन हय ओर यज पर के बर्ग मिल कर बराबर हैजह पर के वर के
(१-सा ४७) इसलिये बय और चफ का धरातल और यज पर काबग मिलकर बराबर हैं हप ओर यज पर के बी के
यज पर का बर्ग जो इन दोनों में शामिल है निकाल डाला
इसलिये बय और यफ का धरातल बराबर है हय पर को बर्ग के
लेकिन बघ और यफ का घरालल बद समानान्तर चतुटुंज है क्योंकि यफ बराबर है बढ़के
इसलिये बद बराबर है यह दर के वर्ग के लेकिन बद नेवच ऋजुभुज क्षेत्र के बराबर बनाया गया इसलिये यह पर का बर्ग बराबर है अजुभुज क्षेत्रके
इसलिये दिये हुए ऋजुभुज क्षेत्र के बराबर एक बर्ग बन गया जो यह पर बनाया जाय और इसी के बनाने की ज़रूरत थी
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अनुमान-इस साधा में साफ जाहिर है कि अगर किसी वृत्त को परि धि के किसी विंदु से उसके व्यास पर लंब डाला जाय तो उस लंब परका वर्ग बराबर होगा यास के हिस्सों के धरातल के जिनमें बह लंब से बांटागया है
अभ्यास (४७) दिए हुए बर्ग के बरावर एक अायत बनाओ जिसकी एक भुज दी हुई सीधी रेखा के बराबरहो
दसरे अधायको साध्योंपर मिश्रित प्रश्न (४८) अगर कोई सोधी रेखा पांच बराबर सिस्मों में बांटी जाय तो कुल रेखा पर का बर्ग बराबर होगा उन दो रेखायों पर के बों के जो उन हिस्सों में से चार और तीन हिस्सों से बनते हैं (४६) दिये हुए त्रिभुज की किसी भुज को इतना वाटायो कि उस भुज और वहुए हिस्से का धरातल बराबर हो बाको दो भुजों पर बगाके अन्तर के (५०) एक मीधी रेखा को ऐसे दो हिस्सों में बांटो कि कुल रेखा
और उसके एक हिस्से परका वर्ग मिलशर दूने हो दूसरे हिस्से पर के बर्गक (५१) दी हुई सीधी रेखा को इतना वाढायो कि उस रेखा परका बर्ग और बाड़े हुए हिसा परका बा मिलकर हुने हों उस धरातलक जो बड़ी हुई रेखा और बड़े हुए हिरम से बनता है (५३) दी हुई सीधी रेखा को इतना बायौ कि दीन्हाई रेखा परका बा और कुल बढ़ी हुई रेखा परका वर्ग मिल कर ट्ने हों उस धरातलक जो कुल बादी हुई रेखा और बड़े हुए हिस्से से बनता है (५३) अगर किसी अब स द समकोन समानान्तर चतुभुज के पाम के अब और बस भुजों पर अबयफ और ब स ज ह बर्ग बनाये जाय तो बों के कर्ण बफ और ब ज का धरातल दूना होगा अ ब स द समकोन समानान्तर चतुर्भुज के (५४) चतुर्भुज के कर्णो परके वर्गों का योग दूना होगा उन रेखायों परके बों के योग से जो चतुर्भुज की आमने सामने की भुजों की बीचोंबीच के बिन्दुओं को मिलाती है (५५) अगर किसी ग्रह वृत्त के अब यास में ग एक बिंदु हैं और स द रेखा अब के समानान्तर ऐसी खींची गई है कि उसके स और द सिरे वृत्त की परिधि पर हैं सावितकरो कि स ग और गद परक बर्ग मिलकर बराबर हैं अग और गव परके बोंक
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(५६) उम विंटु को जहां किमी भमानान्तर चतुभ ज के कणे यास में एक दूसरे को काटते हैं केन्द्र मानकर हत्त खींचा गया है मामिलकरी कि उन रेखायों परक बोंका योग जो उत्त की परिधि के किन्नी बिद्र से समानान्तर चतुभुज के कोनों तक खौंवी गयी हैं हमेशा ह एक ही मि. कदार होगी (५७) किमी वृत्त के व्यास अब में स और द बिंदु उम को केंद्र में कररावर दूरी पर लिये गये और परिधि के किसी विंदु य से य स और यद रेखा खींची गई हैं मामितकरो कि यस और य द परके जर्ग मिल. कर बराबर हैं अस और अद परक वर्ग के (५८) अ बस ममस्त्रिबाहु त्रिभुज में अद और ब य भुज बस और स अ पर लम्ब हैं और एक दूसरे को विंदु फ पर काटते हैं सावित करो कि अब परका वर्ग तिगुना है अफ पर क वर्गका (५६) अगर त्रिभुज की भुजों के बीचोंबीच के बिंदुव्यों से उनक सामने के कोनों तक रेखा खींची जावें तो इन रेखायों परके बों की योग का चौगुना बरावर होगा त्रिभुज को भुजों पर के बगों के योग तिगुने के
(६०) अगर दस और य अ और फ ब रेखा जो किमी अब स त्रिभुज के अब और बस और स अ भुजों के बीचों बीच के द और य
और फ बिंदुओं से उन भुजों के मामने के कोनों तक स्वींची गई है ज बिंदु पर मिले माविताकरी कि जअ और जब और ज स परक वर्गांक योगका तिगुना वरावर है अब और बस और स अ परक बगांक योगक (६१) बर्ग क्षेत्र के भीतर जो सबसे छोटा बर्ग बनेगा वह उस वर्गका बाधा होगा (१२) एकादये हर बग के बराबर एक ऐमा ममकोन समानान्तर चतुभुज बनायो जिम दो पाम की भुजों का योग एक दी हुई रेखा के बराबरहा (६३) एक दिधे हर वर्ग के बराबर एक रोमा ममकोन समानान्तर चतुभुज बनायो जिमको पामकी दो भुजाओं का अन्तर एक दी हुई रेखा के बराबर हो (६४) अब स द ममानान्तर चतुभ ज का व्यगर अस कण बराबर हो अव के तो अस कर्ण परका बग बद कण परक वा से बस परकी वर्ग के दूने के समान छोटा होगा। (६५ ) अगर अब स द बग के कोनों से अ य और द ह और बफ और स ज लम्य किसी य ह फ न रेखा पर गिराये जाय तो अब और
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( २१० )
और दह के धरातल के दूने से बकदर
सज परक वर्ग मिलकर बफ़ वर्ग के बड़े होंगे
अब सद
(६६) दिये हुए क्षेत्रफल के समकोन समानान्तर चतुर्भुज को मुजोंका योग उस सूरत में सब से छोटा होगा जब वह समकोन समानान्तर चतुर्भुज वर्ग है
ब
और दविंद्र क्रम से एक ही सीधी
(६७) अगर अ और और स रेखा में, हों तो और सद का घरातल और अब गौर बस अद का धरातल मिलकर बराबर हैं अस और बद के बरातल क
(६८) एक सीधी रेखा को इतना बढ़ायी कि कुल मीधी रेखा बढ़ी हुई और किसी दूसरी दी हुई मीधी रेखा का धरातल बराबर हो बड़े हुए हिने पर वर्गक
(६६) दो समकोग समानान्तर चतुर्भुजों के क्षेत्रफल व्यापम में बराबर हैं और उनकी भुजों के योग भी आपस में बराबर हैं साबितकरो कि वह सब तरह से व्यापस में बराबर हैं
( ७० ) अगर किसी अ ब स त्रिभुज क े श्र व व्याधार को म+न नरावर हिस्म किये कांय और अगर अद में न हि यर वद में महिस्म हों तो साबितकरो कि
२
२
३
२
(७१) म x अस + न X बस (म + न ) x मद + स X द + न X बद ( ७२ ) अगर किसी अ ब स त्रिभुज को अब आधार को म-नवराबर व्हिससे किचे जांय और बगर बच को द बिंदु तक इतना बढाया जावे कि च्छाद में न हिस्से औौर व द में म हिस्से हों तो साबित
करो कि
३
२
(७३) म x यस - न X बस - ( म - म ) x सक्ष् + म X ग्रह - म X बद (७४) किसी दिये हुए ग बिंदु से एही तीन रेखा ग और गस दी हुई लम्बाई के खींचो कि उनके सिरे अौर
और
ब
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ग ब
और स
सीधी रेखा में हों और अब बराबर हो बस के (७५) व्यगर किसी अ बस समकोन त्रिभुज को अ ब क क द और afgब्यों पर तीन बराबर हिस्से किये जांय तो स द और सय ब्यौर दय पर बर्गों का तिगुना बराबर होगा अ व परके वर्ग को छूने को
इति
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( २११ )
सवालात इम्तिहान
दूसरा अध्याय
(१) डूमरे व्यध्याय में किन बातों पर बहन की गई है
(२) मापक की तारीफ करो- एकही समानान्तर चतुर्भुज में एकही बनावट में कितने मापक पैदा होते हैं - उन का फर्क बताओ
ל
(३) रेखागणित में दो या जियादा सीधी रेखाओं के योग से क्या मु राद है
( 8 उकलेदद्म ने दूसरे अध्याय की पहली ८ सयों के सबूत में कौनसी स्वयंमिति को मान लिया है
( ५ ) रेखा के ग्रन्त: खंड और महि: खंडसे क्या मुराद है
( ६ ) अगर कोई नीधी रेखा दो बराबर गौर दो नाबराबर हिस्सों में बहि: खंड या ग्रन्त: खंड में बांटोकाय तो साबित करो कि सीधी रेखा के बाहि: खंडों का योग या अन्त: खंडों का व्यन्तर दूना है उस रेखा से जो भाग विन्दुव्यों के बीच में है
(७) अगर कोई सीधी रेखा दो बराबर और दो नाबराबर हिस्सों में वांठीजाय तो साबित करोकि सीधी रेखा का वह भाग जो भाग बिन्दुधों के बीच में है नाबराबर हिस्तों के अन्तर के व्याधे के बराबर होगा
(८) ग्रगर दो नावरावर सौधी रेखायों के व्याधे योग में उन के अन्तर का व्याधा जोड दिया जाय तो योग बडी सीधी रेखा के बराबर होगा और
गर उन दोनों सीधी रेखायों के व्याधे योग में से उन का बाधा अन्तर घटा दिया जाय तो बाकी छोटी सीधी रेखा के बराबर होगा
1
(६) साबित करो कि दूसरी और तीसरी माया महती यात्रा की खाख मरते हैं
EN
(१०) ड्रमरी और तोमरी साधा का एकही दावा लिखो
(११) दूसरे अध्याय की चौथी माधा को दूसरी और तीसरी साधा की मदद से बगैर शकल खींचे हुए साबित करो
(१२) दूसरे अध्याय की चौथी साधा की सहायता से पहये बध्याय की ४७ वीं माधा को साबित करो
(१३) साबित करो कि यार दूसरे धाय की चौथी साधा में दोनों गूरक मिलकर बराबर हों दोनों वर्गो के तो दी हुई सीधी रेखा दो बराबर हिस्सों में बटेगी
(१४) एक सीधी रेखा की किम तरह ट किन हो का भराउध सबसे बड़ा हो
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(
२१२ )
(१५) दूसरे व्यधााय की छटी माधा पांचौं साधा की मदद से फौरन् ही किस तरह साबित हो सकती है (१६) चौथी और सातवीं साधा का मुकाबिला करो (१७) माबित करो कि दो मीधी रेखाओं के योग पर का वर्ग उनके अन्तर पर के वर्ग से वक़दर उनके चौगुने धरातल के बड़ा होता है (१८) रेखागणित की सहायता से माबित करो कि दो मीधी रेखायों के योग और अन्तर पर के वग उन सीधी रेखायों पर के बर्गों से दूने होते हैं (१६) एक त्रिभज की भज १३. १४, १५ हैं तो उन सीधी रेखायों की लम्वाई बतायो जो उस त्रिभुज की भुजों के बीचों बीच के बिन्दुओं से उन भुजों के सामने के कोनों तक खोंची जायगी गौर उम त्रिभुज के लस्बों को मौ लम्बाई बतायो और यह भी साबित करो कि उस त्रिभज के नीनों कोन न्य नकोन हैं
(२०) दूमरे अधााय की ग्यारहों माधा के ब सीधी रेखा के मुताबिक बांटी हुई और रेखाओं की कतार किस तरह दाफ़त कर मकते हैं (२१) रेखागणित की ११ वी माधा में अब रेखा का छोटा हिस्सा दिया हुआ है तो बड़ा हिस्सा र्याफत करो (२२) पहले प्रधाय की ४७ वो साधा और दूसरे अधयाय की १२, १३ साधा का मुकाबिला करो ( २३) एक बिघम कोन समचतुर्भुज (अ बर्ग) के कगा १६.१३ फीट हैं तो उसके किसी भुज की लम्बाई बतायो (२४) किसी त्रिभुज की ज ८, ११, १५ हैं तो माबित करो कि वह अधिककोन त्रिभुन है ( २५ ) किसी त्रिभुज की भुज ३, ४, ५ है तो बताओ कि कोंन जो ३, ४ के दर्मियान और जो ४, ५ के दर्मियान और जो ५, ३ के दर्मियान है वह समकोन से बड़ा या वरावर या छोटा है (२६) यगर दूसरे अधयाय की चौदहा माधा में दिया हुया ऋजुभुज क्षेत्र एक समकोन विभज हो जिमके भुज ८, ६ हैं तो वतायो कि उम वर्ग की मज कितनी होगी जिसका क्षेत्रफल उन विभज के बराबर है
और यह भी साबित करो कि वर्ग को मुजों का योग त्रिभुज की भुजों के योग से छोटा होगा (२७) हर ऋजुभज हेव के बराबर बर्ग बना सकते हैं" उन रन कायतों का जिनकी सहायता से उल्ल दस ने जब दजे इस साधा को गावित किया है बल्लयो
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( २१३ )
मज़मून के मुताबिक रेखागणित के पहले और दूसरे अध्याय की साध्यों की फहरिस्त
१३
नम्बर साध्य
कल्पित व्यर्थ
११ अनुमान | अगर दो रेखा ऐसी हैं कि वह सीधी हैं
१४
१३ ग्रनुमान
१५
साध्य प्रमेयोपपाद्य
कोंन जो सोधी रेखाओं के आपस में करने से बनते हैं।
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१५ प्रतिलोम
१३ अनुमान
१३ ग्रनुमान
ग्रेगर एक सीधी रेखा दूसरी सीधी रेखा पर खड़ी होकर दो कोन
बनाये
ग्रगर दो मीधी रेखा fhat तीसरी सीधी रेखाकी ग्रामने सामने की तर्फे से व्ग्राकर एक ही बिन्दु पर मिलें और ग्रामन्न कोन बराबर दो समकोन के बनावें ग्रगर दो सीधी रेखा ग्राम में किसी बिन्दु प
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रक
यगर दो सीधी रेखा आपस में किसी बिंदु प
र कटें
cure चार सीधी रेखा! व्यापस में किसी बिंदु पर मिलकर मन्मख कोन बराबर बनावें
J
arre कोई सीधी रेखा किसी सीधी रेखा के एक तरल से ग्राकर उम के । किसी बिन्दु पर जो उस के सिरे का नहीं है भिलें और कोने बनावें अगर एक बिंदु से कई मीधी रेखा निकले
फल
उनका कोई हिस्सा उभयनिष्टनहीं होता
यह कोन या तो दोनों समकोन होंगे या मिलकर बराबर दो सम कोन के होंगे
यह दोनों सीधी रेखा एकही सीधी रेखा यानी एकही सीध में होंगी
चार कोन जो उस बिन्दु पर बनेंगे मिलकर बराबर चार समकोन के होंगे
मन्मुख के कोन व्यापस में बराबर होंगे
पहली सीधी रेखा तीसरी सीधी रेखा की सीध में होगी बौर दूसरो चौथी की
उस बिंदु पर के सब कोन मिलकर दो समकोन के बराबर होंगे
कोन जो उन रेखाओं से उस बिंदु पर बनेंगे मिलकर बराबर चार म मकोन के होंगे
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( २१४ )
२८ दूसरा
समानान्तर सीधी रेखा नम्बर साध्य कल्पित अर्थ
फल अगर एक सोधी रेखा यह दोनों सीधी रेखा समानान्तर किसी दो सीधीरेखायों होंगी पर जो एकही धरातल में हैं गिरकरसमानान्तर
कोन बराबर बनावें २८ पहला
अगर एक सीधी रेखा यह दोनों सीधी रेखा समानान्तर हिस्ता किमी दो सीधी रेखाओं होगी
पर जो एकही धरातल में हैं गिरकर वहि: कोन अपने ग्रामने सामने के अंतः कोनों के बराबर बनावें
अगर एक सीधी रेखा यह दोनों सीधी रेखा समानान्तर
दो मीधी रेखायोंपर जो होंगी हिस्सा
एक हौधरातल में हैं गि रकरअपनी एक तरफ के दो अंत: कोन ऐसे बनाने कि वह मिलकर दो समकोन के बारबर हों अगर एक मीधी रेखा
वह रेखा उन रेखायों के साथ हो समानान्तर मीधी हिस्सा
एकान्तर कोन बराबर बनावेगी रेखानों पर गिरे २६ दूसारा ___ अगर एक सीधी रेखा
वह अपनी एक तरफ का बहिः हिस्सा | दो समानान्तर सीधी रे.
कोन और उस के सामने का अंत: खओं पर गिरे
कोन एक दूसरे के बराबर बनावेगी २६ तीसरा अगर एक मीधी रेखा
। वह अपनी एक तरफ के दो अंत: हिमा
दो समानान्तर सीधी रे कोन ऐसे बनावेगी कि वह मिलकर खानों पर गिरे
बराबर दो ससकोन के होंगे ग्रगर दो सीधी रेखाओं वह दोनों सीधी रेखा आपन में में से हरएक किलो ती- भी समानान्तर होगी सरी सीधी रेखा के समानान्तर है
२६ पसला।
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( २१५ )
S
-
नम्बर साध्य कल्पित अर्थ
फल । अगर दो सीधी रेखा | वह दोनों सीधी रेखा भी प्रापस किमी दो बराबर और में बरावर और समानान्तर होंगी समानान्तर मौधी रेखात्रों के एक २ तरफ के सिर को मिला। विमजा की बराबरी के लिये मुकाबिला करना
अगर दो त्रिभुज एकही सुमकिन नहीं कि उनकी वह व्याधार पर और उसकी भुज जिनके सिरे अाधार के एक एकहो तरफ में हों सिरे परहों आपस में बराबर हों
और वह भुज जिन के मिरेयाधार के दूसरे सिरेपरहोंडापस में बरा
बर हों ३२ अनुमान अगर एक त्रिभुजके दो उस त्रिभुज का तीसरा कोन
कोन दूसरे त्रिभुज के भी दूसरे त्रिभुन के तीसरे कोन दो कोनों के बराबर हों के बराबर होगा व्यगर एक त्रिभुज के दो बाकी कोन और मन भी उन कोन दूसरे त्रिभुज के दो त्रिभजों की अलग २ बराबर होंगी कोनों के अलग २ वरावर और त्रिभज भी प्रापस में बराबर हों और एक २ भुज भी होंगे उन त्रिभुजों की बराबर हो खाह यह भुज बराबर कोनों के दभियानको हों या उनके सामने की
कागर एक त्रिभुजकी दो ग्राधारों के मामने के कोन आपस भज दूसरे त्रिभुज की दो में बराबर होंगे और बराबर भजों भुजोंके अलग २ बरावर के सामने के कोन भी प्रापस में हों और उनके व्याधार बराबर होंगे और दोनों त्रिभुज भी आपस में बराबरहों भी आपस में बराबर होंगे अगर एक त्रिभुजकी दो बड़े आधार के सामने का कोन भज दूसरे विभाजकी छोटे अाधार के सामने के कोन से भुजों के अलग २ बराबर बड़ा होगा हों लेकिन एक त्रिभुजका माधार दूसरे त्रिभुज के माधारसे बड़ा हो
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( २१६
)
-
-
नम्बर साध्य कल्पित अर्थ
अगर एक त्रिभुज की दो त्रिभुजों के ग्राधार आपस में भुज दूसरे त्रिभुज की दो बराबर होंगे और आधारों परके भुजों के अलग २ बराबर कोन जिनके मामने के भज बराबर हों और उन भुजोंसे बा| ई आपस में बराबर होंगे और त्रि. ने हर कोनभी अापसमें भज बरावर होंगे बराबर हों
अगर एक त्रिभुज की बड़े कोन के सामने का आधार दो भुज दूसरे त्रिभुज की छोटे कोन के मामने के आधार से दो भजों के अलग २ वरा-बड़ा होगा बर हों लेकिन एक त्रिभुज के उन भुजों से बना हुया कोन कैमरे की उन भुजों से बने हए कोन से बड़ा हो
अगर त्रिभुज एक ग्रा- उन त्रिभुजों के रकबे बराबर होंगे धार पर एकही समानान्तर रेखाओं के दर्मियान हो अगर त्रिभुज बराबर उन त्रिभुजों के रक़वे बराबर होंगे आधारों पर एकही समानान्तर रेखायों के । दभियान हों
अगर बरावर त्रिभुज । वह त्रिभुज रकही समानान्तर एकही ग्राधार पर और रेखायों के दभियान होंगे उस के एकही तरफ़ में
३
ल...
हों
अगर वरावर त्रिभुज वह त्रिभुज एकहीसमानान्तर रेएकही मीधी रेखा के
खानों के दर्मियान होंगे बराबर अाधारों पर और उस की एकही तर फहों
अगर बराबर त्रिभुज वह त्रिभुज या तो एकही आधार एक ही समानान्तर पर या वरावर ग्राधारों पर होंगे रेखाओं के दर्मियान है
३७ व ३८ प्रतिलोम
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नम्बर साध्य
तथा
दमदमान
१८
५ अनुमान
३२ अनु०६
द अनुमान
१६
पक्षमा
हिस्ता
७०
प्रतितोल
१३ अध्याय
प्रतिलोम
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(
कल्पित अर्थ
और बगरवरावर सु बहावी बार्य
रविभुज नमकीन
विवाह बार किसी विभुज की
एक गुण दूतरी तुमसे
पड़ी है
चार त्रिभुज समतिबाहु है
अगर त्रिभुज समहि ।
२०७
वाह
अगर विभुण समान कोन है
यगर विसुन की एक
नागर विमुच
फोन
सुज बढ़ायी जाय यम् विभुण की एक भन बढ़ायी जाव
मम
उप विनष पन
गुण पर का
नहीं बराबर है उन वी
के जोबा
पर
बावायें गये है
अगर किसी बराज की
किमी गुण पर का बना वाचा वर्ग बड़ा है बाकी दो मुख पर व बाये कुछ वर्गों के योग से अगर विभु की श
सो मुज पर का बनाया हुन्या बग छोटा हैना
की दो सुपर के
नाये
दा वर्गों के योग
;
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आधार के बी
में गवर होग
आधार पर काफी
पाल
या नमकीन है
मज के सामने का कोन होदामने के कौन से बड़ा
होगा
वह विभग समान कोष भी है
उस का एक कोन नमकीनका दो विधा
sa fear भी है:
ब: कोन अपने सामने हरयोगा कोन से बड़ा दोष
कोन अपने सामने से दोनों अंतः कोनों के बराबर दोग वर्ग श्री समकोण की सा पर बनाया श्रायारो उनके वो बाकी प | वाये जायेंगे
उस से बानने का कोन है
सगुण व नाले का धिक दोन
सुण के सामने का कोन या
कोन है
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楽
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(
१८ )
A
nimmmmmmmmmw--
सीधी रेखा जो विभुज के अन्दर खींची जायं नम्बरसाध्य कल्पित अर्थ ३८अनुमान व्यगर त्रिभुज की कि- वइ सीधीरेखा त्रिभुज के दो बरा
सी भुज के वीवों वीच | पर हिस्ते करेगी की बिन्दु से उस के सामने के कोनतक रेखा खींची जाय
ग्रार निशुज को व्यापार यह दोनों रेखा मिलकर त्रिभुन के सिरों से दो रेखा कि- को बाकी भुजों से छोटी होंगी लेसी विंद तक जो त्रिभज किन रेखा से बना हुया कोन
गर है खींची जाय भुजों से बने हुए कोन से बड़ा होगा जागर जि को उन अधिका कोन के सामने की मज । भजी में से जो बाधिक पर का वर्ग बाकीदीम जों पर के कोन के गिद ३ किमी बगे। के योग से बड़ा हागा .कदर
ज बड़ी हुई पर उस उस धरातल के दूने के जो उसभु - के सामने के कोनसे लं- जसे जिस पर लंब गिराया गया है ब गिराया जाय और उम के उस बहर हिस्से से
जो दर्मियान अधिक कोन और लं
ब के है बनता है १३च्य धायर अगर किसी त्रिभुज की उम न्यून कोन के सामने की भ ज
उन भजों में से जो न्यान- पर का वा छोटा होगः बाकी दो कोन के गिद है किसी भुजों पर के बगां के योग से बकदर मज या उम बही हई उम धरातल के दाने के जो उमभ - भज पर उस को भामने | जसे जिस पर लंद मिराया गया के कोन से लब गिराया और उस रेखा से जो उस न्यनको - जाय
न और लंब के दर्मियान है वनता है समानान्तर चतुर्म ज और त्रिभुज का मुकाबिला
अगर सम न्तिर च- मभागान्तर चतुल ज त्रिभ ज से तुर्भज और त्रिभुज ए-दुना होगा। कही आधार और एकही समानान्तर रेखायो
के दर्मियान हों ४१ अनुमा० अगर समानान्तर च- समानान्तर चतुम ज लिभज
तुभ ज और त्रिभु न वरा- दूना होगा
AmARILALLADINomanimoonaanam
४१
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( २१८. )
1
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-
नम्बर साध्य कल्पित अथ
फल बर याघारों पर एकही ममागान्तर रेखा
गों के दर्मियान हों ४१ पतिलो भार मनानान्तर चत- रूसानान्तर चतुर्भज और विमज
मज और तिमज एक एकही समानान्तर रेखाकों के ट्. हो अाधार पर या एक सियान हो। ही सीधी रेखा के व राबर ग्राधारों पर हो गौर समानान्तर चतुर्मज
त्रिभुज से टूना हो ४२ यतिलो- अगर ममानान्तर चतु- समानान्तर वितु योर त्रिभुज म२
भुज और त्रिराज एक था तो गवाही याचार पर या ही नमानान्तर रेखा बराबर व्यापारों पर होंगे यों के दर्मियान हों। और ममानान्तर चतु
मुंज त्रिभुज से टूनाहो समानान्तर चतुर्भजों का बराबरी के लिये मुकाबिला करना
अगर समानान्तर चतु- वह समानान्तर चतुज अापल भज एकही गाधारपर में बराबर होग
और कही समानान्तर
रेखायों के दर्मियानहीं ३५प्रतिलोम __ व्यगर बराबर लमाना- वह समानान्तर चतुम ज एकही
| न्तर चतुर्भज एकही समानान्तर रेखाओं के दर्मियान
व्याधार पर और उसके होंगे | एकही तरफ में हों। । बागर ममानान्तर चतु-वर समानान्तर मनुज व्यापन भज बराबर व्याधारों में बराबर होंगे पर और एक ही समा.. नान्तर रेखागों के दर्मि
यान हो ६६ प्रतिलोम अगर बराबर समा- बह समानान्तर चतुर्भज एक ही
गातर चतर्भल एक ही समानान्तर रेखायों की दर्मिनान होंगे मीको रेखा का बराबर सापास पर 't
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नम्बर साध्य
२५ व २६ प्रतिलोम
म १
पमिती
म
समानान्तर चतुर्भुज की गुजों कानों और घरातलों के आपस
के
तथा ३
49
विलो बगर किसी चतु की घास
सावाने
अनुमान
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p জ
कल्पित अर्थ
अगर बाबर कमाना
तर चतुर्भुज राही सामान्तर रेखा के दर्मिती
कदव्याय
की गली ना
कोन बरावरही
बागर किसी पत्न
न का
वी घरात
कार्य उन दीड
अ अ पदावरही
3
सागर किमी चलाउज समानान्तर चतुर्भुज
lai
सवर ही करे
अगर कोई क्षेत्र
बान्तर चतुम, गो
कमर सजानान्तर प
तस का एक कीन नमकीन है
अगर समानान्तर भा
२यचाव क व्यगर कोई वीवी
फल
यह ममानान्तर चतुर्भु'न या तो ही व्याधार पर या बरावर व्याधारों पर होंगे
से हिंसा में बढी से
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घगरकोई सीधी रे से में नी
वह चतुर्भुज समानान्तर चतुम, प होगा
राम की कहाि से चीर पवार चमन है
आयतों का जो सीधी रेखा चीर
चतुर्भुज रामाराकर चतुर्भु
$171
उसकी सामने नामने की गण आपक कर होगी और उसके शामने शासन के की भी बराबर फोये चीन उनका हर कम उसके दो बरस का
समय को कीन हो
उनके बराबर क्षत्रि
11
से बनते
कुल सीधी रेखा और उनके परएक सिर्फ के मिलकर बराबर है सौंधी या परके
भात गीधी रेखा और उनके एव हि का परामर
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(
२२१ )
ave
-
नम्बरसाध्य कल्पित अर्थ
हिरसों के धरातल के पाध्याय अगर कोई सीधी रेखा अल सीधो रेखा परका वर्गवराहिम्म में वटीवर दोनों हिमलों परके वर्ग और
! उनहिस्सों के दुने धरातल के योग के ७ व्यध्याय : नागर कोई मीवीरेखा तो कुल सीधी रेखा पर और दो हिस्सों में बटी है उसके एक हिस्से परके को मिल
कर बराबर में कुल रेखा और उस के उस हिस्से के दूने धरातल और
गरे हिना परको वर्ग के ८ व्यध्याय ३ अगर कोई सीधीमा कुल भीगी का गौर उरके दो हिस्सों में बाइक दिन का चौगुना बरालल
और दूसरे हिस्से पर का या मिलकर बराक है उन जर के वर्ग के जो धीरे
पहले हिससे से तो पार मार को सीधा सा पास दोनवर हिस्सों भोकर मार दो
मास कार का को कारकिलों भक्तो शादियों को नई रिक
मायाको खाकामावर कसा परी बरी
दोयगावर धौर को ना शिकार हुने है सोनी रेखा के रामरहिम में गडी बाधे धर और उस रेखा परको
नीलो माग दिएको दक्षिाको । यध्यास. उमर का लोको रखा। बाल या हाई सीधी जा
। बरामर हिरमों में सरकार हमी का करतात की और किसी और सीधी रेखा के अाधे परमा मनुका कायो रामी बग सिकार बराबर है उस रेखा
पर के वर्ग के जो सीधी रेखा के खाये और
काहिसे बनी १० श्राप
। नगर को लीजी रेखा : बी हुई अन सीधी रेसा पर क्षेरामा निस्तों में पटी और बाहुए हिना कर के कई को किलीन पिकार सीधशाकेकाले
पर उनकी मां के
मिस सहा
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( २२२ )
नम्बरसा ध्य कल्पित अथ
फल १ अध्याय अगर दो मीधी रेखा- दो सीधी रेखाओं का धरातल
ओं में से एक कई हि-बराबर है उन धरातल के योगक मों में बटी है जो कुल दो बरी रेप और हरएक
हिस्स बटी हुई से बरी है
बहुभुज क्षेत्र ३२ अनु- अगर कोई ऋजुभ ज । उसके मब अंत: कोन और चार मान १ क्षेत्र है
लमकोन मिलकर उतने समकोनों के बराबर होंगे जो गिनतीमें उस
की सजों की तादाद से ट्रेने होंगे ३२ अनुमान अगर किमी ऋजुज सब बहिः कोन जो मुजों को ब
क्षेत्र की सब मज एक पाने से बने 'गे मिलकर चार समदूसरी के बाद एक ही कोन के बराबर होंगे दिशामें बढ़ायी जायं ।
साध्यवस्तपपाय नम्बरसाध्य निर्दिष्ट सीधोरखा करणीय
एक परिमिति मीधी। उस बिंदु से उस रेखा की बराबर रेखा और एक विंटरेखा खींचना एक सीधी रेखा और उम बिंदुसे उन मीधी रेखा को एक बिंदु
समानान्तर रेखा खींचना दो छोटी बड़ी मीधी बड़ी सीधी रेखा में से छोटी सी.
धी रेखा के बराबर काटना एक सीधी रेखा उस रेखा के दो बराबर हिस्से
करना ११ अध्याय एक सीधी रेखा
उम मीधी रेखा के नशे से दो हि. स्से करना कि धरातल कुल सीधी रेखा और एक हिस्से का बराबर
हो दूसरे हिम्स परक वर्ग के
सरलकोन एक सरल कोन और उस रेखा के उन बिंदु पर उस कोन एक सीधी रेखा और के बराबर कोन बनाना उसमें एक बिंदु एक सरलकोन उम्म कोग के दो बराबर हिस्से करना एक मीधी रेखा और उस बिस्ट् से एक रोमी सीधीरेखा उसमें एका बिंद
रेखा
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( २२३ )
-
नम्बर साध्य कल्पित अर्थ
फल खौंचनी है कि वह उस रेखा के
साथ समकोन बनावे एक अपरमित सोधी । 'उस विंद से उस रेखा पर लंब रेखा और उसके बा- डालना हर एक बिंदु
(त्रिभुज) तीग सीधी रेखा जिन- ऐसा त्रिमुज बनायो कि जिसकी में से हर एक दो मिल- मुज उन रेखात्रों के अलग २ कर तीसरी से बड़ी हैं। बराबर हों एक पमिति सीधी रेखा उस पर समलिबाहु त्रिभुज बना.
ना है
(समानान्तर चतुर्भुज) एक त्रिभुज और एक त्रिभुज के बराबर एक ऐसा समासरलकोन
नान्तर चतुज बनाना कि उसका
एक कोन उस कोन को बरावर हो एक सीधी रखा एक उस रेखापर उस विमुज के बराविज और एक लरल- बर रोसा ससानान्तर चलुभुज कोन
| बनाना जिसका एक कोन उस को
न के बराबर होबे एक ऋतु और उम ऋजमज क्षेत्र के बराबर एक राक सरल कोन ऐसा समानान्तर चतुम ज बनाना
कि उसका एक कोन उस कोन के
बराबर हो पानमान एक सीधी रेखा और उस रेखा पर उस ऋजुमज क्षेत्र
एक ऋजुमजक्षेत्र और के बराबर शेसा समानान्तर चतुएक सरल कोन | म ज बनाना कि उसका एक कोग
उस कोन के बराबर हो एक परिमित सीधी।
उस रेखा पर बा बनाना रेखा १४अध्याय एक नमुनक्षेत्र उमके बराबर एक वर्ग बनाना
इति
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सरी यौर पर हाई स्कूल अलविहार में मामला
गौचे लिखी हुई किवावें बिक्रियार्थ हमारे पास मौजूद है और हर एक किताब की कीमत उसके सामने दन है हिसाब किताब के हिमो बदजिब नये गवर्मेन्ट रज़ोलियूशन फिर तरमीम किये गये है
और सवालात मुतफ़रिक बनाये गये हैं मम्बर माम किताब
कीमत (१) यूलिड ( पहिलो और दूसरौ बुक एक जिल्ट में ) मौलि बाबू आत्माराम बी, ए. हैडमाटर हाई कल अलीगढ़ (२) यूक्लिड ( तीसरी यौर चौथी बुक एक जिल्ट में) , (३) तहरीर उकलेट्स मिकाला अब्बल मिकाला दोयम , (४) तहरीर उक्लेट्स निकाला अञ्चल व दोयम , (५) रेखागणित १ अध्याय। , २ अश्शाया, १ व्यौर अध्याय , (६) इलउलनताया ( उद) जिनमें बायू अात्माराम बी. ए. तहरीर उफूलेदस का हल है मौ० बाबू दुगां प्रमाद सी इब' (७) इलउलगतायज हिन्दी जिस में रेखा गणिन का हल है (८)हिसाबकिताब उर्दू कुलर शिखर में मौ० बायू आत्माराम बी.ए (..) हिसाब किताय हिन्दी) हिसाबकिताउदो निमा
१ हिस्सा
हिता
(२६) हिसाब किताब लिखी
(१३)
,
500
४ .
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(१६)
.
En
.
(१५) , , , ॥ (२१) . ६ .
जो साहब पांच रुपये या ज़ियादा की किताबें खरीदेंगे उन कामोशन दस तो नदी और जो म पो या जिभादा की खरौं उमको बीम फ़ो सदी के हिसाब से काट दिया जायगा महमूल ड ज़िम्म खरीदार है सिवाय हे उमादरान जिला स्कल व डिपटी । पैकरान मदारिम के सब परीक्षारों ने कीमत नकदल जागी ब हैडमाएरान व डिपी शासक्रान के कीमत अदा करने के लिये माह की मौहलत है
लक्ष्मीनारायण कक्कड़ नाज को खिड़की आग
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