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नौवाँ व्रत
अवतरणिका:
अब नौवें सामायिक व्रत के स्वरूप तथा उसके पालन में लगनेवाले अतिचारों को बताते हैं - गाथा : तिविहे दुप्पणिहाणे, अणवट्ठाणे तहा सइ-विहूणे।
सामाइअ वितहकए, पढमे सिक्खावए निंदे ।।२७।। अन्वय सहित संस्कृत छाया : त्रिविधे दुष्प्रणिधाने, अनवस्थाने सामायिक तथा स्मृति-विहीने।
प्रथमे शिक्षाव्रते वितथ-कृते, निन्दामि ।।२७ ।। गाथार्थ :
१. मन का दुष्प्रणिधान, २. वचन का दुष्प्रणिधान, ३. काया का दुष्प्रणिधान, ४. जैसे-तैसे सामायिक करने रूप अनवस्थान एवं ५. सामायिक के विषय में स्मृतिविहीनता - इन पाँच अतिचारों द्वारा प्रथम शिक्षाव्रत रूप सामायिक व्रत में जो वितथ/मिथ्या किया हो उसकी मैं निन्दा करता हूँ।