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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir (६०) (४६) दी हुई सीधी रेखा में एक ऐसा बिंदु दर्याफ़ करो कि जिसकी दूरियां दो बिंदुओं से जो दी हुई रेखा के एक ही तरफ़ में है मिलकर उस रेखा के और बिंदुखों में से हर एक की दूरियों से कम हों साध्य २१ प्रमेयोपपाद्य सा० सूत्र अगर किसी विभुज की एक भुज के सिरों से दो सीधी रेखा एक बिंदु तक जो उस त्रिभुज के अन्दर है खौंची जांय तो यह दोनों सीधी रेखा मिलकर त्रिभुज की बाक़ी भुजों से छोटी होंगी लेकिन उन रेखाओं के दर्मियान का कोन उन भुजों के दमियान के कोन से बड़ा होगा वि० सूत्र फ़र्ज़ करो कि अबस एक त्रिभुज है और उसकी बस भुज के ब और स सिरों से द बिंदु तक जो उस त्रिभुज के अन्दर है बद और iral रेखा खींची गई हैं सद व 曜 स तो बद और स द मिलकर विभुज की अब और अस भुजों से छोटी होंगी लेकिन उनके दर्मियान का ब द स कोन त्रिभुज के बअस कोन से बड़ा होगा श्रं ० ब द को बढ़ाओ कि वह अ स से य बिंदु पर मिले उप० चूंकि त्रिभुज की दो भुज मिलकर तीसरी से बड़ी होती # For Private and Personal Use Only सा० २० इसलिये अब य त्रिभुज की दो भुज व अ और अ य मिलकर ब य भुज से बड़ी हैं इन नाबराबरों में से हर एक में य स ज़ियादा करो तो ब अ और अस मिलकर बड़ी हुई ब य और य स से और चूंकि स य द त्रिभुज की सय और यद दो भुज
SR No.020605
Book TitleRekhaganit
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaram Babu
PublisherAtmaram Babu
Publication Year1900
Total Pages220
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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