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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir (५४, लेकिन असद और अ स ब कोन मिलकर दो समकोन के बराबर हैं सा० १३ इसलिये अब स कोन और असब कोन मिलकर दो समकोन से कम है इसी तरह यह भी साबित होसता है कि बस और अस ब कोन भी मिलकर दो समकोन से कम है __ और वस और असब कोन भी मिलकर दो समकोन से कम हैं फल इसलिये त्रिभज के हर दो कोन आद्योपान्त यहो साबित करना था टि. (१) यह साध्य पिछली साध्य का सिर्फ एक अनुमान मालूम देती है ज़ाहिरा स्वघंसिडि १२ की जिसका यह विलोम है टीका के लिये रक्खी गई है यह और सोलहवीं दोनों साध्य इस अध्याय की बत्तीसवों साध्य में शामिल है टि० (२) सत्तरहवीं साध्य त्रिभुज की बगैर किसी भुजा अ के बहाने के इस तरह साबित हो सकती है ब स में कोई / विंदु द लो और अद मिलायो ब ट स चंकि अ द स कोन अ ब स कोन से और अ द ब कोन अ स ब कोन बड़ा है (सा. १६) इसलिये अदब और अ द स कोन मिल कर अब स और अ स ब कोनों से बचे है लेकिन अ द ब और अ द स कोन मिल कर दो समको न के बराबर हैं (सा० १३) इमलिये अ स ब और अ ब स कोन मिलकर दो समकोन से कम है इसी तरह यह भी माबित होमक्ता है कि ब अस और अ स ब कोन मिल कर दो ममकोन से कम है और व अस और अ ब स कोन मी मिलकर दो समकोन से कम है अभ्यास (३३) त्रिभुज के तीनों उपन्तः कोन मिल कर तीन समकोन से छोटे होते हैं (३४) त्रिभुज के हर दी बहिःकोन मिलकर दो समकोन से द्यौर तीनों बहिः कोन मिलकर तीन समकोन से ज़ियादा होते हैं For Private and Personal Use Only
SR No.020605
Book TitleRekhaganit
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaram Babu
PublisherAtmaram Babu
Publication Year1900
Total Pages220
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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