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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( १२८ ) फल इसलिये पूरक उन समानांतर चतुर्भुजों के आद्योपांत यही साबित करना था (१६८) तेतालीसौं साध्य में सामित करो कि नमानांतर चतुर्मन बफ बराबर है लमानांतर चतुभुज हस के (१६) तालीसवीं साध्य में अगर यह, बद और जपा रेखा खींची नांय तो यह तीनों को आपस में समानांतर होगे (१७० ) समानान्तर चतुर्भुज अवसद में बिन्यु दो सीधी रेखा समानांतर चतुर्भल की सुजों की सहरमाची सकी है और समानांतर चल जग ब और गह यापन में बराबर सहित चारी विवियुग कसे अस सें। सासन दी हुई सीधी रेखा पर एका दिये डर तिल को बराबर ऐसा समानांतर चतुर्भज बनानो कि उसका एक कोन दिये हर सरलकोन के बराबर हो निसन फर्ज करो कि अबदी दुई सोधी रेशा पोरस दिया था त्रिभुज और दिया हुआ सरल कोन है सोथी रेखामधपर लिखुजलको हराकर ऐसा समानांतर चतुभुज बनाना है कि उसका एका कोन बराबर हो कोष द को मं- विभुज स के बराबर ऐसा यक समानांतर चतुर्भुज क्याज बना- परचम म) यो कि उसका कोन दबाज कोन न के बराबर है। (०४२) ___और उस समानांतर चतुम ज इस तरह रहती कि अप और अब एकही सीधी रेखा में ही असे यह समानांतर व जयापक की खोंचो सा. ३१ फको जह तक बढाओ और मिलायो चूकि सोची रेखा ह फ दा समानांतर रेखाओं और घक पर गिरती है For Private and Personal Use Only
SR No.020605
Book TitleRekhaganit
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaram Babu
PublisherAtmaram Babu
Publication Year1900
Total Pages220
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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