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(३८)
और मक दो विभज द अफ और य अफ में उभयनिष्ट है यानी दो सुज द अऔर अफ अलगर बराबर हैं य अ और अफ दो भुजों के
भीर दफ आधार य फ आधार के बराबर है इसलिये द अफ कोन बराबर है य अफ कोन के इसलिये दिये हुए वरस सरल कोन के अफ रेखा से दो बरा. वर हिस्से होगये और इसी कोन के दो बराबर हिस्से करने की जनवरत थी
टि. (१) अ से दूर ममविवाहु त्रिभुज बनाने की कैद इसलिये की गई है कि व्यगर ऐसा न हो और समत्रिबाह त्रिभुज द य के उस तरफ बनाया जावे जिस तरफ़ द अ य त्रिभुज है तो एक सरत में मुमकिन होगा कि फ बिन्दु अबिन्दु पर पड़े और उस मरत में अफरेखा न खिच सकेगी
यह भी याद रखना चाहिये कि फ विन्टु ब अस कोन के अन्दर होगा क्योंकि फ बिन्दु के ब अ स कोन के बाहर होने या अ ब या अस रेखाओं पर होने से यह फल निकलेगा कि समाविबाह त्रिसुजफ द य के आधार द य पर का कोन एक ही हालत में व द य कोन या स य द कोन मे छोटा होगा और उससे बड़ा या उसके बराबर होगा और यह बात नासमकिन है
टि. (२) इस साध्य के लगातार इस्तेमाल करने से एक कोन के ४, ८, १६ वगरेरः बराबर हिस्से हो सकते हैं लेकिन हर कोन के तीन वराबर हिस्से करने में बड़े २ लायक रेखागणित जानने वालों का परिश्रम निघफल रहा
अभ्यास (२०) नवौं साध्य को बगैर मदद आठवौं साध्य के सावित करो
साध्य १० वस्तुपपाद्य सा०सत्र- दी हुई परमित सीधी रेखा के दो बराबर हिस्से करो
वि० सत्र- फ़ज़ करो कि अब दोहुई परमित सीधी रेखा है उसके दो बराबर हिस्से करने हैं । अं०- अब पर अस वसमविबाहु त्रिभुज बनाओ सा० १
और असब कोन के स द रेखा से जो अब को द बिंदु पर काटती है दो बराबर हिस्से करो
मा०८
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