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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( २२१ ) ave - नम्बरसाध्य कल्पित अर्थ हिरसों के धरातल के पाध्याय अगर कोई सीधी रेखा अल सीधो रेखा परका वर्गवराहिम्म में वटीवर दोनों हिमलों परके वर्ग और ! उनहिस्सों के दुने धरातल के योग के ७ व्यध्याय : नागर कोई मीवीरेखा तो कुल सीधी रेखा पर और दो हिस्सों में बटी है उसके एक हिस्से परके को मिल कर बराबर में कुल रेखा और उस के उस हिस्से के दूने धरातल और गरे हिना परको वर्ग के ८ व्यध्याय ३ अगर कोई सीधीमा कुल भीगी का गौर उरके दो हिस्सों में बाइक दिन का चौगुना बरालल और दूसरे हिस्से पर का या मिलकर बराक है उन जर के वर्ग के जो धीरे पहले हिससे से तो पार मार को सीधा सा पास दोनवर हिस्सों भोकर मार दो मास कार का को कारकिलों भक्तो शादियों को नई रिक मायाको खाकामावर कसा परी बरी दोयगावर धौर को ना शिकार हुने है सोनी रेखा के रामरहिम में गडी बाधे धर और उस रेखा परको नीलो माग दिएको दक्षिाको । यध्यास. उमर का लोको रखा। बाल या हाई सीधी जा । बरामर हिरमों में सरकार हमी का करतात की और किसी और सीधी रेखा के अाधे परमा मनुका कायो रामी बग सिकार बराबर है उस रेखा पर के वर्ग के जो सीधी रेखा के खाये और काहिसे बनी १० श्राप । नगर को लीजी रेखा : बी हुई अन सीधी रेसा पर क्षेरामा निस्तों में पटी और बाहुए हिना कर के कई को किलीन पिकार सीधशाकेकाले पर उनकी मां के मिस सहा For Private and Personal Use Only
SR No.020605
Book TitleRekhaganit
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaram Babu
PublisherAtmaram Babu
Publication Year1900
Total Pages220
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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