SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 58
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir फ़र्ज साध्य १८ प्रमेयोपपाद्य सा० सत्र हर त्रिभुज में बड़े कोन के सामने की भुज बडी होती है वि० सूत्र-- फ़र्ज़ करो कि अबस एक त्रिभुज अ है जिसका अबस कोन असब कोन से बड़ा है | तो अस भुज अब भुज से बड़ी होगी उप- अगर अस भुज अब भुज से बड़ी नहीं है तो वह उसके बराबर या उससे छोटी है अगर अस बराबर है अब के तो अबस कोन भी बराबर है असब कोन के सा. ५ लेकिन यह कोन आपस में बराबर नहीं है इसलिये अस भी अब के बराबर नहीं है अगर अस छोटी है अब से तो अवस कोन भी छोटा है असब कोन से सा० १८ लेकिन अबस कोन असब कोन से छोटा नहीं है फ़ज़ इसलिये अस भी अब से छोटी नहीं है। और यह साबित होचुका है कि अस बराबर नहीं है अब के इसलिये अस बड़ी है अब से फल-इसलिये हर त्रिभुज में बड़े कोन के सामने की भज आद्योपान्त यही साबित करना था टि. (१) यह साध्य अठारहवीं साध्य का विलोम है शोर छटी साध्य के माथ वही सम्बन्ध रखती है जो अठारहवीं साध्य पांचवीं साध्य के साथ रखती है यह सम्बन्ध इन सायों में से दो दो को मिलाकर इस तरह बयान करने से मालूम होगा " त्रिभुज का एक कोन दूमरे कोन के बराबर For Private and Personal Use Only
SR No.020605
Book TitleRekhaganit
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaram Babu
PublisherAtmaram Babu
Publication Year1900
Total Pages220
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy