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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( १४३ ) तरीके और त्रिभुज की भुजों और कोनों के आपस के सम्बन्ध बयान किये है और त्रिभजों और ससानान्तर चतुर्भजों का मुकाबिला इस तरह किया है कि जिससे उनका बराबर या नाबराबर होना मालस होता है रेखागणितज्ञों ने इस अध्याय के तीन हिस्से किये हैं पहले हिस्से में पहली छब्बीस साधा हैं जिनमें रेखा कोनों और निजों का बनाना दिखलाया है और विमल की खामियतें बयान की दर में सत्ताईसवीं साधा से लेकर चौंहॉस्वी साधा तक है और उनमें समानांतर रेखाओं की खासियतों का ध्यान के तीसरे हिम में जिसमें पैतालवी साधा से लेकर अड़तालीसवीं साधा तक हैं खासकर त्रिभुजों और समानांतर चतुर्भजों के रकबों की परामरी या नावरावरी दिखलाने के लिये एक दूसरे का मुकाबला कियाहै उको दस पर लोग यह ऐतराज़ करते हैं कि उसने माध्योंकी तीब मजभून के मुताबिक नहीं दी है इस ऐतराज़क दूर करने के लिये हमने अपनी किताबके गखीरमें एक फहरिस्त लिखी है जिससे हर मजम्न की कुलसावास्तववार साफ २ नज़र पड़ती है सवालात इम्तिहान ४१ साध्य से ४८ साधा तक (१) साबित करो कि पहले अधयाय का ४१ वी साधा ऋभुज क्षेत्रों की पैमाइश की जड़ है (२) उन सब साधनों का दावा जिखो कि जिसके जरिये से किसी ऋजुभुज क्षेत्र के बराबर वर्ग क्षेत्र बनाना मुमकिन है (३) सागर ४३ वीं साधामें पूरक वर्ग क्षेत्र होतो उनका कुल समानान्तर चतुर्भुज से क्या सरवंध होगा (४) क्या ४५ वौं माधा का सुबूत हर सूरत में सही है (५) वर्ग क्षेत्र की तारीफ़ जो कुछ उसमें फिज़ल था जियादा हो निकाल कर क्यान करो और उस तारीफ के कम्यूजिब किसी सीधी रेखा पर वर्ष होत्र बनाने का तरीका लिखो () "वर्ग क्षेत्र के सब कोन मिलकर चार समकोन के बराबर होते हैं" क्या इमका विलोम भी सही है और जवार नहीं तो वजह बयान करो (७) ४७ वी माधा में यह क्यों जरूरी है कि एक भुज हर वर्ग क्षेत्र की जो त्रिभुज की समकोन बनाने वाली भुजों पर है त्रिभुज के दूसरे सुज की एकही सीध में हो (८)क्या त्रिभुज जिस के भुज ३, ४, ५ हैं समकोन त्रिभुज है (६) क्या एक व्यायत क्षेत्र में जिसके भुजों की लम्बाई १६० और ४६० गज़ है एक सीधी सड़क ५०० गज लम्बो तय्यार करा सकते हैं -- इस सड़क को कागज़ पर खींचकर बतायो For Private and Personal Use Only
SR No.020605
Book TitleRekhaganit
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaram Babu
PublisherAtmaram Babu
Publication Year1900
Total Pages220
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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