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( १४२ )
ही छोटो या बड़ी राशि हो तो कोन जो उन सीधी रेखायों से लगा है जिनकी लम्बाइयां इक और ४क हैं ममकोन होगा
क्योंकि (क)+(४क)-क+१६क-२५क--(५क)
ग्राम तौर पर चूकि {(न+१)}:- {३ न२.१)} = {१२+१) + (न' -१)} x ११(न' +१)-१(न...)} --न .. {३(१२+१)}=न + { १९१२-१)}'
इसलिये न और (न२-१) लशकोन त्रिभुज की उन भुजों को जाहिर करेंगे जिनसे नमकोन बनता है और न+१) उन त्रिभुज के कर्ण को जाहिर करेगा-समकोन त्रिभुज की भुजों के दांमत करने का वह का यदा हकीम फ़ीसानोरस ने लिखा है
अगर कोई संख्या ऊनी है तो कुल भुज पूरी संख्याओं से जाहिर होगे फर्ज करो कि न-७ तो (न२-- १) --२४ और (न+१) =-२५ इमलिये भुज ७, २४ और २५ संख्यायों से जाहिर होंगे फिर चूकि {३(१+१)} =नर + {{(न-)}
(न+१)२ (२ न)२+ (न२.१)२ इसलिये २ न गौर (न२-१) वह भुज हैं जिनसे समकोन बनता है और (१२ - १) कार्ण है वह कायदा हकील अफलातून का दिया हुआ है - गर हम जपर के काम में न के बदले च रकखें यौर च योर ग शेगों को पूरी संस्था खयाल करें तो यह हासिल होता है कि (२+१) (२) + (२-२) यानी ( च+ गरे)
=(श्च x ग) + (च२ -- श२ इमलिये २च x ग और (च२ . ग) वह भुज हैं जिनसे समकोन बनता है
और (च' + ग) कर्ण है। टि. ३ पहले अध्याय में उक्त दस ने रेखायों कोनों और धरातलों के बनाने के
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