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अध्याय प्रथम
विषय का महत्व एवं अध्ययन स्रोत
छठी शताब्दी ई.पू. न केवल भारतवर्ष के लिए वरन् समस्त विश्व के लिए बौद्धिक एवं धार्मिक क्रान्ति का युग रहा है मानव की जिज्ञासा एवं तर्कशीलता ने नवीन विचारों को जन्म दिया। यह वह युग था जब यूरोप के साथ-साथ भारत में भी लोग प्राचीन व्यवस्था की प्रामाणिकता, धार्मिक क्रिया - विधियों, पुरोहितों की असीमित शक्ति और सुविधाओं तथा मरणासन्न संस्कृति के प्राणघातक भार के विरुद्ध थे। ___ ईरान के जरस्थु, यूनान में पाइथागोरस और चीन में कन्फ्यूशियस ने नवीन विचारों का प्रतिपादन किया। इसी क्रम में भारतीय धार्मिक क्रान्ति के अग्रदूत महावीर स्वामी और गौतम बुद्ध थे। ___ भारत में जैन धर्म एवं बौद्ध धर्म ने ब्राह्मण धर्म के कर्मकाण्ड पर समान रूप से प्रहार किया। दोनों धर्मों को तत्कालीन राजाश्रय प्राप्त हुआ। बौद्ध धर्म ने जहां अन्तर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त किया, वहीं जैन धर्म आज भी भारत में अपना अस्तित्व बनाये हुए है। छठी शताब्दी ई. पू. में जैन धर्म को महावीर स्वामी ने भारत के कोने-कोने तक पहुंचाया।
छठी शताब्दी ई. पू. में भारतवर्ष षोड्स महाजनपद में विभक्त था जिनमें से एक शूरसेन जनपद भी था, जिसकी राजधानी मथुरा थी। शूरसेन जनपद यमुना नदी के किनारे स्थित था।
जिनसेन के महापुराण के अनुसार भगवान ऋषभदेव की आज्ञा से इन्द्र ने भारत को बावन जनपदों में विभाजित किया था जिसमें शूरसेन का नाम भी उल्लिखित है।'