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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir (३६) उप० क्योंकि अगर अब स विभुज दय फ़ त्रिभुज पर इस तरह रक्खा जाय कि ब बिन्दु य बिन्द पर और बस रेखा यफ़ रेखा पर हो तो चूंकि बस बराबर है य फ़ के ( फज़ ) स बिंदु फ बिंदु पर पड़ेगा और जब बस आधार य फ अधार पर पूरा २ पड़ता है तो बअ और स अ भुज य द और फद भजों पर पड़ेगा क्योंकि अगर बस आधार य फ आधार पर पड़े लेकिन ब अ और मुन य द और फ द भुजों पर न पड़ें बलकि मुखलिफ जगहों पर य ज और फज की तरह पड़ें तो एक ही आधार पर और उसके एक ही तरफ ऐसे दो विभुन होंगे कि जिनकी वह भुज जिनके सिरे आधार के एक सिरे पर हैं आपस में बराबर हैं और उनकी वह भुज भी जिनके सिरे आधार के दूसरे सिरे पर हैं आपस में बराबर है। लेकिन यह बात नामुमकिन है सा. ७ इसलिये अगर बस आधार य फ आधार पर पड़ता है तो वअ और स ज भुज भी यद और फ द भजों पर पड़ेगी ... और इसलिये ब अ स कोन और य द फ कोन एक दूसरे को पूरा२ हक लेंगे और इसलिये वह आपस में बराबर है स्व. ८ फल इसलिये अगर एक विभुज कीदो भुज दूसरे त्रिभुज की दो अजों के अद्योपान्त यही साबित करना था अनमान इससे यह साबित हो मक्ता है कि बराबर भुजों के सामने के कोन भी नापस में बराबर हैं यानो ब कोग बराबर य कोन के और म कोन बराबर है फ कोन के और दोनों त्रिभुज भी ग्रापस में बराबर है टि. (१) इस साध्य को बगर मदद मातवौं साध्य के इस तरह माबित कर सक्त है फ़र्ज करो कि अब स निमुन और द य फ त्रिभुन इस तौर से रहावे गये हैं कि बस अाधार यफ बाधार पर है और लिभजों के पी अ और द एक दूसरे के सामने है For Private and Personal Use Only
SR No.020605
Book TitleRekhaganit
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaram Babu
PublisherAtmaram Babu
Publication Year1900
Total Pages220
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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