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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( १४८ ) (१४८) समत्रिबाहु त्रिभुज के अन्दर एक विंदु है उम बिंदु से जो लंब त्रिभुज को भुजों पर गिराये जायंगे वह सब मिलकर उस लंज की बराबर होंगे जो त्रिभुज के किसी कीन से उस की सामने की भुज पर गिराया जायगा (१६) अगर जतुर्भज अवसद को धरावल के कण अस से दो बराबर हिस्स होते हैं तो अस से कर्ण बद को भी दो बराबर हिसा होंगे (२००) पहले व्यवसाय की पांचवीं ताधा में व्यारं भज नीचे की तरफ बपायी जाने के बजाय पोषके अपर की तरफा वायी जावं लो पहले अपाय कोपं द्रहवीं साधा का सुबूत पहली ही पांच साधनों से हांसिल हो सक्ता है (२०१)रेखा दय का सिरा द ममदिरा तिमुन की सुज अब पर है और सिरा य भुज अस के बाद हर हिस्से पर है और जिभुज का अाधार उस रेखा के दो बरावर लिसा करता है लाहित करो कि दज योर अ य मिलकर बरा. वर हैं अब और अल के (२०२) जिन समानान्तर चतुर्भुजोक कसे वापर होते हैं उन में नियमकोण समर तुज सब से बड़ा होता है (२०३) दो वरावर रेखा अस और बद समकोन बनाती हुई एक दूसरी को कहाँ काटती हैं साबित करो कि चतुर्भुज अब साद उन रेखायों में से हर एक पर के को से अाधा होगा (२०४) दिये हुए निज में समा मलानाकार चतुज कमायोनि जिस के को एक दूसरे को दिये हम जिंदार जोडिनुज की गन्दर काटे (२०५) त्रिभुज जिस का रकबा और दो भुज सागर में बनायो (२०६) त्रिभुज का अाधार और उम के गुजों का जोड़ और आधार पर के कोनों का अन्तर मालम है तो उस त्रिन को बनायो। (२०७) त्रिभुज का आधार और उर की दो भुजों का फाक और ग्राधार पर के कोनों का फ़क मालूम है उस त्रिभुज को बनायो (५२०८) दी हुई, परमिति रेखा को अधार बनाकर ये का सिलुज कमायोजिम की अजी का फर्क मालम है और जिनकी एक मजलिये नर पिर हो कर गुजरे (२०६) एन त्रिभुज का आधार और लफल और उस रेसा की कमाई जो अाधार के बीचों बीच के दिउसभी मामी के कोन तक खीचा काय सालसहै उन निमजाजनायो। (२.१०) अब और असदी हुई में बया हैं उनमें से एक में रोमा बिन्दु ग दाफत करो कि अगर ब ग क दूसरी का पर गिरावें तो अग और अक मिलकरदोई लंबाई की बराबर हों (११) निमग अब अब अास से गाड़ी है और रेखा अद For Private and Personal Use Only
SR No.020605
Book TitleRekhaganit
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaram Babu
PublisherAtmaram Babu
Publication Year1900
Total Pages220
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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