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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( १९७ ) और हफ क्षेत्र अह पर का बग है इसलिये अब और बह का धरातल बराबर है अह पर के बर्ग के इसलिये अव सीधी रेखा ह बिंदु पर ऐसी बटगयी कि अब और बह का धरातल बराबर है अह पर के बर्ग के । इसी रेखा के इस तरह बांटने की ज़रूरत थी अनुमान १ इस साधा में सफ रेखा अपर उसी तरह सेबट गयी है जैसे अब रेखा ह विदु पर गंटी गयी है अनुमान२- अगर कोई सीधी रेखा दो ना बराबर हिस्सों में इस तरह बांटी जाय कि कुल मीधी रेखा और उसके छोटे हिस्से का धरातल बराबर हो बड़े हिस्से परके बर्गके तो बड़ा हिस्सा भी उसी तरह बांटा नासक्ता है अगर उसमें छोटे के बराबर हिस्सा काटा जाय और छोटा हिस्सा भी उसी तरह बट सक्ता है अगर छोटे हिस्से में से दोनों के अंतर के बराबर हिस्सा काटा जाय टि.-ग्यारवौं साध्यमें उक्त दस ने रेखागणित की रूसे बीजगणित के दूसरे दर्जे के समीकरण को हल किया है दूसरे दर्जे के समीकरण और इस साध्य का इलाका हमने इस जगह नहीं साबित किया क्योकि विद्यार्थी जिसने बीजगणित को दूसरे दर्जे के समीकरण तक नहीं सीखा है उसको बखूबी नहीं समझ सक्ता है अभ्यास (३१) किसी सीधी रेखा को इतना बढ़ायो कि कुल बड़ी हुई सीधी रेखा और उसके बड़े हुए हिस्से का धरातल बराबर हो उस रेखा परके धके (३२) अगर कोई सीधी रेखा दो हिस्सों में इस तरह बांटी जाय जे से कि ग्यारवौं साध्य में बांटी गयी है तो दोनों हिस्सों के वर्गीका अन्तर बराबर होगा दोनों हिस्सों के धरातल के (३३) ११वीं साध्य में जब और फ द और अक रेखा आपस में स्वमानान्तर है For Private and Personal Use Only
SR No.020605
Book TitleRekhaganit
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaram Babu
PublisherAtmaram Babu
Publication Year1900
Total Pages220
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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