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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir (१४. ) साध्य ८अभयापपाध RI सू.---अगर त्रिभज की भुजों में से एक भुज परका वर्ग बाकी दो भुजों पर के बों के बराबर हो तो कोन जो उन क्षजों से बनता है समकोन होगा वि०स० फ़ज़ करो कि बर्ग जो त्रिभुज अबस की भुज बल पर बनाया जाय बराबर है उन वर्गों के जो मजो अब और अस पर बनाये जांय तो कोन व अन्य समकोन होगा बिंदु असे अदमज अस के साथ समको न्' बनाती हुई खोंचो सा. ११ अद बराबर अब के बनाओ सा० ३ ओर सद मिलाओं अवा. २ चूकि अद बराबर है अब के इसलिये अद परका वह बराबर है। अब परके वर्ग के इन बराबरी में से हर एक में असपरका बग मिलाया इस लिये आद और आसपरके वर्ग मिलकर वरावर अब ओर असपरके वर्गो के लेकिन अद और असपरके बर्ग मिलकर बराबर, दस परके वर्ग के क्योंकि कोन द अनसमकोन है सा०६७ और अब और अस परके बर्ग मिलकर बराबर है बस परके वर्गक इस लिये दस परका बर्म बराबर बस परके बर्गके स्व० ? इसलिये दस बराबर है बरा के चूकि भुजद बराबर है अजब वो औरास दोनों विभुजों दन्नस औरब अस में उभयनिष्ट है For Private and Personal Use Only
SR No.020605
Book TitleRekhaganit
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaram Babu
PublisherAtmaram Babu
Publication Year1900
Total Pages220
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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