SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 48
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir (४६) चूंकि सवय कोन बराबर है स ब अ और अब य दो कोनों वे इन दो घरों में से हर एक में य ब द कोन मिलाश्री इसलिये सबष और य ब द कोन बराबर है स ब अ और यव और यवदतोनों कोनों के फिर चंकि द ब अ कोन दवय और य ब अकोनों के बराबर और दून दोनों बराबरों में से हर एक में अवस कोन मिलाओ इसलिये द ब अ और अब स कोन मिलकर बराबर हैं द बय और चाय और अब यतीनों कोनों के स्व०२ लेकिन साबित हो चुका है कि स ब य और य ब द कोन भी इन्हीं तीन कोनों के बराबर हैं __ और जो चीज़ एक ही चीज़ के बराबर होती हैं वह आपस में बराबर होती हैं इसलिये सब य औरय बद कोन मिलकर दब अऔर अबस कोन के बराबर हैं ख०१ लेकिन स ब य और यबद दी समकोन हैं इसलिये दब और अब स कोन मिलकर दो समकोन के बराबर हैं फल इसलिये जो कोन एक सीधी रेखा दूसरी सीधी रेखा के साथ आद्योपान्त- यहो साबित करना था अनुमान १ सब कोन जो कई सीधी रेखा एक सीधी रेखा के एक विन्ट पर उसके एक ही तरफ बनाती है मिल कर दो समकोन के बराबर होते हैं अनुमान २ अगर दो मोबी रेखा एक दूसरी को किसी बिन्दु पर काटें तो उस बिन्द के चारों कोन मिनकर बराबर होगे चार समकोन के अनुमान ३ सब कान जो कई सीधी रेखायों के एक बिन्दु पर मिलने से बनेंगे मिल कर चार समकोन के बरर होगे टि. (१) तेरहवीं साध्य के दाव में इस इबारत का कि एमके साथ कोन वनाती होना जरूर है क्योंकि अगर यह इबारत न हो तो साध्य की एक यह भी मरत होगी कि एक रेखा दसरी रेखा के सिरे पर खडी हो र उस मरत में सिर्फ एक कोन बनेगा टि. (२) अगर दो कोन मिलकर बराबर दो समकोन के हों तो उनमें से हरएक को दूसरे का पूरक कहते है और अगर दो कोन मिल कर बरा. वर एक समकोन के हों तो उनमें से हरएक दूसरे का कोटि होगा For Private and Personal Use Only
SR No.020605
Book TitleRekhaganit
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaram Babu
PublisherAtmaram Babu
Publication Year1900
Total Pages220
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy