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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( . १३३ ) अं० अ से सीधी रेखा अस सीधी रेखा अब के साथ समकोन बनाती हुई खींचो सा०११ प्र द बराबर अव के बनाओ स. द बिन्दु से द य समानान्तर अव की और बिंदु व सेव य समानान्तर = द की दय से बिंदु य पर मिलती हुई खींचो सा० ३९ उप० चूंकि अब यद समानान्तर चतुर्भुज हुआ इसलिये इस की भुज अब बराबर है भुज दय के और भुज सा० ३४. प्रद बराबर है सुज य के लेकिन अद बराबर अब के बनाई गई है 차 इसलिये चारों सुज अब, वय, यद और दम आपस खा १ 3 つ बराबर हैं और समानान्तर चतुर्भुज अवयद समबाहु है उस के सब कोन भी समकोन हैं चूंकि अद दो समानान्तर रेखाओं प्रत्र और गिरती है इसलिये कोन व अद और अदय मिलकर बराबर दो समकोन के हैं सा० २८ लेकिन कोन बच्प्रद समकोन बनाया गया है इसलिये कोन प्रदय भी समकोन है व For Private and Personal Use Only य दय पर लेकिन समानान्तर चतुर्भुज के आमने सामने के कोन आपस # बराबर होते हैं सा० ३४ इसलिये सामने के कोनों अवय और बयद में से हर एक समकोन है इसलिये समानान्तर चतुभुज अब यद समकीन समानातर चतुर्भुज है और यह साबित हो चुका है कि वह समबाहु भी है इसलिये अव यद वर्गक्षेत्र है और वह दी हुई सीधी रेखा अव पर बना है और इसी के बनाने की जरूरत थी
SR No.020605
Book TitleRekhaganit
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaram Babu
PublisherAtmaram Babu
Publication Year1900
Total Pages220
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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