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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अब इस खिंचोहुई माश्य से यौर त्रिभुज अवश को नतुर्मा को बराका मज करने से यह नतीजा निकला कि त्रिनुज अफ द बराबर है त्रिभुज सफ य के और इन दिनों के बीच का कद और स क य पहले अधयाय को पंद्रही साध्य से बराबर हैं लेकिन यह बतीजा बिंदु व का सुकाम दर्वाफत करने की लिले काकी नहीं है इसलिये अस मिलाया अस के लि. तेही ना छुम्मा कि अगर लियुज अफस दो बराबर त्रिभु जो अफ द और समय में से कर रवा में मिला दिया जाय तो त्रिभुज अदस बराहोगा निज अय सके और कि यह बराबर लिभुज एकही व्याधार असगर गीर उल की एकही तरकारी बालिये अगर द य मिलाई जा नाममा समीदोगी सामलिंक बिदाउस जगह बालोचना के तरीक से इस बारह बना। पालोचन--काल मिलायो और द द यजमाना .. कसो का तुरा हिस्से से विन्दु व ५३ ४. या जिला ग्रो-तो लिज अब चनज र सद... बर सक सजाय और भी गुजा बाहर की दिशा: ५.२, कि जिम जायस और अहसा याहो कर अदर . भर 4 पनि nिg: अयस बार है कि अदक्ष को इन जों में से हर एक में जिन असा दियो सजिम निज अवच बराबर है चतुर्भुज 'अवसाद के - दुसी । " । ; বুলি अध्यास (१६६ ) त्रिभुज अवन के अन्दर एका हिंदु गते साबित करो कि म अ. गब और गस लिलकार जिज की पुणों को योगसे कार के (२६.७ ) और व शेवकों के केन्द्र में और अग और ब क उनको मना भार सामाई है और रेखा र उनको परियों से र और ख दुबा घर . शिन्तती माफिन को किसान और बस मालाकार हैं For Private and Personal Use Only
SR No.020605
Book TitleRekhaganit
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaram Babu
PublisherAtmaram Babu
Publication Year1900
Total Pages220
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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