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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir इसलिये दब य कोन स व य कोन के बराबर है स्व. १ यानी छोटा कोन बराबर बड़े कोन के है और यह नामुमकिन है स्व. इसलिये दो सीधो रेखा उभयमिष्ट हिस्सा नहीं रखतौं यही साबित करना था। टि० (१) यह अनुमान उकले दस में जो यूनानी जवाब में लिखी है नहीं है इसको सिमसन साहब ने ग्यारहवौं साध्य के साथ लगाया है मगर इस पर बड़ा भारी ऐतराज हो सका है क्योंकि हम नहीं जानते कि बय लंब किस. तरह खींचा जायगा अगर हम उसके खींचने के लिये ग्यारहवीं साध्य की मदद लेवे तो ज़रूर है कि हम ब अ को बढ़ावें और जब हम ब अ को बढ़ाएंगे तो यह बात मान लेना फर्ज होगा कि यह सिर्फ एक तरह व सक्ती है क्योंकि बगर इस बात के मानलेने के हम नहीं जान सक्ने कि सिर्फ एकही लंब ब यखिंचेगा और जब हमने अब का सिर्फ एकही तरह बाहना मानलिया तो हमने उन्म दावे को जिसको हम साबित करना चाहिये मानलिया अगर मिमसन साहब का अनुमान तेरहवीं साध्य के बाद आवे तो वह इम तरह साबित हो सक्ता है अगर समकिन हो तो फ़ज़ कहो कि अबस च्योर अबद दो सीधी रेखायों में अब हिस्सा उभयनिर है ब बिंदु से कोई ब य रेखा खींचो तो अब य और बयस कोन मिल कर बरावर दी समकोन के होंगे (सा. १३) और अब य और य ब द कोन भी मिलकर बराबर दो समकोन के होंगे (सा. १३) इसलिये अबय और यबस कोन बराबर होंगे अब य औरय ब द कोनों के ( स०१) इसलिये यबस कोन य ब द कोन के बराबर होगा (स्व.३) यानी कुल अपने एक टुकड़े के बराबर होगा और यह नामुमकिन है (ख ) इसलिये दो सीधी रेखा उभयनिए हिस्सा नहीं रखती अगर सिमलन साहब को इसका ख़याल करना ही था कि दो सीधी रेखा उभय निर हिस्सा रखती है या नहीं तो उनको चाहिये था कि इसे पहले ही ख़याल करते क्यों कि पांचवीं साध्य में अगर दो सीधी रेखा अव तक एक ही हों और ब बिन्दु से जुदो हों तो ब स आधार के नीचे ब बिन्दु पर दो छोटे बड़े कोग पैदा होंगे और उनमें से हर एक बस ज कोन के बराबर होगा लोगों को यह भी राय है कि पहली साध्य ही में चुप चाप मान लिया गया है कि अस और बस रेखा स बिन्दु पर जहां वह मिलती हैं उभयनिर हिस्सा नहीं रखती सिमसन साहब ने इस नतीजे का बयान ग्यारहवौं साध्य से पहले कहीं नहीं किया है अगर हम इस अनुमान को निकाल कर दसवो स्वयं सिद्धि For Private and Personal Use Only
SR No.020605
Book TitleRekhaganit
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaram Babu
PublisherAtmaram Babu
Publication Year1900
Total Pages220
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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