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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir (४४) और स केन्द्र से स द दूरी पर य फज वृत्त खोंची जो अब से फ़ और ज पर मिले अवा० ३ फज के ह बिंदु पर दो बराबर हिस्से करो सा. १० और स ह मिलाी अवा. १ तो सह जो स बिन्दु से खींची गई है दो हुई अब रेखा पर लम्ब होगी स फ और स ज मिलाओ अवा. १ उप०-चूकि फह बराबर ह ज के बनाई गई है और ह स दो विभुज फह स और ज ह स में उभयनिष्ट हैं यानी दो भुज फह और ह स दो भुजों जह और ह स के अलग २ बराबर हैं और स फ आधार बराबर है स ज आधार के प० १५, इसलिये फह स कोन बराबर है जहस कोन के सा०८ और यह आसन्न कोन हैं लेकिन जब एक सीधी रेखा दूसरी सीधी रेखा पर खड़ी होकर आसन्न कोन बराबर बना तो उन कोनों में से हरएक कोन समकोन होता है और खड़ी सीधी रेखा को दूसरी सीधी रेखा पर लम्ब कहते हैं इसलिये स ह रेखा अब पर लम्ब है प. १० इसलिये स बिंदु से जो दी हुई अब रेखा के बाहर है सह रेखा लम्ब अब रेखा पर खिंचगई - और इसी लम्ब के खोंचने की ज़रूरत थी टि० (१) इस साध्य में इस बात को मान लिया है कि वृत्त अब रेख को दो बिन्दयों पर काटेगा क्योंकि जब हम खयाल करते हैं कि हत्त की परिधि का एक एक हिस्सा अब रेखा के दोनों तरफ़ है और परिधि एक तरह की लगातार रेखा है तो यह जाहिर बात मालम देती है कि परिधि दो बार अब सीधी रेखा को काटती हुई गुज़रगी दी हुई रेखा में अप. रिमित होने की कैद रक्खी गई है क्योंकि अगर यह कैद न होती तो यह समकिन था कि खाम हालतों में परिधि अब रेखा को किसी जगद्ध पर न काटती या सिर्फ एक ही जगह पर काटती For Private and Personal Use Only
SR No.020605
Book TitleRekhaganit
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaram Babu
PublisherAtmaram Babu
Publication Year1900
Total Pages220
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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