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श्रमण, वर्ष ५७, अंक ३-४॥
जुलाई-दिसम्बर २००६
फतेहपुर सीकरी से प्राप्त श्रुतदेवी (जैन सरस्वती) की प्रतिमा
डॉ. अशोक प्रियदर्शी
सीकरी आगरा जिलान्तर्गत जिला मुख्यालय के दक्षिण में लगभग ३५ कि.मी. दूर विन्ध्याचल की श्रृंखलाओं के विस्तार पर एक विशाल प्राकृतिक झील के किनारे पर स्थित है जो अब प्राय: सूख चुकी है (जैन साहित्य में इस झील को 'मोती झील' अथवा 'डाबर झील' कहा गया है)। जबकि फतेहपुर मुख्य रूप से सीकरी के निकट ही दक्षिण में मुगल बादशाह अकबर द्वारा अपनी द्वितीय राजधानी आदि के निमित्त निर्मित भव्य एवं शानदार स्मारकों का देदीप्यमान समूह है। इस प्रकार फतेहपुर सीकरी दो प्रमुख स्थलों का संयुक्त नाम है। वर्तमान में फतेहपुर सीकरी की विश्व-प्रसिद्धि का कारण अकबर द्वारा निर्मित यहाँ के गौरवपूर्ण स्मारक हैं जो उन्नीसवीं सदी के उत्तरार्द्ध में भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण विभाग द्वारा संरक्षित किये जा चुके हैं। कालान्तर में यूनेस्को द्वारा इन स्मारकों के समूह को उनकी किलेनमा दीवारों एवं विशाल दरवाजों सहित संरक्षित करते हुए इसे 'विश्वदाय स्थल' घोषित किया गया।
१९८२-८३ ई. में सीकरी की उपर्युक्त झील के दक्षिण-पूर्वी किनारे पर स्थित बीरछबीली टीला के उत्खनन से कुछेक जैन मूर्तियाँ, स्थापत्य-सम्बन्धी अवशेषों के साथ-साथ एक जैन मन्दिर का अधिष्ठान भी प्रकाश में आया। १९९८-९९ ई. में फतेहपुर सीकरी के क्षेत्र से एक वृहद् सर्वेक्षण के समय बड़ी सख्या में जैन एवं वैदिक धर्म से सम्बन्धित मूर्तियाँ एवं मन्दिरों के स्थल प्राप्त हुए।५ इन उपलब्धियों से उत्साहित होकर मुगल शासक बाबर के पूर्व इस क्षेत्र का इतिहास एवं पुरातत्त्व जानने के उद्देश्य से यहाँ के किसी एक पुरास्थान का उत्खनन कराना आवश्यक हो गया। ऐसी स्थिति में बीरछबीली टीला का पुनः विधिवत उत्खनन कराया गया जिसमें बड़ी संख्या में जैन मूर्तियाँ* चामेलिका, विवेक विहार, मैनपुरी-२०५००१
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