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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( ७५ ) वह और दयफ त्रिभुजों में अब बराबर है वह कोन चूंकि दय के और बह बराबर है यफ के और बराबर है दयफ कोन के इसलिये =प्रह आधार बराबर है दफ आधार के और प्रवह विभ ुज बराबर है द य फ विभुज के और एक विभज के बाक़ी कोन अलग अलग बराबर हैं दूसरे त्रिभुज के बाकी कोनों के यानी वह कोन आपस में बराबर हैं जिनके सामने के भुज बराबर हैं सा० ४ फ़र्ज़ इसलिये = हब कोन बराबर है दफय कोन के लेकिन दफय कोन बराबर है प्र स ब कोन के इसलिये अह ब कोन बराबर है अस ब कोन के यानी अहस विभ ुज का अहब बहि: कोन अपने सामने के असब अन्तः कोन के बराबर है और यह नामुमकिन है सा० १३ ख० १ इसलिये बस नाबराबर नहीं है य फ के यानी बस बराबर है यफ के अब अबस और दयफ बिभुजों में चूं कि अब बराबर है दय के और बस बराबर है य फ और अबस कोन बराबर है कोन के दय फ इसलिये अस आधार बराबर है दफ आधार के और तीसरा बस कोन बराबर है तीसरे यद फ कोन के सा० ४ फल इसवास्ते अगर एक विभुज के दो कोन दूसरे विभुज के दो कोनों के आयोन्त - यही साबित करना था टि० १ इस साधा को व्याचकादन क्रिया से इस तरह साबित कर सक्ते हैं ( पहली सूरत) अगर द य फ त्रिभुज अ ब स विभुज पर इस तरह रक्खा जाय कि य बिंदु ब बिंदु पर हो और य फ भुज बस भुज पर For Private and Personal Use Only
SR No.020605
Book TitleRekhaganit
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaram Babu
PublisherAtmaram Babu
Publication Year1900
Total Pages220
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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