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जैन आगमों में शिल्प : एक दार्शनिक दृष्टि : १२९ शिल्प बनाने का निर्देश नहीं था। मृत पशु का ही प्रयोग चर्मशिल्प उद्योग में होता
था।
चित्रांकन शिल्प - आगमों में चित्रकला के अनेक उल्लेख प्राप्त होते हैं। चित्रकार भी एक प्रकार के शिल्पी ही होते हैं। वे अपनी चित्रकारी का प्रदर्शन भवनों, वस्त्रों, रथों और बर्तनों आदि पर प्राचीनकाल में करते थे और आज भी करते हैं। ज्ञाताधर्मकथांग में उल्लेखित धारणी देवी के 'शयनागार' की छत लताओं, पुष्पावलियों तथा उत्तम चित्रों से अलंकृत थीं।४२ बृहत्कल्पभाष्य से भी ज्ञात होता है कि एक विदुषी गणिका ने अपनी चित्रसभा में विविध उद्योगों से सम्बन्धित चित्र बनवा रखे थे। जब कोई आगन्तुक चित्र विशेष की ओर आकर्षित होता तो वह उसकी वृत्ति और रुचि का अनुमान लगा लेती थी।
कुटीर उद्योग शिल्प - कुटीर उद्योग शिल्प के भी अनेक दृष्टांत जैनागमों में प्राप्त होते हैं। डोम, कुहण, तुरहा, बीन आदि जातियां सूप, टोकरियाँ, रस्से आदि का निर्माण करते थे। जंगली जानवरों को पकड़ने के लिए मूंज, काष्ठ, वेत्र, सूत्र आदि से रस्से बनाए जाते थे।४३ थाली, बटलोई, सरकण्डों के सूप, बाँस की छबड़ी आदि का भी उल्लेख प्राप्त होता है।४४ ऊन, मुंज, घास, ऊँट के बाल, सन आदि से साधुओं के लिए रजोहरण बनाए जाते थे। ताड़, मूंज और पलास के पत्रों से हाथ के पंखे बनाए जाते थे। इनके अतिरिक्त विविध खिलौनों का भी निर्माण किया जाता था।
शिल्प की दार्शनिक व्याख्या पर दृष्टि डालें तो यह स्वीकार करना पड़ेगा कि मनुष्य एक जिज्ञासु प्राणी है। वह प्रत्येक वस्तु के प्रति नवीन दृष्टिकोण रखता है। शिल्पकार के लिए उसके द्वारा निर्मित शिल्प उसकी अन्तरात्मा से फूटकर निकलती परिकल्पना का साकार रूप है। शिल्पकार अपनी शिल्प को साकार रूप देकर अत्यन्त प्रसन्न होता है। दूसरे शब्दों में, शिल्प शिल्पकार का खेल है, मनोरंजन है जिसको साकार रूप देकर वह आनन्दित होता है। नई-नई शिल्पों को तैयार करना शिल्पकार का शौक कहा जा सकता है। वह एक अच्छा शिल्प तैयार कर अतिशय आनन्द को प्राप्त करता है। शिल्पकार के लिए शिल्प का निर्माण ही उसका साध्य है।
आस्तिक दर्शन ईश्वर को शिल्पकार मानता है (सांख्य और मीमांसा को छोड़कर) यह विश्व एक शिल्प है और ईश्वर उसका शिल्पकार है किन्तु ईश्वर का यह शिल्प उद्देश्य रहित है। वह विश्व रूपी शिल्प का निर्माण किसी अन्य की अपेक्षा से नहीं करता। वह तो पूर्ण है, आप्तकाम है, सभी प्रकार की कामनाओं,
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