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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( ७२ ) अगर अब-दय तो व स (यफ साध्य २४ और अस= दफ लेकिन अ कोन रद कोन - नयर अब-दय - - साध्य २५ और अस= दफ तो अ कोन (द कोन -- लेकिन बस यफ इन चार माध्यों में से दो दो को मिलाकर इस तरह बयान करते हैं " अगर एक त्रिभुज की दो भुज दूसरे त्रिभुज की दो भुगों के अलग अलग बराबर हों तो एक त्रिभुज का अाधार दूसरे त्रिभुज के प्राधार से बड़ा या छोटा होगा ( सा० २४) या उसके बराबर होगा ( सा० ४ ) जैसाकि पहले निभुज के आधार के सामने का कोन बड़ा या छोटा है दूसरे त्रिज के आधार के सामने के कोन से या उसके बराबर है" " और ग्रगर त्रिभुज की दो मज दूसरे त्रिभुज की दो भुजों के अलग अलग बराबर हों तो एक त्रिभुज की दो भुजों से बना हुआ कोन दूसरे त्रिभुज की सुजों से बने हुए कोन से बड़ा या छोटा होगा ( सा० २५ ) या उनके बराबर होगा (सा०८) जैसा कि पहले त्रिभुज का ग्राधार बड़ा या छोटा है दृमरे त्रिभुज के ग्राधार से या उसके बरावर है" साध्य २६ प्रमेयोपपाद्य सा० सूत्र अगर एक त्रिभुज के दो कोन दूसरे त्रिभुज के दो कोनों के अलग अलग बराबर हों और एक त्रिभुज की एक भुज दूसरे त्रिभुज की एक भुज के बराबर हो और यह बराबर भुज चाहे बराबर कोनों के दर्मियान की हों या उनके सामने की हों तो एक त्रिभुज की बाकी भुज अलग अलग दूसरे त्रिभुज की बाकी भुजोंके बराबर होंगी और एक त्रिभुज का तीसरा कोन दूसरे त्रिभुज के तीसरे कोन के बराबर होगा वि० सूत्र फ़र्ज़ करो कि अबस और दयफ ऐसे दो त्रिभुज हैं कि उनके कोन प्रवस और असव अलग अलग For Private and Personal Use Only
SR No.020605
Book TitleRekhaganit
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaram Babu
PublisherAtmaram Babu
Publication Year1900
Total Pages220
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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