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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( १२४ ) वि. मूत्र फ़र्ज़ करो कि समानान्तर चतुर्भुज का अब स द और त्रिभुज य ब स एकही आधार बस पर और एकही समानान्तर रेखाओं वस और अय के दर्मियान हैं तो समानान्तर चतुभुज अवसद त्रिभुज यवस का टूना होगा अं०-अस मिलाओ उप. चूंकि विभुज अबस और यवस एकही आधार वस पर और एक ही समानांतर रेखाओं व स और भय के दर्मियान है इसलिये त्रिमुज अब स बराबर है लिभुज य ब स के (सा०३७) लेकिन समानांतर चतुर्भुज अवसद त्रिभुज अबस से टूना है क्योंकि कर्ण अस उसके दो बराबर हिस्से करता है (सा०३७) इसलिये समानांतर चतुर्भुज प्रवसद त्रिभुज यस सेदूना हे फल इसलिये अगर समानांतर चतुर्भुज और त्रिभुज आद्योपांत यही साबित करना था अनुमान-अगर समानांतर चतुर्भुज और लिभुज बर बर व्याधारों पर और एकही समानांतर रेखाओं के दर्मियान हों तो साबित होसक्ता है कि समानांतर चतुभुज त्रिभुग से दूना होगा टि. १ इस साध्य के विलोम “ अगर ममानांतर चतुर्भुज और त्रिभुज एक हो ग्राधार पर या एकही सीध के बराबर व्याधारों पर हों और म. मानांतर चतुभुज त्रिभुज से दूना हो तो ममानांतर चतुर्भुज और त्रिमुज एकही समानांतर रेखायों के दर्मियान होंगे" यौर " अगर समानांतर चतुर्भुज और त्रिभुज एकही समानान्तर रेखायों के दर्मियान हों और समानांतर चतुर्भज त्रिभुज से दूना हो तो समानांतर चतुभुज और त्रिभुज था तो एकही अाधार पर या वराबर ग्राधारों पर होंगे' सही हैं उनको सावित करो टि. २ यह साध्य त्रिभुजों की पैमाइश की और इम लिये सब ऋजुभुज For Private and Personal Use Only
SR No.020605
Book TitleRekhaganit
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaram Babu
PublisherAtmaram Babu
Publication Year1900
Total Pages220
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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