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पार्श्वनाथ विद्यापीठ के प्राङ्गण में : २२३
दिनांक 25-12-2006 को अपराह्न 3.00 बजे समापन सत्र का प्रारम्भ हुआ। इस सत्र के मुख्य अतिथि थे प्रो० एस० एस० कुशवाहा, कुलपति, महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ, अध्यक्ष थे -प्रो० आंगने लाल, पूर्व कुलपति, डा0 राम मनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय, फैजाबाद तथा सारस्वत अतिथि थे प्रो0 राय आनन्दकृष्ण प्रसिद्ध कलावेत्ता। इस सत्र के प्रारम्भ में संस्थान के कार्यकारी निदेशक डा0 श्रीप्रकाश पाण्डेय ने तीन दिनों तक हुई सम्पूर्ण चर्चा पर प्रकाश डाला तथा प्रो0 सीताराम दुबे ने सविस्तार संगोष्ठी के सभी सत्रों मे हुये 76 शोधपत्रों के वाचन और उनके महत्त्व को रेखांकित किया। प्रो० एस० एस० कुशवाहा, प्रो० आंगने लाल तथा प्रो0 राय आनन्दकृष्ण, ने 'श्रमण परम्परा द्वारा भारतीय संस्कृति एवं पर्यटन को दिये गये अवदान की चर्चा करते हुए इस संगोष्ठी को इस दिशा में मील का पत्थर बताया। अन्त में धन्यवाद ज्ञापन संस्थान के कार्यकारी निदेशक डा0 श्रीप्रकाश पाण्डेय ने किया। जैन ग्रन्थों के अंग्रेजी अनुवाद हेतु प्रगत जैन शब्दावली का
प्रकाशन उच्चतर जन ग्रन्थों में अंग्रेजी अनुवाद हेतु प्रगत शब्दावली (Advance Glossary) की आवश्यकता का तीव्रता से अनुभव किया जा रहा था। इसे ध्यान में रखते हुए "श्रुत संवर्धिनी महासभा" तथा "आर० के० चैरिटीज" के सहयोग से डा0 नन्दलाल जैन द्वारा संकलित प्रायः 5000 उपयोगी शब्दों की प्रगत शब्दावली (Advance Glossary of Jaina Terms) के नाम से पार्श्वनाथ विद्यापीठ से प्रकाशित की गयी है। इसका कुशल सम्पादन पार्श्वनाथ विद्यापीठ के कार्यकारी निदेशक डा0 श्रीप्रकाश पाण्डेय ने किया है। यह महासभा कार्यालय, दिल्ली-लखनऊ तथा पार्श्वनाथ विद्यापीठ, वाराणसी से प्राप्त की जा सकती है। आशा है इससे न केवल अनुवाद कार्य में एकरूपता आयेगी अपितु जैन साहित्य के विश्वीय संप्रसारण में भी सहायता मिलेगी।
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