SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 96
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir (८४ ) टेि० २ यह दोनों अनुमान लिमसन साहब ने ज़ियादा किये हैं दूसरे व्य. नुमान में बयान करना चाहिये था कि ऋजुभुज के बहिःकोन से क्या मुराद है अगर उस बिंटु से जहां ऋजुभुज क्षेत्र की दो भुज मिलती हैं उन भुजों में से कोई भज बढ़ायी जाय तो कोन जो उस भज के वद हुए हिस्स और ट्रसरी भज से बनेगा ऋजुभज क्षेत्र का बहिःकोन होगा दो मजों में से कोई सी अज बतायी जाय एकही बात है क्योकि कोन जो इस तरह बनेंगे दोनों व्यापम में पंद्रहवी साध्य से बराबर होंगे उसी दस ने उन्ही ऋजुभज क्षेत्र का बयान किया है जिनके सब कोनों का रुख ग्रन्दर की तरफ है एक और तरह का ऋजुभुज क्षेत्र भी ऐसा बन सक्ता है कि उसमें कोन अफस का रुख बाहर की तरफ है लेकिन यह कोन क्षेत्र अफ स द य द य का अन्त:कोन नहीं है इस कोन के बदले इस क्षेत्र में अन्तः कोन वह कोन है जो चार समकोन से वक़दर कोन अफ स कम /फ है ऐसे अन्तःकोन को जो दोसमकोन से बड़ा है पुनयुक्त कोन स अ कहते है बत्तीसवी' साध्य का पहला अनुमान तो उन क्षेत्रों में भी जिनमें एक या कई अन्त:कोन पुनयुक्त हैं साबित होसक्ता है जेकिन दूसरा अनुमान ऐसे क्षेत्रों में साबित नहीं होता य द अगर किसी ऋजुभुज क्षेत्र अफ स द य का अन्त:कोन ल ज विंटु फ पर पुनर्युक्त हो तो अस मिलाने और उसको फ। स की तरफ बहाने से साबित होजायगा कि कोन । म अफ और हसद और क द य और ल य अ मिलकर चार समकोन के बकदर कोन ज फ स ज़ियादा है टि० ३ वत्तीमवी साध्य से व्यौर भी कई अनुमान निकलते हैं और वह अनुमान यह हैं ३-अगर त्रिभुज के दो कोनों की मिकदार मालूम है तो तीसरे कोनको भी मिकदार मालम है क्योंकि त्रिभज के तीनों कोन मिलकर वरावर दो समकोन के होते हैं ४-ग्रगर त्रिभुज का एक कोन समकोन है तो बाकी दो कोन मिलकर एक समकोन के बराबर हैं और अगर त्रिभुज के दो कोन मिलकर तीसरे कोन के बराबर हैं तो तीसरा कोन समकोन है ५----अगर एक त्रिभुज के दो कोन मिल कर तीसरे कोन से छोटे हैं तो तीसरा कोन व्यधिक कोन है और अगर बड़े हैं तो तीसरा कोन न्यूनकोष है ---समत्रिबाहु त्रिभुज का हरएक कोन दो समकोन की एक तिहाई यानी एक समकोन की दो तिहाई है इस अनुमान की मदद से समकोन के तीन वराबर हिने होसती हैं ७-उग्रगर समविवाहु त्रिभुज का शीर्घकोन समकोन है तो वाकी दो कोनों में से हरएक ग्राधा समकोन है For Private and Personal Use Only
SR No.020605
Book TitleRekhaganit
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaram Babu
PublisherAtmaram Babu
Publication Year1900
Total Pages220
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy