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१२८ : श्रमण, वर्ष ५७, अंक ३-४ / जुलाई-दिसम्बर २००६ मिलते हैं। ‘मृद्भाण्ड' बनाने वाले कुम्भार और धातु के बर्तन बनाने वाले 'लोलालिक' कहे जाते थे।३२ कुम्भारों द्वारा पानी संग्रह हेतु घड़े, मिट्टी के परात, मटके, सुराही तथा अनाज संग्रह हेतु मिट्टी के पात्रों का निर्माण किया जाता था।३३ मृद्भाण्डों के अतिरिक्त तुम्बा, काठ, लोहा, रांगा, ताम्बा, जस्ता आदि के भी पात्रों का निर्माण किया जाता था।३४
काष्ठ शिल्प - 'आचारांगसूत्र' में काष्ठ कर्मशाला, मानगृह, रथादि बनाने के उल्लेख प्राप्त होते हैं।३५ “समवायांग' में चक्रवर्ती के चौदह रत्नों में बर्धकी (बढ़ई) रत्न भी सम्मिलित था। वह राज्य के लिए वाहन तथा भवन आदि का निर्माण करता था। इससे स्पष्ट होता है कि प्राचीनकाल में काष्ठ शिल्प उन्नतशील था। अनेक जीवनोपयोगी घरेल उपकरण जैसे - उखल, मूसल, पीढ़ा, रथ, पालकी, कृषि में काम आने वाले हल, जुआ, पाटा आदि काष्ठ से ही निर्मित होते थे। इसके साथ ही दरवाजे, सीढ़ियां, गवाक्ष आदि भी लकड़ी से ही निर्मित होते थे।
वास्तु शिल्प - आगम काल में वास्तु शिल्प भी अपनी विकासावस्था में था। नगरों की संरचना, चौड़े पथ एवं भवनों के निर्माण की शैली उत्कृष्ट थी। नगरों को बड़े सड़कों से जोड़ने के लिए छोटी-छोटी सड़कें बनी हुई थीं। जैन साहित्य में 'सिंघाडग', 'तिग' 'चउक्क' एवं 'चत्वर' आदि का वर्णन आया है।२६ तिराहे और तिनमुहानी को 'सिंघाडग' तथा चतुष्पथ और चौमुहानी को 'चउक्क' कहा जाता था। आगमों में अनेक वास्तु विशेषज्ञों का उल्लेख मिलता है जो राजमहल, भवन, तृण कुटीर, साधारण गृह आदि बनाते थे।३७ वास्तु उद्योग इतना उन्नत था कि शीतगृहों का भी निर्माण होता था, इसका उल्लेख बृहत्कल्पभाष्य में मिलता है।३८
चर्मशिल्प - आगमों में उपलब्ध विवरण से यह ज्ञात होता है कि उस समय पशुओं के चमड़े, दाँत, बाल, सींग, खुर आदि से वस्तुओं का निर्माण होता था। चर्मकार पशुओं की खालों को मुलायम करके उससे अनेक प्रकार की वस्तुओं का निर्माण करते थे। 'निशीथचूर्णि' में विभिन्न प्रकार के जूतों का उल्लेख आया है।३९ कुणिक राजा के जूते कुशल कारीगरों द्वारा निर्मित थे, जिनमें वैदर्भ, रिस्ट एवं अंजन रत्न जड़ित थे।४० युद्ध क्षेत्र के लिए भी चमड़े के अनेक आवरण बनाए जाते थे। चर्मवस्त्र का उल्लेख आगमों में मिलता है। बृहत्कल्पभाष्य में यह उल्लेख है कि रुग्णावस्था में या विशेष परिस्थिति में जैन साधु-साध्वियाँ भी चर्म । शिल्प का उपयोग कर सकते हैं। १ परन्तु चर्मशिल्पकारों को जीों की हिंसा कर
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