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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १२८ इसलिय कोन अहफ और हफय मिलकर बराबर दी समकोन के हैं सा० २० इसलिये कोन वहाफ और हफा मिल कर दो समझोन से मार लेकिन जो दो सीधी रखा एक और सीधा रेखा के तारतसको एकही तर में ऐसे दो कोन बनाती हैं कि यह मिलाकर दो समकोन से काम न तो वह दोनों सोधी रखा बढाई जाने से मिल जायंगी स्व० १२ इसलिये हव और फाय बढायी जान से मिल जायगी फ़ज़ करो कि वह बढाई जाने से विन्टक पर मिलती कसे कल समानांतर यमया कहकी खोचो सा. ३१ और हम और जब को इतना बटाओ कि बहकल से ल और मबिन्दुओं पर मिलें __ उपतोहल कफ समानांतर चतुर्भुज है जिसका कर्ण हक है और समानांतर चतुर्भुज अज और मय का हक के गिर्द और लव और वह उनके पूरक हैं इसलिये पूरकलब बराबर है पूरक वफ के सा ४३ लेकिन ब फत्रिभुज स के बराबर बनाया गया है इसलियेल व त्रिभुजस के बराबर है ओर चूंकि कोन जवयकोन अबम के बराबर है सा० १५ और कोन जवय बराबर कोन इ के बनाया गया है इसलिये कान अब म बराबर है कोन द के स्व० १ इसलिये दीहई सीधीरेखा अव पर दिटेहर विज स से बराबर ऐसा समानांतर चतुर्भजल ब बनगया जिसका कोन अवस दिये हुए कोन द के बराबर है इसी समानांतर चतुर्भुज के बनाने की जरूरत थी For Private and Personal Use Only
SR No.020605
Book TitleRekhaganit
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaram Babu
PublisherAtmaram Babu
Publication Year1900
Total Pages220
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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