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बारहवाँ व्रत
अवतरणिका:
अब बारहवें अतिथि संविभागवत के स्वरूप तथा अतिचारों को बताते हैं
गाथा:
सच्चित्ते निक्खिवणे, पिहिणे ववएस-मच्छरे चेव । कालाइक्कमदाणे, चउत्थे सिक्खावए निंदे।।३०।। अन्वय सहित संस्कृत छाया :
सचित्ते निक्षेपणे, पिधाने व्यपदेश-मत्सरे च एव । कालातिक्रम-दाने, चतुर्थे शिक्षाव्रते निन्दामि।।३०।। गाथार्थ :
चौथे शिक्षाव्रत में दान विषयक : १. सचित्तनिक्षेप, २. सचित्तपिधान, ३. पर व्यपदेश, ४. मात्सर्य एवं ५. कालातिक्रम दान, ये पाँच अतिचार हैं। इन पाँचों में से कोई भी अतिचार लगा हो तो उनकी मैं निन्दा करता हूँ।