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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( १६० ) चारों त्रिभुज अस फ, द फज,यज ह और बहस और बगै सफ जह जो मिलकर अब परका वर्ग अदय ब बनाते हैं बराबर हैं अस और स ब परके बर्गो और अस और स ब के दूने धरातल के इसलिये अब परका वर्ग बराबर है अस और स ब परके बों और अस और सब के दूने धरातल के टि०२ - इस माध्य के माबित करने की तीसरी रीति यह है चंकि अब परका गं बराबर है अब और बस अ स म के धरातल और अब और अस के धरातलों के योग के (३०मा०२) लेकिन अब यौर बस का धरातल बराबर है बस परके वर्ग और अस और सब के धरातल के योग के और अब और अस का धरातल परावर है अस परके वर्ग और अ स और स ब के धरातल के योग के अमा०३) इमलिये अब परका वर्ग बराबर है अस और स ब परके वर्गों और अस और स ब के दूने धरातल के योग के टि०३ - अगर हम अस और स ब को जुदी २ रेखा खयाल करें तो यह साध्य इस तरह बयान होगी कि दो रेखायों के योग पर का बरा वरावर होगा उन रेखाओं पर के गां के योग और उन रेखा के घगतल के दूने के याद रखना चाहिये कि रखागणित में दो रेखाओं के योग से वह एक रेखा मुराद है जो उन दो रेखाओं को इस तरह मिलाने से बने कि वह मिलकर एक मीध में हों बीजगणितीयसाधन फर्ज करो कि अब लम्बाई में अपैमाने है और अस और सब लम्बाई में क्रम से म और न पैमाने हैं तो ग्र=म+न इन वराबर चीजों का बर्ग किया इमलिये अ=(म+न)" असार २३ इसलिये अ--म+२म x न+न यानी अगर कोई ग्रंक दो हिस्सों में कांटा जाय तो कुल अंक का बर्ग बराबर होगा दोनों हिम्मों के बगों और उनके दूने गुणनफल के अभ्यास (५) अगर एक सीधी रेखा कई हिमलों में बांटी जाय तो कुल रेखा पर का बर्ग बराबर होगा सब हिममों पर के बांय उन घरातलों के दूने के जो हर दो हिममों के जोडों से बनती है For Private and Personal Use Only
SR No.020605
Book TitleRekhaganit
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaram Babu
PublisherAtmaram Babu
Publication Year1900
Total Pages220
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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