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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir (४८) यानी कुल अपने एक टुकड़े के बराबर है और यह बात नामुमकिन है इसलिये यव और स ब एक ही सीधी रेखा में नहीं हैं और इसी तरह साबित हो सक्ता है कि सिवाय बद के कोई और सोधी रेखा भी बस के साथ मिलकर एक सीधी रेखा नहीं होसक्ती इसलिये बद ही बस के सा मिलकर एक सीधी रेखा हुई फल-इसलिये किसी सोधी रेखा के एक बिंदु पर आद्योपान्त यही साबित करना था टि. (१) यह साध्य तेरहवौं साध्य का विलोम है इसको यतिरेकयक्ति से साबित किया है इस साध्य में सब और दब रेखाओं के अब रेखा की ग्रामने सामने की तरफ़ों से आकर मिलने की कैद नहो तो समकिन है कि जो कोन दो सीधी रेखा किसी तीसरी सीधी रेखा के साथ बनावें वह दो समकोन के बराबर होवें लेकिन दोनों रेखा एक ही सीधी रेखा में नहीं जैसाकि इस तस्वीर में स ब और ब द सीधी रेखा अब श्र सीधी रेखा के साथ ऐसे दो को अब और अब द बनावें कि वह मिल कर दो समकोन की बराबर हों लेकिन । स ब और ब द सीधी रेखा एकहो सोधा रेखा में नहों बर- टि. (२) विद्यार्थी को गौर करने से मालूम होगा कि स ब अ और अब य कोनों को स ब अ और अब द कोनों के बराबर माबित करने में पहिली और ग्यारहवीं स्वयंसिद्धि दोनों का हुकम लगाना ज़रूर है टि. (३)टौडहन्टर साहब ने ग्यारहवीं स्वयं सिद्धि को इसतरह साबित किया है और इस सुबूत पर उल दम के उसल की रू से कोई ऐतराज नहीं हो सका है फज़ करो कि अब रेखा स अ द रेखा के साथ अ बिन्दु पर समकोन बनाती है और य फ रेखा ज य ह रेखा के साथ य बिन्दु पर समकोन बनाती है तो ब अ स और फ य ज कोन अापसमें बराबर होंगे __ कोई अ स लखाई ले लो और अद और य ह और य ज इन सबको अस के बराबर बनाओ ह य ज रेखा को द अ स रेखा य सदस पर इस तरह रक्खो कि ह विन्टु द बिन्दु पर हो और ह ज रेखा की दिशा दस रेखा की दिशा पर हो और व और फ बिंदु द स रेखा की एक For Private and Personal Use Only
SR No.020605
Book TitleRekhaganit
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaram Babu
PublisherAtmaram Babu
Publication Year1900
Total Pages220
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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