SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 151
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( २४८ ) वो कोन बस के दो बराबर हिस्से करती है बस से बिंदु द पर मिलती है खाबित करो कि बद बड़ी है स द से (२१५) अगर त्रिभुज का एक कोन दूसरे से तिगुना है तो वह त्रिभुज दो समादिवाहु त्रिभुजों में बट सक्ता है (२१३) अगर त्रिभुज का एक कोन दूसरे से टूना है तो उस त्रिभुज पर एक ऐसा समदिवो त्रिभुज ज़ियादा कर सक्त है कि यह दोनों त्रिभुज मिलकर एक समद्विबाहु त्रिभुज बनजाय (२१४) समदि वाहु त्रिभुज अबस की भुण अब के बीचों बीच का बिंदु द है और सुन अब ग्राधार बस के नीचे की तरफ इतनी बढ़ायी गयी है कि बय बराबर है अव के साबित करो कि सय दूनी है सद से (२१५) उस बिंदु की निधि यकृत करो जिसकी एक दिये हुए बिन्दु से दूरी उम की टूमरे दिये हुए बिंदु से दूरी की दूनी हो (२१६) रेखा अब के बीचोंबीच का बिंदु स है अस और सव को कर्ण वनाकर समानान्तर चतुर्भुज अ दसय और फ ब ज स बनाये गये हैं और दह समानान्तर सफ की और फह समानान्तर सद की और जक चलानान्तर सय की गौर य क समानान्तर सज की खींची गयी हैं साबित करो कि चोर हस सक एकही सीध में हैं (२१७) व्यायता बसद के ग्रामने सामने के कोन अ और स हैं बिंदु यभुज बस में और बिंद फ भुज स द में है साथि बारो कि लिन अ य फसे क्षेत्रफल का दूना और वह बायत जिम की व्यासन्न भुज बप और दफ के बरावर हों मिलकर बरावर होंगे ग्रायत बस द के (२१८) एकही ग्राधारब स पर दो त्रिभुज अबस और दबस है और ति अबस की भुज अव भुज अस के बराबर जोविंद स और पर होकर गुगुरता है उम का केन भुज सब पर या उसे को हुए औरत जो व और द बडों पर गुजरता है का केंद्र फभुज बद्म पर या उस के बढे हुए हिस्से पर है मानित करो कि चतुर्भुज अयदफ के दो भुज मिलकर उस की बाकी दो भुजों के बराबर हैं (२१८) दो रेखा अद्ध और अस के मुकाम दिये हुए हैं अब में ऐसा बिंदु ग दर्याकृत करो कि अगर उन बिन्दु से अ स पर लंब गिराया जाय तो वह लंब रेखा अग से बकदर ही हुई लंबाई के छोटा हो ह (२२०) समान को वभुज क्षेत्र के ग्रामने नामने के भुज समानान्तर होते हैं और उस की कोई दो ग्रामन्न भुज मिलकर अपनी समानान्तर भुजों के बराबर होती है For Private and Personal Use Only
SR No.020605
Book TitleRekhaganit
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaram Babu
PublisherAtmaram Babu
Publication Year1900
Total Pages220
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy