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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra मुमकिन हो तो बद को यावद के बढ़े और यस मिलाओ www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( १२० ) बिन्दु से प्रय समानान्तर व स की ओर हुए हिस्से को य पर काटती हुई खींचौ Q उप चुंकि त्रिभुज प्र बस और यबस एकही आधार बस पर और एकही समानान्तर रेखाओं व स और अय के दर्मियान है इसलिये त्रिभुज प्रबस बराबर है त्रिभुज य ब स के (सा० ३ ०३७) लेकिन लिया सत्रिगुण द ब स के बराबर है (फ़ज़) इसलिये विजय से बराबर है विभुज य ब स के (ख० १) यानी बड़ा त्रिभुज बराबर है छोटे त्रिभुज के और यह नामु मकिन है प्रिय समानान्तर स की नहीं है और इसी तरह साबित होता है कि कोई सीधी रेखा सि वायद के समानांतर व स की नहीं खिंच सक्ती इसलियेन्म द समानान्तर सकी है फल इसलिये जो बराबर त्रिभुज एकही आधार पर आयो पांत - यही साबित करना था टि० यह साथ तमव माध्य का विलोम है अभ्यास १५४) रेखा अब और सद एक दूसरी को बिंदु पर काटती है और त्रिभुज अ य स बराबर है त्रिभुज व य द के मावि करो कि अद समानांतर व स की है (१५५) रेखा जो किसी त्रिभुज की दो भुजों के बीचों बीच के बिंदुओं को मिलाती है वह व्याधार की व्याधी और समानान्तर होगी गौर अद और ( १५६) विभुज व स के आधार बस में एक बिंद For Private and Personal Use Only
SR No.020605
Book TitleRekhaganit
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaram Babu
PublisherAtmaram Babu
Publication Year1900
Total Pages220
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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