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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( १९८ ) बि.स -फर्जकरो कि अबस अधिक कोन त्रिभुज है जिसका अस व अधिक कोन है और अबिंदु से अद लंब बस बढ़ी हुई भुजा पर डाला गया है तो अब परका बर्ग बड़ा होगा अस और स बपरके बगों से बक़दर बस और सद के दूने धरातल के उप चूंकि बद रेखा दो हिस्सों में स बिंदु पर बांटी गयी है इसलिये बद परका बर्ग बराबर है बस और सट परके बगीके और बस और सद के दूने धरातलके २-सा०४ इन दोनों बराबरों में से हरएक में दअ परका बर्ग मिलाया इसलिये ब द और दअ परके बर्ग मिलकर बराबर हैं बस, सद और दअ परके बगीं और बस और सद के दूने धरातलके ___ लेकिन न अ परका बर्ग बराबर है वद और द अपरके बगी के और अपरका बर्ग बराबर है सद और द अपरके बी के १-सा०४७ इसलिये ब अ परका बर्ग बराबर है बस और स अ परके बगी और बस और स अ के दूने धरातल के यानी वअ परका बर्ग बड़ा है बस और संभ परके बगी से बक़दर बस और सद के दुने धरातल के फल-इसलिये अगर अधिक कोन त्रिभुज आद्योपान्त- यही साबित करना था टि०-यह साधा पहले प्रधााय से इस तरह साबित होती है त्रिभुज अब स को भुजों पर अज, अ क और बल बर्ग बनायो १-सा०४६) और स र, बच और अन लंब उन बों की भुजो पर डालो और हब सफ, अम, अल, ब क और सज मिलायो भ For Private and Personal Use Only
SR No.020605
Book TitleRekhaganit
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaram Babu
PublisherAtmaram Babu
Publication Year1900
Total Pages220
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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