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वंदित्तु सूत्र
इस कारण से उनकी भी खराबी का विचार करके श्रावक को उनका अवश्य त्याग करना चाहिए, क्योंकि धर्म की आधार शिला आचार हैं। आचार का आधार क्रियाशुद्धि हैं। क्रियाशुद्धि का आधार भावनाशुद्धि है एवं भावनाशुद्धि का आधार आहारशुद्धि हैं। अत: जीवन में आहारशुद्धि हो तो धर्म आ सकता हैं। ७) हर प्रकार का मांस (meat)
बुद्धि को मंद करने वाला, तमोगुण की वृद्धि करनेवाला एवं हिंसा का प्रधान
कारण है। ८) मधु (honey)
मधु में तुरंत एवं मक्खन में छाछ में से बाहर निकालने के बाद उसी रंग के
'असंख्य सूक्ष्म त्रस जीवों की उत्पत्ति होती ९) मक्खन (Butter) १०) बरफ (Ice)
असंख्य अप्काय जीवमय है। ११) करा (Hailstones) १२) विष (Poison)
प्राणों का नाश करनेवाला है। १३) सब प्रकार की मिट्टी (Soil) सचित्त है एवं प्राण-धारण के लिए
अनावश्यक है। १४) रात्रि भोजन (Eating after Sunset) जीवहिंसादि बहु-दोषपूर्ण है। कलिकाल सर्वज्ञ पू. हेमचन्द्रसूरीश्वरजी महाराज ने आयुर्वेद शास्त्र के आधार से कहा है : हन्नाभिपद्मसंकोचश्चण्ड रोचिरपायतः अतो नक्तं न भोक्तव्यं, सूक्ष्मजीवादनादपि ॥६०॥
- योगशास्त्र सूर्य के अस्त होने पर शरीर में जो नीचे मुख वाला हृदय कमल एवं ऊँचे मुखवाला नाभि कमल है, वे दोनों कमल रात्रि में संकुचित हो जाते हैं एवं इसके अतिरिक्त रात्रि में सूक्ष्म जीवों का भक्षण भी हो जाता हैं। इसलिए रात्रिभोजन नहीं करना चाहिए ।
वासरे च रजन्यां, यः खादन्नेव तिष्ठति । शृङ्ग-पुच्छ -परिभ्रष्टः स्पष्टं स पशुरेव हि ॥६२॥
___- योगशास्त्र दिन या रात्रि का भेद किए बिना जो खाता रहता है, वह सिंग एवं पूंछ बिना का होने पर भी सच्चे अर्थ में पशु ही है।
१५) बहुबीज (Fruit or vegetables with lots of seeds) जिसमें ज्यादा हिंसा होती हो। १६) अनंतकाय
बत्तीस अनंतकाय : १) सब प्रकार के कंद, सूरण वगैरह (All kinds of roots, esculent roots) २) वज्र कंद (Sweet Potato) ३) लीली हलदर (Fresh/Green turmeric buds) ४)ताजा