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(५)
ओश्म
भूमिका
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TRENCECHASAN
पत्थर का टोल जो किसी चट्टान से काटा गया है एक ठोस चीक है जब संगतराश ने इसको गढ़कर इसका डौल दुरुस्त कर लिया तो यह एक पिंड की शक्ल बनगई अब फ़ज़ करो कि यह शक्ल ऐसी है कि इस टौल में छह तरफ हैं जो आपसमें सब तरह से बराबर हैं अगर कोई शखस खड़ा होकर इस टौल के एक कोने पर नज़र डाले तो उसको तीन तरफे जैसी कि इस तस्वीर में नज़र पड़ती हैं दिखलाई देंगी
इस शक्ल की हरएक तरफ को धरातल कहते हैं और जब यह धरातल ऐसा हमवार और चिकना है कि इसमें कहौं खुरखुरापन नहीं है तो यह दर्पणोदर धरातल है
तेज़ और पैने किनारे जहां कोई दो तरफै मिलती हैं रेखा कहलाती है वह जगह जहां कहौं तीन किनारे मिलते है बिन्दु है।
राशि उसे कहते हैं जिसके कुल और टुकड़ों की एक ही नाम से पुकार सकें मसलन् रेखा एक राशि है क्योंकि हम उसके कुल और उसके हरएक टुकड़े को रेखा कहते हैं
हर चीज़ की लम्बाई, चौड़ाई और मुटाई या गहराई या उंचाई) को बिस्तार कहते हैं
अब हम पिंड, धरातल, रेखा और बिंदु के आपस का फक इस तरह बयान करते हैं पिंड में तीनों विस्तार होते हैं यानी लम्बाई , चौड़ाई और
मुटाई
धरातल में दो विस्तार होते है यानी लम्बाई और चौडाई रेखा में एक विस्तार होता है यानी निरी लम्बाई
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