Book Title: Sramana 2006 07
Author(s): Shreeprakash Pandey
Publisher: Parshvanath Vidhyashram Varanasi

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Page 222
________________ जैन जगत् : 215 का जिक्र किया। सभा का सुंदर संचालन संघ के मंत्री श्री विक्रम जैन ने किया। दुर्लभ हस्तलिखित ग्रन्थ प्रदर्शनी दशलक्षण पर्व के अन्तर्गत 2 सितम्बर से 8 सितम्बर तक खण्डेलवाल भवन, छिंदवाड़ा में अनेकान्त ज्ञान मंदिर शोध-संस्थान, बीना द्वारा दुर्लभ, हस्तलिखित ग्रन्थ प्रदर्शनी का अनूठा आयोजन किया गया। प्रदर्शनी में 1500 वर्ष प्राचीन ताड़पत्रीय पाण्डुलिपियां, 700 वर्ष प्राचीन ग्रन्थ, सचित्र पाण्डुलिपियां, काष्ठफलक, आमंत्रण पातियां, पोस्टकार्ड पर अंकित तत्त्वार्थसूत्र के दस अध्याय, स्वर्णलिखित भक्तामर स्तोत्र आदि बहुमूल्य अनमोल कृतियों को देखने के लिए जैन समाज के अलावा जैनेतर बन्धुओं का उमड़ा जनसैलाब नगर में चर्चा का विषय बना रहा। प्रदर्शनी में प्रदर्शित सामग्री को देखकर हर द्रष्टा ने अनेकान्त ज्ञान मंदिर शोध संस्थान, बीना के 'शास्त्रोद्धार शास्त्र सुरक्षा अभियान' के कार्यों की दिल खोलकर सराहना करते हुए अपना यथायोग्य सहयोग भी प्रदान किया। संस्थान द्वारा प्रकाशित साहित्य की भी खूब सराहना संस्कृत, प्राकृत एवं हेमसाहित्य के प्रकाण्ड विद्वान प्रो. सत्यरंजन बनर्जी श्री हेमचन्द्राचार्य चन्द्रक पुरस्कार से सम्मानित अहमदाबाद, 24.9.06 को प्राकृत एवं संस्कृत के विशिष्ट विद्वान प्रो. सत्यरंजन बनर्जी को श्री हेमचन्द्राचार्य चन्द्रक पुरस्कार से सम्मानित किया गया। यह पुरस्कार पूज्यपाद जैनाचार्य श्री विजय सूर्योदय सूरीश्वर जी तथा उनके शिष्य आचार्य श्री विजय शीलचन्द्रसूरि की प्रेरणा से कालिकाल सर्वज्ञश्री हेमचन्द्राचार्य की नौवीं जन्मशताब्दी पर स्थापित ट्रस्ट द्वारा दिया गया। इस अवसर पर अनेक विद्वान एवं गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे। बी० एल० इन्स्टीट्यूट, दिल्ली में भारतीय योग परम्परा के परिप्रेक्ष्य में जैन योग विषयक त्रिदिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय संगोष्ठी सम्पन्न भोगीलाल लहेरचन्द भारतीय संस्कृति मन्दिर, दिल्ली तथा श्री जैन नाकोडा पार्श्वनाथ तीर्थ ट्रस्ट के संयुक्त तत्त्वावधान में दिनांक 7-9 दिसम्बर 2006 को नई दिल्ली स्थित इण्डिया इंटरनेशनल सेन्टर में भारतीय योग परम्परा के परिप्रेक्ष्य में जैन योग विषयक अन्तर्राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन हुआ। इसमें देश-विदेश से 60 से अधिक विद्वानों ने भाग लिया तथा 26 विद्वानों ने अपने शोध Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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