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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( १८ ) A nimmmmmmmmmw-- सीधी रेखा जो विभुज के अन्दर खींची जायं नम्बरसाध्य कल्पित अर्थ ३८अनुमान व्यगर त्रिभुज की कि- वइ सीधीरेखा त्रिभुज के दो बरा सी भुज के वीवों वीच | पर हिस्ते करेगी की बिन्दु से उस के सामने के कोनतक रेखा खींची जाय ग्रार निशुज को व्यापार यह दोनों रेखा मिलकर त्रिभुन के सिरों से दो रेखा कि- को बाकी भुजों से छोटी होंगी लेसी विंद तक जो त्रिभज किन रेखा से बना हुया कोन गर है खींची जाय भुजों से बने हुए कोन से बड़ा होगा जागर जि को उन अधिका कोन के सामने की मज । भजी में से जो बाधिक पर का वर्ग बाकीदीम जों पर के कोन के गिद ३ किमी बगे। के योग से बड़ा हागा .कदर ज बड़ी हुई पर उस उस धरातल के दूने के जो उसभु - के सामने के कोनसे लं- जसे जिस पर लंब गिराया गया है ब गिराया जाय और उम के उस बहर हिस्से से जो दर्मियान अधिक कोन और लं ब के है बनता है १३च्य धायर अगर किसी त्रिभुज की उम न्यून कोन के सामने की भ ज उन भजों में से जो न्यान- पर का वा छोटा होगः बाकी दो कोन के गिद है किसी भुजों पर के बगां के योग से बकदर मज या उम बही हई उम धरातल के दाने के जो उमभ - भज पर उस को भामने | जसे जिस पर लंद मिराया गया के कोन से लब गिराया और उस रेखा से जो उस न्यनको - जाय न और लंब के दर्मियान है वनता है समानान्तर चतुर्म ज और त्रिभुज का मुकाबिला अगर सम न्तिर च- मभागान्तर चतुल ज त्रिभ ज से तुर्भज और त्रिभुज ए-दुना होगा। कही आधार और एकही समानान्तर रेखायो के दर्मियान हों ४१ अनुमा० अगर समानान्तर च- समानान्तर चतुम ज लिभज तुभ ज और त्रिभु न वरा- दूना होगा AmARILALLADINomanimoonaanam ४१ For Private and Personal Use Only
SR No.020605
Book TitleRekhaganit
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaram Babu
PublisherAtmaram Babu
Publication Year1900
Total Pages220
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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