Book Title: Sutra Samvedana Part 04
Author(s): Prashamitashreeji
Publisher: Sanmarg Prakashan

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Page 315
________________ २९२ वंदित्तु सूत्र सव्वे जीवा खमन्तु मे - सर्व जीव मुझे क्षमा करें । सर्व जीवों को उनके अपराध के बदले क्षमा करने के बाद साधक खुद भी सभी जीवों से अपने अपराधों की माफी चाहता है । इसलिए वह सब जीवों को संबोधित करके कहता है कि 'हे मित्रों ! मेरे ही कर्मों के कारण तुमसे मेरे प्रति जो अपराध हुआ है, उसके लिए तो मैंने तुम्हें क्षमा कर दिया है । मैं तो उन अपराधों को भूल जाना ही चाहता हूँ, परंतु मैं जानता हूँ कि मैंने भी तुम्हारे प्रति बहु अपराध किए हैं। अपने सुख के खातिर तुम्हारे दुःख या पीड़ा का मैंने कभी विचार भी नहीं किया। घड़ी दो घड़ी के मेरे आनंद के लिए मैंने तुम्हें काटा है, उबाला है, पैरों के नीचे कुचला (रौंदा) है। मैंने तुम्हें अनेक तरीकों से अनेक प्रकार की पीड़ा दी है। अनजाने में तो मैंने तुम्हें दुःख दिया ही है, परंतु मेरे एक स्पर्श से भी तुमको कितनी पीड़ा होती है वैसा जानने के बाद भी मेरे शौक के लिए, आनंद के लिए, तुम्हारी मरणांतिक पीड़ा का भी विचार नहीं किया । वास्तव में दुनिया में मेरा कोई भी नहीं और कुछ भी नहीं, ऐसा समझने पर भी ममता के कारण माने हुए स्नेही, स्वजनों एवं शरीर के लिए तुम्हारा सर्वनाश करने में मैंने कुछ भी बाकी नहीं रखा। मैं समझता हूँ कि मेरा ये अपराध अक्षम्य है। किसी भी प्रकार से भुलाने जैसा नहीं है, तो भी भविष्य में वैर की परंपरा न चले और उसके द्वारा तुम्हारे भव की परंपरा न बढ़े, इसलिए तुम सबसे विनती करता हूँ कि मुझे क्षमा करो ! जानेअनजाने में हुई मेरी भूलों को भूल जाओ । मेरे प्रति वैर भाव या शत्रु भाव को तुम भी मन में से निकाल डालो एवं मुझे मित्र की तरह स्वीकार लो।' मित्ती मे सव्वभूएस, वेरं मज्झ न केणइ - अब मुझे सर्व प्राणियों के प्रतिमैत्री है। किसी के प्रति वैरभाव नहीं है । सम्पूर्ण जीव सृष्टि को क्षमा देकर तथा खुद भी सर्व जीवों से क्षमा माँगकर, अब शुभ भावों के स्रोत को आगे बढ़ाता हुआ साधक कहता है, 'अब ये संपूर्ण जगत मुझे मित्र समान लगता है । समस्त विश्व मानो कि मेरा कुटुंब हो ऐसा लगता है। सबके हित की चिंता मेरे हृदय में जागृत हुई है।' 'धर्म की सम्यग् समझ नहीं होने से मैंने आज तक मेरे स्वार्थ को ट करने वाले व्यक्तियों को ही मेरा मित्र माना, मुझे अनुकूलता देने वालों को ही मैंने मेरा

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