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कला की अनुपम कृति जबलपुर का श्री शीतलनाथ मंदिर : १४७
हंस का पैनल भी दर्शनीय है । सम्पूर्ण जिनालय सर्व प्रासाद शैली में निर्मित है । इस शैली की यह विशेषता होती है कि इसमें २४ तीर्थकरों में से किसी भी तीर्थंकर की प्रतिष्ठा की जा सकती है। मंदिर में तिलक तोरण और कमानिका तोरण भी बने हैं। सभा मण्डप में पंचशाखा द्वार है।
अहमदाबाद के शिल्प विशेषज्ञ श्री भरत भाई सोमपुरा ने अपनी कल्पना को कलाकृति के माध्यम से प्रदर्शित किया है। गर्भगृह के ऊपर शिखर तथा रंग मंडप के ऊपर सामरण के निर्माण से सम्पूर्ण मंदिर अपनी भव्यता में एक गुलाबी पाषाण की पहाड़ी जैसी दिखती है। शिल्पकारों द्वारा पत्थरों पर की गयी फूल-पत्ती तथा बेल-बूटकारी इतनी मनोहर तथा जीवन्त हैं कि इन्हें एक बार देखने वाला उनके शिल्प सौन्दर्य को विस्मरण कर पाये यह असम्भव है। मंदिर निर्माण में करीब १० वर्ष लगे । २५ फरवरी १९९४ को परम पूज्य आचार्य श्रीमद् विजय हेमप्रभु सूरीश्वर जी म.सा. की निश्रा में जिनालय की प्रतिष्ठा सम्पन्न हुयी लेकिन अभी भी सौन्दर्यीकरण के कार्य चल ही रहे हैं।
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