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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir (३४) इसलिये अदस कोन भी बस द कोन से बड़ा है इसवास्ते बदस कोन ब स द कोन से औरभो ज़ियादा बड़ा है फिर चूंकि ब स बराबर ब द के फ़ज़ की गई है इसलिये बदस कोन बराबर है ब स द कोन के मा०५ लेकिन यह साबित हो चुका है कि ब द स कोन ब स द कोन से बड़ा है इसलिये बदस कोन ब स द कोन से बड़ा और उसके बराबर भी है और यह बात नामुमकिन है दूसरी सरत यह है कि अदब विभुज का शोष द विभुज अस ब त्रिभुज के अन्दर है अं०- अस और अद को य और फ बिन्दुओं तक बढ़ादी उप०- चूंकि अस द त्रिभुज में असभुज बराबर है अदभुज के इसलिये स द आधार के नीचे के य स द और फ द स कोन आपस में बराबर हैं सा० ५ लेकिन यस द कोन बसद कोन से बड़ा है ख. इसलिये फदस कोन भी बसद कोन से बड़ा है इसवास्त ब द स कोन बस दकोनसे और भी ज़ियादा बड़ा है फिर चूंकि ब स बराबर ब द के फर्ज की गई है इसलिये ब दस कोन ब स द कोन के बराबर है लेकिन यह बात साबित होचको है कि ब दस कोन ब स द कोन से बड़ा है इसलिये ब द स कोन ब स द कोन से बड़ा और उसके बराबर भी है और यह बात नाममकिन है तीसरी सुरत जिसमें अदबविभुज कादशोप स अस ब विभज्ञ की भुजा पर है इस सूरत में साफ़ जाहिर है कि ब द और बस आपस में बराबर नहीं हो सकी है. For Private and Personal Use Only
SR No.020605
Book TitleRekhaganit
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaram Babu
PublisherAtmaram Babu
Publication Year1900
Total Pages220
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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