Book Title: Sramana 2006 07
Author(s): Shreeprakash Pandey
Publisher: Parshvanath Vidhyashram Varanasi

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Page 229
________________ 222 : श्रमण, वर्ष 57, अंक 3-4 / जुलाई-दिसम्बर 2006 5. टूरिस्ट गाइड, होटल प्रबन्धकों एवं बुद्धिजीवियों की एक संयुक्त बैठक बुलाकर श्रमण संस्कृति के प्रमुख पक्षों को उद्घाटित किया जाय और उन्हें पर्यटकों को सहज ढंग से व्याख्यायित करने की ट्रेनिंग प्रदान की जाय। 6. जैन एवं बौद्ध धर्म से सम्बन्धित "मोमेन्टोज' एवं लघु प्रदर्शों, फोटोग्राफ्स आदि के विक्रय एवं वितरण की व्यवस्था शासन स्तर से इन स्थलों पर कराई जाय। संगोष्ठी में नेशनल पॉलिसी ऑफ लाइब्रेरी एण्ड इनफारमेशन सिस्टम (NPLIS) पर विशेष सत्र (दिनांक- 24 दिसम्बर 2006, समय- प्रातः 8.30 बजे) आयोजित किया गया। इस सत्र के मुख्य अतिथि थे- प्रो० आर० एस० दबे, प्रोफेसर इंचार्ज, केन्द्रीय ग्रन्थालय, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय तथा अध्यक्षता की डॉ० एल० एम० पी० सिंह, सीनियर कन्सल्टेन्ट (लाइब्रेरी साइंस),उ०प्र० राजर्षि टण्डन वि०वि० ने। इस सत्र के सारस्वत अतिथि थे- श्री बी० एन० सिंह, वरिष्ठ उपग्रन्थालयी, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय तथा विशेष अतिथि थे -डॉ०. हीरक चक्रवर्ती, विभागाध्यक्ष (लाइब्रेरी साइंस) सम्पूर्णानन्द संस्कृत वि०वि०। इसमें जिन विद्वानों ने भाग लिया उनमें मुख्य है- श्री राजेश मिश्रा, प्रलेखन अधिकारी, केन्द्रीय तिब्बती उच्च शिक्षण संस्थान, सारनाथ, श्री राम कुमार दांगी - लाइब्रेरियन, विधि संकाय, बीएचयू, श्री दुर्गेश सिंह, लाइब्रेरियन, दर्शन विभाग, बीएचयू, श्री नवीन उपाध्याय, लाइब्रेरियन, प्रौद्यौगिकी सं० बीएचयू ,डॉ० संजीव सर्राफ, लाइब्रेरियन, इन्स्टीट्यूट आफ मेडिकल साइन्सेज, बीएचयू, आदि। सभी विद्वानों ने पुस्तकालय के माध्यम से जैन साहित्य के विकास पर अपने-अपने शोध आलेख पढे। इस अवसर पर संस्कृति मंत्रालय को भेजने हेतु एक प्रस्ताव पारित किया गया जो निम्न है1. A National Policy on Library and Information Sys tem is essential need. This Policy should look into the provision of a strong networking system connecting the libraries of all educational institutions of the countries particularly working in the field of Jaina Studies. 2. Every individual of this country should have the right to access the information. 3. Due to religious and cultural importance of Varanasi, - a library of National heritage importance should be developed in Varanasi. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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