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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( १३५ ) उपचूंकि कोन बस समकोन है ( फर्जी) और कोन व प्रज तमकोमहे प०३० दो सीधी रेखा अस और अज सीधी रेखा अव के आमने सामने को तर्फी से पाकर विंदु अ पर मिलती है और उस रेखा के साथ उस बिन्द पर आसन्न कोन बराबरको समकीन के बनाती हैं दूलिये स अ और अज एक ही सीधी रेखा में हैं सा०१४ इसीतरह यह साबित होसता है कि व अऔर एक ही सीधी रेखा में हैं चकि कोन दवस बरावरहै कोन फवअ के पयोकि हर एक समकोन है ख०११ इन बराबरों में से हर एक में कोम प्रवस मिलाओ इसलिये कुल कोन दवप्र बराबर है कुल कोनफवस के(स्व०२) चूंकि विभुज अवद और फवस की दो भुज प्रव और वदअलग २ बराबर हैं दो भुजों फाव और बस के और कोन अब द बराबरहै कोन फवस के इसलिये विभुज प्रवद बराबर है त्रिभुज फवत के सा०४ अबसमानांतर चतुर्भुज व ल विभुज अबद से टूना है क्योंकि समानांतर चतुर्भुज और विभुज एक ही आधार बद पर और एक ही समानांतर रेखाओं वद और जल के दर्मियान सा०४१ और वर्गो जय त्रिभुज फ ब स से दूना है क्योंकि बगदेव और त्रिभुज एक ही आधार कब पर और एक ही समानांतर रेखाओं कब और जस के दर्भियान हैं। सा०४९ लेकिन जो चीज़ बराबर चीज़ों की दूनी होती है वह आपस में बराबर होती हैं इसलिये समानांतर चतुर्भुज बल बराबर है बर्ग क्षेत्र जब के इसीतरह अय भीर ब क मिलाने से यह साबित होताहै For Private and Personal Use Only
SR No.020605
Book TitleRekhaganit
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaram Babu
PublisherAtmaram Babu
Publication Year1900
Total Pages220
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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