Book Title: Sramana 2006 07
Author(s): Shreeprakash Pandey
Publisher: Parshvanath Vidhyashram Varanasi

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Page 31
________________ २४ : श्रमण, वर्ष ५७, अंक ३-४ / जुलाई-दिसम्बर २००६ . ४. "उपदेशपद महामन्थ' नाम से दो भागों में श्रीमन्मुक्तिकमल जैन मोहनमाला, बड़ोदरा से क्रमश: १९२३ एवं १९२५ में प्रकाशित। ग्रन्थान १४५०० सूत्र संयुक्तोपदेशपदवृत्ति श्लोकमानेन प्रत्यक्षरगणनया उपदेशपदवृत्ति की प्रशस्ति का अन्तिम वाक्य, पृ० ४३४ ६. उपदेशपदवृत्ति द्वितीयो भाग: - आद्य वक्तव्य (भूमिका), पृ० ६-७ ७. साहाय्यमत्र परमं कृतं विनेयेन रामचन्द्रेण । गणिना, लेखंशोधनादिकं शेषशिष्यैश्च ॥ उपदेशपदवृत्ति अन्तिम प्रशत्ति ८, पृ० ४३४ पूवैर्यद्यपि कल्पितेह गहना वृत्तिः.... यत्नो पमास्थीयते। उपदेशपदवृत्ति (प्रारम्भिक), ९. जैन साहित्य का बृहद् इतिहास, भाग-४, पृ० १९५, १०. वही, पृ० १९५. ११. उपदेशपद गाथा १-२ की वृत्ति, पृ० २, १२. अइदुल्लहं च एयं चोल्लगपमुहेहिं अत्थ समयम्मि । भणियं दिळंतेहिं अहमवि ते संपवक्खामि ।। उपदेशपद ४ ॥ चोल्लग पासग धण्णे-जूए रयणे य सुमिण चक्के य । चम्मजुगे परमाणु-दस दिटुंता मणुयलंभे ॥ उपदेशपद ५ ॥ १३. उपदेशपद गाथा ६, १४. उपदेशपद गाथा ७, पृ० २१, १५. धण्णेत्ति भरहधण्णे सिद्धत्थगपत्थखेव थेरीए। अवगिंचण मेलणओ एमेव ठिओ मणुयलाभो ।। उपदेशपद ८ १६. रयणेत्ति भिन्नपोयस्स तेसि नासो समुद्दमझमि । अण्णे संणंभि भणियं तल्लाहसमं बु मणुयत्तं ॥१०॥ १७. उपदेशपद ३०-३६ १८. उप्पत्तिय वेणइया कम्मय तह पारिणामिया चेव । बुद्धि चउव्विहा खलु निद्दिट्ठा समयकेऊहिं ॥ उपदेशपद - ३८ १९. भरहसिल-पणिय-रुक्खे खुड्डग-पडसरड-काय उच्चारे ।। गय-घयण-गोल-खंभे खुड्डग-मग्गित्थि-पइपुत्ते ॥ उपदेशपद - ४० २०. नदीसूत्र गाथा - ७०-७२, २१. उपदेशपद गाथा - ५२-७९, २२. इत्थी वंतरि सच्चित्थितुल्ल तीयादि कहण ववहारे । हत्थाविसए ठावण गह दीहागरिसणे णाणं । उपदेशपद -९३ २३. कागे संखे वंचिय विण्णायड सट्ठिण पवासाई ।। अण्णे घरिणि पारिच्छा णिहि फुट्टे रायऽणुण्णाओ ॥ --उपदेशपद -८५ २४. उपदेशपद वृत्ति ८४, पृ० ६१, २५. उपदेशपद गाथा १३, पृ० २१, २६. वही - गाथा ११३, पृ० ८४, २७. हरिभद्र का प्राकृत कथा साहित्य, डा० नेमिचंद्र शास्त्री, पृ० १८२ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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