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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( ८१ ) तो जय फ एक त्रिभुज है चूंकि ज य फ त्रिभुज की जय एक भुज अ बिन्दु तक बढ़ी है इसलिये बहिः कोन अय फ अपने सामने के अन्तःकोन य फज से बड़ा है सा० १६ लेकिन अ य फ कोन य फज कोन के बगबर है(फ़ज़) इसलिये अय फ कोन बड़ा है य फज कोन से और उसके बराबर भी है और यह नामुमकिन है। इसलिये अब और स द बढ़कर ब और द की तरफ नहीं मिल सक्तों __ और इसी तरह यह भी साबित होसक्ता है कि अब और सद बढ़कर अ और स की तरफ़ नहीं मिल सक्ती हैं __ लेकिन वह सीधी रेखा जो एक धरातल में हों और दोनों तरफ़ कितनी ही दूर तक बढ़ने से कहीं न मिले एक दूसरी की समानान्तर होती हैं। इसलिये अब समानान्तर है स द की। फल- इसलिये अगर एक सीधी रेखा किसी और दो सीधी रेखाओं पर आद्योपान्त-यही साबित करना था टि. इस साध्य की तस्वीर में बहस करने की गरज से य बज और फ द ज देही रेखाओं को सीधी रेखा और य फ द ज ब को विभुज खयाल करना चाहिये अभ्यास (६१) अगर य ज ह फ सीधी रेखा अ ब और स द दो सीधी रेखाओं को जो एकही धरानल में है ज और ह बिन्दुओं पर काटे और अजय और फ ह द कोन बराबर नावे तो अब और स द समानान्तर होंगी (६२) अगर य ज ह फ सीधी रेखा अब और स द दो सीधी रेखाओं को जोरकहीधरातल में हैं ज और ह बिन्दुओं पर काटे और य ज ब और द ह फ कोन मिलकर दो समकोन के बराबर हों तो अब और सद समानान्तर होंगी For Private and Personal Use Only
SR No.020605
Book TitleRekhaganit
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaram Babu
PublisherAtmaram Babu
Publication Year1900
Total Pages220
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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