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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( ११८ ) इसलिये विभुज अबस बराबर है त्रिभुज दपक के फल इसलिये जो त्रिभुज दरावर आधारों पर ओर एकही समानांतर रेखाओं के आद्योपांत-यही सावित कारमाथा टि०१ इस साध्य की यह भरत कि बराबर खापारों पर जो बिजों के शीर एकही विंदु पर है बड़ी कार च्यामद है टि. २ इन माध्य में वह बात मानजी गई कि दोनोंत्रिभुजों के आधार एकही सीध में हैं अगर प्रम में हिंदु य बिंदु स पर और मिंटु द विंदु अपर हो तो एक त्रिभुज का कोन टूमरे सिमाज के कोन का पूरा होगा इसलिये यह नतीजा साबित हुया कि अगर एक लिभककी लीराज लो कि की दो भलों के चलरा बालग कराकर और उनकी से बने हुद कोम एक दूसरे के पूरक है तो दोनों सिमुजों के क्षेपण पापड बराबर है टि. ३ लैंतीसवीं और बड़तीसवीं साध्यों को रज तर मोक्यान करते हैं। “ त्रिभुज जो एकही व्याधार पर या प राम घामा पौ . जिनकी उंचाइयां बराबर होती है वापस में बराबर होते है " परिभाषा -भिनी निरज को उचाई. वह लंच को व्यापार पर उन्न के सामने के कोन मे शिराया जाता अनुमान-सीधी रेखा जो किमी लिमन के आधार को दो मीच बिदु से उसके सामने के कोग तक खाचो गई हो बस जिसे दो यरावर हिर करती है। अभ्यास ( १४५ ) समानांतर चतुर्भुज जिन चार लिभजो में व्यप करा! यो टता है उन विभु जों को क्षेत्रफल मापस में बराबर होते है। (१६) अब स द समानांतर चतुर्भुज के कगोवद के दिमाग सीधी रेखा गब प्योर ग स खींची गई हैं जो नावित दरो कि विम का गअब और ग स ब व्यापल में बराबर होंगे (१४७) अबस एक त्रिभुज है और हर यमुजो अब यौर पर के बीचों बीच वो बिंदु हैं रेखा बय और सद विंदुफ पर रवा दूसरीको काटती है सावित करो कि त्रिभुन व स बरावर है चतुर्भज अ द क य के ( १४८) य और फ त्रिभुज अ ब स की भ ज अब और अस को पाँचों दु हैं योर श्रद आधार बस पर लंबई माणित करो कि कोम य द फ बामर कोन ब अ स के है और चतुज अ य द फ लिभण अ यस का आधा For Private and Personal Use Only
SR No.020605
Book TitleRekhaganit
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaram Babu
PublisherAtmaram Babu
Publication Year1900
Total Pages220
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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