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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( १३१ ) इसलिये कोन फकह कोन अहमके बराबर है (स्व०१) दून बराबरों में से हर एक में कोन कहज मिलाश्री इसलिये कोम फकह और कहज बराबर ३ कोल सहज और जहम के | लेकिन कोच फकह और कहज मिलकर बराबर दो समकोल के हैं सा. २८ इसलिये कोन कहज और जहम भी मिलकर बराबर है दो समकीन की ___ चूकि सीधी खाजह के बिन्दु ह पर दो सीधी रेखा कह और माह उसको आमने सामने की तरफो से आकर ऐसे दो आसन्न कोन पैदा करती है कि वह मिलकर बराबर दो सम कोन के हैं 50 इसलिये कह और हम एकही सीधी रेखा में हैं सा० १४ __और चूकि सोधी रेखाज दो समानांतर रेखाओं कम और क ज पर गिरती है दूसलिये कोलमडज बराबर है एकांतर कोन अफ सा. २८ इन बराबरों में से हरएक कोनजल मिलाओ। इसलिये कोन महज और हजल बराबर है कोन जल और हजफके लेकिन कोन महज और हज लसिलपार बराबर दो समकी सा. २८ इसलिये फोन जल और हज कमी मिलकर बराबर दो समकोन के हैं इसलिये फज और जल एकही सीधी रेखा में हैं सा०१४ और चूंकि क फ समानांतर है हज की और हज समानांतर है मल की इसलिये कफ समानांतर है मालकी सा० ३० और फल सामान रुम को साबित होती है । For Private and Personal Use Only
SR No.020605
Book TitleRekhaganit
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaram Babu
PublisherAtmaram Babu
Publication Year1900
Total Pages220
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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