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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir (१८) ३४ वी साध्य के विलोम का दावा लिनों और साबित करो (१६) अगर किसी नसानांतर चतुज का एक कोन समकोन हो तो उसके मव कोने सभकोग होते हैं योर उसके कसे मी च्यापस में बराबर होते हैं और अगर व समानांतर चतुर्भज वर्ग वा बिधमकोन समचतुज हो तो उसके कण एका दूमरे को दो बराबर हिस्सों में बांटते हैं साध्य ३५ प्रमेयोपपाय सा० सूत्व समानांतर चतुभुज जो एकाही आधार पर और एकही समानांतर रेखाओं के दर्मियान में होते हैं आपस में बराबर होते हैं वि० सूत्र फर्ज करी कि समानांतर चतुर्भुज अवसद और यवशफ एकाही आधार वश पर और ब्रद एकही समानांतर रेखाओं व स ओर अफ के । दर्मियान में तो समानांतर चत जम बसद और यबसफ ा. पस में बराबर होंगे उप० अगर समानांतर चतुम ज अवसद और दब सफ की मजाद और दफ जो आधार बस के सामने हैं एक ही विंटुंद पर खतम हो तो जाहिर है कि हर समानांतर चतु: गुज त्रिभुज बस का दूना होगा इसलिये समानांतर चतुर्भुज अवसद बाबर होगा समा नातर चतुभुज दबस फ के स्व. ६ __ लेकिन अगर समानांतर चतुर्भुज अवसद और सकसक की मज अद और पफ जो साधारवास के सामने एक हो । हातमा की For Private and Personal Use Only
SR No.020605
Book TitleRekhaganit
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaram Babu
PublisherAtmaram Babu
Publication Year1900
Total Pages220
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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